भारत में दत्तक ग्रहण | 06 Aug 2025

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में दत्तक ग्रहण, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण, हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021

मेन्स के लिये:

भारत में गोद लेने से संबंधित कानून, भारत में गोद लेने से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) गोद लेने के लिये उपलब्ध बच्चों और इच्छुक दत्तक माता-पिता की संख्या के बीच के अंतर को  कम करने में असमर्थ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप गोद लेने की प्रक्रिया में लंबी देरी हो रही है।

  • दत्तक ग्रहण संदर्भ (Adoption Referral) प्राप्त करने के लिये माता-पिता की प्रतीक्षा अवधि वर्ष 2022 में 3 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2025 में लगभग 3.5 साल हो गई है।

भारत में दत्तक ग्रहण की स्थिति क्या है?

  • भारत में दत्तक ग्रहण की स्थिति: 2024-25 में रिकॉर्ड 4,515 बच्चे गोद लिये जाने के साथ ही भारत के गोद लेने से संबंधित इकोसिस्टम में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जो वर्ष 2015-16 के बाद से सर्वाधिक हैं।
    • इनमें से 4,155 बच्चों को घरेलू स्तर पर गोद लिया गया, जो देश में बच्चों को कानूनी तौर पर गोद लिये जाने के प्रति बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।

State of Child Adoption in India

  • नोडल केंद्रीय एजेंसी: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत स्थापित केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के दत्तक ग्रहण की देखरेख के लिये ज़िम्मेदार है।
  • राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की ज़िम्मेदारी: राज्य और संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर किशोर न्याय अधिनियम, 2015 का कार्यान्वयन विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
    • राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियाँ (SARA)
    • स्थानीय बाल कल्याण समितियाँ
    • ज़िला बाल संरक्षण इकाइयाँ (DCPU)
  • कानूनी ढाँचा:
    • हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम (HAMA), 1956: HAMA, 1956 हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदायों के व्यक्तियों को कानूनी रूप से गोद लेने की अनुमति देता है।
      • उल्लेखनीय है कि HAMA के अंतर्गत गोद लेने के लिये CARA में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है।
    • किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015: यह भारत में सभी नागरिकों के लिये, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, गोद लेने को नियंत्रित करता है।
      • इस अधिनियम के तहत, भावी दत्तक माता-पिता को CARA के पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है, जिसके बाद एक विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी (Specialised Adoption Agency- SAA) एक गृह अध्ययन रिपोर्ट (Home Study Report- HSR) तैयार करती है। 
    • यदि वे योग्य पाए जाते हैं, तो उन्हें उस बच्चे से मिलाया जाता है जिसे गोद लेने के लिये कानूनी रूप से स्वतंत्र घोषित किया गया हो।
  • अंतर्राष्ट्रीय ढाँचा: बच्चों के संरक्षण और अंतर्राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण के संबंध में सहयोग पर हेग कन्वेंशन (1993) यह सुनिश्चित करता है कि अंतर्राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण नैतिक, कानूनी और पारदर्शी तरीके से किये जाएँ।

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA)

भारत में दत्तक ग्रहण प्रक्रिया में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • बढ़ती मांग–आपूर्ति अंतराल: दत्तक ग्रहण के इच्छुक माता-पिता (PAPs) और दत्तक योग्य बच्चों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर (13:1) है। केवल बहुत कम संख्या में बच्चे ही दत्तक ग्रहण के लिये पात्र होते हैं, क्योंकि कई मामलों में माता-पिता के अधिकार यथावत होते हैं या बच्चों को कानूनी रूप से मुक्त (legally free) स्थिति प्राप्त नहीं होती है।
    • दत्तक ग्रहण में देरी वर्ष 2017 में 1 वर्ष से बढ़कर 2025 में 3.5 वर्ष हो गई है, जिससे अवैध या अनौपचारिक दत्तक ग्रहण को लेकर चिंता बढ़ गई है, जैसा कि संसदीय समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में उजागर किया है।

