प्रिलिम्स फैक्ट्स (18 Jun, 2025)



पीएम-वाणी योजना

स्रोत: बीएल 

चर्चा में क्यों?

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने पीएम-वाणी (PM-WANI) योजना के तहत पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO) से लिये जाने वाले शुल्क पर सीमा निर्धारित की है, ताकि सार्वजनिक वाई-फाई को सुलभ और किफायती बनाया जा सके, साथ ही सेवा प्रदाताओं को ब्रॉडबैंड कनेक्शन के लिये उचित मुआवजा भी मिल सके।

  •  TRAI ने यह अनिवार्य किया है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) और दूरसंचार सेवा प्रदाता (TSP) पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO) से 200 Mbps तक की ब्रॉडबैंड योजनाओं के लिये खुदरा शुल्क से अधिकतम दो गुना से ज़्यादा शुल्क नहीं ले सकते।

 पीएम-वाणी योजना क्या है?

  • परिचय: दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा वर्ष 2020 में लॉन्च किये गए प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI) का उद्देश्य ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में डिजिटल संचार बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे भारत में सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट की उपलब्धता का विस्तार करना है।
    • यह योजना शहरी गरीबों और ग्रामीण आबादी को किफायती इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने के लिये बनाई गई है, साथ ही राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 के लक्ष्यों को पूरा करने हेतु वाई-फाई सर्विस आउटलेट की स्थापना के माध्यम से छोटे एवं सूक्ष्म उद्यमियों के लिये  रोज़गार को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • प्रवेश तंत्र: उपयोगकर्त्ता पीएम-वाणी सेवाओं का उपयोग अपने मोबाइल फोन में पीएम-वाणी एप्लिकेशन डाउनलोड करके, सूचीबद्ध हॉटस्पॉट का चयन करके और इंटरनेट उपयोग के लिये डिजिटल भुगतान करके कर सकते हैं।
  • पीएम-वाणी इकोसिस्टम: इस योजना में 4 प्रमुख हितधारक शामिल हैं:
    • पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO): वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करता है और उपयोगकर्त्ताओं को इंटरनेट सेवाएँ प्रदान करता है।
    • पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर (PDOA): प्रमाणीकरण, लेखांकन और कई PDO का समेकन सुनिश्चित करता है।
    • ऐप प्रदाता: मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करता है और उनका प्रबंधन करता है जो सुलभ वाई-फाई हॉटस्पॉट दिखाते हैं। 
    • केंद्रीय रजिस्ट्री: इसे टेलीमैटिक्स विकास केंद्र (C-DoT) द्वारा संचालित किया जाता है और इसमें सभी PDO, PDOA और ऐप प्रदाताओं का रिकॉर्ड रखा जाता है।
      • वर्ष 1984 में स्थापित, C-DoT DoT के अधीन एक स्वायत्त दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र है। यह सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत रजिस्ट्रीकृत सोसायटी के रूप में कार्य करता है।

  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO) के लिये किसी लाइसेंस या रजिस्ट्रीकरण शुल्क की आवश्यकता नहीं है, जिससे छोटे विक्रेताओं और उद्यमियों की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलता है।
    • स्थानीय अवसंरचना (जैसे कि दुकानें, किराना स्टोर, चाय की दुकानें आदि) का उपयोग अंतिम छोर तक इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है।
  • प्रमुख लाभ:
    • यह डिजिटल समावेशन को बढ़ाता है और शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को कम करता है।
    • यह किफायती इंटरनेट सुलभता को सक्षम बनाता है और डिजिटल इंडिया मिशन को समर्थन देता है।
    • यह उद्यमिता के माध्यम से असंगठित क्षेत्र में रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करता है।
    • इंटरनेट सुलभता में सुधार शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं को सक्षम बनाकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि में योगदान कर सकता है।

ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये सरकार की क्या पहल हैं?

  • राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (NBM): यह भारत में डिजिटल बुनियादी ढाँचे के विस्तार और सुदृढ़ीकरण हेतु एक प्रमुख पहल है।
    • राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (NBM 1.0), जिसे वर्ष 2019 में शुरू किया गया था, का उद्देश्य वर्ष 2022 तक सभी गाँवों में ब्रॉडबैंड पहुँच का विस्तार करना और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिये मौजूदा टेलीकॉम टावरों को फाइबरयुक्त बनाना है।
    • राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 (2025–30), NBM 1.0 की उपलब्धियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य भारत के डिजिटल परिवर्तन को तेज़ करना, डिजिटल बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ करना तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना है।
  • गति शक्ति संचार पोर्टल: गति शक्ति संचार पोर्टल को वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया था ताकि ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) और दूरसंचार बुनियादी ढाँचा स्थापित करने की स्वीकृति प्रक्रिया को सरल और सुव्यवस्थित किया जा सके।
  • दूरसंचार अधिनियम, 2023 एवं राइट ऑफ वे नियम, 2024: दूरसंचार अधिनियम, 2023 एवं राइट ऑफ वे नियम, 2024 का उद्देश्य देशभर में ब्रॉडबैंड अवसंरचना की स्थापना की प्रक्रिया को सरल और तीव्र बनाना है।
  • संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (2023): संशोधित भारतनेट कार्यक्रम का उद्देश्य रिंग टोपोलॉजी (एक नेटवर्क डिज़ाइन जहाँ कनेक्टेड डिवाइस एक गोलाकार डेटा चैनल बनाते हैं) में 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर (OF) कनेक्टिविटी प्रदान करना और मांग पर गैर-ग्राम पंचायत गाँवों को OF कनेक्टिविटी प्रदान करना है। 
    • यह पूर्वोत्तर, द्वीप समूह, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों, आकांक्षी ज़िलों और सीमावर्ती गाँवों सहित दूरदराज़ और वंचित क्षेत्रों पर केंद्रित है।
  • पनडुब्बी OFC कनेक्टिविटी: चेन्नई-अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और कोच्चि-लक्षद्वीप के बीच पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से द्वीप क्षेत्रों तक उच्च गति की कनेक्टिविटी का विस्तार किया गया है, जिससे तटीय और दूरदराज़ के क्षेत्रों में डिजिटल पहुँच बढ़ गई है।
    • मई 2025 तक, चेन्नई को पोर्ट ब्लेयर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अन्य द्वीपों से जोड़ने वाली सबमरीन OFC परियोजना पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगी, जिसकी वर्तमान बैंडविड्थ उपयोगिता 243.31 Gbps है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)

  • परिचय: भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना वर्ष 1997 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत भारत में दूरसंचार क्षेत्र को विनियमित करने के लिये की गई थी।
  • संरचना: इसमें एक अध्यक्ष, दो से अधिक पूर्णकालिक सदस्य तथा दो से अधिक अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे।
  • महत्त्वपूर्ण कार्य:
    • टैरिफ निर्धारण और संशोधन सहित दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना।
    • सेवा की गुणवत्ता, निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा और उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करना।
    • दूरसंचार परिचालन में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देना।
    • दूरसंचार और प्रसारण में नीति और लाइसेंसिंग मामलों पर सरकार को सलाह देना (अनुशंसाएँ सलाहकारी हैं, बाध्यकारी नहीं)।
    • समान अवसर उपलब्ध कराना तथा व्यवस्थित क्षेत्रीय विकास और भारत की वैश्विक डिजिटल प्रतिस्पर्द्धात्मकता सुनिश्चित करने हेतु विनियम जारी करना।
  • अपीलीय प्राधिकारी:
    • 24 जनवरी, 2000 से प्रभावी TRAI अधिनियम में संशोधन के फलस्वरूप दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना की गई, जो न्यायिक और विवाद समाधान कार्यों को संभालेगा, जो पहले TRAI के अधिकार क्षेत्र में थे, जिससे नियामक और न्यायिक भूमिकाएँ अलग हो गईं।

 

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आरोग्य सेतु 
  2. कोविन 
  3. डिजीलॉकर 
  4. दीक्षा 

उपर्युक्त में से कौन-से, ओपेन-सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैं ?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2,3 और 4
(c) केवल 1,3 और 4
(d) 1,2,3 और 4

उत्तर: (d)


संशोधित हरित भारत मिशन

स्रोत: IE

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 17 जून, 2025 को मनाए जाने वाले विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस (World Day to Combat Desertification and Drought) पर 2021-2030 के लिये संशोधित ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) योजना जारी की।

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस

  • यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 17 जून को मरुस्थलीकरण और सूखे के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा सतत् भूमि प्रबंधन को बढ़ावा देने हेतु मनाया जाता है। 
  • यह वर्ष 1994 में मरुस्थलीकरण रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCCD) को अपनाए जाने का प्रतीक है, जो पर्यावरण, विकास और सतत् भूमि प्रबंधन को एक साथ जोड़ने वाला एकमात्र वैश्विक और कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है।
  • वर्ष 2025 के लिये इस दिवस की थीम है- 'भूमि को पुनर्स्थापित करें, अवसरों को खोलें' (Restore the Land. Unlock the Opportunities)।  

ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) क्या है?

