सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 | 24 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 [Right to Information (Amendment) Bill, 2019] पारित किया। इस विधेयक में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 को संशोधित करने का प्रस्ताव किया गया है।

संशोधन के प्रमुख बिंदु:

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, परंतु संशोधन के तहत इसे परिवर्तित करने का प्रावधान गया है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
  • नए विधेयक के तहत केंद्र और राज्य स्तर पर मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते तथा अन्य रोज़गार की शर्तें भी केंद्र सरकार द्वारा ही तय की जाएंगी।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 यह प्रावधान करता है कि यदि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त पद पर नियुक्त होते समय उम्मीदवार किसी अन्य सरकारी नौकरी की पेंशन या अन्य सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करता है तो उस लाभ के बराबर राशि को उसके वेतन से घटा दिया जाएगा, लेकिन इस नए संशोधन विधेयक में इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है।

RTI Act

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

  • सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।

प्रमुख प्रावधान:

  • इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
  • इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।
  • प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में असंतुष्टि, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिति में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है।
  • इस अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद व राज्य विधानमंडल के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और निर्वाचन आयोग (Election Commission) जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 या 10 से कम सूचना आयुक्तों की सदस्यता वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसी के आधार पर राज्य में भी एक राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाएगा।
  • यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर (यहाँ जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों पर लागू होता है।
  • इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।

ऐसे कौन से मामले है जिनमें सूचना देने से इनकार किया जा सकता है?

  • राष्ट्र की संप्रभुता, एकता-अखण्डता, सामरिक हितों आदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली सूचनाएँ प्रकट करने की बाध्यता से मुक्ति प्रदान की गई है।

सूचना के अधिकार के समक्ष चुनौतियाँ

  • सूचना के अधिकार अधिनियम के अस्तित्व में आने से सबसे बड़ा खतरा RTI कार्यकर्त्ताओं को है। इन्हें कई तरीकों से उत्पीड़ित एवं प्रताडि़त किया जाता है।
  • औपनिवेशिक हितों के अनुरूप निर्मित वर्ष 1923 का सरकारी गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) RTI की राह में प्रमुख बाधा है, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (Second Administrative Reform Commission) ने इस अधिनियम को खत्म करने की सिफारिश की है जिस पर पारदर्शिता के लिहाज से अमल करना आवश्यक है।
  • इसके अलावा कुछ अन्य चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं, जैसे-
    • नौकरशाही में अभिलेखों के रखने व उनके संरक्षण की व्यवस्था बहुत कमज़ोर है।
    • सूचना आयोगों को चलाने के लिये पर्याप्त अवसंरचना और कर्मियों/स्टाफ का अभाव है।
    • सूचना का अधिकार कानून के पूरक कानूनों, जैसे- ‘व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम’ (Whistle Blowers Protection Act) का कुशल क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।

केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission) की संरचना

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अध्याय-3 में केंद्रीय सूचना आयोग तथा अध्याय-4 में राज्य सूचना आयोगों (State Information Commissions- SICs) के गठन का प्रावधान है।
  • इस कानून की धारा-12 में केंद्रीय सूचना आयोग के गठन, धारा-13 में सूचना आयुक्तों की पदावधि एवं सेवा शर्ते तथा धारा-14 में उन्हें पद से हटाने संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
  • केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा अधिकतम 10 केंद्रीय सूचना आयुक्तों का प्रावधान है और इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • ये नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी समिति की अनुशंसा पर की जाती है, जिसमें लोकसभा में विपक्ष का नेता और प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत कैबिनेट मंत्री बतौर सदस्य होते हैं।

DoPT है इसका नोडल मंत्रालय

  • कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (Department of personnel & training-DoPT) सूचना का अधिकार और केंद्रीय सूचना आयोग का नोडल विभाग हैi।
  • अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों और प्राधिकरणों को RTI अधिनियम के अंतर्गत लाया गया है।
  • केंद्र सरकार के 2200 सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों में ऑनलाइन RTI दाखिल करने और उसका जवाब देने की व्यवस्था है। ऐसा इन संस्थानों के कामकाज में अधिकतम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
  • आधुनिक तकनीक के उपयोग से RTI दाखिल करने के लिये अब एक पोर्टल और एप्लीकेशन भी उपलब्ध है, जिसकी सहायता से कोई भी नागरिक अपने मोबाइल फोन से किसी भी समय, किसी भी स्थान से RTI के लिये आवेदन कर सकता है।
  • राज्य सरकारों को भी RTI पोर्टल शुरू करने की व्यावहारिकता पर विचार करने को कहा गया है।
  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) को ऑनलाइन RTI पोर्टल बनाने में राज्य सरकारों की सहायता करने को कहा गया है।

स्रोत: पी.आई.बी. एवं पी.आर.एस.