  • संरचनात्मक और कानूनी बाधाएँ: जेजे अधिनियम, 2021 को कमज़ोर क्रियान्वयन, एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी, पर्याप्त प्रशिक्षण का अभाव, और गैर-हाज़िर अभिभावकों जैसी कानूनी जटिलताओं के कारण दत्तक ग्रहण में देरी का सामना करना पड़ता है।
    • वर्ष 2022 की स्थायी समिति ने हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम (HAMA) और जेजे अधिनियम के बीच असंगतियों को चिन्हित किया।
  • उम्र और अभिभावक प्राथमिकता में असंगति: लगभग 34% दत्तक योग्य बच्चे 14 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, जबकि अधिकांश भारतीय अभिभावक शिशुओं (0–2 वर्ष) को गोद लेना पसंद करते हैं। यह पूर्वाग्रह के कारण बड़े और विशेष ज़रूरतों वाले बच्चों की उपेक्षा होती है।
    • CARA डेटा (2024) के अनुसार, गोद लिये गए बच्चों में से 60% लड़कियाँ हैं तथा 80% 0-2 आयु वर्ग के हैं, जो छोटे बच्चों के लिये माता-पिता की मज़बूत प्राथमिकता को दर्शाता है।
  • बच्चों की वापसी की उच्च दर: वर्ष 2017-2019 के बीच दत्तक माता-पिता द्वारा बच्चों को वापस करने की दर में वृद्धि हुई, जिनमें 60% लड़कियाँ थीं, 24% विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे थे और कई की उम्र 6 वर्ष से अधिक थी।
    • यह परामर्श और तैयारी की अपर्याप्तता के कारण दत्तक कुटुंब में समायोजन की चुनौतियों को दर्शाता है।
  • LGBTQ+ दत्तक ग्रहण और विधिक बाधाएँ: परंपरागत कुटुंब मानदंडों और विधिक मान्यता की कमी के कारण, LGBTQ+ व्यक्ति तथा युगल औपचारिक दत्तक प्रणाली से बाहर हो जाते हैं। इससे क्वीयर समुदाय के भीतर अनौपचारिक या अवैध दत्तक ग्रहण के मामलों में वृद्धि हुई है।

भावी दत्तक माता-पिता के लिये पात्रता मानदंड (दत्तक ग्रहण विनियमन, 2022 का विनियमन 5)

भारत में दत्तक ग्रहण और पोषण देखरेख में सुधार हेतु उठाए गए कदम:

  • बच्चों के पूल का विस्तार: CARA ने बाल देखभाल संस्थानों (CCI) के बच्चों को कानूनी दत्तक ग्रहण पूल में जोड़ा और उन्हें 5 श्रेणियों (अनाथ, परित्यक्त, आत्मसमर्पण, बिना मुलाकात के, अयोग्य अभिभावकता) के तहत वर्गीकृत किया, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार (सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 में एक NGO द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था)
  • डिजिटल सुधार: CARA ने CARINGS पोर्टल को पोषण देखरेख मॉड्यूल्स और रिश्तेदार/सौतेले माता-पिता द्वारा दत्तक ग्रहण की नई प्रक्रिया कार्यप्रवाहों के साथ अपडेट किया, जिससे दत्तक प्रक्रिया का समय घटाकर 3–4 महीने कर दिया गया।
  • अनिवार्य परामर्श (2025): CARA ने दत्तक ग्रहण करने वाले कुटुंब और बच्चों को समर्थन प्रदान करने के लिये  दत्तक ग्रहण से पहले, दत्तक प्रक्रिया के दौरान तथा दत्तक ग्रहण के बाद के चरणों में प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा संरचित परामर्श की व्यवस्था शुरू की है।

भारत में दत्तक ग्रहण प्रणाली को सुदृढ़ और सुव्यवस्थित करने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • बाल-केंद्रित दृष्टिकोण: दत्तक नीति को अभिभावक-केंद्रित से बाल-केंद्रित बनाने की आवश्यकता है, जिससे बच्चों के कुटुंब, देखभाल और संरक्षण के अधिकार को प्राथमिकता दी जा सके। यह बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRC) के अनुरूप होना चाहिये।
  • दत्तक प्रक्रिया को सरल बनाना: JJ अधिनियम, 2021 और दत्तक विनियम, 2022 को सुव्यवस्थित करते हुए समयबद्ध मंजूरी, डिजिटल रूप से बाल देखभाल संस्थानों (CCI) और CARA के एकीकरण तथा समर्पित दत्तक अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता है।
  • मनो-सामाजिक सहायता को सुदृढ़ करना: CARA द्वारा अनिवार्य परामर्श व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, जिससे प्रशिक्षित पेशेवरों के माध्यम से कुटुंब में अपनाए गए बच्चों के साथ बेहतर तालमेल और कम विघटन सुनिश्चित हो सके।
  • जागरूकता बढ़ाना और दत्तक ग्रहण से जुड़े कलंक को दूर करना: नॉन-बायोलॉजिकल पेरेंटहुड से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों को दूर करने के लिये IIEC (सूचना, शिक्षा और संचार) अभियान चलाए जाए और विशेष आवश्यकता वाले व बड़ी आयु के बच्चों के दत्तक ग्रहण को प्रोत्साहित किया जाए।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में दत्तक ग्रहण के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण का परीक्षण कीजिये। जन जागरूकता और संस्थागत सुधार मिलकर दत्तक ग्रहण के प्रति अधिक अनुकूल संस्कृति का निर्माण कैसे कर सकते हैं?