मसौदा राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2022 | 14 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

NIMER, CDSCO, PLI स्कीम, क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया।

मेन्स के लिये:

भारत के चिकित्सा उपकरण उद्योग के संबंध में चुनौतियाँ और मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) ने चिकित्सा उपकरणों के लिये राष्ट्रीय नीति, 2022 के मसौदे हेतु एक दृष्टिकोण पत्र जारी किया है।

मसौदा नीति की मुख्य विशेषताएँ:

  • मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिये वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्य के साथ-साथ व्यापार करने में आसानी के लिये नियामक प्रक्रियाओं और एजेंसियों की बहुलता को अनुकूलित करने हेतु नियामकों को सुव्यवस्थित करना।
  • निजी क्षेत्र के निवेश के साथ स्थानीय विनिर्माण परितंत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये वित्त और वित्तीय सहायता के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धात्मकता का निर्माण करना।
  • लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार और घरेलू निर्माताओं के आकर्षण को बढ़ाने के लिये परीक्षण केंद्रों जैसी सामान्य सुविधाओं के साथ चिकित्सा उपकरण पार्क सहित सर्वश्रेष्ठ भौतिक आधार उपलब्ध कराने के लिये बुनियादी ढाँचा विकास करना।
  • अकादमिक पाठ्यक्रम और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई को कम करने के लिये नवाचार एवं अनुसंधान व विकास परियोजनाओं, वैश्विक भागीदारी और प्रमुख हितधारकों के बीच संयुक्त उद्यमों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए अनुसंधान तथा विकास और नवाचार की सुविधा प्रदान करना।
  • उच्च शिक्षा स्तर पर प्रासंगिक पाठ्यक्रम सुनिश्चित करने के लिये मानव संसाधन विकास, विभिन्न हितधारकों का कौशल विकास, नवाचार मूल्य शृंखला में आवश्यक कौशल के साथ भविष्य के लिये तैयार मानव संसाधन का निर्माण करना।
  • "मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड" पहल के एक हिस्से के रूप में भारत को चिकित्सा उपकरणों के निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिये जागरूकता का सृजन और ब्रांड स्थापित करना।

नीति का उद्देश्य क्या है?

  • यह नीति पहुँच, सामर्थ्य, सुरक्षा और गुणवत्ता के मुख्य उद्देश्यों को संबोधित करती है तथा आत्म-स्थायित्व व  नवाचार पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • नीति में इस बात का अनुमान लगाया गया है कि 2047 तक, भारत
    • “राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान” (NIPERs) की तर्ज पर कुछ राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (एनआईएमईआर) होंगे।
    • मेडटेक (मेडिकल टेक्नोलॉजी) में 25 हाई-एंड फ्यूचरिस्टिक तकनीकों का प्रवर्तन करना।
    • वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी के 10-12% के साथ 100-300 बिलियन अमेरिकी डॉलर आकार का एक मेडटेक उद्योग होगा।

भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग की स्थिति क्या है?

