प्रिलिम्स फैक्ट्स (09 Feb, 2023)



CAR टी-सेल थेरेपी

कैंसर के मुख्य उपचार सर्जरी, रेडियोथेरेपी और सिस्टमिक थेरेपी हैं।

  • समय के साथ सर्जरी और रेडियोथेरेपी में सुधार हुआ है, हालाँकि प्रणालीगत चिकित्सा में विशेष रूप से प्रभावशाली प्रगति रही है, हाल ही में काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (Chimeric Antigen Receptor- CAR) T-सेल थेरेपी की सफलता ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।

कैंसर उपचार की प्रणालीगत चिकित्सा में प्रमुख हस्तक्षेप:

  • सिस्टमिक थेरेपी कीमोथेरेपी से शुरू हुई, जो कैंसर कोशिकाओं की तेज़ी से वृद्धि को रोकती है।
    • कीमोथेरेपी दवाओं की सीमित सफलता और अधिक दुष्प्रभाव देखे गए हैं क्योंकि वे शरीर में कई प्रकार की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं।
  • अगला कदम लक्षित एजेंटों का विकास करना था, जिन्हें इम्यूनोथेरेपी के रूप में भी जाना जाता है, यह कैंसर या इसके विकास में सहायक प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर लक्षित नियंत्रण प्राप्त कर इनकी वृद्धि को कम करती है।
    • इसका दुष्प्रभाव देखा गया है क्योंकि यह गैर-ट्यूमर कोशिकाओं को कम प्रभावित करती है क्योंकि यह केवल उन ट्यूमर पर काम करती है जिनके लिये इसे लक्षित किया गया है।

CAR T-सेल थेरेपी:

  • परिचय:
    • CAR T-सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में एक बड़ी सफलता है।
      • कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी, जिसमें ड्रग्स लेना शामिल है, के विपरीत CAR T-सेल थेरेपी रोगी की कोशिकाओं का उपयोग करती है। उन्हें टी-कोशिकाओं को सक्रिय करने और ट्यूमर कोशिकाओं को लक्षित करने हेतु इनको प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है।
    • ल्यूकेमिया (श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं से उत्पन्न होने वाले कैंसर) और लिम्फोमा (लसीका प्रणाली से उत्पन्न होने वाले) के लिये CAR T-सेल थेरेपी को मंज़ूरी दी गई है।
  • प्रक्रिया:
    • टी कोशिकाओं को एक रोगी के रक्त से लिया जाता है और फिर एक विशेष रिसेप्टर के जीन को प्रयोगशाला में T- कोशिकाओं से संयोजित किया जाता है जो रोगी की कैंसर कोशिकाओं पर एक निश्चित प्रोटीन को लक्षित करता है।
      • विशेष रिसेप्टर को काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) कहा जाता है। बड़ी संख्या में CAR T- कोशिकाएँ प्रयोगशाला में सृजित की जाती हैं और इन्फ्यूज़न द्वारा रोगी को दी जाती हैं।

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  • महत्त्व:
    • CAR T-सेल थेरेपी लक्षित एजेंटों की तुलना में और भी अधिक विशिष्ट है एवं कैंसर से लड़ने के लिये रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को सीधे प्रेरित करती हैं, जिससे अधिक नैदानिक ​​प्रभावकारिता बढ़ जाती है।
      • इसलिये उन्हें "जीवित दवाएँ" कहा जाता है।
  • चुनौतियाँ:
    • तैयारी:
      • CAR T-सेल थेरेपी तैयार करने में होने वाली कठिनाई इसके व्यापक उपयोग में एक बड़ी बाधा रही है।
      • इसका पहला सफल नैदानिक परीक्षण एक दशक पहले प्रकाशित हुआ था और भारत में पहली स्वदेशी विकसित चिकित्सा वर्ष 2021 में शुरू की गई थी।
    • दुष्प्रभाव:
      • कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया और लिम्फोमा में प्रभावकारिता 90% तक होती है, जबकि अन्य प्रकार के कैंसर में यह काफी कम होती है।
      • संभावित दुष्प्रभाव के अंतर्गत साइटोकिन रिलीज़ सिंड्रोम (प्रतिरक्षा प्रणाली का व्यापक सक्रियण (Activation ) और शरीर की सामान्य कोशिकाओं को संपार्श्विक क्षति) तथा न्यूरोलॉजिकल लक्षण (गंभीर भ्रम, दौरे और बोल पाने में अक्षमता) शामिल हैं।
    • लागत प्रभावी:
      • लागत और मूल्य, भारत में CAR T-सेल थेरेपी की शुरुआत की प्रमुख चुनौतियाँ हो सकती हैं।
      • आलोचकों का तर्क है कि भारत में CAR T-सेल थेरेपी विकसित करना लागत प्रभावी नहीं हो सकता है क्योंकि यह अभी अधिकांश लोगों के लिये अवहनीय है।

