आर्कटिक प्रवर्धन | 18 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

आर्कटिक प्रवर्धन ,ध्रुवीय प्रवर्धन , ग्रीन हाउस गैस, ग्लोबल वार्मिंग, पर्माफ्रॉस्ट विगलन, जलवायु, परिवर्तन।

मेन्स के लिये:

आर्कटिक प्रवर्धन  के परिणाम और भारत पर इसका प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्कटिक प्रवर्धन पर प्रकाशित कुछ शोधों में यह सुझाया गया था कि क्षेत्र तेज़ी से बदल रहा है और हो सकता है कि सर्वोत्तम जलवायु मॉडल परिवर्तनों की दर को पकड़ने और इसकी सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम न हों।

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शोध के निष्कर्ष:

  • आर्कटिक ग्रह के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेज़ी से गर्म हो रहा है।
  • आर्कटिक के यूरेशियन हिस्से में वार्मिंग अधिक केंद्रित है, जहाँ रूस और नॉर्वे के उत्तर में बैरेंट्स सागर, वैश्विक औसत से सात गुना तेज दर से गर्म हो रहा है।

पुराने शोध:

  • 21वीं सदी की शुरुआत से पहले आर्कटिक वैश्विक दर से दोगुना तेज़ी से गर्म हो रहा था।
  • अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) द्वारा वर्ष 2019 में 'महासागर और क्रायोस्फीयर में जलवायु परिवर्तन पर विशेष रिपोर्ट' के अनुसार पिछले दो दशकों में आर्कटिक सतह के हवा के तापमान में वैश्विक औसत से दोगुना से अधिक की वृद्धि हुई है।
  • मई 2021 में, आर्कटिक मॉनिटरिंग एंड असेसमेंट प्रोग्राम (एएमएपी) ने चेतावनी दी थी कि आर्कटिक हमारे ग्रह की तुलना में तीन गुना तेज़ी से गर्म हो गया है, और यदि ग्रह पूर्व-औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होता है, तो गर्मियों में समुद्री बर्फ के पूरी तरह से गायब होने की संभावना 10 गुना अधिक है।
    • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में औसत वार्षिक तापमान में 3.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है, जबकि ग्रह के लिये यह वृद्धि 1 डिग्री सेल्सियस की है।
  • माध्य आर्कटिक प्रवर्धन में वर्ष 1986 और वर्ष 1999 में भारी परिवर्तन देखा गया, जब अनुपात 4.0 तक पहुंच गया, जिसका अर्थ है कि शेष ग्रह की तुलना में चार गुना तेज तापन।

आर्कटिक प्रवर्धन

  • ध्रुवीय प्रवर्धन तब होता है जब पृथ्वी के वायुमंडल में परिवर्तन के कारण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के तापमान में बाकी दुनिया की तुलना में अधिक अंतर होता है।
  • इस घटना को ग्रह के औसत तापमान परिवर्तन के सापेक्ष मापा जाता है।
  • ये परिवर्तन उत्तरी अक्षांशों पर अधिक स्पष्ट हैं और आर्कटिक प्रवर्धन के रूप में जाने जाते हैं।
  • यह तब होता है जब ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि से वातावरण का शुद्ध विकिरण संतुलन प्रभावित होता है।

आर्कटिक प्रवर्धन की प्रक्रिया:

  • बर्फ की एल्बिडो प्रतिक्रिया, ह्रास दर, जल वाष्प की दर (जलवाष्प में परिवर्तन तापमान बढ़ना या कम होन) और महासागर का तापमान परिवहन के प्राथमिक कारण हैं।
  • एल्बिडो, सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त ऊष्मा का वह भाग, जो बिना पृथ्वी एवं वायुमंडल को गर्म किये परावर्तित हो जाता है।
  • बर्फ में उच्च एल्बिडो होता है, जिसका अर्थ है कि वे पानी और जमीन के विपरीत अधिकांश सौर विकिरण को प्रतिबिंबित करने में सक्षम हैं।
    • जैसे-जैसे समुद्री बर्फ पिघलेगी, आर्कटिक महासागर सौर विकिरण को अवशोषित करने में अधिक सक्षम होगा, जिससे प्रवर्धन को बढ़ावा मिलेगा।
  • सामान्य ताप ह्रास दर ऊँचाई में वृद्धि के अनुपात में तापमान होने वाली कमी है
    • कई अध्ययनों से पता चलता है कि बर्फ की एल्बिडो प्रतिक्रिया और ह्रास दर क्रमशः 40% और 15% ध्रुवीय प्रवर्धन के लिये ज़िम्मेदार हैं।

आर्कटिक वार्मिंग के परिणाम:

