प्रिलिम्स फैक्ट्स (15 Jun, 2020)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 15 जून, 2020

आरोग्य पथ 

Aarogya Path  

12 जून, 2020 को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Union Ministry of Science & Technology) ने ‘सीएसआईआर नेशनल हेल्थकेयर सप्लाई चेन पोर्टल’ आरोग्य पथ (Aarogya Path) लॉन्च किया।  

Aarogya-Path

प्रमुख बिंदु: 

  • इस पोर्टल का उद्देश्य रियल टाइम आधारित स्वास्थ्य से संबंधित उत्पादों की आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
  • साथ ही यह पोर्टल स्वास्थ्य से संबंधित उत्पादों के निर्माताओं, आपूर्तिकर्त्ताओं को  ग्राहकों के व्यापक नेटवर्क तक पहुँचने में मदद करेगा। 
  • स्वास्थ्य देखभाल संबंधी उत्पादों की एक ही जगह उपलब्धता सुनिश्चित करने वाला यह एकीकृत सार्वजनिक पोर्टल ग्राहकों को प्रतिदिन महसूस किये जाने वाली कई कठिनाइयों से निपटने में मददगार साबित हो सकता है। 
    • इन कठिनाइयों में सीमित आपूर्तिकर्त्ताओं पर निर्भरता, अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों की पहचान करने में लगने वाला अधिक समय, वांछित समय-सीमा के भीतर उचित मूल्य पर मानकीकृत उत्पादों की आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्त्ताओं तक सीमित पहुँच, नवीनतम उत्पादों के बारे में जानकारी का अभाव इत्यादि शामिल हैं।

महत्त्व:

  • यह पोर्टल स्वास्थ्य देखभाल संबंधी उत्पादों के निर्माताओं एवं आपूर्तिकर्त्ताओं को पूरी कुशलता से ग्राहकों के एक विस्तृत नेटवर्क तक पहुँचने, उनके एवं आस-पास के चिकित्सा जाँच केंद्रों, मेडिकल दुकानों, अस्पतालों इत्यादि जैसे माँग केंद्रों के बीच संपर्क की कमियों को दूर करने मदद करेगा।
  • यह ग्राहकों की विस्तृत सूची एवं उत्पादों के लिये नई ज़रूरतों की वजह से व्यवसाय का विस्तार करने के अवसर भी उपलब्ध कराएगा।  
  • यह अपर्याप्त पूर्वानुमान एवं अधिक विनिर्माण के कारण संसाधनों की बर्बादी को कम करने में मदद करेगा और नई प्रौद्योगिकियों की माँग के बारे में जागरूकता भी पैदा करेगा।

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान

Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants

औषधीय एवं सुगंधित पौधों की उपयोगिता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिये ‘केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान’ (Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants- CIMAP) ने औषधीय एवं सुगंधित पौधों पर एक फोटोग्राफी प्रतियोगिता की घोषणा की।

थीम:

  • इस प्रतियोगिता की थीम ‘अपने औषधीय एवं सुगंधित पौधों को जानें’ (Know your Medicinal and Aromatic Plants) है। 

प्रमुख बिंदु:

  • इस प्रतियोगिता में स्वदेशी पौधों को प्राथमिकता दी जाएगी जबकि संस्थान ने बागवानी या सजावटी पौधों की तस्वीरों से बचने का अनुरोध किया है। 
  • इस प्रतियोगिता के माध्यम से CIMAP औषधीय पौधों के संरक्षण का संदेश भी देना चाहता है। 

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान

(Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants- CIMAP):

  • CIMAP, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक अग्रणी पादप अनुसंधान प्रयोगशाला है।
  • इसे मूल रूप से वर्ष 1959 में ‘केंद्रीय भारतीय औषधीय पादप संगठन’ (Central Indian Medicinal Plants Organisation- CIMPO) के रूप में स्थापित किया गया था।  
  • यह संस्थान औषधीय एवं सुगंधित पौधों के विज्ञान एवं व्यवसाय से संबंधित है।
  • इसके चार शोध केंद्र बंगलुरु, हैदराबाद, पंतनगर एवं पुरारा (बागेश्वर, उत्तराखंड के पास) में स्थित हैं।
  • इसका मुख्यालय लखनऊ (उत्तरप्रदेश) में है।

