धरती आबा जनभागीदारी अभियान
स्रोत: पीआई.बी
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने धरती आबा जनभागीदारी अभियान (DAJA) शुरू किया है, जो अब तक का सबसे बड़ा जनजातीय सशक्तीकरण अभियान है। यह अभियान 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फैले 1 लाख से अधिक जनजातीय गाँवों तक पहुँच रहा है, जिसमें 207 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) ज़िले भी शामिल हैं।
- यह अभियान शिविर-आधारित और समुदाय-प्रेरित मॉडल पर आधारित है, जिसमें ज़िला प्रशासन, युवाओं के स्वयंसेवी, नागरिक समाज संगठन (CSO) और जनजातीय अभिकर्त्ताओं की सक्रिय भागीदारी होती है।
धरती आबा जनभागीदारी अभियान (DAJA)
- परिचय: जनजातीय गौरव वर्ष के अंतर्गत शुरू किया गया यह एक राष्ट्रव्यापी जनजातीय सशक्तीकरण अभियान है, जो विशेष रूप से दूरस्थ क्षेत्रों और विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) की बस्तियों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के लिये है।
- 15 नवम्बर को जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को सम्मान देने और उनकी 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष 2021 से जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया गया।
- इसके अतिरिक्त, जनजातीय गौरव वर्ष (15 नवंबर 2024-15 नवंबर 2025) को जनजातीय गौरव, पहचान और प्रगति के एक वर्ष तक चलने वाले उत्सव के रूप में शुरू किया गया है।
- DAJA के 5 स्तंभ:
- जनभागीदारी: समुदाय-आधारित सहभागिता
- परिपूर्णता: हर पात्र परिवार को अधिकार प्राप्त होंगे
- सांस्कृतिक समावेशन: जनजातीय भाषाओं, कलाओं और परंपराओं को सम्मिलित करना
- अभिसरण: मंत्रालय, नागरिक समाज संगठनों, युवा समूह का एक साथ कार्य करना
- अंतिम मील वितरण: दूरस्थ जनजातीय बस्तियों तक सेवा वितरण
- उद्देश्य: आधार, आयुष्मान भारत, पीएम-किसान, पीएम उज्ज्वला योजना, जन धन और जनजातीय-विशिष्ट अधिकारों जैसी सभी केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाना।
- यह पीएम-जनमन और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA) जैसी प्रमुख पहलों का भी समर्थन करता है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह अभियान जनजातीय विरासत का उत्सव मनाता है और बिरसा मुंडा (धरती आबा) को जनजातीय गौरव एवं प्रतिरोध का प्रतीक मानते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
जनजातीय कल्याण की अन्य योजनाएँ:
और पढ़ें: DAJGUA, EMRS और पीएम-जनमन के तहत जनजातीय कल्याण परियोजनाओं की शुरूआत
थर्स्ट वेव्स
स्रोत: द हिंदू
ग्लोबल वार्मिंग से वायु में थर्स्ट/शुष्कता में वृद्धि हो रही है, जिससे वाष्पीकरण की मांग बढ़ने से भूमि और पौधों में शुष्कता बढ़ रही है, इस घटना को थर्स्ट वेव्स कहा जाता है।
थर्स्ट वेव्स
- परिचय: थर्स्टवेव शब्द को मीतपाल कुकल और माइक हॉबिन्स द्वारा दिया गया है। इसका आशय लगातार तीन या अधिक दिनों की अवधि तक वायुमंडलीय वाष्पीकरण की तीव्र मांग बढ़ने की प्रक्रिया है, जिससे यह प्रदर्शित होता है कि थर्स्ट वेव्स में वृद्धि हो गई है।
- कारण: थर्स्ट वेव तापमान, आर्द्रता, सौर विकिरण और वायु की गति से प्रभावित होती हैं, जबकि हीटवेव मुख्य रूप से तापमान और वायु से प्रेरित होती हैं।
- मापन: इसे लघु-फसल वाष्पीकरण (Short-Crop Evapotranspiration) के माध्यम से मापा जाता है, जिसके तहत अच्छी तरह से जल वाली 12-सेमी घास की सतह से जल की हानि को मापा जाता है।
- वाष्पोत्सर्जन में वृद्धि उच्च तापमान, कम आर्द्रता, वायु गति में वृद्धि और सौर विकिरण का संकेतक है।
- प्रभाव: अधिक तीव्र थर्स्ट वेव्स के कारण मृदा की नमी तेज़ी से नष्ट होती है, सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है तथा फसल पर तनाव में वृद्धि से उपज में कमी का खतरा बढ़ जाता है।
- थर्स्ट वेव्स और भारत: अध्ययनों से पता चलता है कि उत्तरी भारत और पश्चिमी/पूर्वी हिमालय सहित भारत के कुछ हिस्सों में वाष्पीकरण में वृद्धि हो रही है, जो कृषि विस्तार और वनस्पति विकास से प्रेरित है।
- अतीत में उच्च आर्द्रता ने बढ़ते तापमान के प्रभाव को संतुलित करने में मदद की थी लेकिन भविष्य में तापमान वृद्धि से वाष्पीकरण मांग में और वृद्धि होने का अनुमान है।
और पढ़ें: हीटवेव एक अधिसूचित आपदा के रूप में
होर्मुज जलडमरूमध्य
स्रोत: द हिंदू
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं ( नैटान्ज़, इस्फ़हान और फोराड (Fordow) ) को निशाना बनाया। जवाबी कार्रवाई में ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी।