  • ग्रीनलैंड की बर्फ की परत का पतला होना:
    • ग्रीनलैंड की बर्फ की परत खतरनाक दर से पिघल रही है और समुद्री बर्फ के संचय की दर वर्ष 2000 के बाद से उल्लेखनीय रूप से कम हो रही है, जो पुरानी और मोटी बर्फ की चादरों की जगह नई और बर्फ की पतली परत द्वारा चिह्नित है।
    • असामान्य गर्मी के तापमान के परिणामस्वरूप प्रति दिन 6 बिलियन टन बर्फ की परत पिघल जाती है, जो तीन दिनों की अवधि में कुल 18 बिलियन टन पानी के एक फुट पानी से वेस्ट वर्जीनिया को कवर करने के लिये पर्याप्त है।
  • समुद्र के स्तर में वृद्धि:
    • ग्रीनलैंड की बर्फ की परत अंटार्कटिका के बाद बर्फ की दूसरी सबसे बड़ी मात्रा धारित करती है, और इसलिये यह समुद्र के स्तर को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • वर्ष 2019 में, समुद्र के स्तर में लगभग 1.5 मीटर की वृद्धि का यह एकमात्र सबसे बड़ा कारण था।
    • यदि यह परत पूरी तरह से पिघल जाती है, तो समुद्र का स्तर सात मीटर तक बढ़ जाएगा, जो द्वीपीय देशों और प्रमुख तटीय शहरों को डूबा सकती है।
  • जैव विविधता पर प्रभाव:
    • आर्कटिक महासागर और क्षेत्र में समुद्रों का गर्म होना, जल का अम्लीकरण, लवणता के स्तर में परिवर्तन, समुद्री प्रजातियों और आश्रित प्रजातियों सहित जैव विविधता को प्रभावित कर रहा है।
    • वैश्विक तापमान बढ़ने से वर्षा में भी वृद्धि हो रही है जो बारहसिंगा के लिये लाइकेन की उपलब्धता और पहुँच को प्रभावित कर रही है।
    • आर्कटिक का प्रवर्द्धन आर्कटिक जीवों के बीच व्यापक भुखमरी और मृत्यु का कारण बन रहा है।
  • पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना:
    • आर्कटिक में पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहा है और बदले में कार्बन और मीथेन उत्सर्जित हो रहा है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों में से हैं।
    • विशेषज्ञों को डर है कि विगलन और पिघलना लंबे समय से निष्क्रिय बैक्टीरिया और वायरस को भी स्वतंत्र कर देगा जो पर्माफ्रॉस्ट में जम गए थे और संभावित रूप से बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
      • इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण वर्ष 2016 में साइबेरिया में एंथ्रेक्स के प्रकोप पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण हुआ जहाँ लगभग 2,00,000 बारहसिंगा की मृत्यु हो गई।

भारत पर इसका प्रभाव:

  • हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून पर बदलते आर्कटिक के प्रभाव पर विचार किया है।
  • भारत के सामने चरम मौसम की घटनाओं और जल एवं खाद्य सुरक्षा के लिये वर्षा पर भारी निर्भरता के कारण दोनों के संबंध का महत्त्व का बढ़ रहा है।
  • वर्ष 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन (आर्कटिक समुद्री बर्फ और विलंब से भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा की चरम सीमा के बीच संभावित संबंध) ने पाया कि बैरेंट्स-कारा समुद्र क्षेत्र में समुद्री बर्फ कम होने से सितंबर- अक्तूबर में मानसून के उत्तरार्ध में अत्यधिक वर्षा की घटनाएंँ हो सकती हैं।
    • अरब सागर में गर्म तापमान के साथ संयुक्त रूप से घटती समुद्री बर्फ के कारण वायुमंडलीय परिसंचरण में परिवर्तन नमी को बढ़ाने और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं योगदान देता है।
  • वर्ष 2021 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट (वैश्विक जलवायु की स्थिति, 2021) के अनुसार, भारतीय तट के साथ समुद्र का स्तर वैश्विक औसत दर से तेज़ी से बढ़ रहा है।
    • इस वृद्धि के प्राथमिक कारणों में से ध्रुवीय क्षेत्रों, विशेष रूप से आर्कटिक में समुद्री बर्फ का पिघलना है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षो के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. ‘मेथैन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?

1- भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होता प्रेरित हो सकता है।
2- ‘मीथेन हाइड्रेट’ के विशाल निक्षेप उत्तरी ध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।
3- वायुमंडल में मीथेन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

  • ‘मीथेन हाइड्रेट’ बर्फ की एक जालीनुमा पिंजड़े जैसी संरचना है, जिसमें मीथेन अणु बंद होते हैं। यह एक "बर्फ" है जो केवल स्वाभाविक रूप से उपसतह में जमा होता है जहाँ तापमान और दबाव की स्थिति इसके गठन के लिये अनुकूल होती है।
  • आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट के नीचे मीथेन हाइड्रेट तलछट और तलछटी चट्टान इकाइयों के निर्माण और स्थिरता के लिये उपयुक्त तापमान और दबाव की स्थिति वाले क्षेत्रों में महाद्वीपीय मार्जिन के साथ तलछटी जमा; अंतर्देशीय झीलों और समुद्रों के गहरे पानी के तलछट और अंटार्कटिक बर्फ आदि शामिल है। अत: कथन 2 सही है।
  • मीथेन हाइड्रेट्स जो एक संवेदनशील तलछट है, तापमान में वृद्धि या दबाव में कमी के साथ तेज़ी से पृथक हो सकते हैं। इस पृथक्करण से मुक्त मीथेन और पानी को प्राप्त किया जाता है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा रोका जा सकता है। अत: कथन 1 सही है।
  • मीथेन वायुमंडल से लगभग 9 से 12 वर्ष की अवधि में ऑक्सीकृत हो जाती है जहाँ यह कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होती  है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत : द हिंदू