जाति आधारित भेदभाव | 27 Feb 2023

प्रिलिम्स के लिये:

जाति व्यवस्था, संविधान के महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद, संबंधित सरकारी योजनाएँ

मेन्स के लिये:

समाज और अर्थव्यवस्था में जाति की भूमिका, जाति व्यवस्था की स्थिति, पहलें

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सिएटल जाति-आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला अमेरिकी शहर बना। इसमें लिंग और धर्म के आधार पर भेदभाव के खिलाफ संरक्षित एक वर्ग के रूप में जाति को भी शामिल किया गया है।

  • जाति विरोधी आंदोलन के कार्यकर्त्ताओं ने इसे ऐतिहासिक जीत बताया है।

भारत में सामाजिक भेदभाव की स्थिति:

  • परिचय: 
    • जाति अपने कठोर सामाजिक नियंत्रण और नेटवर्क के माध्यम से कुछ के लिये आर्थिक गतिशीलता की सुविधा प्रदान करती है तो अन्य के लिये अलाभ या वंचना की व्यापक स्थिति के साथ बाधाएँ खड़ी करती है।
    • यह भूमि एवं पूंजी के स्वामित्त्व पैटर्न को भी आकार देती है और साथ ही राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक पूंजी तक पहुँच को नियंत्रित करती है।
    • जनगणना (2011) के अनुसार, भारत में अनुमानित 20 करोड़ दलित हैं।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़े:
    • वर्ष 2021 में अनुसूचित जातियों (SC) के खिलाफ अपराधों के 50,900 मामले दर्ज किये गए, वर्ष 2020 (50,291 मामलों) की तुलना में इसमें 1.2% की वृद्धि हुई।
    • अपराध की दर विशेष रूप से मध्य प्रदेश (113.4 लाख की अनुसूचित जाति की आबादी में 63.6 प्रति लाख) और राजस्थान (112.2 लाख की अनुसूचित जाति की आबादी में 61.6 प्रति लाख) में उच्च थी। 
  • ऑक्सफैम इंडिया द्वारा जारी इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट:
    • शहरी क्षेत्रों में भेदभाव में कमी: यह कमी शिक्षा एवं सहायक सरकारी नीतियों के कारण देखी गई है।
    • आय में अंतर: वर्ष 2019-20 में गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के स्व-नियोजित श्रमिकों की औसत आय 15,878 रुपए, जबकि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति पृष्ठभूमि के लोगों की औसत आय 10,533 रुपए थी।
      • स्व-नियोजित गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति पृष्ठभूमि के अपने समकक्षों की तुलना में एक-तिहाई अधिक कमाते हैं।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में भेदभाव में वृद्धि: ग्रामीण भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को आकस्मिक रोज़गार में भेदभाव में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।

भारत में भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा उपाय:

  • संवैधानिक प्रावधान:
    • कानून के समक्ष समानता:
      • अनुच्छेद 14 कहता है कि किसी भी व्यक्ति को भारत क्षेत्र में कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा।
      • यह अधिकार सभी व्यक्तियों चाहे वे भारतीय नागरिक हों या विदेशी नागरिक या किसी अन्य प्रकार का कानूनी निगमों जैसे, सांविधिक निगम, कंपनियाँ, पंजीकृत समितियाँ आदि को दिया गया है।
    • भेदभाव का निषेध:
      • भारत के संविधान में अनुच्छेद 15 में कहा गया है कि राज्य किसी भी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
    • अवसर की समानता:
      • भारत के संविधान में अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि राज्य के तहत रोज़गार के मामलों में सभी नागरिकों के लिये अवसर की समानता होगी। कोई भी नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान या इनमें से किसी भी आधार पर राज्य के अधीन किसी पद के लिये अपात्र नहीं होगा।
    • अस्पृश्यता का उन्मूलन:
      • संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है।
    • शैक्षणिक और सामाजिक-आर्थिक हितों को बढ़ावा देना:
      • अनुच्छेद 46 के तहत राज्य द्वारा 'कमज़ोर वर्ग के लोगों और विशेष रूप से अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देने और उन्हें सामाजिक अन्याय व अन्य सभी प्रकार के शोषण से बचाने के लिये प्रावधान का उल्लेख है।
    • अनुसूचित जाति के दावे:
      • अनुच्छेद 335 में प्रावधान है कि संघ या राज्य के मामलों के संबंध में सेवाओं और पदों पर नियुक्तियाँ करते समय, प्रशासन की दक्षता बनाए रखने के साथ अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के दावों को लगातार ध्यान में रखा जाएगा। 
    • विधानमंडल में आरक्षण: 
    • स्थानीय निकायों में आरक्षण:
      • पंचायतों से संबंधित भाग IX और नगर पालिकाओं से संबंधित संविधान के भाग IXA के तहत स्थानीय निकायों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की परिकल्पना तथा प्रावधान किया गया है।

