क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पुनर्पूंजीकरण | 26 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, पुनर्पूंजीकरण 

मेन्स के लिये:

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, ग्रामीण बैंकों के विकास हेतु केंद्र सरकार की योजनाएँ 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थिति में सुधार के लिये 1,340 करोड़ रुपए की पुनर्पूंजीकरण योजना को मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु: 

  • 25 मार्च, 2020 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस योजना में केंद्र के हिस्से के रूप में 670 करोड़ के परिव्यय के लिये अपनी मंज़ूरी दी है।
  • हालाँकि सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत केंद्र के हिस्से की राशि को तभी जारी किया जाएगा जब प्रायोजक बैंकों द्वारा अपने आनुपातिक हिस्से की राशि जारी की जाएगी।

योजना के लाभ:

  • केंद्रीय सरकार की इस योजना से क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों के ‘पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’ (Capital-to-risk Weighted Assets Ratio- CRAR) में सुधार होगा। 

पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’

(Capital-to-risk Weighted Assets Ratio- CRAR):

  • CRAR किसी बैंक की कुल संपत्ति और उसकी जोखिम भारित संपत्तियों का अनुपात होता है।  
  • इसे पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio-CAR) के नाम से भी जाना जाता है। 
  • यह योजना उन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एक अतिरिक्त वर्ष (वित्तीय वर्ष 2020-21) के लिये न्यूनतम विनियामक पूँजी (Minimum Regulatory Capital) प्रदान करेगी जो वर्तमान में न्यूनतम ‘पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’ (9%) बनाए रखने में असमर्थ थे।
  • इस योजना से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को संस्थागत मज़बूती प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी।
  • COVID-19 के कारण देशव्यापी बंदी (Lockdown) के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय तरलता सुनिश्चित करने के लिये ग्रामीण बैंकों का आर्थिक रूप से मज़बूत होना बहुत ही आवश्यक है। 

बैंकों का पुनर्पूंजीकरण: 

  • बैंक पुनर्पूंजीकरण से आशय, बैंकों के लिये अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराना है, जिससे बैंक के सफल संचालन के लिये आवश्यक पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को पूरा किया जा सके।   
  • भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे बड़ी शेयरधारक है, अतः संकट की स्थिति में इन बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की ज़िम्मेदारी भी सरकार की ही होती है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पुनर्पूंजीकरण: 

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की योजना को वित्तीय वर्ष 2010-11 में शुरू किया गया था।
  • वित्तीय वर्ष 2010-11 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण ‘के.सी. चक्रवर्ती समिति’ के सुझावों के आधार पर किया गया। 
  • के.सी. चक्रवर्ती समिति ने 21 राज्यों के 40 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की योजना के तहत 2,200 करोड़ रुपए जारी करने का सुझाव दिया था।  

पुनर्पूंजीकरण के लिये बजटीय आवंटन: 

  • वित्तीय वर्ष 2010-11 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिये केंद्र सरकार ने 1,100 करोड़ रुपए जारी किये थे। 
  • इसे बाद में वित्तीय वर्ष 2012-13, 2015-16 और पुनः वर्ष 2017 में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये बढ़ा दिया गया था।

  • के.सी. चक्रवर्ती समिति के सुझावों के अनुरूप आज तक केंद्र सरकार द्वारा 1,395.64 करोड़ रुपए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिये जारी किये जा चुके हैं।  

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक: 

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना ‘नरसिंहम समिति (1975)’ की सिफारिसों के आधार पर 26 सितंबर, 1975 को केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के तहत वर्ष 1975 में की गई थी। 
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976’ के माध्यम से इस अध्यादेश को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी गई थी।
  • इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, व्यापार, वाणिज्य, उद्योग और अन्य उत्पादन गतिविधियों को आर्थिक तंत्र से जोड़कर उनका विकास करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लघु और सीमांत कृषकों, कृषि श्रमिकों, कलाकारों और छोटे उद्यमियों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सहयोग प्रदान करना था। 
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का संचालन भारत सरकार, राज्य सरकारों और प्रायोजक बैंकों के सहयोग से किया जाता है। 
  • इन बैंकों में भारत सरकार, प्रायोजक बैंकों और संबंधित राज्यों की हिस्सेदारी क्रमशः 50%, 35% और 15% होती है। 
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विनियमन ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक’ (National Bank for Agriculture and Rural Development-NABARD) के द्वारा किया जाता है।   
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मज़बूती प्रदान करने और इनके पूंजी आधार को बढ़ने के लिये वर्ष 2011 के बाद सरकार ने तीन चरणों में इन बैंकों के समेकन (Consolidation) की शुरुआत की, जिससे देश में कुल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 (वर्ष 2005) से घटकर मात्र 45 रह गई है।    

निष्कर्ष: आज भी भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है। इनमें से अधिकांश लोग कृषि, लघु और कुटीर उद्योग या ग्रामीण आवश्यकताओं से जुड़े छोटे व्यवसायों से जुड़े हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ग्रामीण क्षेत्र की ज़रूरतों के अनुरूप ऋण एवं अन्य बैंकिग सेवाएँ उपलब्ध करा कर तथा सरकार की योजनाओं के माध्यम से इस आबादी को देश के आर्थिक तंत्र से जोड़ने का काम करते हैं। सरकार द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की घोषणा से हाल के वर्षों में देश के विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में फैले आर्थिक दबाव और COVID-19 से उत्पन्न अनिश्चितता के बीच ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक चुनौतियों को दूर करने में सहायता प्राप्त होगी।  

स्रोत: द हिंदू