राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियाँ
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड राज्यपाल ने समान नागरिक संहिता (UCC) और धार्मिक स्वतंत्रता एवं अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2018 में संशोधन संबंधी विधेयकों को तकनीकी और कानूनी कमियों का हवाला देते हुए वापस भेज दिया है, जिससे राज्यपाल की शक्तियों के दायरे पर ध्यान फिर से केंद्रित हो गया है।
सारांश
- उत्तराखंड राज्यपाल द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) में संशोधन विधेयकों को वापस भेजने के कदम ने राज्यपालों की संवैधानिक शक्तियों, विशेषकर अनुच्छेद 200 के तहत राज्य विधेयकों को वापसी या अनुमोदन रोकने के अधिकार पर फिर से ध्यान केंद्रित कर दिया है।
- हालाँकि राज्यपाल मुख्यतः मंत्रीमंडल की सलाह पर संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है, उसकी विधायी और विवेकाधीन शक्तियाँ संवैधानिक सुरक्षा के रूप में हैं, लेकिन इनके प्रयोग से अक्सर संघवाद, लोकतांत्रिक जवाबदेही और केंद्र–राज्य संबंधों पर बहस हो जाती है।
राज्यपाल से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- राज्यपाल का संवैधानिक पद: अनुच्छेद 153 के तहत राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और अनुच्छेद 154 के तहत राज्य की कार्यकारी शक्ति उसमें निहित होती है। वह केंद्र और राज्य के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
- नियुक्ति, स्थिति और योग्यता: किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर के तहत की जाती है (अनुच्छेद 155)।
- राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के लिये व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिये और उसकी आयु 35 वर्ष पूरी होनी चाहिये (अनुच्छेद 157)।
- राज्यपाल विधानमंडल या संसद का सदस्य नहीं हो सकता; किसी लाभकारी पद पर नहीं रह सकता तथा उसे पारिश्रमिक और भत्ते प्राप्त होंगे (अनुच्छेद 158)।
- प्रत्येक राज्यपाल और राज्यपाल के कर्त्तव्यों का निर्वहन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति शपथ या पुष्टि ग्रहण करेगा (अनुच्छेद 159)।
- विधायी शक्तियाँ: राज्यपाल को अनुच्छेद 174 से 176 के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण विधायी कार्य प्राप्त हैं, जिनमें विधानसभा को आहूत करना, सत्रावसान करना और भंग करना, सदन को संबोधित करना तथा उसे संदेश भेजना शामिल है।
- अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल विधेयकों को स्वीकृति दे सकता है, स्वीकृति रोक सकता है, पुनर्विचार के लिये (धन विधेयकों को छोड़कर) वापस भेज सकता है या राष्ट्रपति के विचार के लिये आरक्षित कर सकता है।
- राज्यपाल स्वीकृति रोककर पूर्ण वीटो तथा किसी गैर-धन विधेयक को पुनर्विचार हेतु लौटाकर निलंबनकारी वीटो का प्रयोग करता है। हालाँकि, राज्यपाल के पास पॉकेट वीटो की शक्ति नहीं होती।
- कार्यकारी शक्तियाँ: अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल मंत्री परिषद की सलाह पर कार्य करता है, सिवाय विवेकाधीन मामलों के।
- अनुच्छेद 164 के अंतर्गत वह मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है, अनुच्छेद 165 के तहत राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति करता है और अनुच्छेद 166 के अनुसार राज्य की सभी कार्यकारी कार्रवाइयाँ राज्यपाल के नाम पर की जाती हैं।
- वित्तीय शक्तियाँ:
- अनुच्छेद 202: राज्यपाल वार्षिक वित्तीय विवरण (राज्य बजट) को विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करवाता है।
- अनुच्छेद 203(3): राज्यपाल की अनुशंसा के बिना अनुदानों की कोई भी मांग प्रस्तुत नहीं की जा सकती।
- अनुच्छेद 205: राज्यपाल अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदानों को सदन के समक्ष प्रस्तुत करवाता है।
- अध्यादेश जारी करने की शक्ति: अनुच्छेद 213 के तहत, जब विधानमंडल सत्र में न हो और तत्काल कार्रवाई आवश्यक हो, तब राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है।
- न्यायिक संबंधी शक्तियाँ: अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल क्षमादान संबंधी शक्तियों का प्रयोग करता है, जिसमें क्षमा, दंड-परिवर्तन आदि शामिल हैं।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में उससे परामर्श किया जाता है तथा अनुच्छेद 217 के तहत न्यायाधीश राज्यपाल के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान लेते हैं।
नोट: सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने अनुच्छेद 143 के तहत 16वें राष्ट्रपति संदर्भ पर दी गई अपनी परामर्शात्मक राय में यह निर्णय दिया कि राज्य विधेयकों को स्वीकृति देने के लिये राष्ट्रपति या राज्यपाल पर समय-सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती, क्योंकि ऐसा करना संघवाद और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है और उसका संवैधानिक पद क्या है?
