सिविल सेवक एवं सोशल मीडिया | 30 Aug 2022

मेन्स के लिये:

सिविल सेवकों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग से संबंधित पक्ष और विपक्ष।

चर्चा में क्यों?

सिविल सेवकों (सेवानिवृत्त एवं सेवारत) के सोशल मीडिया एकाउंट्स पर कुछ प्रकार के प्रतिबंधों की वकालत की गई है, क्योंकि ये उनके कार्य में बाधा डाल सकते हैं।

सिविल सेवकों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग से संबंधित पक्ष और विपक्ष:

  • पक्ष:
    • आम लोगों तक आसान पहुँच:
      • सोशल मीडिया के माध्यम से सिविल सेवक तक आम लोगों की पहुँच आसान हो गई है और सार्वजनिक सेवा वितरण के मुद्दों को सोशल मीडिया के उपयोग के माध्यम से हल किया जा रहा है।
    • सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण:
      • सोशल मीडिया ने लंबे समय से अपारदर्शी और दुर्गम मानी जाने वाली संस्था के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण किया है।
    • जागरूकता में वृद्धि:
      • सोशल मीडिया के माध्यम से सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ी है।
    • सार्वजनिक सूचना का तीव्र प्रसार:
      • यह नौकरशाहों को राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हुए सार्वजनिक सूचना को पहुँचाने और जनता के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
      • सोशल मीडिया का उपयोग उस स्थिति में सिविल सेवकों के मध्य के अंध आज्ञाकारिता को कम करने में मदद करता है जब राजनेता नौकरशाहों से अपनी सुविधा/निजी हित के अनुसार सलाह प्राप्त करना चाहते हैं।
  • विपक्ष:
    • अनामिकता:
      • अनामिकता भारत सहित वेस्टमिंस्टर नौकरशाही का प्रमुख आधार रही है।
        • लोक सेवा में अनामिकता वह परंपरा है जिसमें मंत्री और संसद जनता को सरकारी कार्यों के लिये उन लोक सेवकों का नाम लिये बगैर जवाब देते हैं जिन्होंने उस कार्य संबंधित सलाह दी थी या प्रशासनिक कार्रवाई की थी।
      • एक ऐसी दुनिया में जहाँ सार्वजनिक शासन वाली दुनिया में गोपनीयता बनाए रखना है शासन के आदर्शों के प्रति प्रतिकूलता हैै।
    • मूल्यों का प्रभुत्व:
      • इसके अलावा, सार्वजनिक नीति निर्माण में तथ्यों की तुलना में मूल्य अधिक प्रभावी होते जा रहे हैं।
      • सार्वजनिक नीति के दायरे में फेक न्यूज़ और व्यवस्थित प्रचार के कारण मूल्यों और तथ्यों दोनों को नया रूप दिया जा रहा है।
      • नतीजतन नौकरशाही, जिसे तथ्यों के संग्रह और सार्वजनिक मूल्यों के प्रतीक के रूप में काम करने की उम्मीद है, से निजी तौर पर शासन करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिये।
    • सोशल मीडिया का संस्थानीकरण:
      • कई वेस्टमिंस्टर सिस्टम (केंद्रीय नगर /आधिकारिक तौर पर शहर) आधारित देशों में सोशल मीडिया का उपयोग धीरे-धीरे संस्थागत हो रहा है।
      • में ब्रेक्सिट के दौरान कई सिविल सेवकों ने राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हुए भी सोशल मीडिया के उपयोग के माध्यम से सार्वजनिक बहस को आकार दिया।
      • भारत में सिविल सेवकों ने डिजिटल नौकरशाही के इस पहलू पर विचार नहीं किया है।
        • सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के माध्यम से गुमनामी और अपारदर्शिता को पहले ही कम कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद वे प्रमुख विशेषताएँ बनी हुई हैं।
    • पहुँच और जवाबदेही:
      • भारत में नौकरशाही में सोशल मीडिया की भूमिका ने अलग दिशा ले ली है।
      • सिविल सेवकों द्वारा आत्म-प्रचार के लिये सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है।
      • अपने चुनिंदा पोस्ट और अपने सोशल मीडिया प्रशंसकों द्वारा इन पोस्टों के प्रचार के माध्यम से सिविल सेवक अपने प्रदर्शन का आख्यान करते हैं, जो पहुँच और जवाबदेही के नाम पर उचित है।
      • जन चेतना में यह गलत धारणा बन गई है कि सोशल मीडिया सिविल सेवकों तक पहुँचने और उन्हें जवाबदेह बनाने का एक तरीका है।

आगे की राह

  • सार्वजनिक नीति में सुधार:
    • नौकरशाहों को सार्वजनिक नीतियों में सुधार के लिये सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिये। यदि वे सोशल मीडिया का उचित उपयोग नहीं करते हैं, तो स्वतंत्र सलाहकार के रूप में उनकी भूमिका खतरे में पड़ जाती है।
    • सोशल मीडिया ने पहुँच और जवाबदेही में सुधार किया है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि सिविल सेवकों को अपनी इच्छित जानकारी साझा करने एवं जो वे चाहते हैं उन्हें प्रतिक्रिया देने के लिये लाभदायक है।
    • यह कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है जहाँ पहुँच और जवाबदेही उपचार की एकरूपता पर आधारित हो।
    • सोशल मीडिया की जवाबदेही संस्थागत और नागरिक केंद्रित जवाबदेही का कोई विकल्प नहीं है।
    • वास्तव में कार्यालय समय के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग करना और इसे उचित ठहराना आंशिक रूप से अनैतिक है जब लंबी दूरी से आने वाले कुछ लोग कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे हैं।
  • तथ्यों को सामने लाने के लिये सोशल मीडिया का उपयोग:
    • अब समय आ गया है कि न केवल सोशल मीडिया का इस्तेमाल तथ्यों को सामने लाने के लिए किया जाना चाहिये बल्कि उपलब्धियों का प्रदर्शन भी किया जाना चाहिये।
    • यह नकारात्मकता का मुकाबला करने के लिये व्यापक संदर्भ का एक हिस्सा है जो कि व्यापक होती जा रही है।
      • #Nexusofgood सिविल सेवकों और समग्र रूप से समाज में उनके द्वारा किये जा रहे अच्छे काम को समझने, उसकी सराहना करने और उसके मूल्यांकन का एक क्षण है।
    • विचार नकारात्मकता के लिये एक वैकल्पिक कथा विकसित करना है जो सोशल मीडिया और संचार के अन्य माध्यमों में व्यापक हो रही है। इस तरह की नकारात्मकता बड़ी संख्या में लोगों के विचारों और कार्यों को प्रभावित कर रही है।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स