प्रिलिम्स फैक्ट्स (15 Jan, 2022)



भारत-चीन सैन्य वार्ता

हाल ही में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता संपन्न हुई। बैठक के परिणामस्वरूप हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट से पीछे हटने के मामले में कोई सफलता नहीं मिली, लेकिन दोनों ही पक्षों द्वारा शीघ्र ही फिर से मिलने पर सहमति व्यक्त की गई।

  • पिछली बैठक की तुलना में यह बैठक सकारात्मक रही क्योंकि पिछली वार्ता के दौरान कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया था लेकिन दोनों पक्षों ने स्थिति के लिये एक-दूसरे को दोषी ठहराते हुए स्वतंत्र बयान जारी किये थे।

AksaiChin

प्रमुख बिंदु

  • हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट की अवस्थिति:
    • हॉट स्प्रिंग्स चांग चेनमो (Chang Chenmo) नदी के उत्तर में है और गोगरा पोस्ट इस नदी के गलवान घाटी से दक्षिण-पूर्व दिशा से दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ने पर बने हेयरपिन मोड़ (Hairpin Bend) के पूर्व में है।
    • यह क्षेत्र काराकोरम श्रेणी (Karakoram Range) के उत्तर में है जो पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) झील के उत्तर में और गलवान घाटी के दक्षिण में स्थित है।
  • हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट का महत्त्व
    • यह क्षेत्र कोंग्का दर्रे (Kongka Pass) के पास है जो चीन के अनुसार भारत और चीन के बीच की सीमा को चिह्नित करता है।
    • भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा का दावा पूर्व की ओर अधिक है, क्योंकि इसमें पूरा अक्साई चिन (Aksai Chin) का क्षेत्र भी शामिल है।
    • हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट, चीन के दो सबसे अशांत प्रांतों (शिनजियांग और तिब्बत) की सीमा के करीब हैं।

पैंगोंग त्सो झील

  • पैंगोंग झील केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में स्थित है।
  • यह लगभग 4,350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित खारे पानी की झील है।
  • लगभग 160 किमी. क्षेत्र में फैली पैंगोंग झील का एक-तिहाई हिस्सा भारत में है और दो-तिहाई हिस्सा चीन में है।

गलवान घाटी

  • गलवान घाटी सामान्यतः उस भूमि को संदर्भित करती है, जो गलवान नदी (Galwan River) के पास मौजूद पहाड़ियों के बीच स्थित है।
  • गलवान नदी का स्रोत चीन की ओर अक्साई चिन में मौजूद है और आगे चलकर यह भारत की श्योक नदी (Shyok River) में मिलती है।
  • ध्यातव्य है कि यह घाटी पश्चिम में लद्दाख और पूर्व में अक्साई चिन के बीच स्थित है, जिसके कारण यह रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है।

चांग चेनमो नदी

  • यह श्योक नदी की सहायक नदी है, जो सिंधु नदी (Indus River) प्रणाली का हिस्सा है।
  • यह विवादित अक्साई चिन क्षेत्र के दक्षिणी किनारे पर और पैंगोंग झील बेसिन के उत्तर में स्थित है।
  • चांग चेनमो का स्रोत लनक दर्रे (Lanak Pass) के पास है।

कोंग्का दर्रा

  • कोंग्का दर्रा या कोंग्का ला एक पहाड़ी दर्रा है, जिससे चांग चेनमो घाटी में प्रवेश किया जाता है। यह लद्दाख में विवादित भारत-चीन सीमा क्षेत्र में है।

काराकोरम श्रेणी

  • इसे कृष्णगिरि के नाम से भी जाना जाता है जो ट्रांस-हिमालय पर्वतमाला की सबसे उत्तरी श्रेणी में स्थित है। यह अफगानिस्तान और चीन के साथ भारत की सीमा बनाती है।
  • यह पामीर से पूर्व की ओर लगभग 800 किमी. तक फैली हुई है। यह ऊँची चोटियों [5,500 मीटर और उससे अधिक ऊँचाई] के साथ एक सीमा है।
  • कुछ चोटियाँ समुद्र तल से 8,000 मीटर से अधिक ऊँची हैं। इस श्रेणी में पृथ्वी की कई शीर्ष चोटियाँ स्थित हैं जैसे- K2, जिसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है तथा जो विश्व की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
  • लद्दाख पठार काराकोरम श्रेणी के उत्तर-पूर्व में स्थित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


