अर्द्धचालकों की कमी | 03 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

कंडक्टर, सेमीकंडक्टर्स, इंसुलेटर, सेमीकंडक्टर्स का उपयोग, सेमीकंडक्टर्स के उदाहरण।

मेन्स के लिये:

अर्द्धचालक संकट का कारण, इसका प्रभाव और संभावित समाधान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दुनिया भर में अर्द्धचालकों की अचानक व्यापक स्तर पर कमी देखी गई। 

प्रमुख बिंदु

अर्द्धचालक के बारे में

  • अर्द्धचालक एक ऐसी सामग्री है जिसमें सुचालक (आमतौर पर धातु) और कुचालक या ऊष्मारोधी (जैसे- अधिकांश सिरेमिक) के बीच चालन की क्षमता होती है। अर्द्धचालक शुद्ध तत्त्व हो सकते हैं, जैसे- सिलिकॉन या जर्मेनियम, या यौगिक जैसे गैलियम आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड।
    • चालकता उस आदर्श स्थिति की माप है जिस पर विद्युत आवेश या ऊष्मा किसी सामग्री से होकर गुज़र सकती है।
  • सेमीकंडक्टर चिप एक विद्युत परिपथ है, जिसमें कई घटक होते हैं जैसे कि- ट्रांज़िस्टर और अर्द्धचालक वेफर पर बनने वाली वायरिंग। इन घटकों में से कई से युक्त एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को एकीकृत सर्किट (IC) कहा जाता है और इसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन, उपकरण, गेमिंग हार्डवेयर और चिकित्सा उपकरण जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाया जा सकता है।

क्र. सं.

चालक

अर्द्धचालक

कुचालक/विद्युतरोधी

1.

विद्युत धारा को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं।

विद्युत धारा का प्रवाह चालक की तुलना में कम तथा कुचालक की तुलना में अधिक सरलता से होता है।

विद्युत धारा का प्रवाह नहीं होता है।

2.

इनकी बाह्य कक्षा में केवल एक संयुग्मी इलेक्ट्रान होता है।

इनकी बाह्यतम कक्षा में 4 संयुग्मी इलेक्ट्रान होते हैं।

इनकी बाह्यतम कक्षा में 8 संयुग्मी इलेक्ट्रान होते हैं।

3.

सुचालक का निर्माण धात्विक बंध का उपयोग करते हुए होता है।

अर्द्धचालकों का निर्माण संयुग्मी बंध के कारण होता है।

कुचालकों का निर्माण आयनिक बंध के कारण होता है।

4.

संयुग्मी तथा संचलन बैंड ओवरलैप करते हैं।

संयुग्मी और संचलन/चालन बैंड 1.1 eV के निषिद्ध ऊर्जा अंतराल द्वारा अलग होते हैं।

संयुग्मी और संचलन/चालन बैंड 6 से 10 eV के निषिद्ध ऊर्जा अंतराल द्वारा अलग होते हैं।

5.

प्रतिरोध  बहुत कम होता है।

प्रतिरोध उच्च होता है।

प्रतिरोध अति उच्च होता है।

6.

इनका ताप नियतांक धनात्मक/सकारात्मक होता है।

इनका ताप नियतांक ऋणात्मक/नकारात्मक होता है।

इनका ताप नियतांक ऋणात्मक/नकारात्मक होता है।

7.