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 155 के तहत की जाती है और वह अनुच्छेद 153–154 के अंतर्गत राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है।
2. किसी विधेयक को स्वीकृति के लिये प्रस्तुत किये जाने पर राज्यपाल के पास कौन-कौन से विकल्प होते हैं?
अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल विधेयक को स्वीकृति दे सकता है, स्वीकृति रोक सकता है, (धन विधेयकों को छोड़कर) पुनर्विचार के लिये वापस भेज सकता है या उसे राष्ट्रपति के लिये आरक्षित कर सकता है।
3. क्या राज्यपाल को राज्य विधेयकों पर पॉकेट वीटो का अधिकार प्राप्त है?
नहीं, राज्यपाल के पास पूर्ण और निलंबनकारी वीटो की शक्तियाँ होती हैं, लेकिन उसे पॉकेट वीटो का अधिकार प्राप्त नहीं है।
4. राज्य के वित्तीय मामलों में राज्यपाल की क्या भूमिका होती है?
राज्यपाल राज्य बजट को विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करवाता है और यह सुनिश्चित करता है कि उसकी अनुशंसा के बिना अनुदानों की कोई मांग न की जाए।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारतीय राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथन पर विचार कीजिये: (2025)
I. किसी राज्य का राज्यपाल अपने पद की शक्तियों और दायित्वों के प्रयोग और निष्पादन के लिये किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है।
II. राज्यपाल के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान कोई दांडिक कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी या जारी नहीं रखी जाएगी।
III. किसी राज्य विधान-मंडल के सदस्य सदन के अंदर कही गई किसी भी बात के लिये किसी भी न्यायालय में कार्यवाही के लिये दायी नहीं हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-कौन से सही हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
प्रश्न. निम्नलिखित कथन पर विचार कीजिये: ( 2025)
I. भारत के संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि कतिपय बातों में किसी राज्य का राज्यपाल अपने विवेकानुसार कार्य करता है।
II. भारत का राष्ट्रपति, अपने आप, किसी राज्य विधान-मंडल द्वारा पारित विधेयक को भले ही वह संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा न भेजा गया हो,अपने विचार के लिये आरक्षित कर सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा /कौन-से सही है /हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) न तो I और न ही II
उत्तर: (a)
सीरिया में अमेरिकी ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक
अमेरिका ने सीरिया में ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक शुरू की, जिसमें पल्मायरा में अमेरिकी सेना पर हुए हमले के सीधे जवाब में इस्लामिक स्टेट (IS) के बुनियादी ढाँचे और हथियार स्थलों को निशाना बनाया गया, जो एक मज़बूत आतंकवाद विरोधी प्रतिक्रिया का संकेत है।
- IS, जिसे ISIS (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नी चरमपंथी आतंकवादी संगठन है जिसने खुद को एक अखिल-इस्लामिक खिलाफत घोषित किया है, जो इराक में अल-कायदा से उभरा है तथा जिसका ऐतिहासिक परिचालन केंद्र उत्तरी इराक और सीरिया में है।
- इस संगठन ने मानवता के विरुद्ध व्यापक अपराध किये हैं, जिनमें नरसंहार, सामूहिक हत्याएँ, यौन दासता और आतंकवाद जैसे जघन्य कृत्य शामिल हैं।
- भारत में इस्लामिक स्टेट (IS) और इसके सभी स्वरूप गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UPA) के तहत प्रतिबंधित हैं।
- सीरिया: यह पश्चिम एशिया में स्थित है, जिसके उत्तर में तुर्की, पूर्व में इराक, दक्षिण में जॉर्डन तथा पश्चिम में इज़राइल और लेबनान स्थित हैं। इसकी तटरेखा भूमध्य सागर के साथ लगती है।
- इसके भौगोलिक क्षेत्र में सीरियाई रेगिस्तान, यूफ्रेट्स नदी घाटी और लेबनान सीमा के साथ स्थित एंटी-लेबनान पर्वत शृंखला शामिल है, जिसमें माउंट हर्मोन इसका सबसे ऊँचा स्थान है।
- प्रमुख संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में अलेप्पो, होम्स, इदलिब और गोलान हाइट्स शामिल हैं, जो इज़राइल के साथ अब भी विवादित बना हुआ है।
