ऊर्जा ट्रांज़िशन हेतु इटली-भारत रणनीतिक साझेदारी | 02 Nov 2021

प्रिलिम्स के लिये: 

स्मार्ट सिटीज़, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

मेन्स के लिये:

इटली-भारत संबंध, ऊर्जा ट्रांज़िशन हेतु किये जा रहे प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आयोजित एक द्विपक्षीय बैठक में भारत और इटली ने ऊर्जा ट्रांज़िशन के क्षेत्र में ‘इटली-भारत रणनीतिक साझेदारी’ पर संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।

  • नवंबर 2020 में भारत और इटली (2020-2024) के बीच साझेदारी हेतु कार्य योजना को अपनाने के बाद से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है। 

Italy

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त कार्य समूह:
    • सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने हेतु संयुक्त कार्य समूह निम्नलिखित पर विचार करेगा:
      • स्मार्ट सिटीज़; गतिशीलता; स्मार्ट-ग्रिड, बिजली वितरण और भंडारण समाधान।
      • गैस परिवहन और प्राकृतिक गैस।
      • एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन (वेस्ट-टू-वेल्थ)।
      • हरित ऊर्जा (हरित हाइड्रोजन; संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) और तरल प्राकृतिक गैस (LNG); जैव-मीथेन; जैव-रिफाइनरी; सेकंड-जनरेशन जैव-इथेनॉल; अरंडी का तेल; जैव-तेल-अपशिष्ट से ईंधन)।
    • संयुक्त कार्य समूह की स्थापना अक्तूबर 2017 में दिल्ली में हस्ताक्षरित ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन द्वारा की गई थी।
  • ‘ग्रीन कॉरिडोर’ परियोजना:
    • वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत में एक बड़ी ‘ग्रीन कॉरिडोर’ परियोजना शुरू करने के लिये दोनों देशों द्वारा विचार किया जा रहा है।
      • ‘ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर’ परियोजनाओं का उद्देश्य नवीकरणीय स्रोतों जैसे- सौर और पवन से उत्पादित बिजली को ग्रिड में पारंपरिक बिजली स्टेशनों के साथ सिंक्रनाइज़ करना है।
  • निवेश:
    • ऊर्जा संक्रमण से संबंधित क्षेत्रों में भारतीय और इतालवी कंपनियों के संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करना।
  • सूचना साझाकरण:
    • दोनों देश विशेष रूप से नीति और नियामक ढाँचे के क्षेत्र में उपयोगी जानकारी और अनुभव साझा करेंगे।
    • दोनों देशों के सहयोग में स्वच्छ और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य ईंधन/प्रौद्योगिकियों के प्रति ट्रांज़िशन को सुविधाजनक बनाने के लिये संभावित साधनों को शामिल करना, दीर्घकालिक ग्रिड योजना बनाना, नवीकरणीय ऊर्जा और दक्षता उपायों के लिये योजनाओं को प्रोत्साहित करना, साथ ही स्वच्छ ऊर्जा ट्रांज़िशन में तेज़ी लाने हेतु वित्तीय साधनों की व्यवस्था करना शामिल है।

भारत के लिये इटली का महत्त्व:

  • वर्ष 2021 भारत और इटली के बीच राजनयिक संबंधों की 73वीं वर्षगाँठ का वर्ष है। 
  • भारत को हाल ही में इटली ने व्यापार के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये शीर्ष पाँच प्राथमिकता वाले देशों में से एक के रूप में मान्यता दी है।
  • इटली भारत के भू-राजनीतिक और आर्थिक दोनों प्रकार के महत्त्व को स्वीकार करता है तथा अच्छे राजनयिक संबंधों एवं आर्थिक आदान-प्रदान के आधार पर अपने संबंधों को एक नई ऊँचाई पर ले जाने के लिये सक्रिय रूप से प्रयास कर रहा है।
  • संबंधों के आर्थिक महत्त्व को इस बात से समझा जा सकता है कि इटली विश्व की आठवीं सबसे बड़ी और यूरोज़ोन में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
    • यह विश्व का छठा सबसे बड़ा विनिर्माणकर्त्ता देश भी है, जिसमें विभिन्न औद्योगिक विशिष्टता वाले छोटे और मध्यम उद्यमों का वर्चस्व है।
    • दूसरी ओर, भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत में काम कर रही 600 से अधिक इतालवी कंपनियों के लिये एक बड़ा बाज़ार भी है।
  • इटली ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), वासेनार व्यवस्था और ऑस्ट्रेलिया समूह जैसे निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं के लिये भारत की सदस्यता का समर्थन किया है।
  • ब्रिटेन और नीदरलैंड के बाद अनुमानित 1,80,000 लोगों के साथ इटली यूरोपीय संघ में तीसरे सबसे बड़े भारतीय समुदाय की मेज़बानी करता है। भारतीय श्रम विशेष रूप से कृषि और डेयरी उद्योग में संलग्न है।
  • इटली, यूरोपीय संघ का हिस्सा होने के नाते ब्रेक्जिट के बाद यूरोप में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण भागीदार साबित हो सकता है और भारतीय कंपनियों के लिये यूरोप में काम करने हेतु एक अनुकूल आधार प्रदान कर सकता है।
  • इंडो-पैसिफिक, एक तरफ जहाँ अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार के लिये अग्रणी मार्ग बन रहा है, वहीं दूसरी ओर भूमध्य सागर एशिया से आने वाले कार्गो जहाज़ों के आगमन का प्राकृतिक बिंदु है।
    • दोनों क्षेत्रों में संयुक्त रूप से कार्य करने का अर्थ होगा- लोकतंत्र, मुक्त व्यापार, सुरक्षा और कानून के शासन जैसे मूल्यों को बढ़ावा देना, जो भारत व इटली के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है, जिसके परिणाम योजना और नीति निर्माण के रूप में सामने आते हैं।
  • वर्ष 2021 और 2023 में इटली व भारत क्रमशः जी-20 की अध्यक्षता करेंगे, जो कि कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा अंतर-राज्य संबंधों को बहाल करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

स्रोत: पीआईबी