प्रिलिम्स फैक्ट्स (26 Apr, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट: 26 अप्रैल, 2021

हार्लेक्विन इचथ्योसिस: दुर्लभ आनुवंशिक विकार

Harlequin Ichthyosis: Rare Genetic Disorder

हाल ही में ओडिशा ने अपने राज्य का पहला नवजात बच्चों में  होने वाले हर्लेक्विन इचथ्योसिस (Harlequin Ichthyosis) का मामला दर्ज किया। यह त्वचा का एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है।

  • भारत का पहला ‘हार्लेक्विन इचथ्योसिस’ का मामला वर्ष 2016 में नागपुर, महाराष्ट्र के एक निजी अस्पताल में दर्ज किया गया था।

प्रमुख बिंदु

हार्लेक्विन इचथ्योसिस के विषय में:

  • हार्लेक्विन इचथ्योसिस नवजात शिशुओं को होने वाला एक दुर्लभ आनुवंशिक त्वचा विकार है।
  • यह एक प्रकार का इचथ्योसिस है। यह उन विकारों के एक समूह को संदर्भित करता है जो पूरे शरीर में लगातार सूखी और पपड़ीदार त्वचा का कारण बनता है।
  • यह विकार माता-पिता से नवजात को ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न (Autosomal Recessive Pattern) से प्राप्त होता है।

ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न

  • ऑटोसोमल (जिसका अर्थ है विरासत में मिला) रिसेसिव पैटर्न एक तरीका है, जिसके अंतर्गत आनुवंशिक विशेषता को माता-पिता से बच्चे तक पहुँचाया जा सकता है।
  • बच्चे में यह आनुवंशिक स्थिति तब हो सकती है जब वह माता-पिता से उत्परिवर्तित (परिवर्तित) जीन की एक प्रति विरासत में लेता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को एक सामान्य जीन और एक असामान्य जीन प्राप्त होता है तो वह व्यक्ति इस बीमारी का वाहक होगा।
  •  इस विकार का जोखिम किसी नवजात बच्चे में वाहक माता-पिता से 50% है। किसी बच्चे को माता-पिता दोनों से सामान्य जीन प्राप्त करने का मौका 25% है। यह जोखिम पुरुषों और महिलाओं में समान होता है।

कारण:

  • यह विकार ABCA12 जीन में परिवर्तन (उत्परिवर्तन) के कारण हो सकता है।
  • ABCA12 जीन प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है जो सामान्य रूप से त्वचा की कोशिकाओं के विकास हेतु आवश्यक होती है।
  • यह वसा (Lipid) को त्वचा की सबसे सतही परत (Epidermis) में परिवर्तन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे एक प्रभावी त्वचा अवरोधक बनता है।
    • इस जीन को जब उत्परिवर्तित किया जाता है तो त्वचा की अवरोधक क्षमता नष्ट होने लगती है।

प्रभाव:

  • नवजात शिशुओं की टूटी-फूटी त्वचा को पतली परतों से ढक दिया जाता है ताकि श्वास और खाने की प्रक्रिया बाधित नहीं हो।
  • शीघ्र प्रसव से नवजातों को समय से पूर्व जन्म से होने वाली जटिलताओं का खतरा रहता है।

प्रभावित जनसंख्या:

  • इससे पुरुषों और महिलाओं की संख्या समान रूप से प्रभावित होती है।
  • इससे प्रत्येक 5,00,000 व्यक्तियों में लगभग एक व्यक्ति प्रभावित रहता है।
  • पूरे विश्व में ऐसे लगभग 250 मामले हैं।

इलाज़:

  • हार्लेक्विन इचथ्योसिस वाले नवजात शिशु को अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है, जिसके अंतर्गत उच्च आर्द्रता के साथ गर्म इनक्यूबेटर में समय बिताना भी शामिल है।

संबंधित विकार:

  • लेमलर इचथ्योसिस (Lamellar Ichthyosis) एक आनुवंशिक त्वचा विकार है, जिसकी वजह से त्वचा में दरारें, काले निशान आदि बनने लगते हैं।
    • इसके लक्षण भी हार्लेक्विन इचथ्योसिस के समान ही हैं।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अप्रैल, 2021

विश्व मलेरिया दिवस 

प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को वैश्विक स्तर पर मलेरिया जैसी घातक बीमारी के संबंध में जागरूकता फैलाने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘विश्व मलेरिया दिवस’ का आयोजन किया जाता है। विश्व मलेरिया दिवस पर विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनका उद्देश्य मलेरिया को लेकर जागरूकता फैलाने के लिये सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों, समुदायों और आम जनमानस के बीच सहयोग स्थापित करना है। वर्ष 2021 में विश्व मलेरिया दिवस की थीम 'शून्य मलेरिया लक्ष्य तक पहुँचना' रखी गई है। विश्व मलेरिया दिवस का विचार मूल रूप से ‘अफ्रीकी मलेरिया दिवस’ से विकसित हुआ है। अफ्रीकी मलेरिया दिवस, वर्ष 2001 के बाद से अफ्रीकी देशों की सरकारों द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 2007 में, विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र के दौरान अफ्रीका मलेरिया दिवस को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में परिवर्तित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह ‘प्लास्मोडियम परजीवियों’ के कारण होने वाला एक मच्छर जनित रोग है। यह परजीवी संक्रमित मादा ‘एनोफिलीज़ मच्छर’ के काटने से फैलता है। ‘विश्व मलेरिया रिपोर्ट’ 2020 के मुताबिक, विश्व स्तर पर मलेरिया के लगभग 229 मिलियन मामले प्रतिवर्ष सामने आते हैं। हालाँकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। रिपोर्ट की मानें तो भारत एकमात्र उच्च स्थानिक देश है, जिसने वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 17.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है।

