प्रिलिम्स फैक्ट्स (08 Nov, 2021)



बौद्धिक संपदा के रूप में दार्जिलिंग टॉय ट्रेन का लोगो

हाल ही में भारत ने अंतत: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ‘टॉय ट्रेन’ (Darjeeling Toy Train) के लोगो (Logos) को  अपनी बौद्धिक संपदा के रूप में पंजीकृत किया है।

  • इसके बाद यह दावा विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) को भेजा गया, जो कि  विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के वियना वर्गीकरण (VCL) में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार है। किसी भी प्रति-दावे को दर्ज करने के लिये छह महीने का समय निर्धारित है, जिसके बाद भारत सरकार के दावे को अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति प्राप्त होगी।

Himalayan

प्रमुख बिंदु  

  • परिचय:
    • दुनिया में कहीं भी इस लोगो के उपयोग के लिये अब भारत से लिखित अनुमति और शुल्क के भुगतान की आवश्यकता होगी।
    • दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR) के दो लोगो हैं, दोनों का पेटेंट कराया जा चुका है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक के साथ लोगो को पंजीकृत करने की प्रक्रिया अगस्त 2021 में शुरू की गई थी। इसके बाद इसे डब्ल्यूआईपीओ को भेजा गया था।
    • दोनों लोगो (logo) एक सदी से अधिक पुराने हैं और विश्व विरासत सर्किट में लोकप्रिय हैं।  
    • यूरोप, यूके और अमेरिका में विभिन्न वाणिज्यिक संगठनों द्वारा व्यापारिक वस्तुओं और संचार सामग्री पर उनका अव्यवस्थित ढंग से उपयोग किया जाता है; यहाँ तक कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अतीत में संचार और व्यापारिक वस्तुओं पर इसका इस्तेमाल किया है।
    • महत्त्व: इससे दार्जिलिंग टॉय ट्रेन के 'आयरन शेरपा' ब्लू स्टीम लोकोमोटिव को स्विट्ज़रलैंड में प्रसिद्ध ट्रांसलपाइन रैटियन रेलवे (Rhaetian Railway ) के समान दर्ज़ा प्राप्त होगा और दुनिया भर में इसकी मान्यता और प्रमुखता को बढ़ावा देने की संभावना है।
  • दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR):
    • DHR का निर्माण ब्रिटिश काल में वर्ष 1879 और 1881 के बीच किया गया था।
    • यह पश्चिम बंगाल में हिमालय की तलहटी में स्थित है।
    • यह पहाड़ी यात्री रेलवे का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका डिज़ाइन पहाड़ी इलाके में एक प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने की समस्या के लिये साहसिक और सरल इंजीनियरिंग समाधान लागू करता है।
    • इसे वर्ष 1999 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
      • अन्य पर्वतीय रेलवे जिन्हें विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया:

WIPO का वियना वर्गीकरण

  •  वियना वर्गीकरण (VCL) एक अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण प्रणाली है जिसे वर्ष 1973 में वियना समझौते द्वारा स्थापित किया गया था, जो मार्क्स के आलंकारिक तत्त्वों का एक अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण स्थापित करता है और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा प्रशासित है।
    • WIPO संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी एजेंसियों में से एक है।इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • इसमें एक पदानुक्रमित प्रणाली होती है जो सामान्य से विशेष तक आगे बढ़ती है, जो अंकों के आलंकारिक तत्त्वों को उनके आकार के आधार पर श्रेणियों, विभागों और वर्गों में वर्गीकृत करती है।

‘काहो’ गाँव: अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में चीन सीमा पर स्थित गाँव ‘काहो’ पर एक वृत्तचित्र/डॉक्यूमेंट्री बनाने की योजना बना रहा है।