T-सेल:

  • T-कोशिकाएँ, जिन्हें T-सेल लिम्फोसाइट्स के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएँ हैं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।
  • T-कोशिकाएँ कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा में शामिल होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे शरीर को विदेशी तत्त्वों, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया और कैंसर कोशिकाओं जैसे असामान्य कोशिकाओं को पहचानने तथा प्रतिक्रिया प्रदान करने में मदद करती हैं।
  • T-कोशिकाएँ प्रमुखतः दो प्रकार की होती हैं: हेल्पर T-सेल और साइटोटॉक्सिक T-सेल।
    • जैसा कि नाम से स्पष्ट है, सहायक T-कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रणाली की अन्य कोशिकाओं की 'मदद' करती हैं, जबकि साइटोटोक्सिक T-कोशिकाएँ विषाणु से संक्रमित कोशिकाओं और ट्यूमर को नष्ट करती हैं।

कैंसर के उपचार से संबंधित सरकारी पहल:

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 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022)

(a) वे शरीर को पर्यावरण प्रत्यूर्जकों (एलार्जनों) से संरक्षित करती हैं।
(b) वे शरीर के दर्द और सूजन का अपशमन करती हैं।
(c) वे शरीर में प्रतिरक्षा-निरोधकों के रूप में कार्य करती हैं।
(d) वे शरीर को रोगजनकों द्वारा होने वाले रोगों से बचाती हैं।

उत्तर: D

स्रोत: द हिंदू


सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित मिसाइल प्रणाली

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित मिसाइल प्रणाली (Quick Reaction Surface to Air Missile System- QRSAM) का अप्रैल 2023 में फिर से परीक्षण किया जाना है।

  • साथ ही DRDO द्वारा इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ (IAI) के सहयोग से एक मध्यम रेंज मिसाइल (SAM) विकसित किया जा रहा है। यह आर्मी संस्करण का पहला लॉन्च दिसंबर 2020 में किया गया था और इसका प्रशिक्षण चालू है तथा यह तैनाती के लिये तैयार है।

QRSAM:

  • परिचय:
    • QRSAM एक कनस्तर आधारित प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि इसे विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए खंडों द्वारा संग्रहीत और संचालित किया जाता है।
      • कनस्तर में आंतरिक वातावरण नियंत्रण प्रणाली होती है, इस प्रकार इसके परिवहन और भंडारण को आसान बनाने के साथ-साथ हथियारों की शेल्फ लाइफ में भी काफी सुधार होता है।
    • इस प्रणाली में छोटे पड़ावों के साथ लक्ष्यों को संलग्न करने और गतिमान लक्ष्यों का पता लगाने तथा उन्हें ट्रैक करने की क्षमता है।