कला कुंभ-कलाकार कार्यशालाएँ

आज़ादी के अमृत ​​महोत्सव के भव्य समारोह के हिस्से के रूप में संस्कृति मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के सहयोग से स्क्रॉल पेंटिंग के लिये कला कुंभ कलाकार कार्यशालाओं का आयोजन किया।

  • प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों के साथ महानिदेशक, एनजीएमए (नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट) ने स्क्रॉल पेंटिंग कार्यशालाओं के लिये संरक्षक के रूप में काम किया।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • इन कलाकृतियों का प्रमुख विषय भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के गुमनाम नायकों से संबंधित है।
    • अन्य प्रख्यात कलाकारों और सुलेखकों की एक टीम के साथ बंगाल स्कूल के आधुनिक भारतीय कला के प्रमुख आचार्यों में से एक नंदलाल बोस द्वारा भारत के संविधान में दिये गए दृष्टांतों से भी प्रेरणा ली गई है।
  • नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट:
    • परिचय:
    • यह एक राष्ट्रीय प्रमुख संस्थान है जिसकी स्थापना वर्ष 1954 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में की थी।
    • NGMA देश के सांस्कृतिक लोकाचार का भंडार है और विभिन्न कला के क्षेत्रों में वर्ष 1857 से शुरू होकर पिछले डेढ़ सौ वर्षों के दौरान बदलते कला रूपों को प्रदर्शित करता रहा है।
    • मुख्यालय: नई दिल्ली।
    • नोडल मंत्रालय: इसे संस्कृति मंत्रालय के तहत चलाया और प्रशासित किया जाता है

नंदलाल बोस (1882-1966)

Nandlal-Bose

  • 3 दिसंबर, 1882 को बिहार के मुंगेर ज़िले में जन्मे नंदलाल बोस आधुनिक भारतीय कला के अग्रदूतों में से एक थे और प्रासंगिक आधुनिकतावाद ( Contextual Modernism) से संबंधित थे।
  • बोस रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे अवनिंद्रनाथ टैगोर जो पांच वर्ष के लिये वर्ष 1910 तक इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट के प्रमुख कलाकार और निर्माता रहे के साथ ही बड़े हुए।
  • टैगोर परिवार के साथ जुड़ाव और अजंता के भित्ति चित्रों ने एक राष्ट्रवादी चेतना, शास्त्रीय और लोक कला के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ इसकी अंतर्निहित आध्यात्मिकता और प्रतीकवाद के आदर्शवाद को जागृत किया।
  • उनकी क्लासिक कृतियों में भारतीय पौराणिक कथाओं, महिलाओं और ग्रामीण जीवन के दृश्यों के चित्र शामिल हैं।
  • बोस ने अपने कार्यों में मुगल और राजस्थानी परंपराओं तथा चीनी-जापानी शैली और तकनीकी का प्रयोग किया।
  • बोस वर्ष 1922 में रवींद्रनाथ टैगोर के अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय शांति निकेतन में कला भवन (कला महाविद्यालय) के प्राचार्य बने।
  •  जब भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था तब कांग्रेस ने बोस को के संविधान के पन्नों को चित्रित करने का कार्य सौंपा, साथ ही उनके शिष्य राममनोहर बोस ने संविधान की मूल पांडुलिपि को सुशोभित और सजाने का काम संभाला।
  • 16 अप्रैल, 1966 को कलकत्ता में उनका निधन हो गया।
  • आज कई आलोचक उनके चित्रों को भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण आधुनिक चित्रों में से एक मानते हैं।
    • वर्ष 1976 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने "नौ कलाकारों" के बीच कार्यों की घोषणा की तथा इनके कार्यो को कलात्मक और सौंदर्य मूल्य के संबंध में कला के रूप में" जाना जाता था।

