भारत के समुद्री कानूनों के आधुनिकीकरण के लिये विधेयक | 13 Aug 2025

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

संसद ने वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2025, समुद्र माल ढुलाई विधेयक, 2025 और तटीय नौवहन विधेयक, 2025 पारित किये हैं, जिनका उद्देश्य पुराने औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलकर भारत के समुद्री कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना है।

हाल ही में पारित समुद्री विधेयकों के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

  • तटीय नौवहन विधेयक, 2025:
    • इसने वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 में संशोधन किया और वैश्विक जलपोत परिवहन मानदंडों के अनुरूप कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण किया।
    • इसका लक्ष्य सरल लाइसेंसिंग और विदेशी पोत विनियमन के साथ वर्ष 2030 तक तटीय कार्गो को 230 मिलियन टन तक बढ़ाना है।
      • इसमें विदेशी निर्भरता में कमी लाने, आपूर्ति सुरक्षा बढ़ाने, रोज़गार और व्यापार को आसान बनाने का प्रावधान है।
    • यह एक राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना तथा एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने को अनिवार्य करता है, ताकि बुनियादी ढाँचा योजना, पारदर्शिता और निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया जा सके।
  • वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2025:
    • इसने पुराने वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 को प्रतिस्थापित किया है, जिससे भारत के समुद्री कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के कन्वेंशनों के अनुरूप स्पष्टता और अनुपालन की सुगमता के साथ संरेखित किया गया है।
    • इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा मानकों, आपातकालीन प्रतिक्रिया, पर्यावरण संरक्षण और नाविकों के कल्याण को सुदृढ़ करना है, साथ ही इंडियन शिपिंग टनेज और भारत की वैश्विक समुद्री प्रतिष्ठा को बढ़ावा देना है।
    • यह केंद्र सरकार को भारतीय जलक्षेत्र में राष्ट्रीयता या कानूनी ध्वज अधिकार के बिना जाहाज़ों को रोकने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे समुद्री सुरक्षा को मज़बूत किया जा सके तथा भारत की आर्थिक व वाणिज्य महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने वाला भविष्य-उन्मुख कानूनी ढाँचा तैयार हो सके।
  • समुद्री माल परिवहन विधेयक, 2025:
    • इसके द्वारा भारतीय समुद्र माल ढुलाई अधिनियम, 1925 को प्रतिस्थापित कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत हेग-विस्बी नियम (1924) और उनके संशोधनों को अपनाया गया, जिससे समुद्री व्यापार के लिये एक वैश्विक मानक स्थापित हुआ।
      • हेग-विस्बी नियम, 1924 द्वारा समुद्र माल ढुलाई को नियंत्रित किया जाता हैं, जिसमें वाहक (Carrier) और प्रेषक (Shipper) के अधिकार तथा माल की हानि या क्षति के लिये उनकी ज़िम्मेदारियों का विवरण होता है।
    • यह बिल ऑफ लैडिंग को विनियमित करता है, जो माल के प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य का विवरण देने वाले दस्तावेज़ होते हैं, ताकि पारदर्शिता और पोत परिवहन दक्षता को बढ़ाया जा सके।
    • यह केंद्र सरकार को बिल ऑफ लैडिंग से संबंधित निर्देश जारी करने और नियमों में संशोधन करने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे व्यापार की सुगमता को बढ़ावा मिले और भारत के कानूनों को वैश्विक मानकों व वाणिज्य समझौतों के अनुरूप बनाया जा सके।

भारत के समुद्री क्षेत्र की स्थिति क्या है?

  • भारत के समुद्री क्षेत्र की स्थिति: भारत 16वाँ सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है, जो प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्गों पर 12 प्रमुख और 200 से अधिक छोटे बंदरगाहों के माध्यम से मात्रा के हिसाब से 95% तथा मूल्य के हिसाब से 70% व्यापार का संचालन करता है।
  • क्षमता और फ्लीट वृद्धि: प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो-हैंडलिंग क्षमता 87% (2014-24) बढ़कर 1,629.86 मिलियन टन हो गई, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में 819.22 मिलियन टन का संचालन किया गया, फ्लीट में 1,530 पंजीकृत जहाज़ शामिल हैं।
  • वैश्विक रैंकिंग: विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक 2023 में भारत की रैंक 38वीं है, जबकि भारत वैश्विक रूप से तीसरा सबसे बड़ा जहाज़ पुनर्चक्रणकर्त्ता है (लगभग 30% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ) और अलंग में सबसे बड़ा शिप-ब्रेकिंग यार्ड है।
  • जहाज़ निर्माण और नीतिगत पहल: जहाज़ निर्माण में पिछड़ने के बावजूद, नई जहाज़ निर्माण और जहाज़ मरम्मत नीति के साथ-साथ 100% FDI (बंदरगाह, बंदरगाह निर्माण एवं रखरखाव परियोजनाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत), करावकाश व बुनियादी अवसंरचना के उन्नयन जैसी पहलों का उद्देश्य घरेलू क्षमता को बढ़ावा देना है तथा वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात को 451 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने में सहायता मिली है।

क्रमांक

प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (Key Performance Indicator)

वर्तमान (2020)

लक्ष्य (2030)

1

ऐसे प्रमुख बंदरगाह जिनकी >300 एमटीपीए (MTPA) माल ढुलाई क्षमता है

3

2

भारतीय बंदरगाहों द्वारा संभाले गए इंडियन गुड ट्रांसशिपमेंट का प्रतिशत

25%

>75%

3

PPP/अन्य ऑपरेटरों द्वारा प्रमुख बंदरगाहों पर संभाले गए माल का प्रतिशत

51%

>85%

4

औसत जहाज़ टर्नअराउंड समय (कंटेनर)

25 घंटे

<20 घंटे

5

औसत कंटेनर ड्वेल टाइम

55 घंटे

<40 घंटे

6

औसत जहाज़ का दैनिक उत्पादन (सकल टन भार में)

16,500

>30,000

7

जहाज़ निर्माण और जहाज़  मरम्मत में वैश्विक रैंकिंग

20+

शीर्ष 10

8

जहाज़ पुनर्चक्रण (Ship Recycling) में वैश्विक रैंकिंग

2

1

9

वार्षिक क्रूज़ यात्री

4,68,000

>15,00,000

10

विश्वभर में भारतीय नाविकों का हिस्सा

12%

>20%

11

प्रमुख बंदरगाहों पर नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा

<10%

>60%

भारत के समुद्री क्षेत्र में सरकारी पहल

और पढ़ें: भारत के समुद्री क्षेत्र की चुनौतियाँ

समुद्री बुनियादी अवसंरचना के विकास में तेज़ी लाने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न.  हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (वर्ष 2017)

  1. INOS का उद्घाटन वर्ष 2015 में भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में भारत में आयोजित किया गया था।
  2.  INOS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राष्ट्रों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाने का प्रयास करती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

 (A) केवल 1
(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b) 


प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR-ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. इसकी स्थापना हाल ही में घटित समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है। 
  2.   यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न.  ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018)