ऑस्ट्रेलिया ने हॉन्गकॉन्ग के साथ प्रत्यर्पण संधि निलंबित की | 10 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

प्रत्यर्पण अधिनियम- 1962

मेन्स के लिये:

भारत-हॉन्गकॉन्ग संबंध 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने चीन द्वारा हॉन्गकॉन्ग में लगाए गए 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' की प्रतिक्रिया में हॉन्गकॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि को निलंबित कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • हॉन्गकॉन्ग चीन का एक ‘विशेष प्रशासनिक क्षेत्र’ (Special Administrative Regions-SAR) है।
  • यह ‘बेसिक लॉ’ (Basic Law) नामक एक मिनी-संविधान द्वारा शासित है, जो चीन की 'एक देश, दो प्रणाली' के सिद्धांत की पुष्टि करता है।
  • ऑस्ट्रेलिया द्वारा वर्ष 1993 में हॉन्गकॉन्ग के साथ प्रत्यर्पण संधि लागू की गई थी।

Hong Kong

प्रत्यर्पण (Extradition): 

  • प्रत्यर्पण किसी देश द्वारा अपनाई जाने वाली औपचारिक प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति को किसी दूसरे देश में अभियोजन के लिये आत्मसमर्पण करने या प्रार्थी देश के अधिकार क्षेत्र में अपराध करने वाले व्यक्ति पर अभियोग चलाने की अनुमति प्रदान करतीहै।
  • इस प्रकार की संधियों को आम तौर पर द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संधि के माध्यम से लागू किया जाता है।

भारत में प्रत्यर्पण कानून:

  • ‘प्रत्यर्पण अधिनियम’ (The Extradition Act)- 1962 भारत में प्रत्यर्पण के लिये विधायी आधार प्रदान करता है।
  • प्रत्यर्पण अधिनियम-1962 के निर्माण का उद्देश्य भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण से संबंधित कानून को मज़बूत करना तथा उसमें संशोधन करना और इससे जुड़े मामलों या आकस्मिक मामलों से निपटना था।
  • जिन देशों के साथ भारत ने प्रत्यर्पण संधि नहीं की है, उनके साथ प्रत्यर्पण व्यवस्था का कानूनी आधार भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 की धारा 3 (4) द्वारा प्रदान किया गया है।
  • भारत की वर्तमान में 43 देशों के प्रत्यर्पण संधि तथा 11 देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्था (Extradition Arrangement) है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के साथ समस्याएँ:

  • पुलिस को अनियंत्रित शक्तियाँ:
    • 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' हॉन्गकॉन्ग में होने वाली पृथकतावादी, विध्वंसक या आतंकवादी गतिविधियों या हॉन्गकॉन्ग के मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के रूप में देखी जाने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की शक्ति बीजिंग को देता है।
  • मानवाधिकारों का उल्लंघन:
    • कानून के तहत पुलिस को बिना वारंट के खोज कार्य करने, इंटरनेट सेवाओं पर आवश्यक प्रतिबंध लगाने जैसे अधिकार दिये गए हैं। इस प्रकार यह कानून मानव अधिकारों, विशेष रूप से भाषण की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
  • लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन नहीं:
    • कानून को हॉन्गकॉन्ग के लोगों की सहमति के बिना लागू किया है, अत: यह हॉन्गकॉन्ग विधानसभा की स्वतंत्रता पर हमला करता है।
    • बेसिक लॉ’ के अनुसार, चीन की सरकार हॉन्गकॉन्ग में तब तक कोई कानून लागू नहीं कर सकती है, जब तक कि वह कानून एनेक्स-III नामक खंड में सूचीबद्ध नहीं किया गया हो। इस प्रकार यह हॉन्गकॉन्ग के ‘बेसिक लॉ’ का भी उल्लंघन करता है। 

वैश्विक प्रतिक्रिया:

  • ऑस्ट्रेलिया: 
    • ऑस्ट्रेलिया ने दो से पाँच वर्ष के लिये वीज़ा विस्तार और स्थायी निवास वीज़ा के मार्ग की भी घोषणा की है।
    • इससे पूर्व वर्ष 1989 में बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर (Beijing’s Tiananmen Square) के आसपास लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों से हुए खूनी संघर्ष के बाद चीनी नागरिकों को 'सेफ हेवन'  (Safe Haven) वीज़ा प्रदान किया गया था। 
    • उस समय ऑस्ट्रेलिया में 27,000 से अधिक चीनी छात्रों को स्थायी रूप से रहने की अनुमति दी गई थी।
  • कनाडा: 
    • कनाडा भी हॉन्गकॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि को वापस लेने पर विचार कर रहा है और प्रवास सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है।
  • ब्रिटेन:
    • ब्रिटेन भी 'ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज़ पासपोर्ट' के लिये पात्र 3 मिलियन हॉन्गकॉन्ग वासियों के लिये रेज़िडेंसी अधिकारों का विस्तार कर रहा है। 
    • इस पासपोर्ट के तहत नागरिकों को पाँच वर्ष तक यू.के. में रहने और काम करने की अनुमति मिलती है।

चीन की प्रतिक्रिया:

  • चीन ने हॉन्गकॉन्ग के साथ अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी दी है। 
  • चीन ने यह भी संकेत दिया है कि इस तरह के कदम द्विपक्षीय आर्थिक समझौतों को प्रभावित कर सकते हैं। 
  • ऑस्ट्रेलियाई द्वारा उठाए गए ऐसे कदमों का अर्थव्यवस्था पर भारी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है तथा मुद्दा और गंभीर हो सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया: 

  • भारत उम्मीद कर रहा है कि संबंधित पक्ष गंभीरता और निष्पक्ष रूप से चिंताओं को ठीक से संबोधित करेंगे। 
  • हॉन्गकॉन्ग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में बड़ा भारतीय समुदाय निवास करता हैं, अत: भारत हाल के घटनाक्रमों लगातार निगरानी रख रहा है।

आगे की राह:

  • विश्लेषकों के अनुसार कानून को लागू करने से हॉन्गकॉन्ग में व्यापक विरोध प्रदर्शन एक बार फिर से शुरू हो सकते हैं, ऐसे में चीन की सरकार को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • यह देखना महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि हॉन्गकॉन्ग स्थिति से कैसे निपटता है। बेसिक लॉ के तहत इसे दी गई स्वतंत्रता 2047 में समाप्त हो जाएगी और यह स्पष्ट नहीं है कि उसके बाद हॉन्गकॉन्ग की स्थिति क्या होगी।

स्रोत: द हिंदू