बैरेंट्स सागर का तापन | 18 Jun 2022

प्रिलिम्स के लिये:

बैरेंट्स सागर, एटलांटिफिकेशन, ग्लोबल वार्मिंग, जेट स्ट्रीम। 

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और संरक्षण। 

चर्चा में क्यों? 

एक अध्ययन के अनुसार, यह कहा गया है कि नॉर्वे के पास आर्कटिक क्षेत्र के हिस्से दुनिया के बाकी हिस्सों में गर्मी की दर से सात गुना अधिक गर्म हो रहे हैं। 

  • उत्तरी बैरेंट्स सागर के आसपास का क्षेत्र आर्कटिक क्षेत्र की औसत वार्मिंग से दो से ढाई गुना और बाकी दुनिया में पाँच से सात गुना गर्म हो रहा है। 
  • आर्कटिक क्षेत्र में इस तरह की तीव्र गर्मी पहले कभी नहीं देखी गई। यह एटलांटिस की घटना के लिये अग्रणी है। 

Arctic_Ocean

बैरेंट्स सागर 

  • बैरेंट्स सागर पश्चिम में नॉर्वेजियन और ग्रीनलैंड सागर, उत्तर में आर्कटिक सागर तथा पूर्व में कारा सागर की सीमा में है। 
  • सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, बैरेंट्स सागर को रूस और नॉर्वे के बीच विभाजित किया गया है। 

एटलांटिफिकेशन: 

  • वैज्ञानिकों ने 'हॉटस्पॉट्स' की खोज की है, जहाँ बैरेंट्स सागर के कुछ हिस्से अटलांटिक से मिलते-जुलते पाए गए हैं। इस घटना को एटलांटिफिकेशन कहा गया है। 
  • उत्तर की ओर बहने वाली समुद्री धाराएँ अटलांटिक के गर्म पानी को बैरेंट्स सागर के माध्यम से आर्कटिक महासागर में पहुँचाती हैं। 
    • अटलांटिक और प्रशांत के विपरीत यूरेशियन आर्कटिक महासागर का ऊपरी जल गहरा होने पर गर्म हो जाता है। 
    • समुद्र का शीर्ष आमतौर पर समुद्री बर्फ से ढका होता है। इसके नीचे ठंडे मीठे पानी की एक परत होती है, जिसके बाद गर्म खारे पानी की एक गहरी परत अटलांटिक से महासागरीय धाराओं द्वारा आर्कटिक तक पहुँच जाती है। 
  • नासा के आँकड़ों के अनुसार, 1980 के दशक की शुरुआत में उपग्रह रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से इस क्षेत्र में समुद्री बर्फ से ढका कुल क्षेत्रफल लगभग आधा हो गया है। 
  • इसका एक संभावित कारण यह है कि जब समुद्री बर्फ गर्मियों में पिघलती है, तो यह ताज़े पानी की परत को ढक देती है जो गर्म अटलांटिक परत के ऊपर स्थित होती है। चारों ओर कम समुद्री बर्फ के साथ मीठे पानी की मात्रा कम हो जाती है, यह बदले में समुद्र को एक साथ मिलाने का कारण बनता है और अधिक अटलांटिक की गर्मी को सतह की ओर खींचता है तथा बदले में यह "अटलांटिफिकेशन" नीचे से अधिक बर्फ पिघलने का कारण बन सकता है। 
  • मानव जनित वैश्विक जलवायु परिवर्तन ‘’अटलांटिफिकेशन प्रोसेस’’को (Atlantification Process) तेज़ कर रहा है और बदले में मौसम के पैटर्न, समुद्र के संचलन व पूरे आर्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। 

वार्मिंग के संभावित परिणाम: 