 स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट

Stockholm International Peace Research Institute

15 जून, 2020 को एक प्रमुख रक्षा थिंक-टैंक ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Stockholm International Peace Research Institute- SIPRI) द्वारा जारी की गई ईयर बुक-2020 ( Year Book-2020) के अनुसार, चीन एवं पाकिस्तान के पास भारत की तुलना में अधिक परमाणु हथियार हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • SIPRI की ईयर बुक-2020 में चीन के पास परमाणु हथियारों की संख्या 320 है जबकि पाकिस्तान एवं भारत के पास परमाणु हथियारों की संख्या क्रमशः 160 व 150 होने का अनुमान है। 
  • SIPRI  के अनुसार, रूस के पास  6375 परमाणु हाथियार और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 5800 परमाणु हथियार के साथ इन दोनों देशों की वैश्विक परमाणु हथियारों में 90% से अधिक की भागीदारी है।
  • जनवरी 2020 तक नौ परमाणु हथियार संपन्न देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्राॅन्स, चीन, भारत, पाकिस्तान, इज़रायल एवं उत्तर कोरिया के पास एक साथ कुल 13400 परमाणु हथियारों का अनुमान लगाया है। जबकि इन देशों के पास SIPRI द्वारा वर्ष 2019 में 13865 परमाणु हथियार होने का अनुमान लगाया गया था।    
  • अप्रैल, 2020 में जारी SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में अमेरिका एवं चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा देश है जिसने सबसे अधिक सैन्य ज़रूरतों पर खर्च किया है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट

(Stockholm International Peace Research Institute- SIPRI): 

  • SIPRI स्वीडन में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, आयुध, हथियार नियंत्रण एवं नि:शस्त्रीकरण में अनुसंधान के लिये समर्पित है।
  • वर्ष 1966 में स्थापित SIPRI नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया एवं जागरूक नागरिकों के लिये पारदर्शी स्रोतों के आधार पर डेटा, डेटा विश्लेषण एवं सिफारिशें प्रदान करता है।

वारकरी संप्रदाय

Varkari Sect 

भगवान श्री विट्ठल (भगवान विष्णु का एक रूप) के भक्त को वारकरी (Varkari) कहते हैं। भक्ति आंदोलन के दौरान वारकरी एक पंथ के रूप में स्थापित हुआ। वारकरी परंपरा 13वीं शताब्दी से महाराष्ट्र में हिंदू संस्कृति का हिस्सा रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • वारकरी संप्रदाय एक पूर्ण भक्ति संप्रदाय है जो शंकराचार्य के 'अद्वैत ’(अद्वैतवाद) दर्शन में विश्वास करता है। ज्ञानदेव या ध्यानेश्वर (Dnyaneshwar) को वारकरी संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है जिन्होंने ज्ञानेश्वरी (Dnyaneshwari) लिखा था जो भागवत गीता का सरलीकृत संस्करण है।  
  • वारकरी का संबंध हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा से है, यह भक्ति आध्यात्मिक परंपरा के भीतर एक संप्रदाय है जिसका संबंध भौगोलिक रूप से महाराष्ट्र एवं उत्तरी कर्नाटक से है।
  • वारकरी परंपरा का विकास दक्षिणी महाराष्ट्र में पंढरपुर के आसपास अधिक हुआ है। 
  • महाराष्ट्र की मराठी भाषा में ‘वारी’ का अर्थ है 'तीर्थयात्रा' और एक तीर्थयात्री को ‘वारकरी’ कहा जाता है।
    • प्रत्येक वर्ष वारकरी हिंदू चंद्र कैलेंडर के आषाढ़ माह में एकादशी के दिन पंढरपुर नामक पवित्र शहर में एकत्रित होते हैं।
    • एक अन्य तीर्थयात्रा कार्तिक महीने की एकादशी को संपन्न होती है।
  • इस संप्रदाय में 'पंचदेवों' की पूजा की जाती है। किंतु वारकरी पंढरपुर में अपने इष्टदेव भगवान विठोबा (इन्हें विठ्ठल के रूप में भी जाना जाता है) की पूजा करते हैं। विठोबा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस कारण वारकरी वैष्णववाद संप्रदाय की एक शाखा है।   
  • वारकरी से जुड़े भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों एवं गुरुओं में ज्ञानेश्वर, नामदेव, तुकाराम, चोखामेला, गाडगे महाराज शामिल हैं जिन्हें ‘संत’ की उपाधि दी गई।