पनडुब्बी ‘केआरआई नांगला’ 

इंडोनेशियाई नौसेना ने हाल ही में इंडोनेशियाई पनडुब्बी ‘केआरआई नांगला’ (KRI Nanggala) के गहरे समुद्र में डूबने की सूचना दी है, जो कि बीते दिनों अपने 53 चालक दल के सदस्यों के साथ बाली (इंडोनेशिया) के पास से लापता हो गई थी। इंडोनेशिया की यह पनडुब्बी 21 अप्रैल, 2021 को एक टारपीडो ड्रिल के आयोजन के दौरान लापता हुई थी, हालाँकि इंडोनेशिया की नौसेना ने पनडुब्बी के गायब होने के कारणों को स्पष्ट नहीं किया है। 1,300 टन वजन वाली ‘केआरआई नांगला-402’ जर्मनी की ‘टाइप-209 डीज़ल-इलेक्ट्रिक अटैक’ पनडुब्बी है। इसका निर्माण वर्ष 1978 में शुरू हुआ था और इंडोनेशिया को यह पनडुब्बी अक्तूबर 1981 में प्राप्त हुई थी। ‘नांगला’ जैसी पनडुब्बियों में कम-से-कम 260 मीटर को एक सुरक्षित गहराई माना जाता है। इसके नीचे की गहराई को ‘क्रश डेप्थ’ के रूप में जाना जाता है, जहाँ पानी का वजन इतना अधिक हो जाता है कि उसे सहना पनडुब्बी के लिये लगभग असंभव होता है। नौसेना द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक, सोनार स्कैन ने 850 मीटर (2,790 फीट) की गहराई पर पनडुब्बी का पता लगाया है, जो कि ‘नांगला’ की डाइविंग रेंज से काफी नीचे है और ‘क्रश डेप्थ’ में शामिल है। नवीनतम दुर्घटना से पूर्व इंडोनेशियाई नौसेना के पास कुल पाँच पनडुब्बियाँ थीं, जिसमें दो जर्मन निर्मित ‘टाइप-209’ पनडुब्बियाँ और तीन दक्षिण कोरियाई निर्मित पनडुब्बियाँ शामिल थीं।

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को ‘विश्व बौद्धिक संपदा दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य ‘रोज़मर्रा के जीवन पर पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क तथा डिज़ाइन आदि के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक समाज के विकास में रचनात्मकता तथा नवोन्मेष के महत्त्व को रेखांकित करना है। विश्व बौद्धिक संपदा दिवस की शुरुआत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा बौद्धिक संपदा (IP) के संबंध में आम जनमानस के बीच समझ विकसित करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2000 में की गई थी। 26 अप्रैल, 1970 को ही ‘WIPO कन्वेंशन’ लागू हुआ था। विदित हो कि वैश्विक स्तर पर रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘विश्व बौद्धिक संपदा संगठन’ का गठन किया गया है। WIPO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। भारत वर्ष 1975 में WIPO का सदस्य बना था। बौद्धिक संपदा के अंतर्गत ऐसी संपत्तियों को शामिल किया जाता है, जो मानव बुद्धि द्वारा निर्मित होती हैं और जिन्हें छूकर महसूस नहीं किया जा सकता है। इसमें मुख्य तौर पर कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क आदि को शामिल किया जाता है।

ऑक्सीजन परिवहन करने वाले जहाज़ों के लिये शुल्क में छूट

केंद्र सरकार ने देश भर के सभी प्रमुख बंदरगाहों को कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में हो रही बढ़ोतरी के मद्देनज़र ऑक्सीजन और उससे संबंधित उपकरणों को ले जाने के लिये सभी शुल्क माफ करने का निर्देश दिया है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, सभी प्रमुख बंदरगाहों पर मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, ऑक्सीजन टैंक, ऑक्सीजन बोतल, पोर्टेबल ऑक्सीजन जनरेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खेप ले जाने वाले जहाजों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी और उनसे किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा सरकार ने हाल ही में कोरोना वैक्सीन के आयात के साथ-साथ मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन और संबंधित उपकरणों के लिये भी सीमा शुल्क पर छूट देने की घोषणा की है। ध्यातव्य है कि कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आई है, इस स्थिति को मद्देनज़र विभिन्न संस्थानों पर अपने-अपने स्तर पर प्रयास किया जा रहा है, उदाहरण के लिये भारतीय रेलवे द्वारा हाल ही में ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ की शुरुआत की है।