  • परिचय: ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) भारत की राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना (NAPCC) के तहत 8 मिशनों में से एक है, जिसे फरवरी 2014 में लॉन्च किया गया था। 
    • इसका उद्देश्य शमन और अनुकूलन रणनीतियों के संयोजन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना, मुख्य रूप से वन-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्स्थापन पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • प्रगति एवं चुनौतियाँ:
    • वर्ष 2023 तक, भारत के वन क्षेत्र में धीरे-धीरेवृद्धि हुई है, GIM और संबंधित पहलों के माध्यम से वर्ष 2015-16 और वर्ष 2020-21 के बीच 11.22 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को वृक्षारोपण के दायरे में लाया गया है।
    • हालाँकि, चुनौतियों में वित्तपोषण अंतराल, आक्रामक प्रजातियों के वृक्षारोपण और पुराने वनों का अपर्याप्त संरक्षण शामिल हैं
    • राष्ट्रीय नीति के अनुसार 33% वन क्षेत्र प्राप्त करने और वर्ष 2030 तक भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये GIMका प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक है।

पक्ष

ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) 2014

संशोधित GIMयोजना (2021-2030)

विज़न एवं उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य वन आवरण का संरक्षण, पुनर्स्थापन एवं संवर्द्धन तथा अनुकूलन व शमन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना है।
  • मुख्य उद्देश्यों को बरकरार रखा गया है, जो अब पेरिस समझौते के तहत भारत के NDC लक्ष्यों केअनुरूप है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 2.5-3.0 बिलियन टन CO2-समतुल्य कार्बन सिंक का निर्माण करना है।
  • यह अरावली, पश्चिमी घाट, भारतीय हिमालयी क्षेत्र, मैंग्रोव, उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क क्षेत्रों जैसे संवेदनशील परिदृश्यों को लक्षित करते हुए सूक्ष्म-पारिस्थितिकी तंत्र के दृष्टिकोण पर केंद्रित है।

लक्ष्य

  • 5 मिलियन हेक्टेयर गैर-वन भूमि पर वनरोपण।
  • अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में वन गुणवत्ता में सुधार करना।
  • प्रतिवर्ष 50-60 मिलियन टन CO2 का पृथक्करण।
  • 24-25 मिलियन हेक्टेयर में वनरोपण/पुनर्स्थापन (GIM और अभिसरण के माध्यम से)।
  • GIM2030 तक 1 mha का प्रत्यक्ष उपचार करेगा ।
  • अनुमानित कार्बन सिंक/पृथक्करण: 3.39 बिलियन टन CO₂ तक।

उप-मिशन

5 घटक:

  • वन आवरण में सुधार
  • पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली
  • शहरी हरियाली (Urban greening)
  • कृषि/सामाजिक वानिकी
  • आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन

3 घटक:

  • वन गुणवत्ता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ
  • वनरोपण एवं पारिस्थितिकी तंत्र बहाली
  • वन-आश्रित समुदायों के लिये आजीविका संवर्द्धन 

निगरानी एवं मूल्यांकन

  • ज़मीनी स्तर पर सर्वेक्षण
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के माध्यम से सुदूर संवेदन
  • सामाजिक अंकेक्षण की योजना 

5-स्तरीय निगरानी प्रणाली जिसमें शामिल हैं:

  • सभी वृक्षारोपण गतिविधियों (सरकारी, निजी, गैर सरकारी संगठन) पर नज़र रखने के लिये GIS और राष्ट्रीय वनरोपण डैशबोर्ड का उपयोग करते हुए एक समर्पित सेल के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी।
  • कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा स्व-निगरानी।
  • ग्राम सभाओं द्वारा सामाजिक अंकेक्षण।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) और विशेषज्ञ एजेंसियों द्वारा उपग्रह आधारित निगरानी।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता के लिये चिह्नित स्थलों का तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन।

जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC)

  • NAPCC जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये सतत् विकास सुनिश्चित करने हेतु भारत की व्यापक नीतिगत रूपरेखा है। 
  • इसे वर्ष 2008 में एक रणनीतिक और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से निम्न-कार्बन, जलवायु-अनुकूल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • इसमें निम्नलिखित 8 राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं, जो सामूहिक रूप से ऊर्जा, जल, कृषि, पारिस्थितिकी तंत्र और शहरी आवास जैसे प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करते हैं, इसका लक्ष्य समावेशी और सतत् जलवायु अनुकूलन प्राप्त करना है।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन
  • उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन
  • राष्ट्रीय सतत् आवास मिशन
  • राष्ट्रीय जल मिशन
  • हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिये राष्ट्रीय मिशन
  • हरित भारत के लिये राष्ट्रीय मिशन
  • राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन
  • जलवायु परिवर्तन के लिये रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन

वन क्षेत्र बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा कौन-सी पहलें की गई हैं?

