चीन ने WTO में भारत की EV सब्सिडी को चुनौती दी
चीन ने भारत के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) का रुख किया है, यह आरोप लगाते हुए कि भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और बैटरी सब्सिडियाँ घरेलू निर्माताओं को ‘अनुचित प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ’ प्रदान करती हैं।
- चीन के आरोप: चीन का दावा है कि भारत की सब्सिडियाँ WTO की प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करती हैं, जिसमें राष्ट्रीय उपचार सिद्धांत शामिल है, जिसके अनुसार आयातित वस्तुओं को बाज़ार में प्रवेश करने के बाद घरेलू वस्तुओं के मुकाबले कम अनुकूल नहीं माना जाना चाहिये।
- भारत की EV सब्सिडियाँ सबसे अधिक बिकने वाले वाहनों पर (जिसमें GST में छूट, कर छूट और PLI सहायता शामिल हैं) लगभग 46% लागत सहायता प्रदान करती हैं, जो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में 10–26% की सब्सिडी स्तर की तुलना में कहीं अधिक है।
- चीन का तर्क है कि ये उपाय विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सब्सिडी और प्रतिकारी उपायों के समझौते का उल्लंघन करते हैं (जो सरकारी सब्सिडियों के उपयोग और सब्सिडी वाले व्यापार को संबोधित करने के लिये उपायों के नियम प्रदान करता है), क्योंकि ये भारतीय उत्पादकों को प्राथमिकता देते हैं और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को विकृत करते हैं।
- चीन का यह भी दावा है कि ये सब्सिडियाँ प्रतिबंधित आयात प्रतिस्थापन सब्सिडी के रूप में भी आती हैं, अर्थात् सरकार द्वारा कंपनियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता जो इस शर्त पर आधारित होती है कि वे आयातित वस्तुओं की बजाय घरेलू वस्तुओं का उपयोग करें, एक ऐसा व्यवहार जिसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुचित रूप से विकृति उत्पन्न करने वाला माना जाता है। यह घरेलू EV उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्द्धियों के मुकाबले लाभ पहुँचाता है।
- भारत में प्रमुख EV सब्सिडी योजनाएँ:
- FAME इंडिया योजना (इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अपनाने और निर्माण करने की योजना)
- PM ई-ड्राइव योजना
- एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरियों के लिये उत्पादन-संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना
- राज्यस्तरीय प्रोत्साहन: कई राज्य, जैसे- कर्नाटक, EV पर अतिरिक्त सब्सिडी, कर छूट या रजिस्ट्रेशन शुल्क में कटौती प्रदान करते हैं।
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इंडियन वुल्फ
इंडियन वुल्फ (कैनिस लूपस पैलिप्स), जो वर्तमान में भारत और पाकिस्तान में पाया जाता है, को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा एक नई एवं विशिष्ट प्रजाति के रूप में मान्यता दी जाएगी।
इंडियन वुल्फ
- प्राचीन वंश: इंडियन वुल्फ/भारतीय भेड़िया को पहले ग्रे वुल्फ (कैनिस लूपस) की सामान्य प्रजाति में शामिल किया जाता था, लेकिन आनुवंशिक अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि इंडियन वुल्फ की वंशावली उससे बहुत पहले ही अलग हो गई थी। यह विश्व की सबसे प्राचीन जीवित भेड़िया वंशावली का प्रतिनिधित्व करता है।
- पारिस्थितिक स्थान: वन में रहने वाली प्रजातियों के विपरीत, इंडियन वुल्फ शुष्क और अर्द्ध-शुष्क खुले आवासों जैसे घास के मैदानों एवं झाड़ियों के लिये अनुकूलित होते हैं, जिन्हें अक्सर भूमि उपयोग नीति में ‘बंजर भूमि’ के रूप में गलत वर्गीकृत किया जाता है।
- इंडियन वुल्फ की संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: संवेदनशील (संभावित)
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची
- पारिस्थितिक महत्त्व: इंडियन वुल्फ झाड़ियों और घास के मैदानों में रहता है, जहाँ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और ब्लैकबक जैसी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। इसे एक विशिष्ट प्रजाति के रूप में मान्यता देने से घास के मैदानों के संरक्षण को बढ़ावा मिल सकता है।
