प्रिलिम्स फैक्ट्स (11 Nov, 2021)



ओनाके ओबाव्वा

कर्नाटक सरकार ने इस वर्ष (2021) से पूरे राज्य में 11 नवंबर को 'ओनाके ओबव्वा जयंती' (Onake Obavva Jayanti) के रूप में मनाने का फैसला किया है।

Onake-Obavva

प्रमुख बिंदु 

  • ओनाके ओबाव्वा के बारे में:
    • ओनाके ओबाव्वा एक महिला योद्धा थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में चित्रदुर्ग में एक मूसल (कन्नड़ में 'ओनाके') के साथ अकेले ही ‘हैदर अली’ की सेना से लड़ाई लड़ी थी।
    • मैसूर साम्राज्य के शासक और टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली ने चित्रदुर्ग किले पर आक्रमण किया, जिस पर 18वीं शताब्दी में मदकरी नायक (Madakari Nayaka ) का शासन था।
    • चित्रदुर्ग किला जिसे स्थानीय रूप से एलुसुतिना कोटे (सात मंडलों का किला) के रूप में जाना जाता है, बंगलूरू से 200 किमी. उत्तर-पश्चिम में चित्रदुर्ग में स्थित है।
      • ओनाके ओबाव्वा सैनिक कहले मुड्डा हनुमा की पत्नी थीं, जो किले के रक्षक थे।
  • ओबाव्वा का महत्त्व:
    • ओबाव्वा को कन्नड़ गौरव का प्रतीक माना जाता है तथा कर्नाटक राज्य की अन्य महिला योद्धाओं में शामिल किया जाता है जैसे-
      • अब्बक्का रानी (तटीय कर्नाटक में उल्लाल की पहली तुलुवा रानी जो पुर्तगालियों से लड़ी)।
      • केलाड़ी चेनम्मा (केलाडी साम्राज्य की रानी जो मुगल सम्राट औरंगज़ेब के खिलाफ लड़ने के लिये जानी जाती है)।
      • कित्तूर चेन्नम्मा (कित्तूर की रानी जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1824 के विद्रोह के लिये जाना जाता है)।
    • वर्ष 2018 में ओनाके ओबाव्वा से प्रेरित होकर चित्रदुर्ग पुलिस ने ज़िले में महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से महिला पुलिस कांस्टेबलों के लिये 'ओबव्वा पदे' (Obavva Pade) की शुरुआत की।

जनजातीय गौरव दिवस: 15 नवंबर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के जश्न के हिस्से के रूप में बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने हेतु 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • जनजातीय गौरव दिवस:
    • सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता देने हेतु प्रतिवर्ष ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन किया जाएगा।
      • उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कई आदिवासी आंदोलन किये। इन आदिवासी समुदायों में तामार, संथाल, खासी, भील, मिज़ो और कोल शामिल हैं।
    • प्रधानमंत्री द्वारा रांची में एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया जाएगा।
    • 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती भी है, जिन्हें पूरे भारत में आदिवासी समुदायों द्वारा भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है।
  • आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी:
    • बिरसा मुंडा:
      • उनका जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ था। वे मुंडा जनजाति से संबद्ध थे।
      • उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में आधुनिक झारखंड और बिहार के आदिवासी क्षेत्रों में ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय आदिवासी धार्मिक सहस्त्राब्दि आंदोलन का नेतृत्व किया।
    • शहीद वीर नारायण सिंह:
      • उन्हें छत्तीसगढ़ में सोनाखान का गौरव माना जाता है, उन्होंने वर्ष 1856 के अकाल के बाद व्यापारियों के अनाज के स्टॉक को लूट लिया और गरीबों में बाँट दिया।
      • वीर नारायण सिंह के बलिदान ने उन्हें आदिवासी नेता बना दिया और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ के पहले शहीद बने।
    • श्री अल्लूरी सीता राम राजू:
      • उनका जन्म 4 जुलाई, 1897 को आंध्र प्रदेश में भीमावरम के पास मोगल्लु नामक गाँव में हुआ था।
      • अल्लूरी को अंग्रेज़ों के खिलाफ ‘रम्पा विद्रोह’ का नेतृत्व करने के लिये सबसे ज़्यादा याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने विशाखापत्तनम और पूर्वी गोदावरी ज़िलों के आदिवासी लोगों को विदेशियों के खिलाफ विद्रोह करने के लिये संगठित किया।
      • वह ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ने के लिये बंगाल के क्रांतिकारियों से प्रेरित थे।
    • रानी गौंडिल्यू:
      • वह नगा समुदाय की आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता थीं, जिन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। 13 वर्ष की आयु में वह अपने चचेरे भाई हाइपौ जादोनांग के हेराका धार्मिक आंदोलन में शामिल हो गईं।
      • उनके लिये नगा लोगों की स्वतंत्रता की यात्रा स्वतंत्रता हेतु भारत के व्यापक आंदोलन का हिस्सा थी। उन्होंने मणिपुर क्षेत्र में गांधी जी के संदेश का भी प्रसार किया।
    • सिद्धू और कान्हू मुर्मू:
      • 30 जून, 1855 को 1857 के विद्रोह से दो वर्ष पूर्व दो संथाल भाइयों सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने 10,000 संथालों का एकत्र किया और अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की।
      • आदिवासियों ने अंग्रेज़ों को अपनी मातृभूमि से भगाने की शपथ ली। मुर्मू भाइयों की बहनों फूलो और झानो ने भी विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 नवंबर, 2021