स्रोत: पी.आई.बी


नारी शक्ति पुरस्कार 2021

नारी शक्ति पुरस्कार, 2021 के लिये नामांकन की अंतिम तिथि 31 जनवरी, 2022 है।

प्रमुख बिंदु 

  • नारी शक्ति पुरस्कार 2021 के बारे में:
    • इस पुरस्कार को वर्ष 1999 में शुरू किया गया। यह भारत में महिलाओं के सम्मान में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
    • प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
    • नारी शक्ति पुरस्कार में 2 लाख रुपए की नकद पुरस्कार राशि और व्यक्तियों एवं संस्थानों को एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।
    • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व्यक्तियों/समूहों/गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ)/संस्थानों आदि के लिये इन राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों की घोषणा करता है। निम्नलिखित को पुरस्कार का वितरण किया जाता है:
      • महिलाओं को निर्णय लेने की भूमिकाओं में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु।
      • पारंपरिक और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं के कौशल विकास हेतु।
      • ग्रामीण महिलाओं को मूलभूत सुविधाएंँ उपलब्ध कराने के लिये।
      • विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल, कला, संस्कृति जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं को स्थायी रूप से बढ़ावा देने के लिये।
      • सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण, शिक्षा, जीवन कौशल, महिलाओं के सम्मान और सम्मान आदि की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य के लिये।
  • उद्देश्य:
    • समाज में महिलाओं की स्थिति को मज़बूत करने के उद्देश्य से महिलाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना।
    • यह युवा भारतीयों को समाज और राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं के योगदान को समझने का अवसर भी प्रदान करेगा।
      • यह वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में भी मदद करेगा।
      • एसडीजी 5: लैंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाना।
  • पात्रता:
    • दिशा निर्देशों के अनुसार, कम-से-कम 25 वर्ष की आयु का कोई भी व्यक्ति और संबंधित क्षेत्र में कम-से-कम 5 वर्षों तक कार्य करने वाले संस्थान आवेदन करने के पात्र हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

  • प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जाता है। सर्वप्रथम वर्ष 1909 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1977 में इसे अधिकारिक मान्यता प्रदान की गई।
  • पहली बार महिला दिवस वर्ष 1911 में ज़र्मनी के क्लारा ज़ेटकिन द्वारा मनाया गया था। प्रथम महिला दिवस की जड़ें मज़दूर आंदोलन से जुड़ी थीं। 
  • वर्ष 1913 में इसे 8 मार्च को मनाना निश्चित कर दिया गया था,जो वर्तमान तक जारी है।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहली बार वर्ष 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। 
  • दिसंबर 1977 में महासभा के सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपनी ऐतिहासिक और राष्ट्रीय परंपराओं के अनुसार, वर्ष के किसी भी दिन मनाए जाने वाला महिला अधिकार और अंतर्राष्ट्रीय शांति हेतु संयुक्त राष्ट्र दिवस घोषित करने का प्रस्ताव अपनाया गया।

स्रोत: पी.आई.बी 


उल्कापिंड (ALH) 84001

हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक नया अध्ययन उल्कापिंड (ALH) 84001 नामक उल्कापिंड की सतह पर कार्बनिक यौगिकों के अस्तित्व के लिये एक स्पष्टीकरण प्रदान करता है।