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भारत-नीदरलैंड संयुक्त व्यापार और निवेश समिति (JTIC)
भारत और नीदरलैंड ने द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग को और अधिक गहरा करने के लिये 'भारत-नीदरलैंड संयुक्त व्यापार और निवेश समिति' (JTIC) की स्थापना की है।
- इसका उद्देश्य व्यापारिक बाधाओं की पहचान कर उन्हें समाप्त करना तथा विशेष रूप से MSME के लिये द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देना है।
- इसका उद्देश्य तकनीकी जानकारी और प्रौद्योगिकीय नवाचार के हस्तांतरण सहित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाना भी है
भारत और नीदरलैंड के संबंध
- व्यापार और आर्थिक साझेदारी: नीदरलैंड भारत का 11वाँ सबसे बड़ा वैश्विक व्यापारिक भागीदार है तथा यूरोपीय संघ (US) में सबसे बड़ा भागीदार है, जिसके साथ द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 27.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और भारत के लिये 17.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अधिशेष था।
- प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र: जल, कृषि एवं स्वास्थ्य (WAH) तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं, इनके साथ-साथ प्रौद्योगिकी और नवाचार भी शामिल हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई: ग्रीन हाइड्रोजन सहयोग, समुद्री सहयोग और हरित डिजिटल समुद्री गलियारा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, अनुकूलन पर वैश्विक आयोग (GCA) और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI)।
- इंडो-पैसिफिक अभिसरण: नीदरलैंड्स के इंडो-पैसिफिक दिशा-निर्देश (2020) में भारत को एक प्रमुख साझेदार के रूप में पहचाना गया है।
- नीदरलैंड की भौगोलिक स्थिति: यह पश्चिमी यूरोप में स्थित है तथा बेल्ज़ियम और जर्मनी से घिरा हुआ है। यह यूरोपीय संघ का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला देश है।
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सुपरकिलोनोवा
IIT बॉम्बे और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बंगलूरू के वैज्ञानिकों की भागीदारी वाले एक अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने 'सुपरकिलोनोवा' नामक एक असाधारण ब्रह्मांडीय विस्फोट की संभावित खोज की है। यह अत्यंत दुर्लभ घटना सामान्य किलोनोवा की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली और ऊर्जावान है।
- किलोनोवा: दो न्यूट्रॉन तारों के परस्पर विलय के दौरान सोना, प्लैटिनम और नियोडिमियम जैसे भारी रेडियोधर्मी तत्त्वों का उत्सर्जन होता है। इन तत्त्वों के रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न होने वाली प्रकाशीय और अवरक्त किरणों को ही खगोल विज्ञान में 'किलोनोवा' कहा जाता है।
- सुपरकिलोनोवा: सामान्य किलोनोवा के विपरीत, सुपरकिलोनोवा में ऊर्जा कहीं अधिक होती है। ऐसा इसलिये है क्योंकि यह एक ऐसे सुपरनोवा से शुरू होता है जिससे दो न्यूट्रॉन तारे बनते (एक के बजाय) हैं, जो इसके विस्फोट को और अधिक शक्तिशाली बना देते हैं।"
- ये न्यूट्रॉन तारे बाद में अंदर की ओर घूमते हुए आपस में मिल जाते हैं, जिससे किलोनोवा का निर्माण होता है। इसके परिणामस्वरूप एक अधिक शक्तिशाली और जटिल घटना घटित होती है, जिसमें सुपरनोवा और किलोनोवा दोनों के लक्षण दिखाई देते हैं।
- अध्ययनों से पता चलता है कि एक सुपरकिलोनोवा तीव्र गुरुत्वाकर्षण तरंगें और एक शक्तिशाली विद्युत चुंबकीय विस्फोट उत्पन्न करता है, जो एक सामान्य किलोनोवा की तुलना में अधिक चमकीला और लंबे समय तक चलने वाला दिखाई देता है।
- सुपरकिलोनोवा वर्तमान में खगोल विज्ञान की एक उभरती हुई श्रेणी है, जो अभी भी सैद्धांतिक प्रस्तावों और शुरुआती अवलोकनों पर आधारित है। यह किलोनोवा की तरह अभी तक पूरी तरह से स्थापित या प्रमाणित नहीं हुआ है।
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