उदाहरण: तांबा, एल्युमीनियम आदि।

उदाहरण: सिलिकॉन, जर्मेनियम आदि।

उदाहरण: माइका, पेपर आदि।

  • यह एक विद्युत परिपथ है जिसमें अर्धचालक वेफर पर बने ट्रांजिस्टर और वायरिंग जैसे कई घटक होते हैं। इन घटकों में से कई से युक्त एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को एकीकृत सर्किट (आईसी) कहा जाता है और इसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन, उपकरण, गेमिंग हार्डवेयर और चिकित्सा उपकरण जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाया जा सकता है।
    • इन उपकरणों को लगभग सभी उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, खासकर ऑटोमोबाइल उद्योग में।
  • इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे और कलपुर्जे आज एक नई आंतरिक दहन इंजन कार की लागत का 40% हिस्सा हैं, जो दो दशक पहले 20% से भी कम था।
    • इस वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा सेमीकंडक्टर चिप्स का है।
  • कमी के कारण:
    • कोविड के कारण वर्क फ्रॉम होम: लॉकडाउन ने लैपटॉप की बिक्री में वृद्धि को एक दशक में सबसे अधिक बढ़ा दिया।
      • जैसे ही ऑफिस का काम ऑफिस से बाहर चला गया, होम नेटवर्किंग गियर, वेबकैम और मॉनिटर को बंद कर दिया गया तथा स्कूल बंद होने के कारण लैपटॉप की मांग कुछ समय के लिये बढ़ गई।
    • गलत पूर्वानुमान: महामारी में बहुत जल्दी कटौती करने वाले वाहन निर्माता इस बात को कम करके आँकते हैं कि कार की बिक्री कितनी जल्दी प्रतिकूल हो जाएगी। वाहन निर्माताओं ने वर्ष 2020 के अंत में फिर से ऑर्डर देने में जल्दीबाजी किये क्योंकि चिप मेकर्स कंप्यूटिंग और स्मार्टफोन की आपूर्ति में लगे हुए थे।
    • एकत्रीकरण:कंप्यूटर निर्माताओं ने वर्ष 2020 की शुरुआत में तंग आपूर्ति के बारे में चेतावनी देना शुरू किया। फिर उस वर्ष के मध्य के आसपास चीनी स्मार्टफोन निर्माता हुआवेई टेक्नोलॉजीज़ कंपनी, जो 5G नेटवर्किंग गियर के लिये वैश्विक बाज़ार पर भी हावी है, यह सुनिश्चित करने के लिये इन्वेंट्री का निर्माण शुरू किया ताकि यह अमेरिकी प्रतिबंधों से बच सके जो इसे अपने प्राथमिक आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये निर्धारित किये गए थे।
      • अन्य कंपनियों ने हुआवेई से हिस्सेदारी हथियाने की उम्मीद में इन प्रतिबंधों का पालन किया जिससे चीन का चिप आयात वर्ष 2020 में लगभग 380 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष लगभग 330 बिलियन अमेरिकी डाॅलर था।
    • आपदाएँ: अमेरिका में उत्पादन संयंत्र ठंड से और जापान में जंगल की आग से प्रभावित हुए है।
    • मुश्किल उत्पादन: उन्नत लॉजिक चिप के निर्माण के लिये असाधारण सटीकता की आवश्यकता होती है, साथ ही तेज़ी से परिवर्तन के अधीन क्षेत्र में लंबी अवधि के बड़े दांव लगाने की आवश्यकता होती है।
      • उद्योग को स्थापित करने में अरबों डॉलर का खर्च आता है और निवेश की भरपाई के लिये उन्हें चौबीसों घंटे पूरी तरह से तैयार रहना पड़ता है।
  • प्रभाव:
    • अनगिनत उद्योग प्रभावित हुए हैं क्योंकि सेमीकंडक्टर चिप की वैश्विक मांग, आपूर्ति से अधिक है।
    • चिप की कमी से इस वर्ष कार निर्माताओं के लिये 210 बिलियन अमेरिकी डालर की बिक्री प्रभावित हुई है, जिसमें 7.7 मिलियन वाहनों का उत्पादन कम हो गया है।
    • सेमीकंडक्टर की कमी आपूर्ति शृंखला को और कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन को गंभीर रूप बाधित करेगी।
    • चिप की कमी उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर प्रभावित करती है क्योंकि वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधान के कारण टीवी से लेकर स्मार्टफोन तक रोज़मर्रा के उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कीमतें बढ़ गई हैं।

आगे की राह 

  • उभरती प्रौद्योगिकियाँ, विशेष रूप से इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ब्लॉकचेन उद्योगों में प्रमुखता प्राप्त कर रही हैं। इन अनुप्रयोगों के सभी क्षेत्रों में कर्षण प्राप्त करने के साथ, विशेष सेंसर, एकीकृत सर्किट, बेहतर मेमोरी और उन्नत प्रोसेसर की आवश्यकता बढ़ रही है।
  • भारत अपनी 'मेक इन इंडिया' पहल के एक हिस्से के रूप में सेमीकंडक्टर चिप्स के निर्माण की योजना को बड़े पैमाने पर अंतिम रूप दे रहा है। देश में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने वाली प्रत्येक सेमीकंडक्टर कंपनी को राष्ट्र 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक राशि देने की पेशकश कर रहा है।
    • स्थानीय रूप से बने चिप्स को "विश्वसनीय स्रोत" के रूप में नामित किया जाएगा और सीसीटीवी कैमरों से लेकर 5G उपकरण तक के उत्पादों में उपयोग किया जा सकता है।
    • दिसंबर 2021 में भारत ने देश में निर्माण इकाइयों की स्थापना या ऐसी विनिर्माण इकाइयों के अधिग्रहण के लिये चिप निर्माताओं से उनकी रुचियाँ" आमंत्रित कीं।
  • यह सब अर्द्धचालकों के निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने, डेटा सुरक्षा पर बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित करने और दुनिया के देशों को मौजूदा अर्द्धचालकों की आपूर्ति शृंखला पर विशिष्ट देशों का एकाधिकार होने से रोकने के लिये किया जा रहा है।
  • यह स्पष्ट है कि अर्द्धचालक हमारी आधुनिक तेज़ी से भागती दुनिया को बदल रहे हैं। इसलिये भारत को निकट भविष्य में अर्द्धचालकों को अधिकांश महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का दर्जा देना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस