जगन्नाथ मंदिर पर विरासत उपविधि वापस | 15 Feb 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने ओडिशा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के लिये राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority- NMA) द्वारा जारी की गई विरासत उपविधि को वापस ले लिया है।

  • ओडिशा सरकार द्वारा भुवनेश्वर के ‘एकमारा क्षेत्र’ (Ekamra Kshetra) के मंदिरों के लिये भी उपनियमों को वापस लिये जाने की मांग की जा रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • विरासत उपविधि का मसौदा:

    • पृष्ठभूमि:
      • केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010 में प्राचीन स्मारक, पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2010 के तहत राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) का गठन किया गया था।
        • NMA की प्राथमिक भूमिका भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सूचीबद्ध संरचनाओं के लिये विरासत उपविधि तैयार करना था।
    • संरक्षण और उपविधि:
      • प्राचीन स्मारक, पुरातात्त्विक स्थल और अवशेष (संशोधन और सत्यापन) अधिनियम, 2010 में यह प्रावधान किया गया है कि एएसआई-संरक्षित स्मारकों के समीप निर्माण गतिविधि को विनियमित करने के लिये स्मारक-विशिष्ट विरासत उपविधि तैयार की जानी चाहिये।
      • विरासत उपविधि के मसौदे को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • ओडिशा का मामला:

    • राज्य सरकार के मतानुसार, 'इस उपविधि से पुरी स्थित 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर के आसपास योजनाबद्ध अवसंरचना विकास में बाधा उत्पन्न होगी।'
    • इसी तरह का विरासत उपविधि मसौदा भुवनेश्वर स्थित दो मंदिरों के लिये भी तैयार किया गया है-
      • पहला: 13वीं शताब्दी में बना अनंत बसुदेव का वैष्णव मंदिर और
      • दूसरा: ब्रह्मेश्वर का शिव मंदिर। ये दोनों मंदिर एकमारा क्षेत्र में स्थित हैं।
    • वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने 1,126 एकड़ में फैले इस क्षेत्र के आसपास एक सौंदर्यीकरण परियोजना के कार्यान्वयन के साथ इसे एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी।
  • जगन्नाथ मंदिर:

    • निर्माण:
      • ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश (Eastern Ganga Dynasty) के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था।
    • पौराणिक महत्त्व:
      • जगन्नाथ पुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ भी कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।
    • स्थापत्य कला:
      • इस मंदिर को "सफेद पैगोडा" कहा जाता था और यह चारधाम तीर्थयात्रा (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
      • मंदिर के चार (पूर्व में ‘सिंह द्वार’, दक्षिण में 'अश्व द्वार’, पश्चिम में 'व्याघरा द्वार' और उत्तर में 'हस्ति द्वार’) मुख्य द्वार हैं। प्रत्येक द्वार पर नक्काशी की गई है।
      • इसके प्रवेश द्वार के सामने अरुण स्तंभ या सूर्य स्तंभ स्थित है, जो मूल रूप से कोणार्क के सूर्य मंदिर में स्थापित था।
    • महोत्सव: विश्व प्रसिद्ध जगन्राथ रथ यात्रा और बहुड़ा यात्रा।

प्राचीन स्मारक, पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2010

  • उद्देश्य:
    • राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित सभी प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों व अवशेषों और आसपास की सभी दिशाओं में 300 मीटर (या कुछ मामलों में इससे अधिक) तक के क्षेत्रों का बचाव, संरक्षण एवं सुरक्षा करना।
  • प्रावधान:
    • निषिद्ध क्षेत्र (किसी भी राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित स्मारक या आस-पास के संरक्षित क्षेत्र से निकटतम संरक्षित सीमा से सभी दिशाओं में 100 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र) में किसी भी निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं है, परंतु मरम्मत या नवीनीकरण पर विचार किया जा सकता है।
    • विनियमित क्षेत्र (किसी भी राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित संरक्षित स्मारक और संरक्षित क्षेत्र से सभी दिशाओं में 200 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र) में मरम्मत/नवीनीकरण/निर्माण/पुनर्निर्माण पर विचार किया जा सकता है।
    • निषिद्ध और विनियमित क्षेत्रों में निर्माण संबंधी कार्यों के लिये सभी आवेदन सक्षम अधिकारियों (Competent Authorities- CA) और फिर राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ( National Monuments Authority- NMA) के समक्ष विचार के लिये प्रस्तुत किये जाने चाहिये।
    • राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत कार्य करता है।

स्रोत: द हिंदू