  • यह वर्ष 1984 में मंगल ग्रह से पृथ्वी पर उतरा और संभवतः मंगल (लाल ग्रह) पर जीवन के अस्तित्त्व को उजागर कर सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • एलन हिल्स (ALH) 84001 नाम का उल्कापिंड दिसंबर 1984 में अंटार्कटिका में एलन हिल्स के सुदूर पश्चिमी आइसफ़ील्ड में एक अमेरिकी उल्का मिशन में पाया गया था। इसकी खोज के समय इसे एक असामान्य चट्टान के रूप में पहचाना गया था।
      • खोज के समय इसके बारे में वर्णित किया गया था कि यह एक गोल ईंट या एक बड़े आलू के आकार का लगभग 6 इंच लंबा और आंशिक रूप से काले काँच के साथ कवर किया गया था।
    • वर्ष 2021 में नासा  के ‘पर्सिवरेंस रोवर’ ने मंगल ग्रह की चट्टान का पहला नमूना एकत्र किया।
    • यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उल्कापिंड मंगल ग्रह/लाल ग्रह से आया है क्योंकि कुछ गैसों के निशान की उपस्थिति मंगल ग्रह के वातावरण के समान है।
  • अध्ययन:
    • अध्ययन में कहा गया है कि उल्कापिंड में पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिक, जल और चट्टानों के बीच परस्पर क्रिया का परिणाम थे जो मंगल पर विद्यमान थे। यह पृथ्वी पर हुई प्रक्रिया के समान थी।
    • इस प्रकार की गैर-जैविक, भूवैज्ञानिक प्रतिक्रियाएंँ कार्बनिक कार्बन यौगिकों के एक पूल को निर्मित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जिनसे जीवन का विकास संभव था और एक ऐसा आधार प्रस्तुत करता है जिसे मंगल पर पिछले जीवन के साक्ष्य की खोज करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिये।
    • मंगल ग्रह पर जीवन की खोज केवल इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास नहीं है कि 'क्या हम अकेले हैं, बल्कि यह प्रारंभिक पृथ्वी के वातावरण से भी संबंधित है और 'हम कहाँ से आए हैं' के प्रश्न का भी उत्तर देने का प्रयास है।
  • उल्कापिंडों के अध्ययन का महत्व:
    • अंतरिक्ष एजेंसियों ने क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करने में सक्षम होने के लिये विशिष्ट मिशन शुरू किये हैं।
      • ऐसा ही एक उदाहरण नासा का ओएसआईआरआईएस-आरईएक्स मिशन (NASA’s OSIRIS-REx mission) है जिसे वर्ष 2018 में क्षुद्रग्रह बेन्नू (Asteroid Bennu) तक पहुँचने और प्राचीन क्षुद्रग्रह से नमूना वापस लाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
      • वैज्ञानिक उल्कापिंडों का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं क्योंकि उनकी जाँच से सौर मंडल और पृथ्वी की शुरुआत के बारे में सुराग मिलते हैं।

उल्का, उल्कापिंड और क्षुद्रग्रह के बीच अंतर:

  • उल्का (meteor), उल्कापिंड (meteorite) और क्षुद्रग्रह (Meteoroid) के बीच का अंतर और कुछ नहीं बल्कि वस्तुएँ है।
  • क्षुद्रग्रह (meteoroid) अंतरिक्ष में ऐसी वस्तुएँ हैं जिनका आकार धूल के कणों से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक होता है। जैसे कि अंतरिक्ष चट्टान।
  • जब क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो उन्हें उल्का (meteors) कहा जाता है।
  • लेकिन अगर कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर ज़मीन से टकराता है तो उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं।

Meteorite

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय सेना दिवस

भारत में हर साल 15 जनवरी को जवानों और भारतीय सेना की याद में सेना दिवस (Army Day) मनाया जाता है।

  • इस वर्ष भारत अपना 74वाँ सेना दिवस मना रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • 15 जनवरी, 1949 को, फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा (Kodandera Madappa Cariappa), जो उस समय लेफ्टिनेंट जनरल थे, ने जनरल सर फ्रांसिस बुचर (जो उस पद को धारण करने वाले अंतिम ब्रिटिश व्यक्ति) से भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार ग्रहण किया, थे।
    • के. एम. करियप्पा ने 'जय हिंद' का नारा अपनाया जिसका अर्थ है 'भारत की जीत'। वह फील्ड मार्शल की पाँच सितारा रैंक रखने वाले केवल दो भारतीय सेना अधिकारियों में से एक हैं, दूसरे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ हैं।
  • सेना दिवस:
    • देश के उन सैनिकों को सम्मानित करने के लिये प्रत्येक वर्ष सेना दिवस मनाया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा और भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल कायम की है तथा जिनके लिये देश-प्रेम सबसे बढ़कर है।
    • सेना दिवस के उपलक्ष्य में साल दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में परेड का आयोजन किया जाता है।
  • भारतीय सेना:
    • भारतीय सेना की उत्पत्ति ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुई, जो बाद में 'ब्रिटिश भारतीय सेना' और अंततः स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सेना बन गई।
    • भारतीय सेना की स्थापना लगभग 126 साल पहले अंग्रेज़ों ने 1 अप्रैल, 1895 को की थी।
    • भारतीय सेना को विश्व की चौथी सबसे सशक्त/मज़बूत सेना माना जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 जनवरी, 2022

ई-दाखिल पोर्टल:

उपभोक्ता शिकायत के ऑनलाइन समाधान के लिये शुरू किया गया ई-दाखिल पोर्टल (E-Daakhil Portal) अब 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरु हो चुका है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, जो 20 जुलाई, 2020 से लागू है, में उपभोक्ता आयोग में ई-फाइलिंग और शिकायत दर्ज करने हेतु ऑनलाइन भुगतान का प्रावधान है। ई-दाखिल पोर्टल उपभोक्ता की शिकायत दर्ज करने से लेकर शिकायत समाधान के लिये निर्धारित शुल्क कहीं से भी अदा करने की सुविधा उपलब्ध कराकर उपभोक्ताओं और उनके अधिवक्ताओं को सशक्त बनाता है। यह उपभोक्ता आयोगों के लिये भी सहायक है। इसकी मदद से उपभोक्ता आयोग आसानी से ऑनलाइन शिकायतों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने संबंधी निर्णय ले सकते हैं और संबंधित आयोग के पास आगे की कार्रवाई के लिये अग्रेषित कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को भी सुविधा उपलब्ध कराने के लिये यह निर्णय लिया गया कि सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) को ई-दाखिल के साथ एकीकृत किया जाए। ग्राम पंचायत स्तर पर कई उपभोक्ता ऐसे हो सकते हैं जिनके पास इलेक्ट्रोनिक संसाधन उपलब्ध न हों या उन्हें पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने में असुविधा हो, ऐसे में ग्रामीण उपभोक्ता अपनी शिकायत उपभोक्ता आयोग तक पहुंँचाने के लिये सामान्य सेवा केंद्रों की सेवाएँ ले सकते हैं। 

माघी मेला

हाल ही में कोविड की तीसरी लहर के बावजूद हज़ारों लोग ऐतिहासिक गुरुद्वारों में माघी देने और माघी के अवसर पर 'सरोवर' (पवित्र तालाब) में डुबकी लगाने के लिये एकत्र हुए। पंजाब के मुक्तसर में प्रत्येक वर्ष जनवरी अथवा नानकशाही कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने में माघी मेले का आयोजन किया जाता है। माघी वह अवसर है जब गुरु गोबिंद सिंह जी के लिये लड़ाई लड़ने वाले चालीस सिखों के बलिदान को याद किया जाता है। माघी की पूर्व संध्या पर लोहड़ी त्योहार मनाया जाता है, इस दौरान परिवारों में बेटों के जन्म की शुभकामना देने के उद्देश्य से हिंदू घरों में अलाव जलाया जाता है और उपस्थित लोगों को प्रसाद बाँटा जाता है। माघी का दिन की वीरतापूर्ण लड़ाई को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह को खोज रही मुगल शाही सेना द्वारा किये गए हमले से उनकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। मुगल शाही सेना और चाली मुक्ते के बीच यह लड़ाई 29 दिसंबर, 1705 को खिदराने दी ढाब के निकट हुई थी। इस लड़ाई में शहीद हुए चालीस सैनिकों (चाली मुक्ते) के शवों का अंतिम संस्कार अगले दिन किया गया जो कि माघ महीने का पहला दिन था, इसलिये इस त्योहार का नाम माघी रखा गया है। नानकशाही कैलेंडर को सिख विद्वान पाल सिंह पुरेवाल ने तैयार किया था ताकि इसे विक्रम कैलेंडर के स्थान पर लागू किया जा सके और गुरुपर्व एवं अन्य त्योहारों की तिथियों का पता चल सके।

विभिन्न भारतीय फसल कटाई त्योहार

भारत में मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, भोगली बिहू, उत्तरायण और पौष पर्व आदि के रूप में विभिन्न फसल कटाई त्योहार मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है जो सूर्य का आभार प्रकट करने के लिये समर्पित है। इस दिन लोग अपने प्रचुर संसाधनों और फसल की अच्छी उपज के लिये प्रकृति को धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार सूर्य के मकर (मकर राशि) में प्रवेश का प्रतीक है। लोहड़ी मुख्य रूप से सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाई जाती है। यह दिन शीत ऋतु की समाप्ति का प्रतीक है और पारंपरिक रूप से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का स्वागत करने के लिये मनाया जाता है। यह मकर संक्रांति से एक रात पहले मनाया जाता है, इस अवसर पर प्रसाद वितरण और पूजा के दौरान अलाव के चारों ओर परिक्रमा की जाती है। पोंगल शब्द का अर्थ है ‘उफान’ (Overflow) या विप्लव (Boiling Over)। इसे थाई पोंगल के रूप में भी जाना जाता है, यह चार दिवसीय उत्सव तमिल कैलेंडर के अनुसार ‘थाई’ माह में मनाया जाता है, जब धान आदि फसलों की कटाई की जाती है और लोग ईश्वर तथा भूमि की दानशीलता के प्रति आभार प्रकट करते हैं कि बिहू उत्सव असम में फसलों की कटाई के समय मनाया जाता है। असमिया नव वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिये लोग रोंगाली/माघ बिहू मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत उस समय हुई जब ब्रह्मपुत्र घाटी के लोगों ने ज़मीन पर हल चलाना शुरू किया। मान्यता यह भी है बिहू पर्व उतना ही पुराना है जितनी की ब्रह्मपुत्र नदी। मकरविलक्कू उत्सव सबरीमाला में भगवान अयप्पा के पवित्र उपवन में मनाया जाता है। यह वार्षिक उत्सव है तथा सात दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत मकर संक्रांति (जब सूर्य ग्रीष्म अयनांत में प्रवेश करता है) के दिन से होती है। त्योहार का मुख्य आकर्षण मकर ज्योति की उपस्थिति है, जो एक आकाशीय तारा है तथा मकर संक्रांति के दिन कांतामाला पहाड़ियों (Kantamala Hills) के ऊपर दिखाई देता है। मकरविलक्कू ‘गुरुथी' नामक अनुष्ठान के साथ समाप्त होता है, यह उत्सव वनों के देवता तथा वन देवियों को प्रसन्न करने के लिये मनाया जाता है।

भारत- फिलीपींस रक्षा समझौता

भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिये फिलीपींस ने भारत में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल के लिये भारत के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का अनुबंध किया है। फिलीपींस ने भारतीय नौसेना के लिये  तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति हेतु भारतीय ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के 375 मिलियन अमेरिकी डालर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योकि फिलीपींस सरकार के साथ नवीनतम ब्रह्मोस निर्यात ऑर्डर इस क्षेत्र में भारत के लिये अब तक का सबसे बड़ा समझौता होगा। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइलों को ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा डिज़ाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। यह मिसाइल ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) के सिद्धांत पर कार्य करती है, अर्थात् इसे लॉन्च करने के बाद आगे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक संयुक्त उद्यम कंपनी है जिसकी स्थापना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (The Defence Research and Development Organisation) रूस की मशिनोस्ट्रोयेनिया (Mashinostroyenia) ने की है। यह मध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाज़ों, विमानों या ज़मीन से लॉन्च किया जा सकता है। क्रूज़ मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है। गति के आधार पर ऐसी मिसाइलों को उपध्वनिक/सबसोनिक (लगभग 0.8 मैक), पराध्वनिक/सुपरसोनिक (2-3 मैक) और अतिध्वनिक/हाइपरसोनिक (5 मैक से अधिक) क्रूज मिसाइलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, साथ ही सबसे तेज़ क्रियाशील एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइल भी है। इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है परंतु लड़ाकू विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तक पहुँच जाती है। भविष्य में इसे 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है। ब्रह्मोस के विभिन्न संस्करण, जिनमें भूमि, युद्धपोत, पनडुब्बी और सुखोई -30 लड़ाकू जेट शामिल हैं, जिनको को पहले ही विकसित किया जा चुका है तथा अतीत में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। 5 मैक की गति तक पहुँचने में सक्षम मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण विकासशील है।