  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP), जिसे वर्ष 2000 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विक्षिप्त वनों एवं आस-पास के क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने हेतु शुरू किया गया था, को अब एकीकृत कार्यान्वयन के लिये ग्रीन इंडिया मिशन के साथ विलय कर दिया गया है।
  • वर्ष 2020 में शुरू की गई नगर वन योजना (NVY) का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में 600 नगर वन तथा 400 नगर वाटिकाओं का निर्माण करना है।
  • विकास परियोजनाओं के लिये वन भूमि के उपयोग पर अंकुश लगाने हेतु प्रतिपूरक वनरोपण निधि (CAMPA) का प्रावधान किया गया है।
    • CAMPA तंत्र के अंतर्गत 90% धनराशि राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को आवंटित की जाती है, जबकि 10% धनराशि केंद्र सरकार अपने पास रखती है। 
  • वनरोपण के लिये बहु-विभागीय और अभिसारी दृष्टिकोण को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना, राष्ट्रीय बाँस मिशन और कृषि वानिकी उप-मिशन जैसी अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण के माध्यम से भी अपनाया गया है।
  • CSR के अंतर्गत राज्य सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज और कॉर्पोरेट संस्थाओं द्वारा योगदान।

  UPSC  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (2021)

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत में एक विशेष राज्य में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं: (वर्ष 2012)

  1. यह उसी अक्षांश पर स्थित है जो उत्तरी राजस्थान से होकर गुज़रती है।
  2.  इसका 80% से अधिक क्षेत्र वन आच्छादित है। 
  3.  इस राज्य में 12% से अधिक वन क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क का गठन करता है।

निम्नलिखित में से किस राज्य में उपरोक्त सभी विशेषताएँ हैं? 

(a) अरुणाचल प्रदेश
(b) असम
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) उत्तराखंड

उत्तर: (a)


भारतीय चाय बोर्ड

स्रोत: बीएल

भारतीय चाय बोर्ड ने रामसेशन समिति की प्रमुख सिफारिशों के आधार पर भारत ऑक्शन मॉडल के तहत देशव्यापी नीलामी नियमों में संशोधन किया है। इस पहल का उद्देश्य मूल्य खोज (Price discovery) को बेहतर बनाना और चाय क्षेत्र में विक्रेताओं के हितों की सुरक्षा करना है।

  • रामसेशन समिति की रिपोर्ट चाय उद्योग में मूल्य खोज और बाज़ार संरचना को बेहतर बनाने से संबंधित है।
  • भारत ऑक्शन मॉडल भारतीय चाय बोर्ड द्वारा शुरू किया गया एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक नीलामी प्रणाली है, जिसमें नीलामी शुरू होने से पहले बोली लगाई जाती है।

भारतीय चाय बोर्ड: परिचय   

  • स्थापना: इसकी स्थापना 1953 में हुई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में है। इसके पूरे भारत में 17 कार्यालय हैं।
    • इसके लंदन, मास्को और दुबई जैसे विदेशी कार्यालय भी हैं।
  • सांविधिक निकाय: इसकी स्थापना चाय अधिनियम, 1953 की धारा 4 के तहत की गई थी।
  • नियामक प्राधिकरण: यह चाय उत्पादकों, निर्माताओं, निर्यातकों, चाय दलालों, नीलामी आयोजकों और गोदाम रखवालों सहित विभिन्न संस्थाओं को नियंत्रित करता है।
  • प्रकार्य: यह बाज़ार सर्वेक्षण, विश्लेषण, पहचान, उपभोक्ता व्यवहार पर नज़र रखता है तथा आयातकों और निर्यातकों को प्रासंगिक और सटीक जानकारी प्रदान करता है। 

भारत में प्रमुख कृषि बोर्ड: 