- अमेरिकी हमले में B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स, GBU-57 बंकर बस्टर बम (मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर्स) और टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया।
होर्मुज़ जलडमरूमध्य के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है जिसकी चौड़ाई लगभग 55 से 95 किलोमीटर के बीच है। यह ईरान एवं अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है और फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी तथा अरब सागर से जोड़ता है।
- यह मार्ग फारस की खाड़ी के देशों से वैश्विक तेल और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के निर्यात के लिये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण मार्ग के रूप में कार्य करता है।
- वैश्विक ऊर्जा निर्भरता: यह वैश्विक तेल परिवहन के लिये एक महत्त्वपूर्ण मार्ग है जो विश्व की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 20-25% वहन करता है। वर्ष 2024 में, लगभग 20 मिलियन बैरल तेल प्रति दिन इसके माध्यम से गुजरा था।
- इस जलडमरूमध्य का उपयोग करने वाले प्रमुख तेल निर्यातकों में सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और कतर शामिल हैं, जबकि इस तेल का 80% से अधिक हिस्सा एशियाई बाज़ारों, मुख्य रूप से भारत, चीन, जापान तथा दक्षिण कोरिया को जाता है।
- भारत की निर्भरता: भारत का लगभग 40% कच्चा तेल आयात और लगभग 54% LNG आयात इसी मार्ग से होकर गुजरता है।
- ऐतिहासिक तनावपूर्ण क्षण: हालाँकि हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य का पूर्ण रूप से बंद होना इतिहास में कभी नहीं हुआ है, लेकिन इस क्षेत्र ने कई महत्त्वपूर्ण व्यवधानों और तनावपूर्ण घटनाओं को अवश्य देखा है।
- ईरान-इराक युद्ध (1980-88) के दौरान, दोनों पक्षों ने खाड़ी क्षेत्र में तेल टैंकरों और मालवाहक ज़हाजों पर हमला किया, जिसे टैंकर युद्ध कहा गया।
- 2019 में ईरान ने एक ब्रिटिश टैंकर को ज़ब्त किया था और वह भौगोलिक-राजनीतिक तनावों के दौरान, विशेष रूप से 2011–12 में और 2018 के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते, बार-बार हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करने की धमकी देता रहा है।
- वैकल्पिक मार्ग और पाइपलाइनें: सऊदी अरब (ARAMCO के माध्यम से) और संयुक्त अरब अमीरात ने ऐसी पाइपलाइनें विकसित की हैं, जो हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को दरकिनार कर देती हैं। वहीं ईरान गोहरे-जास्क पाइपलाइन और जास्क टर्मिनल का उपयोग कर सीधे ओमान की खाड़ी में तेल निर्यात करता है।
B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स
- परिचय: यह एक अमेरिकी वायुसेना का रणनीतिक स्टेल्थ बॉम्बर है, जो अपनी लंबी दूरी (6,000 मील), कम अवलोकनीयता और सटीक हमला क्षमताओं के लिये प्रसिद्ध है।
- यह अब तक निर्मित सबसे उन्नत और उच्च-लागत वाला विमान है, जिसकी प्रति इकाई लागत 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- विकास एवं प्रेरण: नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन द्वारा विकसित B-2 ने जुलाई 1989 में अपनी पहली उड़ान भरी तथा 1997 में परिचालन सेवा में प्रवेश किया।
- कुल 21 B-2 बॉम्बर का निर्माण किया गया, जिनमें से 19 वर्तमान में सक्रिय सेवा में हैं।
- इसके चमगादड़ जैसे फ्लाइंग-विंग डिज़ाइन के कारण यह शत्रु की वायु रक्षा प्रणाली से बच निकलने और पता नहीं चलने में सक्षम है।
- लड़ाकू उपयोग एवं रणनीतिक भूमिका: B-2 बॉम्बर का पहला उपयोग वर्ष 1999 के कोसोवो युद्ध में हुआ था। इसके बाद इसे इराक, अफगानिस्तान, लीबिया, यमन और ईरान में भी तैनात किया गया है।
मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर्स (GBU-57)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके द्वारा भारत एवं पूर्वी एशिया के बीच नौ संचालन समय (नेविगेशन टाइम) और दूरी अत्यधिक कम किये जा सकते हैं? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?(a) केवल 1 उत्तर: B प्रश्न: यदि कोई व्यक्ति मलक्का जलडमरूमध्य से होकर यात्रा करता है तो उसे निम्नलिखित में से कौन-सा एक मिल सकता है? (2010) (a) बाली उत्तर: (d) |
स्टेट ऑफ क्लाइमेट इन एशिया, 2024 रिपोर्ट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा जारी "स्टेट ऑफ क्लाइमेट इन एशिया, 2024" रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में एशिया वैश्विक औसत की तुलना में लगभग दो गुना अधिक तेज़ी से गर्म हुआ, जिससे यह वर्ष रिकॉर्ड में अब तक का सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष बन गया।
- मुख्य निष्कर्ष:
