राष्ट्रीय खेल दिवस- 2024 और RESET कार्यक्रम
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में विभिन्न आयोजनों और गतिविधियों के माध्यम से भारत में खेल और शारीरिक स्वस्थता को बढ़ावा देने के लिये मेजर ध्यानचंद की जयंती पर 29 अगस्त, 2024 को राष्ट्रीय खेल दिवस (NSD) 2024 मनाया गया।
- NSD 2024 पर सरकार ने सेवानिवृत्त खिलाड़ी सशक्तीकरण प्रशिक्षण (Retired Sportsperson Empowerment Training- RESET) कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
NSD और RESET कार्यक्रम से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- परिचय: यह भारत में खेल के प्रति उत्साह को चिह्नित करने वाला एक विशेष अवसर है।
- इसका उद्देश्य सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने हेतु प्रेरित करना, खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और एथलीटों की उपलब्धियों का सम्मान करना है।
- राष्ट्रीय खेल दिवस का महत्त्व: राष्ट्र के गौरव और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एथलीटों के योगदान का सम्मान करते हुए यह दिवस उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।
- सरकार इस दिवस पर विभिन्न खेल योजनाओं का शुभारंभ करती है, जैसे कि वर्ष 2018 में खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत की गई थी।
- भारत के राष्ट्रपति इस दिन प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार प्रदान करते हैं, जिनमें से एक मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार है।
- RESET कार्यक्रम:
- उद्देश्य: सेवानिवृत्त खिलाड़ियों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करके उन्हें अधिक रोज़गार योग्य बनाना।
- पात्रता: ऐसे सेवानिवृत्त एथलीट जिनकी आयु 20-50 वर्ष वर्ष के बीच है, जो अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं या राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर प्राप्त हैं, RESET कार्यक्रम के तहत आवेदन करने के पात्र हैं।
- संरचना: यह शैक्षिक योग्यता के आधार पर दो स्तरों पर होगी अर्थात् कक्षा 12वीं और उससे ऊपर तथा कक्षा 11वीं और उससे नीचे।
- कार्यक्रम को लागू करने वाला अग्रणी संस्थान: लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (Lakshmibai National Institute of Physical Education- LNIPE), ग्वालियर।
मेजर ध्यानचंद के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- मेजर ध्यानचंद भारत के स्वतंत्रता-पूर्व के एक प्रमुख हॉकी खिलाड़ी थे।
- अपनी स्टिक वर्क और खेल की समझ के कारण वे "हॉकी के जादूगर" और "जादूगर" के नाम से प्रसिद्ध हैं।
- उन्होंने वर्ष 1928, 1932 और 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत की पहली बार स्वर्ण पदक जीतने की हैट्रिक में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- वर्ष 1926 और 1948 के बीच उन्होंने भारत के लिये 185 मैच खेले और 400 से अधिक गोल किये।
- वह वर्ष 1956 में भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
- वह दिन में अपनी रेजिमेंट संबंधी ड्यूटी पूरी करते थे, इसलिये वह चाँदनी रात में अभ्यास करते थे, जिससे उन्हें चंद की उपाधि मिली।
- उन्हें 1956 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण मिला।
- वर्ष 2012 में भारत सरकार ने उनकी जयंती को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
- उन्हें सम्मानित करने के लिये भारत सरकार ने 2021 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया।
भारत में दिये जाने वाले विभिन्न खेल पुरस्कार कौन-कौन से हैं?
- मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार: इसे भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान माना जाता है। यह पुरस्कार चार साल की अवधि में खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है और विजेताओं को एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि मिलती है।
- अर्जुन पुरस्कार: यह विगत चार वर्षों की अवधि में अच्छे प्रदर्शन के लिये दिया जाता है। अर्जुन पुरस्कार के विजेताओं को अर्जुन की एक प्रतिमा, एक प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार दिया जाता है।
- द्रोणाचार्य पुरस्कार: यह प्रशिक्षकों के लिये भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है। यह प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक विजेता तैयार करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है।
- मेजर ध्यानचंद पुरस्कार: यह भारत के हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर दिया जाने वाला एक और पुरस्कार है। यह खेलों में आजीवन उपलब्धियों के लिये भारत का सर्वोच्च सम्मान है।
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ट्रॉफी: यह किसी संस्था या विश्वविद्यालय को पिछले एक वर्ष की अवधि में अंतर-विश्वविद्यालयी टूर्नामेंट में शीर्ष प्रदर्शन के लिये दी जाती है।
- राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: यह पुरस्कार पिछले तीन वर्षों में खेल के प्रचार तथा विकास के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संगठनों या कॉर्पोरेट्स (निजी और सार्वजनिक दोनों) तथा व्यक्तियों को दिया जाता है।
खेल संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु सरकार की क्या पहल हैं?
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. खेल पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित हैं? (a) केवल एक उत्तर: (b) प्रश्न. वर्ष 2000 में स्थापित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. 32वें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
मैसेजिंग सेवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिये TRAI के नए नियम
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने एक निर्देश जारी किया है, जिसके तहत दूरसंचार कंपनियों को 1 सितंबर 2024 से गैर-पंजीकृत यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL), ओवर-द-टॉप (OTT) लिंक, एंड्रॉइड एप्लिकेशन पैकेज (APKs) या कॉल-बैक नंबर वाले संदेशों को ब्लॉक करना होगा।
- स्पैम और फिशिंग प्रयासों को कम करने के उद्देश्य से लाए गए नए नियम के तहत संस्थाओं को वन-टाइम पासवर्ड (OTP) भेजने के लिये अपने नंबरों को पंजीकृत करने तथा व्हाईट लिस्ट में (या अनुमति सूची - स्वीकार्य संस्थाओं की सूची) शामिल करने की आवश्यकता होगी, जिससे लेनदेन संबंधी अलर्ट या प्रमाणीकरण के लिये OTP का उपयोग करने वाले बैंकों व सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
- दूरसंचार कंपनियों को अब संदेश भेजने से पहले उसकी विषय-वस्तु की पुष्टि करनी होगी, जिससे सुरक्षा में वृद्धि होगी।
- TRAI ने बेहतर निगरानी और नियंत्रण के लिये एक्सेस सेवा प्रदाताओं को 140-सीरीज़ से शुरू होने वाली टेलीमार्केटिंग कॉलों को 30 सितंबर, 2024 तक ऑनलाइन DLT (डिजिटल लेजर टेक्नोलॉजी) प्लेटफॉर्म या ब्लॉकचेन पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है।
- स्पैम पर और अधिक अंकुश लगाने के लिये दूरसंचार ऑपरेटरों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रचारात्मक एवं स्पैम कॉलों के लिये उपयोग किये जाने वाले बल्क कनेक्शनों की निगरानी करें तथा उन्हें डिस्कनेक्ट करें।
- TRAI की स्थापना वर्ष 1997 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने हेतु की गई थी, जिसमें दूरसंचार सेवाओं के लिये टैरिफ का निर्धारण/संशोधन शामिल है। यह अधिकार पहले केंद्र सरकार के पास था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य एक निष्पक्ष एवं पारदर्शी नीतिगत परिवेश उपलब्ध कराना है, जो समान अवसर प्रदान करे तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को सरल बनाए।
और पढ़ें: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)
ICC के नए अध्यक्ष
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में जय शाह को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (International Cricket Council- ICC) का नया अध्यक्ष चुना गया है, वह इस पद पर पहुँचने वाले अब तक के सबसे युवा अध्यक्ष बन गए हैं।
- वर्तमान में वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (Board of Control for Cricket in India- BCCI) के सचिव पद पर कार्यरत हैं और 1 दिसंबर, 2024 से ICC के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। वह ICC के अध्यक्ष के रूप में न्यूजीलैंड के ग्रेग बार्कले का स्थान लेंगे।
- वह जगमोहन डालमिया, शरद पवार, एन श्रीनिवासन और शशांक मनोहर के बाद ICC का अध्यक्ष/चेयरमैन बनने वाले पाँचवें भारतीय हैं।
- ICC के बारे में:
- स्थापना: इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस (पूर्व नाम था) की स्थापना वर्ष 1909 में हुई थी। वर्ष 1989 में इसका नाम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद कर दिया गया।
- कार्य: ICC क्रिकेट के लिये वैश्विक नियामक संस्था है। यह ICC क्रिकेट विश्व कप, ICC T20 विश्व कप और ICC चैंपियंस ट्रॉफी सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों का आयोजन करती है।
- सदस्यता: अगस्त, 2024 तक उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, ICC के सदस्यों की संख्या 108 है, जिनमें 12 पूर्णकालिक सदस्य हैं, जो टेस्ट मैच खेलते हैं तथा 96 एसोसिएट/सहयोगी सदस्य हैं।
- मुख्यालय: दुबई, संयुक्त अरब अमीरात
और पढ़ें: क्रिकेट में वेतन समानता
पीज़ोइलेक्ट्रिक पॉलिमर नैनोकंपोज़िट पर आधारित सिक्योरिटी अलर्ट प्रणाली
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज़ (CeNS) और नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (CSIR-NCL), पुणे के शोधकर्त्ताओं ने दाब संवेदन (Pressure Sensing) और ऊर्जा संचयन के लिये एक नया पीज़ोइलेक्ट्रिक पॉलिमर नैनोकंपोज़िट विकसित किया है।
- यह यांत्रिक ऊर्जा को कुशलतापूर्वक विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता है, जिससे ऊर्जा संचयन और दाब संवेदन में अनुप्रयोगों के लिये नए मार्ग खुल सकते हैं।
पीज़ोइलेक्ट्रिक पॉलिमर नैनोकंपोज़िट क्या हैं?
- पीज़ोइलेक्ट्रिक पदार्थ/प्रभाव:
- पीज़ोइलेक्ट्रिक पदार्थ ऐसे पदार्थ हैं, जिन पर यांत्रिक दबाव आरोपित करने पर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं। जब ऐसे पदार्थों पर दाब डाला जाता है, तो धनात्मक और ऋणात्मक आवेशों के केंद्र स्थानांतरित हो जाते हैं, जिससे बाह्य विद्युत क्षेत्र का निर्माण होता है।
- उदाहरण:
- प्राकृतिक पदार्थ: क्वार्ट्ज़, पुखराज़ और टूमलाइन।
- जैविक पदार्थ: रेशम, लकड़ी और हड्डी।
- सिरेमिक: लेड ज़रकोनेट टाइटेनेट (PZT) और बेरियम टाइटेनेट (BT)
- पॉलिमर: PVDF और PVDF-TrFE
- फेरोइलेक्ट्रिक/लौहविद्युत पदार्थ: बेरियम टाइटेनेट (BaTiO3) यांत्रिक दाब के बिना विद्युत आवेश उत्पन्न करता है।
- अनुप्रयोग:
- पीज़ोइलेक्ट्रिक पदार्थों का प्रयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिसमें माइक्रोफोन, तार वाले उपकरणों के लिये इलेक्ट्रिक पिकअप, सेंसर, एक्ट्यूएटर, आवृत्ति मानक, पीज़ोइलेक्ट्रिक मोटर और नॉइज़ व वाइब्रेशन रिडक्शन आदि शामिल हैं।
- बहुलक/पॉलीमर:
- बहुलक एक बड़ा अणु है, जो सह-संयोजक बंधों द्वारा जुड़ी हुई उप-इकाइयों, जिन्हें एकलक/मोनोमर कहा जाता है, की शृंखलाओं या वलयों से बना होता है। उच्च आणविक द्रव्यमान के कारण सामान्यतः इनके उच्च गलनांक और क्वथनांक होते हैं।
- प्राकृतिक बहुलक में रेशम और DNA शामिल हैं, जबकि नायलॉन एवं पॉलीइथिलीन जैसे सिंथेटिक पॉलिमर हाइड्रो-कार्बन या जैव-आधारित स्रोतों से बनाए जाते हैं।
- बहुलक एक बड़ा अणु है, जो सह-संयोजक बंधों द्वारा जुड़ी हुई उप-इकाइयों, जिन्हें एकलक/मोनोमर कहा जाता है, की शृंखलाओं या वलयों से बना होता है। उच्च आणविक द्रव्यमान के कारण सामान्यतः इनके उच्च गलनांक और क्वथनांक होते हैं।
- पीज़ोइलेक्ट्रिक बहुलक:
- ये ऐसे बहुलक हैं, जो दाब में अपनी सतह पर विद्युत आवेश उत्पन्न कर सकते हैं और इस प्रकार यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकते हैं।
- उदाहरण: पॉली (विनाइलिडीन फ्लोराइड), जिसे PVDF, पॉली(विनाइलिडीन फ्लोराइड-ट्राइफ्लोरोइथिलीन) को-पॉलीमर या P(VDF-TrFE) के रूप में भी जाना जाता है।
- बहुलक नैनोकंपोज़िट्स: ये बहुलक मैट्रिक्स से बने पदार्थ हैं, जिन्हें नैनोमीटर आकार के योजकों के छोटे प्रतिशत के साथ संयोजित किया जाता है, जिसका उद्देश्य पॉलिमर के यांत्रिक, तापीय और विद्युतीय गुणों को बढ़ाना होता है।
- नैनोमटेरियल वह पदार्थ है, जिसके संरचनात्मक घटक नैनोमीटर पैमाने पर कम-से-कम एक आयाम अर्थात् 1-100 nm के होते हैं।
- नैनोकंपोज़िट दो या दो से अधिक विभिन्न पदार्थों से बना एक ठोस पदार्थ है, जिसमें से कम-से-कम एक पदार्थ का आयाम नैनोस्केल श्रेणी, विशेष रूप से 1 nm और 3 nm के बीच में होता है।
अध्ययन के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- शोधकर्त्ताओं का उद्देश्य यह अध्ययन करना था कि ज़रकोनिया नैनोकणों की विभिन्न क्रिस्टल संरचनाएँ मिश्रित सामग्री की पीज़ोइलेक्ट्रिक क्षमताओं को किस प्रकार प्रभावित करती हैं।
- प्रक्रिया:
- शोधकर्त्ताओं ने दो प्रकार के ज़रकोनिया आधारित धातु-कार्बनिक ढाँचे (Metal-Organic Frameworks- MOF) (UiO-66 और UiO-67) बनाए और उन्हें जिरकोनिया नैनोकणों में परिवर्तित किया।
- धातु-कार्बनिक ढाँचे (MOF) क्रिस्टलीय पदार्थ होते हैं, जो धातु आयनों या समूहों से बने होते हैं और कठोर कार्बनिक अणुओं से जुड़े होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक-विमीय, द्वि-विमीय या त्रि-विमीय संरंध्र संरचनाएँ बनती हैं।
- फिर इन नैनोकणों को पॉली (विनाइलिडीन डाइफ्लोराइड- PVDF) नामक पीज़ोइलेक्ट्रिक पॉलिमर के साथ मिश्रित करके पॉलिमर नैनोकम्पोज़िट फिल्में बनाई जाती हैं।
- शोधकर्त्ताओं ने दो प्रकार के ज़रकोनिया आधारित धातु-कार्बनिक ढाँचे (Metal-Organic Frameworks- MOF) (UiO-66 और UiO-67) बनाए और उन्हें जिरकोनिया नैनोकणों में परिवर्तित किया।
- निष्कर्ष:
- शोधकर्त्ताओं ने पाया कि नैनोकणों के पृष्ठीय गुण और क्रिस्टल संरचना ने पॉलिमर के पीज़ोइलेक्ट्रिक गुण को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
- व्यावहारिक अनुप्रयोग:
- सुरक्षा चेतावनी प्रणाली: ब्लूटूथ-आधारित सुरक्षा चेतावनी प्रणाली में एक पीज़ोइलेक्ट्रिक फुटपाथ प्रोटोटाइप का प्रयोग किया जाता है, जो पैरों के निशान (Footsteps) से वोल्टेज उत्पन्न करती है।
- यदि अनधिकृत प्रवेश का पता चलता है, तो सिस्टम सक्रिय हो जाता है और ब्लूटूथ के माध्यम से कनेक्टेड डिवाइस, जैसे कि एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर अलर्ट भेजता है।
- विद्युत उत्पादन: प्रोटोटाइप यांत्रिक ऊर्जा इनपुट से विद्युत ऊर्जा भी उत्पन्न कर सकता है।
- यह सुविधा विशेष रूप से स्मार्ट शहरों और स्वचालित सुरक्षा प्रणालियों में ऊर्जा उपयोग की दक्षता बढ़ाने में लाभदायक है।
- सुरक्षा चेतावनी प्रणाली: ब्लूटूथ-आधारित सुरक्षा चेतावनी प्रणाली में एक पीज़ोइलेक्ट्रिक फुटपाथ प्रोटोटाइप का प्रयोग किया जाता है, जो पैरों के निशान (Footsteps) से वोल्टेज उत्पन्न करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. विभिन्न उत्पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्त होने वाले कुछ रासायनिक तत्त्वों के नैनो-कणों के बारे में कुछ चिंता है। क्यों? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
भारत को लौटाई गईं गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियाँ
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में कतर की राजधानी दोहा में स्थित भारतीय दूतावास को गुरु ग्रंथ साहिब की दो प्रतियाँ (सरूप) लौटा दी गईं।
- दिसंबर, 2023 में कतर के अधिकारियों ने बिना अनुमति के धार्मिक प्रतिष्ठान संचालित करने के आरोपी व्यक्तियों से सिख धर्म की दो पवित्र पुस्तकों को ज़ब्त कर लिया था।
- सरूप के बारे में: यह श्री गुरु ग्रंथ साहिब की एक भौतिक प्रति है, जिसे पंजाबी में बीर (Bir) भी कहा जाता है।
- प्रत्येक बीर में 1,430 पृष्ठ होते हैं, जिन्हें अंग (Ang) कहा जाता है।
- सिख लोग गुरु ग्रंथ साहिब के सरूप को जीवित गुरु मानते हैं तथा इसका अत्यंत सम्मान करते हैं।
- गुरु अर्जन देव (5वें सिख गुरु) ने वर्ष 1604 में गुरु ग्रंथ साहिब की पहली बीर संकलित की और इसे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में स्थापित किया।
- बाद में गुरु गोबिंद सिंह (10वें सिख गुरु) ने गुरु तेग बहादुर (9वें सिख गुरु) द्वारा लिखे गए छंदों को इसमें जोड़ा और दूसरी तथा अंतिम बार बीर को संकलित किया।
- गुरु ग्रंथ साहिब के बारे में: यह छह सिख गुरुओं, 15 संतों (भगत कबीर, भगत रविदास, शेख फरीद और भगत नामदेव), 11 भट्ट (गाथाकारों) तथा चार सिखों द्वारा लिखे गए भजनों का एक संग्रह है।
- ये पद 31 रागों में रचित हैं।
- वर्ष 1708 में गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का जीवित गुरु (Living Guru) घोषित किया।
गुरु पद्मसंभव
स्रोत: पी.आई.बी.
नालंदा, बिहार में गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (International Buddhist Confederation- IBC) एवं नव नालंदा महाविहार द्वारा किया गया था।
- यह कार्यक्रम गुरु पद्मसंभव द्वारा बौद्ध शिक्षाओं को स्थानीय संस्कृतियों और परंपराओं के अनुकूल बनाने पर केंद्रित था।
- गुरु पद्मसंभव, जिन्हें गुरु रिनपोछे के नाम से भी जाना जाता है, 8वीं शताब्दी के एक ऋषि थे, जिनकी शिक्षाओं ने हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार को महत्त्वपूर्ण आयाम दिया। उन्हें दूसरा बुद्ध माना जाता है।
- तिब्बती बौद्ध धर्म के संस्थापकों में से एक गुरु पद्मसंभव 749 ई. में तिब्बत में प्रकट हुए थे। अन्य दो संस्थापक आचार्य शांत रक्षित और राजा थिसोंग देओत्सेन थे।
- तिब्बती बौद्ध धर्म भारत के महायान बौद्ध धर्म का वज्रयान (तांत्रिक) रूप है।
- न्यिंगमा संप्रदाय की शिक्षाएँ पद्मसंभव पर आधारित हैं। शिक्षाओं को नौ यानों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें ज़ोग्चेन (महा पूर्णता) सबसे महत्त्वपूर्ण है।
- ज़ोग्चेन ध्यान के माध्यम से परम चेतना पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि वज्रयान परंपरा में निर्वाण प्राप्त करने के लिये अनुष्ठान, प्रतीक और तांत्रिक अभ्यास शामिल हैं।
- IBC नई दिल्ली में स्थित एक बौद्ध संस्था है जो विश्व भर के बौद्धों के लिये एक साझा मंच के रूप में कार्य करती है। वर्तमान में 39 देशों के 320 से अधिक संगठन इसके सदस्य हैं।
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