संबंधित सरकारी पहलें: 

  • भूमि सुधार: 
    • भूमि के समान वितरण और वंचितों के उत्थान हेतु भूमि सुधार के प्रयास किये गए। स्वतंत्र भारत के भूमि सुधार के चार घटक थे: 
      • बिचौलियों का उन्मूलन
      • किरायेदारी में सुधार
      • भू-धारिता सीलिंग का निर्धारण करना (Fixing Ceilings on Landholdings)
      • ज़मींदारी का समेकन।
  • संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana- PMKVY):
    • यह उत्पादकता बढ़ाने और देश की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण एवं प्रमाणन को संरेखित करने के उद्देश्य से युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के लिये प्रेरित करने पर लक्षित है।
  • संकल्प योजना:
    • आजीविका संवर्द्धन के लिये कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता या ‘संकल्प’ (Skills Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood Promotion- SANKALP) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ( Ministry of Skill Development & Entrepreneurship- MSDE) का एक परिणाम-उन्मुख कार्यक्रम है जहाँ विकेंद्रीकृत योजना-निर्माण एवं गुणवत्ता सुधार पर विशेष बल दिया गया है।
  • ‘स्टैंडअप इंडिया’ योजना:
    • इसे अप्रैल 2016 में आर्थिक सशक्तीकरण और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित रखते हुए ज़मीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये लॉन्च किया गया।
    • इसका उद्देश्य संस्थागत ऋण संरचना की पहुँच अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों जैसे सेवा-वंचित समूहों तक सुनिश्चित करना है ताकि वे इसका लाभ उठा सकें। 
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना:
    • यह बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFCs) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (Micro Finance Institutions- MFIs) जैसे विभिन्न वित्तीय संस्थानों के माध्यम से गैर-कॉर्पोरेट लघु व्यवसाय क्षेत्र को वित्तपोषण प्रदान करती है।
    • इसके तहत समाज के वंचित वर्गों, जैसे- महिला उद्यमियों, एससी/एसटी/ओबीसी, अल्पसंख्यक समुदाय की लोगों आदि को ऋण दिया गया है। योजना ने नए उद्यमियों का भी विशेष ध्यान रखा है।

आगे की राह

  • भेदभाव के खिलाफ दलितों और आदिवासियों जैसे हाशिये के समुदायों की रक्षा हेतु कानूनों तथा नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन करना।
  • जातिगत भेदभाव और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के हानिकारक प्रभावों को उज़ागर करने हेतु लोगों के बीच विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना।
  • भूमि के अधिक समान वितरण हेतु दूसरी पीढ़ी के भूमि सुधारों के साथ-साथ स्टैंडअप इंडिया, PMKVY और मुद्रा योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से सीमांत समुदायों का आर्थिक सशक्तीकरण करना।
  • जातिगत भेदभाव को दूर करने हेतु नागरिक समाज संगठनों, सरकारी एजेंसियों और वंचित समुदायों के बीच सहयोग एवं संवाद को बढ़ावा देना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'स्टैंडअप इंडिया स्कीम' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इसका प्रयोजन अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिला उद्यमियों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है।
  2. यह SIDBI के माध्यम से पुनर्वित्त का प्रावधान करती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: c 

  • स्टैंडअप इंडिया स्कीम की शुरुआत 5 अप्रैल, 2016 को की गई थी। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। अतः कथन 1 सही है।
  • इस योजना से बड़ी संख्या में उद्यमियों के लाभान्वित होने की उम्मीद है, क्योंकि इसका उद्देश्य प्रत्येक श्रेणी के उद्यमियों के लिये औसतन प्रति बैंक शाखा (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक) में कम-से-कम दो ऐसी परियोजनाओं की सुविधा प्रदान करना है।
  • यह SIDBI के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपए की प्रारंभिक राशि के साथ पुनर्वित्त का प्रावधान करती है। अतः कथन 2 सही है।

मेन्स:

प्रश्न. बहु-सांस्कृतिक भारतीय समाज को समझने में क्या जाति की प्रासंगिकता समाप्त हो गई है? उदाहरणों सहित विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020)

प्रश्न. “जाति व्यवस्था नई-नई पहचानों और सहचारी रूपों को धारण कर रही है। अतः भारत में जाति व्यवस्था का उन्मूलन नहीं किया जा सकता है। टिप्पणी कीजिये। (2018)

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

प्रश्न. अपसारी उपागमों और रणनीतियों के बावजूद महात्मा गांधी और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का दलितों की बेहतरी का एक समान लक्ष्य था। स्पष्ट कीजिये। (2015)

प्रश्न. इस मुद्दे पर चर्चा कीजिये कि क्या और किस प्रकार दलित प्राख्यान (एसर्शन) के समकालीन आंदोलन जाति विनाश की दिशा में काम करते हैं। (2015)

स्रोत: द हिंदू