Arunachal-Pradesh

प्रमुख बिंदु

  • ‘काहो’ गाँव
    • ‘काहो; अंजॉ ज़िले में चीन की सीमा से लगा पहला गाँव है।
      • अंजॉ अरुणाचल प्रदेश के 11 ज़िलों में से एक है, जो चीन के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं।
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, काहो में केवल 65 निवासी हैं और साक्षरता दर 64.15% है।
    • इस गाँव और यहाँ मौजूद ‘मेयर’ जनजाति के स्थानीय लोगों पर यह डॉक्यूमेंट्री बनाई जाएगी।
      • मेयर एक छोटी जनजाति है, जो ज़िले के किबिथू और वालॉन्ग सर्कल में रहती है।
      • मेयर भी मिशमी की तरह एनिमिस्ट यानी जीववादी हैं, लेकिन उन्होंने भी महायान बौद्ध धर्म को अपनाया है।
      • अरुणाचल प्रदेश की अन्य जनजातियों में शामिल हैं: अबोर, अका, अपतानी, डफला, गैलोंग, खम्पती, खोवा, मिश्मी, मोनपा, मोम्बा, नगा जनजाति, शेरडुकपेन, सिंगफो।
    • ‘काहो’, लोहित नदी द्वारा विभाजित किबिथू ब्लॉक के सात गाँवों में से एक है, जिसने वर्ष 1962 में चीन के हमले का सामना किया था। इसके लोगों ने भारतीय सैनिकों की सहायता की थी, जिनकी संख्या तुलनात्मक रूप से काफी कम थी।
  • लोहित नदी
    • यह ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी है।
      • ब्रह्मपुत्र नदी मानसरोवर झील (तिब्बत) के पास कैलाश रेंज के चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से सियांग या दिहांग के नाम से निकलती है। यह अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम से भारत में प्रवेश करती है।
    • यह पूर्वी तिब्बत में ज़ायल चू रेंज से निकलती है और असम के मैदानी इलाकों में पहुँचने से पहले अरुणाचल प्रदेश से 200 किलोमीटर तक चलती है।

Lohit-River


देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति

हाल ही में कनाडा से एक सदी से अधिक समय के बाद देवी अन्नपूर्णा की एक प्राचीन मूर्ति को भारत वापस लाया गया।

  • यह मूर्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा प्राप्त की गई है। इसे इसके मूल स्थान काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
  • इस मूर्ति की देश से बाहर तस्करी वर्ष 1913 के आसपास की गई थी।

Goddess-Annapurna-Idol

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • देवी अन्नपूर्णा: यह अन्न की देवी हैं। इन्हें देवी पार्वती की अभिव्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है।
      • मूर्ति के एक हाथ में एक कटोरी (जिसमें खीर भरी हुई है) और दूसरे हाथ में एक चम्मच उपस्थित है।
    • बनारस शैली: बनारस शैली में उकेरी गई 18वीं शताब्दी की मूर्ति, कनाडा के रेज़िना विश्वविद्यालय में मैकेंज़ी आर्ट गैलरी में संग्रह का हिस्सा थी।
      • वाराणसी, जिसे बनारस, या काशी या कासी के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध एवं पवित्र शहर है। वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी बनाती है।
  • काशी विश्वनाथ मंदिर: यह भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।
    • यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
    • यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें शिव मंदिरों में सबसे पवित्र माना जाता है।
    • इसका निर्माण वर्ष 1780 में मराठा साम्राज्य के दौरान, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)

  • संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पुरातात्विक अनुसंधान और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
  • यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
  • इसकी गतिविधियों में पुरातात्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्विक स्थलों की खोज और उत्खनन करना, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रख-रखाव आदि शामिल हैं।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में इसके पहले महानिदेशक ‘अलेक्ज़ेंडर कनिंघम’ ने की थी। ‘अलेक्ज़ेंडर कनिंघम’ को ‘भारतीय पुरातत्व के पिता’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ‘प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958’ के प्रावधानों के तहत कार्य करता है।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 नवंबर, 2021

‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड’