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  • रेंज और गतिशीलता:
    • यह एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है, जिसे मुख्य रूप से DRDO द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है ताकि दुश्मन के हवाई हमलों से सेना के बख्तरबंद क्षेत्रों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जा सके।
    • संपूर्ण हथियार प्रणाली को एक मोबाइल और चलने योग्य प्लेटफॉर्म पर आकार प्रदान किया गया है और यह गतिशील अवस्था में भी वायु रक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
    • इसे सेना में शामिल करने के लिये डिज़ाइन किया गया है और इसकी सीमा 25 से 30 किलोमीटर है।
    • इसे सेना में शामिल करने के लिये डिज़ाइन किया गया है और इसकी सीमा 25 से 30 किलोमीटर है।
  • कार्य पद्धति:
    • QRSAM हथियार के साथ चलायमान अवस्था में कार्य करता है, जिसमें पूरी तरह से स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली शामिल है।
      • इसमें एक लॉन्चर के साथ दो रडार- एक्टिव एरे बैटरी सर्विलांस रडार और एक्टिव एरे बैटरी मल्टीफंक्शन रडार भी शामिल हैं।
    • दोनों रडार में "सर्च ऑन मूव" और "ट्रैक ऑन मूव" क्षमताओं के साथ 360-डिग्री कवरेज है।
    • यह प्रणाली कॉम्पैक्ट है, जो एकल चरण सॉलिड प्रोपेल्ड मिसाइल का उपयोग करती है तथा इसमें DRDO द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सिंगल स्टेज सॉलिड प्रोपेल्ड मिसाइल दोतरफा डेटा-लिंक और खोज करने वाले सक्रिय टर्मिनल के साथ मिडकॉर्स इनर्सियल नेविगेशन प्रणाली है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) क्या है? (2018)

(a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली
(b) भारत का घरेलू मिसाइल प्रतिरोधी कार्यक्रम
(c) अमेरिकी मिसाइल प्रतिरोधी प्रणाली
(d) जापान और दक्षिण कोरिया के बीच एक रक्षा सहयोग

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • अमेरिका की थाड (THAAD) मिसाइल प्रणाली मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को उनकी उड़ान के शुरुआती दौर में ही गिराने के लिये डिज़ाइन की गई है।
  • इसमे वायुमंडल के अंदर और बाहर मिसाइल को इंटरसेप्ट करने की क्षमता है।
  • यह अन्य बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों के साथ इंटरऑपरेबल है और विश्व भर में अत्यधिक गतिशील एवं तैनाती योग्य है।
  • अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

प्रश्न: अग्नि-IV प्रक्षेपास्त्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2014)

  1. यह धरातल-से-धरातल पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
  2. इसमें केवल द्रव्य नोदक ईधन के रूप में इस्तेमाल होता है।
  3. यह एक टन नाभिकीय वार हेड लगभग 7500 किमी. दूरी तक फेंक सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • अग्नि- IV भारत की परमाणु-संपन्न लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल/प्रक्षेपास्त्र है, जिसकी मारक क्षमता 4,000 किमी. है।
  • स्वदेश निर्मित अग्नि- IV सतह-से-सतह पर मार करने वाली दो चरणों वाली मिसाइल है। यह 17 टन वज़न के साथ 20 मीटर लंबी है। अत: कथन 1 सही है।
  • यह दो चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणाली है जो एक टन के परमाणु हथियार को 4,000 किलोमीटर की दूरी तक ले जा सकती है। अत: कथन 2 और 3 सही नहीं हैं।
  • अत: विकल्प (a) सही है।

स्रोत: द हिंदू


अमृत सरोवर मिशन

15 अगस्त, 2023 तक 50,000 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 9 महीने की अवधि में अब तक 30,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण कर निर्धारित लक्ष्य का 60% प्राप्त किया जा चुका है।

अमृत सरोवर मिशन:

  • परिचय:
    • 24 अप्रैल, 2022 को अमृत सरोवर मिशन को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष हेतु भारत की "आज़ादी का अमृत महोत्सव" समारोह के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
    • मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को दूर करने के लिये भारत के प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण/कायाकल्प करना है।
  • अमृत सरोवर मिशन की प्रमुख विशेषताएँ:
    • सरकार का संपूर्ण दृष्टिकोण:
      • केंद्र सरकार के छह मंत्रालय तकनीकी संगठनों, जैसे- भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लीकेशन एंड जियो-इंफॉर्मेटिक्स (BISAG-N) और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों के साथ मिलकर "संपूर्ण सरकार (Whole of Government)" दृष्टिकोण से काम कर रहे हैं।
        • ये छह मंत्रालय ग्रामीण विकास मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय हैं।
    • जन भागीदारी:
      • जन भागीदारी इस मिशन का मूल उद्देश्य है और इसमें सभी स्तरों पर भागीदारी शामिल है।
      • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्वतंत्रता सेनानियों, पंचायत के सबसे बड़े सदस्यों, स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों के परिवार के सदस्यों, पद्म पुरस्कार विजेताओं आदि की भागीदारी का लाभ उठा रहे हैं।
    • अभिनव उपाय:
    • ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा:
      • पूर्ण किये गए सरोवर सिंचाई, मत्स्यपालन, बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती और पशुपालन जैसी गतिविधियों के लिये उपयोग किये जाने से ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिल रहा हैं।
        • इन गतिविधियों को प्रत्येक अमृत सरोवर से जुड़े विभिन्न उपयोगकर्त्ता समूहों द्वारा किया जाता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य को सर्वोत्तम रूप से वर्णित करता/करते है/हैं? (2016)