बोर्ड

अधिनियम के तहत गठित

मुख्यालय

चाय बोर्ड

चाय अधिनियम, 1953

कोलकाता

कॉफी बोर्ड

कॉफी अधिनियम, 1942

बैंगलोर

रबर बोर्ड

रबर अधिनियम, 1947

कोट्टायम, केरल

मसाला बोर्ड

मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986

कोच्चि, केरल

तंबाकू बोर्ड

तंबाकू बोर्ड अधिनियम, 1975

गुंटूर, आंध्र प्रदेश

राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड

वैधानिक निकाय नहीं

निज़ामाबाद, तेलंगाना

मखाना बोर्ड

-

बिहार (प्रस्तावित)

और पढ़ें: चाय उद्योग में सुधार की आवश्यकता


अभ्यास शक्ति का 8वाँ संस्करण

स्रोत: द हिंदू

शक्ति अभ्यास का आठवाँ संस्करण, जो भारत और फ्राँस के बीच एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है, 18 जून से 1 जुलाई 2025 तक ला कैवेलरी, फ्राँस में आयोजित किया जाएगा।

  • यह भारत और फ्राँस की सेनाओं के बीच एक द्विवार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास है, जिसका उद्देश्य पारस्परिक संचालन क्षमता, संचालन समन्वय, और सेना-से-सेना संपर्क को सुदृढ़ करना है।
  • इस संस्करण का मुख्य ध्यान संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत एक उप-पारंपरिक वातावरण में संयुक्त अभियानों पर होगा, और प्रशिक्षण अर्द्ध-शहरी भूभाग में आयोजित किया जाएगा।
    • संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अध्याय VII अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापना हेतु सैन्य एवं गैर-सैन्य कार्रवाईयों (जैसे प्रतिबंध, नाकेबंदी, और सैन्य बल की तैनाती) को अधिकृत करता है।
  • फ्राँस और भारत के बीच अन्य संयुक्त अभ्यास: अभ्यास वरुण (नौसेना), अभ्यास गरुड़ (वायु), और अभ्यास डेज़र्ट नाइट (भारत, फ्राँस और UAE)।

और पढ़ें: भारत-फ्राँस संबंध


निसार एवं सिंथेटिक अपर्चर रडार

स्रोत: द हिंदू

नासा-इसरो एसएआर (निसार) उपग्रह प्रक्षेपण के लिये श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के अंतरिक्ष केंद्र पर पहुँचाया गया, जो प्रत्येक 12 दिन में दो बार लगभग सभी भूमि और बर्फ सतहों को स्कैन करेगा, जिससे पृथ्वी के पर्यावरण पर अभूतपूर्व डेटा प्राप्त होगा।

  • निसार मिशन के बारे में: यह नासा (अमेरिका) तथा इसरो (भारत) के बीच एक सहयोगी पृथ्वी-अवलोकन मिशन है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी की स्थलीय एवं हिमीय सतहों का अभूतपूर्व विस्तार से अध्ययन करना है।
    • यह उपग्रह दो उन्नत रडार प्रणालियों—नासा का L-बैंड रडार एवं इसरो का S-बैंड रडार को एकीकृत करता है, जिससे यह दोनों रडार युक्त पहला उपग्रह बन जाता है।।
  • सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) के बारे में: SAR एक सक्रिय रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी है, जो माइक्रोवेव पल्स भेजती है तथा पृथ्वी की सतह से लौटने वाली प्रतिध्वनियों को रिकॉर्ड करके चित्र बनाती है।
    • ऑप्टिकल कैमरों के विपरीत (जो सूर्य के प्रकाश पर निर्भर होते हैं), SAR दिन और रात दोनों समय तथा सभी मौसम स्थितियों में कार्य करता है, क्योंकि माइक्रोवेव बादलों, धुएँ और हल्की वर्षा को भेद सकती है।
  • SAR की कार्यप्रणाली: SAR पृथ्वी की सतह पर माइक्रोवेव पल्स भेजता है और लौटने वाली प्रतिध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। यह उपग्रह या विमान जैसे प्लेटफॉर्म की गति का उपयोग करके एक बड़े एंटीना का अनुकरण करता है तथा उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले चित्र उत्पन्न करता है।
  • SAR के अनुप्रयोग:
    • पर्यावरण निगरानी: आर्द्रभूमि का मानचित्रण, दलदलों में तेल फैलाव का पता लगाना।
    • हिमानीमंडल अध्ययन: हिमखंडों और बर्फ की चादरों की निगरानी (जैसे अंटार्कटिका में)।
    • आपदा प्रबंधन: बाढ़, भूस्खलन और भू-भाग में बदलाव का पता लगाना।
    • कृषि एवं वानिकी: मृदा की नमी, वनस्पति की स्थिति एवं वनों की कटाई का आकलन।

अधिक पढ़ें: निसार उपग्रह