ब्रू शरणार्थी | 06 Aug 2020

प्रीलिम्स के लिये:

ब्रू समुदाय

मेन्स के लिये:

ब्रू शरणार्थियों के समक्ष उत्पन्न मुद्दे एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

मिज़ोरम से विस्थापित ब्रू समुदाय का प्रतिनिधित्त्व करने वाले तीन संगठनो ने संयुक्त आंदोलन समिति (Joint Movement Committee- JMC) द्वारा त्रिपुरा में ब्रू समुदाय के पुनर्वास के लिये प्रस्तावित स्थलों को  खारिज  कर दिया है। संयुक्त आंदोलन समिति गैर ब्रू समुदाय का प्रतिनिधित्त्व करने वाला एक संगठन है। 

प्रमुख बिंदु:

Refugee

  • मिज़ोरम ब्रू विस्थापित जन फोरम (Mizoram Bru Displaced Peoples’ Forum), मिज़ोरम ब्रू विस्थापित जन समन्वय समिति (Mizoram Bru Displaced Peoples’ Coordination Committee) और ब्रू विस्थापित कल्याण समिति (Bru Displaced Welfare Committee) ने ब्रू समुदाय के पुनर्वास के लिये JMC के चार सदस्यों को निगरानी टीम में शामिल करने की माँग को भी खारिज़ कर दिया है।
    • इनका कहना है कि पिछले 23 वर्षों के दौरान मिज़ोरम के पुनरुत्थान या त्रिपुरा में ब्रू समुदाय के पुनर्वास से संबंधित मुद्दे में इन सदस्यों का कोई संबंध या भागीदारी नहीं रही है।
  • ब्रू प्रतिनिधियों का तर्क है कि ब्रू समुदाय के लिये प्रस्तावित स्थलों के चयन में कंचनपुर नागरिक सुरक्षा मंच और मिज़ो कन्वेंशन (JMC के प्रमुख घटक) का हस्तक्षेप पूरी तरह से अनुचित है क्योंकि वे न तो चतुर्पक्षीय समझौते के हस्ताक्षरकर्त्ता थे और न ही उनकी कोई  भागीदारी थी।
  • इसके अलावा उनका कहना है कि JMC द्वारा प्रस्तावित स्थल सड़क और बिजली जैसी सुविधाओं से असंबद्ध हैं तथा अस्पताल, स्कूल एवं अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं।

पृष्ठभूमि:

  • 16 जनवरी, 2020 को केंद्र सरकार, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम की राज्य सरकारों व ब्रू समुदाय के प्रतिनिधियों के मध्य ब्रू शरणार्थियों से जुड़ा एक चतुर्पक्षीय समझौता हुआ था। 
    • इस समझौते के अनुसार, लगभग 34 हज़ार ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा में ही बसाया जाएगा, साथ ही उन्हें सीधे सरकारी तंत्र से जोड़कर राशन, यातायात, शिक्षा आदि की सुविधा प्रदान कर उनके पुनर्वास में सहायता प्रदान की जाएगी।
  • JMC में बंगाली, मिज़ो, बौद्ध बरुआ और अन्य समुदायों के लोग शामिल थे।
    • इसने वर्ष 1997 के दौरान हुए मिज़ोरम में जातीय हिंसा से बचने वाले ब्रू समुदाय के पुनर्वास के लिये 21 जुलाई को त्रिपुरा सरकार को एक ज्ञापन सौंपा था। 
    • इसमें उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के कंचनपुर और पनीसागर उपखंडों में छह स्थानों को निर्दिष्ट किया गया था।
  • JMC ने इन स्थानों पर लगभग 500 परिवारों को बसाने का प्रस्ताव भी रखा था।

ब्रू समुदाय:

  • ब्रू समुदाय भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक जनजातीय समूह है। ऐतिहासिक रूप से यह एक बंजारा समुदाय है तथा इस समुदाय के लोग झूम कृषि (Slash and Burn Farming) से जुड़े रहे हैं।
  • ब्रू समुदाय स्वयं को म्याँमार के शान प्रांत का मूल निवासी मानता है, इस समुदाय के लोग सदियों पहले म्याँमार से आकर भारत के मिज़ोरम राज्य में बस गए थे।
  • ब्रू समुदाय के लोग पूर्वोत्तर के कई राज्यों में रहते हैं परंतु इस समुदाय की सबसे बड़ी आबादी मिज़ोरम के मामित और कोलासिब ज़िलों में पाई जाती है।
  • इस समुदाय के अंतर्गत लगभग 12 उप-जातियाँ शामिल हैं।
  • ब्रू समुदाय के कुछ लोग बांग्लादेश के चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र में भी निवास करते हैं।
  • मिज़ोरम में ब्रू समुदाय को अनुसूचित जनजाति के तहत सूचीबद्ध किया गया है, वहीं त्रिपुरा में ब्रू एक अलग जाति समूह है।
  • त्रिपुरा में ब्रू समुदाय को रियांग नाम से जाना जाता है।
  • इस समुदाय के लोग ब्रू भाषा बोलते हैं, वर्तमान में इस भाषा की कोई लिपि नहीं है।
  • पलायन के परिणामस्वरूप समुदाय के कुछ लोग ब्रू भाषा के अतिरिक्त कुछ अन्य राज्यों की भाषाएँ जैसे-बंगाली, असमिया, मिज़ो, हिंदी और अंग्रेज़ी भी बोल लेते हैं।

स्रोत: द हिंदू