  • अधिक चरम मौसम: 
    • आर्कटिक के असाधारण वार्मिंग से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में अधिक चरम मौसम की स्होथिति उत्पन्न हो सकती है। 
    • आर्कटिक दुनिया का सबसे तेज़ी से गर्म होने वाला क्षेत्र है, जिसका अनुमान बाकी दुनिया में वार्मिंग की दर से दो से चार गुना अधिक है। 
      • इसका कारण समुद्री बर्फ के पिघलने का बंद लूप का और तेजी से गर्म होना है। 
  • अधिक बर्फ का पिघलना: 
    • जैसे-जैसे आर्कटिक क्षेत्र गर्म होता है, समुद्री बर्फ पिघलने लगती है और नीचे समुद्र की सतह को उजागर करती है। सतह समुद्री बर्फ की तुलना में अधिक ऊर्जा अवशोषित करती है और वार्मिंग को बढ़ाती है, जिससे अधिक समुद्री बर्फ पिघलती है एवं फीडबैक लूप का निर्माण होता है। 
  • समिट स्टेशन ग्रीनलैंड में पहली बार दर्ज की गई वर्षा: 
    • आर्कटिक क्षेत्र के तेज़ी से गर्म होने से पहले ही मौसम में काफी बदलाव हो गया है जैसे कि अगस्त 2021 में ग्रीनलैंड के समिट स्टेशन पर पहली बार दर्ज की गई बारिश और जुलाई में बैक-टू-बैक तूफान का आना। 
  • तड़ितझंझा के मामलों में वृद्धि: 
    • तड़ितझंझा के हमले जो कभी इस क्षेत्र में दुर्लभ थे, पिछले एक दशक में आठ गुना बढ़ गए हैं। 
      • तूफान और तड़ितझंझा के हमले आमतौर पर इस क्षेत्र में नहीं होते हैं क्योंकि उन्हें संवहन प्रणाली निर्मित करने हेतु अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। 
      • लेकिन तेज़ गर्मी अब ऊष्मा उपलब्ध करा रही है। 
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: 
    • 1980 के दशक के बाद से इस क्षेत्र के गर्म होने के कारण यह उत्तर की ओर शिफ्ट हो गया है और अटलांटिक मछली प्रजातियों की बहुतायत में वृद्धि हुई है तथा आर्कटिक मछली प्रजातियों की प्रचुरता में कमी आई है। 
  • अत्यधिक हिमपात: 
    • बैरेंट सागर के गर्म होने से भी वर्ष 2018 में यूरोप के अधिकांश हिस्सों में अत्यधिक हिमपात की घटना देखी गई, जिसे अक्सर ' Beast from the East ' कहा जाता है। 
      • लगभग 140 गीगाटन पानी बैरेंट्स सागर से वाष्पित हो गया और उसने इस दौरान पूरे यूरोप में गिरने वाली बर्फ में 88% का योगदान दिया। 
  • चरम मौसमी घटनाएँ: 
    • आर्कटिक के दक्षिण में चरम मौसमी घटनाएंँ आर्कटिक जेट स्ट्रीम के माध्यम से क्षेत्र की गर्मी से संबंधित हैं।  
      • जेट स्ट्रीम आर्कटिक क्षेत्र के ऊपर बहने वाली हवाओं का एक बैंड है जो आमतौर पर इस क्षेत्र में ठंडी आर्कटिक वायु ले आती है। 
    • लेकिन अत्यधिक और तेज़ी से गर्म होने के कारण यह जेट स्ट्रीम लहरदार हो रही है, जिसके कारण ठंडी हवा निचले अक्षांशों से आने वाली गर्म हवा के साथ कई बार मिल जाती है, जिससे चरम मौसमी घटनाएंँ हो रही हैं। 
    • भारत में आर्कटिक गर्मी को वर्ष 2022 में अधिकांश उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में मार्च, अप्रैल, मई और जून में प्रचंड गर्मी की लहरों से जोड़ा जाता है। 
    • वर्ष 2018 में गर्म उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र को असामान्य और घातक धूल भरी आंधियों के कारक के रूप में भी देखा  गया था, जिसने पूरे उत्तर भारत में लगभग 500 लोगों की जान ले ली थी। 

विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2ºC से अधिक नहीं बढ़ना चाहिये। यदि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 3ºC से अधिक बढ़ जाता है, तो विश्व पर उसका संभावित प्रभाव क्या होगा? 

  1. स्थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत की ओर प्रवृत्त होगा। 
  2. विस्तृत प्रवाल मर्त्यता घटित होगी। 
  3. सभी भूमंडलीय आर्द्रभूमि स्थायी रूप से लुप्त हो जाएंगी। 
  4. अनाज़ों की खेती विश्व में कहीं भी संभव नहीं होगी। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: B 

व्याख्या: 

  • 3ºC से ऊपर तापमान बढ़ने से समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा और पौधों की प्रजातियों को नुकसान होगा। अमेज़ॅन वर्षावन, जिसके पौधे दुनिया के 10% स्थलीय प्रकाश संश्लेषण का उत्पादन करते हैं, सवाना में बदल सकते हैं क्योंकि सूखा एवं जंगल की आग वर्षावन को नष्ट कर देगी, पौधों को वापस CO2 में बदल देगी क्योंकि वे जल कर नष्ट हो जाएंगे। 
  • वन विनाश के कारण उत्पन्न कार्बन  और भी अधिक कार्बन से जुड़ जाएगा, साथ में वैश्विक तापमान को 1.5ºC और बढ़ा देगा। अत: कथन 1 सही है। 
  • वैश्विक तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन होगा और आगे समुद्र में CO2 के जुड़ने से कैल्सीफिकेशन दर कम होगी तथा प्रवाल मृत्यु दर में वृद्धि होगी। अत: कथन 2 सही है। 
  • जलवायु परिवर्तन के लिये आर्द्रभूमि आवास प्रतिक्रियाओं और बहाली के लिये निहितार्थ को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अलग-अलग महसूस किया जाएगा। इस प्रकार, इसे बहाल किया जा सकता है और स्थायी रूप से लुप्त नहीं होगा। अतः 3 सही नहीं है। 
  • जलवायु परिवर्तन उस पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है जो भोजन प्रदान करता है, और इसलिये भोजन की हमारी सुरक्षा उन पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है। 
    • कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता में वृद्धि से प्रकाश संश्लेषण की दर में वृद्धि के कारण चावल, सोयाबीन और गेहूंँ जैसी कुछ फसलों के उत्पादन में वृद्धि कर सकती है। 
    • हालांँकि, बदलती जलवायु मौसम की अवधि और गुणवत्ता को प्रभावित करेगी। इस प्रकार, अनाज की खेती विलुप्त होने के बज़ाय उत्पादन में बड़ा अंतर पैदा करेगी। अत: कथन 4 सही नहीं है। 

अतः विकल्प (B) सही  है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