शांति और विकास के लिये विश्व विज्ञान दिवस

हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्त्व और प्रासंगिकता को बढ़ावा देने तथा शांति व विकास के लिये  प्रत्येक वर्ष 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिवस समाज में विज्ञान की महत्त्वपूर्ण भूमिका और वैज्ञानिक मुद्दों पर बहस में आम जनता को संलग्न करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को विज्ञान के विकास से अवगत किया जाए। साथ ही यह दिवस पृथ्वी को लेकर हमारी समझ को व्यापक बनाने में विज्ञान की भूमिका को भी रेखांकित करता है। शांति और विकास के लिये विश्व विज्ञान दिवस सर्वप्रथम 10 नवंबर, 2002 को यूनेस्को (UNESCO) के तत्त्वावधान में दुनिया भर में मनाया गया था। यह दिवस वर्ष 1999 में बुडापेस्ट में आयोजित विज्ञान विषय पर विश्व सम्मेलन का परिणाम है। यह दिवस आम जनता को उनके जीवन में विज्ञान की प्रासंगिकता दर्शाने और इसे वार्ता में शामिल करने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम ‘बिल्डिंग क्लाइमेट-रेडी कम्युनिटीज़’ रखी गई है। 

नेपाल के सेना प्रमुख को भारतीय जनरल की मानद रैंक

वर्ष 1950 में शुरू हुई परंपरा के हिस्से के तौर पर नेपाल के सेना प्रमुख जनरल ‘प्रभु राम शर्मा’ को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा 'भारतीय सेना के जनरल' की मानद रैंक से सम्मानित किया गया है। जनरल प्रभु राम शर्मा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विस्तार के तरीकों का पता लगाने हेतु भारत की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भारतीय सेना प्रमुख मनोज नरवणे को नवंबर 2020 में नेपाल सेना के मानद जनरल के पद से सम्मानित किया था। नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण वह हमारी विदेश नीति में भी विशेष महत्त्व रखता है। भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में समान संबंध साझा करते हैं, उल्लेखनीय है कि बुद्ध का जन्मस्थान लुम्बिनी नेपाल में है और उनका निर्वाण स्थान कुशीनगर भारत में स्थित है। वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति एवं मित्रता संधि’ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है। भारत-नेपाल की खुली सीमा दोनों देशों के संबंधों की विशिष्टता है, जिससे दोनों देशों के लोगों को आवागमन में सुगमता रहती है।

‘टेली-लॉ ऑन व्हील्स’ अभियान

विधि एवं न्‍याय मंत्रालय के तहत न्याय विभाग ने 8 नवंबर से लेकर 14 नवंबर, 2021 तक सप्ताह भर चलने वाले ‘टेली-लॉ ऑन व्हील्स’ अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के एक हिस्से के रूप में लोगों को उनके अधिकारों के संबंध में सही तरीके से दावा करने और मुकदमे से पूर्व दी जाने वाली सलाह के माध्यम से सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों की एक शृंखला शुरू की जा रही है। इस अभियान के संदेश को प्रदर्शित करने वाली विशेष मोबाइल वैन भी चलाई गई है। ये वैन प्रतिदिन 30-40 किलोमीटर की दूरी तय करेंगी, टेली-लॉ से संबंधित सूचना-पत्रक वितरित करेंगी, टेली-लॉ सेवाओं के बारे में फिल्मों एवं रेडियो जिंगल आदि का भी प्रसारण करेंगी।

स्टार्टअप्स व एमएसएमई हेतु भारत-इज़रायल समझौता

स्टार्टअप्स व एमएसएमई में नवाचार एवं त्वरित अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) तथा इज़रायल के ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास निदेशालय’ (DDR&D) ने एक द्विपक्षीय नवाचार समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौते के तहत दोनों देशों के स्टार्टअप्स और उद्योग अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों व उत्पादों को कई क्षेत्रों में लाने के लिये एक साथ मिलकर काम करेंगे। इन क्षेत्रों में ड्रोन्स, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), क्वांटम टेक्नोलॉजी, फोटोनिक्स, बायो सेंसिंग, ब्रेन-मशीन इंटरफेस, ऊर्जा भंडारण और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग आदि शामिल हैं। उत्पाद व प्रौद्योगिकियों को दोनों देशों की अद्वितीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये अनुकूलित किया जाएगा। इन प्रोद्योगिकियों को संयुक्त रूप से ‘DRDO’ और ‘DDR&D’ द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।