  1. पर्यावरणीय लाभों और लागतों को केंद्र एवं राज्य के बजट में सम्मिलित करते हुए तदद्वारा 'हरित लेखाकरण (ग्रीन एकाउंटिंग)' को अमल में लाना।
  2. कृषि उत्पादन के संवर्द्धन हेतु द्वितीय हरित क्रांति आरंभ करना जिससे भविष्य में सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
  3. वन आच्छादन की पुनर्प्राप्ति और संवर्द्धन करना तथा अनुकूलन (एडैप्टेशन) एवं न्यूनीकरण (मिटीगेशन) के संयुक्त उपायों से जलवायु परिवर्तन का प्रत्युत्तर देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 फरवरी, 2023

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना

हाल ही में बजट 2023-24 में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान (Prime Minister-Vishwakarma Kaushal samman: PM-VIKAS) योजना की घोषणा की गई है।

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इस योजना के माध्यम से सरकार द्वारा पारंपारिक कलाकारों और शिल्पकारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जिसके लिये सरकार इस योजना के तहत शिल्पकारों को एमएसएमई सेक्टर का हिस्सा बनाएगी। साथ ही उन्हें एमएसएमई मूल्य शृंखला के साथ संग्लग्न करते हुए उत्पादों की गुणवत्ता, पैमाने और पहुँच में सुधार करने में सक्षम बनाएगी। इस योजना के माध्यम से अलग-अलग पारंपारिक कौशल को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके लिये उन्हें ट्रेनिंग और फंडिंग प्रदान करने के साथ ही तकनीकी सुविधाओं से भी लाभान्वित किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों, महिलाओं एवं कमज़ोर वर्गों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। विश्वकर्मा समुदाय के अंतर्गत देश के 140 से ज़्यादा जातियाँ आती हैं जो कि देश की एक बड़ी आबादी को कवर करती हैं।

मिष्टी योजना (MISHTI SCHEME)

हाल ही में वर्ष 2023 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा मिष्टी (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes: MISHTI) योजना की घोषणा की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के समुद्र तट के साथ-साथ लवणीय भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण की सुविधा प्रदान करना है। यह योजना मनरेगा, कैम्पा (CAMPA) फंड एवं अन्य स्रोतों के मध्य अभिसरण के माध्यम से संचालित की जाएगी। मैंग्रोव ही समुद्र में आने वाली सूनामी जैसे बड़े दुष्प्रभावों को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैंग्रोव कुल भारतीय भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% हिस्सा कवर करते हैं। यह लगभग 4,975 वर्ग किलोमीटर में है। अकेले पश्चिम बंगाल राज्य में भारत के मैंग्रोव का 42.45% हिस्सा है। मैंग्रोव वन आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, अंडमान और निकोबार, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु में फैले हुए हैं। मिष्टी ( (MISHTI) योजना समुद्र तट के किनारे मैंग्रोव वनों की रक्षा करने में सहायक होगी। मैंग्रोव वृक्ष लवणीय जल के प्रति सहिष्णु होने के साथ ही उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की तुलना में चार गुना अधिक कार्बन पृथक्करण करने में सक्षम हैं।