- अभूतपूर्व तापमान वृद्धि: वर्ष 2024 में एशिया का तापमान वर्ष 1991–2020 की औसत सीमा से 1.04°C अधिक दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 1961–1990 के मुकाबले तापवृद्धि की दर दोगुनी हो गई।
- हीटवेव: भारत में अत्यधिक हीटवेव के कारण 450 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। तापमान कई क्षेत्रों में 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। इसके साथ ही, आँधियों और बिजली गिरने की घटनाओं ने कुल मिलाकर लगभग 1,300 लोगों की मृत्यु हुई।
- समुद्री हीटवेव ने लगभग 15 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को प्रभावित किया, जिसमें विशेष रूप से उत्तरी हिंद महासागर तथा जापान और चीन के निकटवर्ती समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात: एशिया में वर्ष 2024 में कुल 29 उष्णकटिबंधीय चक्रवात आए, जिनमें सबसे घातक चक्रवात यागी था, जिसने फिलीपींस, वियतनाम, हॉन्गकॉन्ग, मकाऊ, चीन, लाओस, थाईलैंड और म्याँमार को प्रभावित किया।
- भारतीय उपमहाद्वीप चक्रवात रेमल, फेंगल, दाना और असना से प्रभावित हुआ।
- हिमनदों का निवर्तन: हिमालय, पामीर, काराकोरम और हिंदू कुश सहित उच्च पर्वतीय एशिया के 24 में से 23 हिमनदों में द्रव्यमान की कमी दर्ज की गई, और तियान शान स्थित उरूमकी ग्लेशियर नंबर 1 में वर्ष 1959 के बाद से सबसे अधिक पिघलन दर्ज की गई।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), जिसका मुख्यालय जिनेवा में स्थित है, एक अंतर-सरकारी संस्था है जिसमें भारत सहित 193 सदस्य राष्ट्र और क्षेत्र शामिल हैं।
- यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से विकसित हुआ है, जिसकी स्थापना 1873 के वियना कॉन्ग्रेस के बाद की गई थी।
और पढ़ें: वैश्विक जलवायु स्थिति, 2023: WMO
वर्ष 2026 में होगा भारत का प्रथम घरेलू आय सर्वेक्षण
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत सरकार का सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) वर्ष 2026 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के माध्यम से देश का पहला व्यापक घरेलू आय सर्वेक्षण आयोजित करेगा।
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) का संचालन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के फील्ड ऑपरेशंस डिवीज़न द्वारा किया जाता है, जिसे पहले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के नाम से जाना जाता था।
अखिल भारतीय घरेलू आय सर्वेक्षण
- परिचय: घरेलू आय सर्वेक्षण एक बड़े पैमाने पर सांख्यिकीय अभ्यास है जिसका उद्देश्य मज़दूरी, वेतन, व्यवसाय, कृषि, संपत्ति और प्रेषण जैसे विभिन्न स्रोतों से परिवारों द्वारा अर्जित आय पर विश्वसनीय डेटा एकत्र करना है।
- इसका उद्देश्य आय और उपभोग के बीच ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करना है, जिसके लिये अमेरिका के करंट पॉपुलेशन सर्वे, कनाडा के इनकम सर्वे और ऑस्ट्रेलिया के इनकम एंड हाउसिंग सर्वे जैसी वैश्विक सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा।
- भारत में पहली बार, यह सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी के वेतन पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करेगा, जिसमें असंगठित क्षेत्र की आय और प्रौद्योगिकी आधारित आय सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- उद्देश्य: यह सर्वेक्षण आय के स्तर, वितरण के पैटर्न और संरचनात्मक विषमताओं से संबंधित सटीक डेटा एकत्र करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, ताकि आर्थिक नीतिनिर्माण और कल्याणकारी योजनाओं की बेहतर रूपरेखा तैयार की जा सके।
- पृष्ठभूमि: 1950 से अब तक भारत में किसी भी राष्ट्रव्यापी आय सर्वेक्षण का आयोजन नहीं किया गया है, जिसका प्रमुख कारण संचालन संबंधी चुनौतियाँ और डेटा असंगतियाँ रही हैं, विशेष रूप से घोषित आय और उपभोग-बचत डेटा के बीच असंगति।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)
- NSO केंद्रीय सांख्यिकी एजेंसी है, जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अंतर्गत कार्य करती है। इसे वर्ष 2019 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) का विलय करके गठित किया गया था।
- NSO प्रमुख सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण जैसे आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) और उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण का संचालन करता है, साथ ही राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (National Accounts Statistics) भी तैयार करता है।
और पढ़ें: बुनियादी आर्थिक डेटा, भारत की सांख्यिकी प्रणाली को सुदृढ़ करना