- प्रमुख खतरे: राजमार्गों और औद्योगिक परियोजनाओं के कारण आवास का विनाश, शिकार प्रजातियों की घटती संख्या तथा आवास का विखंडन, जिससे आनुवंशिक विविधता में कमी आ रही है।
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FASTag वार्षिक पास योजना हेतु मुआवज़ा पोर्टल
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने टोल परिचालन को बढ़ाने के लिये एक मुआवज़ा पोर्टल शुरू किया है।
- यह मंच समर्पित अधिकारियों को FASTag वार्षिक पास योजना के लिये राजस्व साझाकरण की देखरेख करने हेतु सशक्त करेगा, जिससे टोल ऑपरेटरों (रियायत ग्राहियों) के सामने आने वाले राजस्व घाटे पर संघर्ष में काफी कमी आएगी।
- फास्टैग वार्षिक पास योजना: इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा अगस्त 2025 में लॉन्च किया गया था, जो निजी वाहनों को एक वर्ष के लिये 3,000 रुपये के एकमुश्त भुगतान या 200 क्रॉसिंग, जो भी पहले हो, के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर निर्बाध रूप से यात्रा करने की अनुमति देता है।
- यह बार-बार रिचार्ज करने की आवश्यकता को कम करता है, पारदर्शी NPCI समर्थित लेन-देन सुनिश्चित करता है तथा टोल भुगतान को आसान बनाता है, जिससे सुगम डिजिटल आवागमन को बढ़ावा मिलता है।
- यह पास गैर-हस्तांतरणीय है तथा वाहन डेटाबेस के माध्यम से जाँच के बाद केवल गैर-वाणिज्यिक कारों, जीपों और वैन के लिये ही वैध है।
- वार्षिक पास में फिलहाल राज्य राजमार्ग शामिल नहीं हैं, लेकिन नियमित FASTag लागू है और यदि राज्य पास प्रणाली लागू करते हैं तो तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।
- FASTag: यह एक इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करती है और लिंक किये गए बैंक खातों या प्रीपेड वॉलेट के माध्यम से स्वचालित, कैशलेस भुगतान के लिये NPCI के साथ एकीकृत होती है।
- NHAI ने 'एक वाहन, एक फास्टैग' पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य कई वाहनों के लिये एक ही फास्टैग का उपयोग करने के उपयोगकर्त्ता व्यवहार को हतोत्साहित करना है।
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भारत के डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफॉर्म (DPP)
RBI गवर्नर ने UPI और मॉड्यूलर ओपन-सोर्स आइडेंटिटी प्लेटफॉर्म (MOSIP) जैसे डिजिटल नवाचारों को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनाने के भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला तथा डिजिटल पब्लिक प्लेटफॉर्म (DPP) पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
भारत के डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफॉर्म
- परिचय: DPP ओपन, अंतर-संचालनीय डिजिटल अवसंरचना समाधान हैं, जो प्रमुख सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मुख्य विशेषताएँ:
- ओपन आर्किटेक्चर: यह निजी और सार्वजनिक, दोनों क्षेत्रों के नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
- अंतर-संचालनीयता: विभिन्न क्षेत्रों में निर्बाध एकीकरण का समर्थन करता है।
- मापनीयता: बड़ी संख्या में उपयोगकर्त्ताओं को कुशलतापूर्वक और लागत प्रभावी ढंग से प्रबंधित करता है।
- DPP में भारत की वैश्विक स्थिति: भारत को DPP नवाचार और कार्यान्वयन में एक वैश्विक नेता के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसमें UPI जैसी प्रणालियों का अध्ययन या अंगीकरण फ्राँस, सिंगापुर और श्रीलंका आदि देशों द्वारा किया जा रहा है।
- UPI लेन-देन की मात्रा में 1% की वृद्धि GDP वृद्धि में 0.03% की वृद्धि के साथ संबंधित है।
- MOSIP: यह राष्ट्रीय डिजिटल पहचान प्रणाली के निर्माण के लिये एक निःशुल्क, सुरक्षित और स्केलेबल प्रणाली है, जिसे IIIT-बंगलूरू में विकसित किया गया है।
- 27 देशों द्वारा अपनी डिजिटल पहचान को डिज़ाइन और प्रबंधित करने के लिये इसे अपनाया जा रहा है या इस पर विचार किया जा रहा है।
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