क्वाड साइबर चैलेंज

क्वाड देशों द्वारा क्वाड साइबर चैलेंज शुरू किया जा रहा है, यह 4 देशों में साइबर सुरक्षा सुधार के लिये एक सार्वजनिक अभियान है। इस चैलेंज में शामिल होने और सुरक्षित तथा ज़िम्मेदारी पूर्वक साइबर का उपयोग करने की शपथ लेने के लिये पूरे हिंद-प्रशांत एवं अन्य क्षेत्रों के इंटरनेट-उपयोगकर्त्ताओं को आमंत्रित किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के साथ भारत का राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक इस चुनौती में समन्वयक निकाय है। साइबर अपराध और अन्य दुर्भावनापूर्ण साइबर खतरे, जो सालाना खरबों डॉलर का नुकसान कर सकते हैं तथा संवेदनशील, व्यक्तिगत डेटा से समझौता कर सकते हैं, के निशाने पर विश्व भर के इंटरनेट उपयोगकर्त्ता हैं। कई साइबर-हमलों को सरल निवारक उपायों द्वारा संरक्षित किया जा सकता है जैसे- नियमित रूप से सुरक्षा अद्यतन, मज़बूत और नियमित रूप से बदलते हुए पासवर्ड का उपयोग करना, फिशिंग जैसे सामान्य ऑनलाइन घोटालों के बारे में जागरूकता। QUAD भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के रूप में चार लोकतांत्रिक देशों का समूह है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र को "स्वतंत्र, खुला और समृद्ध" बनाना तथा उसका समर्थन करना है।
और पढ़ें…क्वाड, साइबर सुरक्षा

RBI ने रेपो रेट में वृद्धि की

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है, जो लगातार छठी दर वृद्धि है। मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) में अपनी सबसे हालिया बैठक में 6.4% वास्तविक GDP वृद्धि (वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये) का अनुमान लगाया है।। रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है।

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और पढ़ें…मौद्रिक नीति समिति (इन्फोग्राफिक)

टिड्डियों के एंटीना के साथ इज़रायल का सूंँघने वाला रोबोट

इज़रायल के वैज्ञानिकों ने जैविक सेंसर से लैस एक नया सूंँघने वाला रोबोट विकसित किया है जो टिड्डियों के एंटीना का उपयोग करता है (टिड्डियाँ अपने एंटीना से सूँघती हैं और उनमें सूंँघने की तीव्र क्षमता होती है)
यह रोबोट को मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक स्निफर्स की तुलना में कहीं अधिक संवेदनशील बनाता है और अग्रिम रोग निदान एवं बेहतर सुरक्षा जाँच में सहायक होता है। शोधकर्त्ताओं ने कीट के एंटीना को रोबोट पर दो इलेक्ट्रोड के बीच रखा जो पास की गंध की प्रतिक्रिया के रूप में विद्युत संकेत भेजता है। मशीन लर्निंग से रोबोट अलग-अलग गंधों की पहचान करने में सक्षम है।

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और पढ़ें… टिड्डी, मशीन लर्निंग

ऑपरेशन दोस्त

भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत भूकंप प्रभावित तुर्किये की मदद के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (National Disaster Response Force- NDRF) के कर्मियों, आवश्यक वस्तुओं और चिकित्सा उपकरणों को लेकर अपना छठा विमान भेजा है। छठी उड़ान में बचाव दल, डॉग स्क्वायड और आवश्यक दवाएँ शामिल हैं। ऑपरेशन दोस्त के तहत भारतीय सेना द्वारा तुर्किये के हटाय प्रांत में एक फील्ड अस्पताल स्थापित किया गया है। भारत ने सीरिया में चिकित्सा आपूर्ति के साथ एक परिवहन विमान भी भेजा है। 6 फरवरी, 2023 को रिक्टर पैमाने पर 7.7 की तीव्रता के भूकंप ने तुर्किये और सीरिया को प्रभावित किया है, इसके बाद कई आफ्टरशॉक्स भी देखे गए, जिससे दोनों देशों में भारी तबाही के साथ जानमाल की क्षति तथा बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुंँचा। ऑपरेशन दोस्त इस बात का प्रतीक है कि भारत तुर्किये का मित्र है अर्थात् दोनों को अपने संबंधों को अधिक मज़बूत करना चाहिये। इससे पहले NDRF को इसी तरह के दो अंतर्राष्ट्रीय अभियानों- वर्ष 2011 में जापान ट्रिपल डिज़ास्टर (भूकंप, सुनामी और परमाणु संकट) एवं वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप हेतु भेजा गया था।

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