  • परिचय:
    • भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग है, विशेष रूप से सभी चिकित्सा स्थितियों, बीमारियों और विकलांगता की रोकथाम, निदान, उपचार तथा प्रबंधन के लिये।
    • यह निम्नलिखित व्यापक वर्गीकरणों के साथ एक बहु-उत्पाद क्षेत्र है: (ए) इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण; (बी) प्रत्यारोपण; (सी) उपभोग्य और डिस्पोजेबल; (डी) इन विट्रो डायग्नोस्टिक्स (आईवीडी) अभिकर्मकों में; और (ई) सर्जिकल उपकरण।
    • वर्ष 2017 तक जब केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 तैयार किये गए थे, यह क्षेत्र काफी हद तक अनियंत्रित रहा है।
      • औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत विशेष रूप से गुणवत्ता, सुरक्षा एवं प्रभावकारिता के पहलुओं पर चरणबद्ध तरीके से एमडी के व्यापक विनियमन के लिये नियम तैयार किये गए थे।
  • क्षेत्र का दायरा:
    • भारतीय चिकित्सा उपकरण बाज़ार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है, जिनकी बिक्री का लगभग 80% आयातित चिकित्सा उपकरणों से उत्पन्न मूल्य से है।
      • भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का योगदान और भी प्रमुख हो गया है, क्योंकि भारत ने चिकित्सा उपकरणों व नैदानिक ​​किट, जैसे- वेंटिलेटर, आरटी-पीसीआर किट, इन्फ्रारेड थर्मामीटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट तथा एन-95 मास्क के उत्पादन के माध्यम से कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का समर्थन किया है।
    • भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग का मूल्य 5.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो कि 96.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारतीय स्वास्थ्य उद्योग में लगभग 4-5% का योगदान देता है।
    • भारत में चिकित्सा उपकरणों का क्षेत्र बाकी विनिर्माण उद्योग की तुलना में आकार में बहुत छोटा है, हालाँकि भारत दुनिया में चिकित्सा उपकरणों के लिये शीर्ष बीस बाज़ारों में से एक है और जापान, चीन व दक्षिण कोरिया के बाद एशिया में चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है।
    • भारत वर्तमान में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार के 80-90% चिकित्सा उपकरणों का आयात करता है।
      • अमेरिका, जर्मनी, चीन, जापान और सिंगापुर भारत को उच्च प्रौद्योगिकी चिकित्सा उपकरणों के पाँच सबसे बड़े निर्यातक हैं।
  • इस क्षेत्र से संबंधित पहलें:
    • चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना
    • चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने का उद्देश्य चिकित्सा उपकरणों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करना है।
    • वर्ष 2014 में 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत चिकित्सा उपकरणों को एक ‘सनराइज़ सेक्टर’ के रूप में मान्यता दी गई है।
    • जून 2021 में भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्युफैक्चरर्स ऑफ मेडिकल डिवाइसेस (AiMeD) ने चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता, सुरक्षा व प्रभावकारिता का सत्यापन करने के लिये भारतीय चिकित्सा उपकरणों का प्रमाणन (ICMED) 13485 प्लस योजना शुरू की थी।

भारत के चिकित्सा उपकरण क्षेत्र से संबंधित मुद्दे: 

  • भारत में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में प्रमुख चुनौतियों में पर्याप्त बुनियादी ढांँचे व रसद की कमी, केंद्रित आपूर्ति शृंखला और वित्त की उच्च लागत शामिल है।
    • जबकि सरकार नियमों और कागज़ी कार्रवाई को सरल बनाने की कोशिश कर रही है। राज्य और केंद्र स्तर पर कई उच्च स्तरीय सरकारी निकाय अभी भी इस परिदृश्य की जटिलता को  चिह्नित करते हैं।
  • साथ ही भारत का स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च (1.35%) विश्व में सबसे कम है।

आगे की राह 

  • इस क्षेत्र को अपनी विविध प्रकृति, निरंतर नवाचार और भिन्नता के कारण उद्योग व हितधारकों के बीच विशेष समन्वय एवं संचार की आवश्यकता है।  
  • चिकित्सा उपकरण कंपनियों को भारत के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के लिये एक विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करना चाहिये, स्वदेशी विनिर्माण के साथ मिलकर भारत-आधारित नवाचार शुरू करने चाहिये, मेक इन इंडिया और इनोवेट इन इंडिया योजनाओं में समनवय स्थापित करना चाहिये तथा कमज़ोर घरेलू बाज़ार में निम्न से मध्यम प्रौद्योगिकी उत्पादों का उत्पादन करना चाहिये। 
  • चिकित्सा और तकनीकी प्रगति के साथ कौशल, अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के माध्यम से भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • इसका लक्ष्य चिकित्सा उपकरण उद्योग की मांग और आपूर्ति पक्षों के लिये सहयोगी नीति समर्थन के माध्यम से पहुंँच और अवसरों का विस्तार करना भी होना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी.