प्रिलिम्स फैक्ट्स (26 Aug, 2025)



सर बानी यस द्वीप

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

अबू धाबी के सर बानी यस द्वीप पर स्थित प्राचीन स्थल से 1,400 वर्ष पुराना एक ईसाई क्रॉस (सलीब) प्राप्त हुआ है। इराक और कुवैत में ऐतिहासिक चर्च ऑफ द ईस्ट से जुड़ी हुई ऐसी ही कलाकृतियाँ खाड़ी क्षेत्र में सांस्कृतिक सद्भाव की विरासत की ओर संकेत करती हैं।

  • सर बानी यस द्वीप: यह अबू धाबी के अल धाफरा क्षेत्र के तट से दूर स्थित सबसे बड़ा द्वीप है। इसे वर्ष 1971 में एक प्राकृतिक अभयारण्य घोषित किया गया था तथा वर्तमान में यह अरेबियन वाइल्डलाइफ पार्क है, जहाँ पशु स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं और प्रजनन कार्यक्रम संचालित होते हैं।
    • सर बानी यस द्वीप का उल्लेख पहली बार यूरोपीय अभिलेखों में वर्ष 1590 में इतालवी व्यापारी गैसपारो बाल्बी ने ऐसे द्वीप के रूप में सूचीबद्ध किया था, जिसके आसपास अक्सर मोती पाए जाते थे। यह व्यापार 20वीं शताब्दी के आरंभ तक महत्त्वपूर्ण बना रहा।

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विट्ठलभाई पटेल

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

विट्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दिल्ली विधानसभा द्वारा अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन आयोजित किया गया।

  • प्रारंभिक जीवन: विट्ठलभाई पटेल, सरदार वल्लभभाई पटेल के भाई थे। इंग्लैंड में अध्ययन करने के बाद उन्होंने बंबई में वकालत की। 
  • राजनीतिक जीवन: वे बॉम्बे विधान परिषद (1912) और इंपीरियल विधान परिषद (1918) के सदस्य चुने गए। 
    • वर्ष 1922 में चौरी-चौरा घटना और असहयोग आंदोलन के स्थगन के बाद विट्ठलभाई पटेल ने कॉन्ग्रेस छोड़ दी और सी.आर. दास तथा मोतीलाल नेहरू के साथ मिलकर स्वराज पार्टी की स्थापना की। 
    • वर्ष 1924 में वे केंद्रीय विधानसभा के सदस्य बने और वर्ष 1925 में उसके पहले भारतीय अध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठित हुए। 

भारत की संसदीय परंपराओं के निर्माण में विट्ठलभाई पटेल की भूमिका 

  • संसद की सुरक्षा: संसद सुरक्षा के लिये वार्ड एंड वॉच प्रणाली की शुरुआत की, जिससे अध्यक्ष का नियंत्रण बना रहा और यह व्यवस्था वर्ष 2024 तक जारी रही। 
  • स्वतंत्र संसद सचिवालय: स्वतंत्र संसद सचिवालय की स्थापना की, जो केवल अध्यक्ष को रिपोर्ट करता था, जिससे स्वतंत्र सलाह और कार्यप्रणाली सुनिश्चित हुई। 
  • विधानसभा विभाग (1929): विधायी निकाय के लिये अलग विभाग के गठन का नेतृत्व किया, जिसने अध्यक्ष की स्वायत्तता को और सुदृढ़ किया। 

Vithalbhai Patel

और पढ़ें: भारत में संसदीय सुधार 

चावल की गुणवत्ता के आनुवंशिक निर्धारक

स्रोत: TH 

चीन के वैज्ञानिकों ने Chalk9 नामक जीन की खोज की है, जो धान में चॉकनेस (chalkiness) के लिये ज़िम्मेदार है। यह एक ऐसी विशेषता है जो दानों को भंगुर (टूटने योग्य) और मिलिंग के दौरान अपारदर्शी बना देती है, जिससे उपज और वाणिज्यिक मूल्य दोनों कम हो जाते हैं।

चावल की गुणवत्ता और अनुकूलता के अन्य प्रमुख आनुवंशिक निर्धारक: 

जीन/मात्रात्मक लक्षण लोकोस (Quantitative Trait Locus) 

कार्य (Function) 

लक्षण का महत्त्व  

Pi54, Pi9 

ब्लास्ट रोग प्रतिरोधक क्षमता 

व्यापक और सतत् रोग सहनशीलता के लिये प्रजनन (ब्रीडिंग) में उपयोग 

BADH2 

सुगंध नियंत्रण 

सुगंधित चावल के लिये विशिष्ट, प्रीमियम किस्मों का सूचक 

Sd1 

पौधे की ऊँचाई (अर्द्ध-बौना) 

हरित क्रांति के लिये केंद्रीय, उपज बढ़ाता है और गिरने (lodging) की समस्या घटाता है 

Saltol QTL 

लवण सहनशीलता (अंकुरण अवस्था में) 

तटीय और लवणीय क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण, स्ट्रेस-रेसिलिएंट किस्मों के प्रजनन में प्रमुख 

चावल: 

  • चावल अधिकांश भारतीयों का मुख्य भोजन है, जिसकी खेती कुल फसल क्षेत्र के लगभग 25% भाग पर की जाती है तथा भारत विश्व स्तर पर चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक तथा विश्व स्तर पर चावल का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। 
  • यह एक खरीफ फसल है जिसे उच्च तापमान (>25°C), उच्च आर्द्रता, 75-125 सेमी वर्षा और पर्याप्त धूप की आवश्यकता होती है। इष्टतम तापमान 30°C दिन/20°C रात है, जो थोड़े समय के लिये 40°C तक तापमान के अनुकूल है। 
  • यह अच्छी जल धारण क्षमता और जल निकासी वाली pH 5.5-6.5 वाली मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उत्पादित होता है। 
  • प्रमुख उत्पादक: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब। 
और पढ़ें.चावल-गेहूँ उत्पादन का पृथक्करण 

नेपाल ‘इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ में शामिल

स्रोत: HT

नेपाल आधिकारिक तौर पर ‘इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ (IBCA) का सदस्य बन गया है

‘इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ (IBCA)

  • भारत के नेतृत्व में बड़ी बिल्लियों की सात प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिये समर्पित 90 से ज़्यादा बड़ी बिल्लियों वाले देशों और गैर-बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में रुचि रखने वाले देशों का एक बहु-देशीय, बहु-एजेंसी गठबंधन है। 
    • इसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में प्रस्तावित किया गया था तथा अप्रैल 2023 में आधिकारिक रूप से (मैसूर, कर्नाटक) में प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगाँठ पर लॉन्च किया गया। 
  • संस्थापक सदस्य (16): भारत, आर्मेनिया, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, इक्वाडोर, केन्या, मलेशिया, मंगोलिया, नेपाल, नाइजीरिया, पेरू, सूरीनाम और युगांडा। 
  • केंद्रित प्रजातियाँ: बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जैगुआर, प्यूमा।  
    • भारत इन 7 में से 5 की मेजबानी करता (प्यूमा और जैगुआर भारत में नहीं पाए जाते) है। 
  • उद्देश्य: अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकना, प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करना, वित्तीय और तकनीकी संसाधनों को जुटाना तथा बड़े बिल्लियों (Big Cats) पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना। 
  • शासन व्यवस्था: यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के मॉडल पर आधारित है और इसमें मुख्य निर्णय लेने वाली संस्था के रूप में सदस्यों की एक महासभा, नीति क्रियान्वयन के लिये एक स्थायी समिति तथा भारत (नई दिल्ली) में स्थित एक सचिवालय शामिल है।

और पढ़ें: इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ (IBCA)