07 नवंबर, 2021 को ‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (NTPC) का 47वाँ स्थापना दिवस आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्युत मंत्री ने कहा कि सरकार एनटीपीसी को राष्‍ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय कंपनी बनने की ओर आगे बढ़ रही है। एनटीपीसी लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है। एनटीपीसी-आरईएल, एनटीपीसी की 100 % हिस्सेदारी वाली कंपनी है। भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी, एनटीपीसी की स्‍थापना वर्ष 1975 में भारत के विद्युत विकास में तेज़ी लाने के लिये की गई थी। इसका उद्देश्य नवाचार द्वारा संचालित किफायती, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से विश्वसनीय बिजली तथा संबंधित समाधान प्रदान करना है। मई 2010 में इसे महारत्न कंपनी घोषित किया गया। यह नई दिल्ली में स्थित है। ‘डी.वी कपूर’ एनटीपीसी के पहले अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। ‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड’ का पहला सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश के सिंगरौली में स्थापित किया गया था।

भारत और भूटान के बीच सात नए प्रवेश और निकास बिंदु

सरकार ने हाल ही में व्यापारिक संपर्क बढ़ाने के उपायों के तहत भारत और भूटान में व्यापार के लिये सात अतिरिक्त प्रवेश और निकास बिंदु शुरू करने की घोषणा की है। यह निर्णय भारत और भूटान के बीच व्यापार और ट्रांज़िट मुद्दों पर आयोजित वाणिज्य सचिव स्तर की बैठक में लिया गया। इन सात नए प्रवेश बिंदुओं में नगरकाटा लैंड सीमा शुल्क स्टेशन; अगरतला लैंड सीमा शुल्क स्टेशन; पांडु बंदरगाह (गुवाहाटी स्टीमरघाट); जोगीघोपा बंदरगाह और एशियाई राजमार्ग 48, कामर्दविसा एवं बीरपार आदि शामिल हैं। यह व्यापार, वाणिज्य और पारगमन पर 2016 के भारत-भूटान समझौते के प्रोटोकॉल का एक परिशिष्ट होगा। इससे पारस्‍परिक लाभ के लिये भारत-भूटान द्विपक्षीय व्‍यापार को मज़बूती प्रदान की जा सकेगी। ज्ञात हो कि वर्ष 2014 के बाद से भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2014-15 के 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 1083 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। 

हरियाणा में स्थानीय लोगों के लिये आरक्षण

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिये 75% आरक्षण को लागू करने का उसका अधिनियम 15 जनवरी, 2022 से लागू होगा। ध्यातव्य है कि हरियाणा सरकार का यह अधिनियम राज्य में स्थित विभिन्न कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों और सीमित देयता भागीदारी फर्मों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिये 75% नई नौकरियों के आरक्षण का प्रावधान करता है। इस आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिये उम्मीदवार को अनिवार्य रूप से एक निर्दिष्ट पोर्टल पर स्वयं को पंजीकृत करना होगा। इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने वाले नियोक्ताओं पर न्यूनतम 10,000 रुपए और अधिकतम 2 लाख रुपए तक का जुर्माना अधिरोपित किया जाएगा।

वाइस एडमिरल कृष्ण स्वामीनाथन 

वाइस एडमिरल कृष्ण स्वामीनाथन ने हाल ही में पश्चिमी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में पदभार ग्रहण किया है। 01 जुलाई, 1987 को भारतीय नौसेना में शामिल हुए एडमिरल स्वामीनाथन ‘संचार और इलेक्ट्रॉनिक’ युद्ध के विशेषज्ञ हैं। अति विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक हासिल करने वाले एडमिरल स्वामीनाथन ने अपने नौसैनिक कॅरियर में मिसाइल जहाज़ों, आईएनएस विद्युत और विनाश, मिसाइल कार्वेट, आईएनएस कुलिश; गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मैसूर तथा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर कार्य किया है।