प्रिलिम्स फैक्ट्स (08 Oct, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट: 08 अक्तूबर, 2021

साहित्य का नोबेल पुरस्कार, 2021 

Nobel Prize for Literature, 2021

साहित्य में 2021 का नोबेल पुरस्कार उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुरनाह को "उपनिवेशवाद के प्रभावों और संस्कृतियों एवं महाद्वीपों के बीच की खाई में शरणार्थी के भाग्य हेतु अडिग और करुणामय पैठ के लिये" प्रदान किया गया है।

  • पिछले साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार लुईस ग्लक को ‘उनका अचूक काव्यात्मक स्वर जो खूबसूरती के साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाता है’, के लिये दिया गया था।
  • भौतिकी, रसायन विज्ञान और चिकित्सा में वर्ष 2021 के नोबेल पुरस्कार पहले ही दिये जा चुके हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • अब्दुलराजाक गुरनाह के बारे में:
    • अब्दुलराजाक गुरनाह का जन्म वर्ष 1948 में हुआ था और वे हिंद महासागर में ज़ंज़ीबार द्वीप पर पले-बढ़े। ज़ंज़ीबार में क्रांति होने के बाद 1960 के दशक के अंत में उन्हें ब्रिटेन भागने के लिये मज़बूर होना पड़ा।
      • ज़ंज़ीबार पूर्वी अफ्रीका का हिस्सा है, यह क्षेत्र जिसे स्वाहिली तट के रूप में जाना जाता है, वर्तमान सोमालिया से हिंद महासागर के पश्चिमी तट पर मोज़ाम्बिक तक फैला है।
    • उनके दस उपन्यास और कई लघु कथाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। शरणार्थी के व्यवधान के विषय को उन्होंने पूरे साहित्य में आत्मसात किया है।
    • उन्होंने ब्रिटेन निर्वासन के दौरान 21 वर्ष की आयु से लिखना शुरू किया और हालाँकि स्वाहिली उनकी मातृभाषा थी लेकिन साहित्यिक भाषा के रूप में उन्होंने अंग्रेज़ी को चुना।
    • गुरनाह का चौथा उपन्यास 'पैराडाइज़' (1994), एक लेखक के रूप में उनकी प्रसिद्धि, 1990 के आसपास पूर्वी अफ्रीका की एक शोध यात्रा के बाद हुई। 
  • महत्व:
    • ऐसे समय में जब वैश्विक शरणार्थी संकट तेज़ी से बढ़ रहा है, गुरनाह का साहित्य इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करता है कि लक्षित समुदायों और धर्मों के खिलाफ नस्लवाद तथा पूर्वाग्रह कैसे उत्पीड़न की संस्कृतियों को कायम रखते हैं।

अजेय वारियर-2021

AJEYA WARRIOR-2021

हाल ही में भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास अजेय वारियर का छठा संस्करण उत्तराखंड के चौबटिया में शुरू हुआ।

  • इससे पहले भारत और यूके ने बंगाल की खाड़ी में दो दिवसीय द्विपक्षीय पैसेज अभ्यास (PASSEX) में भाग लिया था।

United-Kingdom

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अभ्यास यूनाइटेड किंगडम और भारत में वैकल्पिक रूप से आयोजित किया जाता है।
    • यह अभ्यास मित्र देशों के साथ अंतर- संचालनीयता का विकास और विशेषज्ञता साझा करने की एक पहल का हिस्सा है।
  • भारत और यूके के बीच अन्य संयुक्त अभ्यास:

अन्य देशों के साथ भारत के सैन्य अभ्यास

अभ्यास का नाम

देश

गरुड़ शक्ति 

इंडोनेशिया

एकुवेरिन

मालदीव 

हैंड-इन-हैंड

चीन

बोल्ड कुरुक्षेत्र 

सिंगापुर

मित्र शक्ति

श्रीलंका

नोमेडिक एलीफैंट

मंगोलिया

शक्ति

फ्राँस

सूर्य किरण

नेपाल

युद्ध अभ्यास

संयुक्त राज्य अमेरिका


जावन गिब्बन

Javan Gibbon

इंडोनेशिया जावन गिब्बन (Hylobates moloch) के आवास की रक्षा के लिये कदम उठा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन और मानव अतिक्रमण से संकटग्रस्त है।

  • इनका शिकार माँस और व्यापार दोनों के लिये भी किया जाता है।

Silver-Gibbon

प्रमुख बिंदु 

  • जावन गिब्बन के बारे में: 
    • सिल्वर गिब्बन, जिसे जावन गिब्बन के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राइमेट है। यह आमतौर पर दो की जोड़ी के समूहों में पाए जाते हैं।
    • यह  इंडोनेशिया के जावा द्वीप का स्थानिक है, जहाँ यह 2,450 मीटर की ऊँचाई तक वर्षा वनों में रहता है।
      • यह बीजों को फैलाकर वन वनस्पति को पुनर्जीवित करने में मदद करता है।
    • लगभग 4,000 जावन गिब्बन बचे हैं।
    • इसे IUCN वर्ष 2004 में गंभीर रूप से लुप्तप्राय घोषित किया गया था, लेकिन अब यह लुप्तप्राय की श्रेणी में आ गया है। हालाँकि नवीनतम IUCN अनुमान से पता चलता है कि उनकी जनसंख्या घट रही है।
    • आवास:
      • जावन गिब्बन जंगली आबादी केवल जावा, इंडोनेशिया में पाई जाती है।
      • यह भारत में नहीं पाया जाता है (हूलॉक गिब्बन भारत में पाया जाने वाला एकमात्र गिब्बन है)।                                                
  • स्थिति:
    • IUCN: लुप्तप्राय 
    • साइट्स: परिशिष्ट I

हाई एम्बिशन कोएलिशन फॉर नेचर एंड पीपल

High Ambition Coalition for Nature and People

हाल ही में भारत, ‘हाई एम्बिशन कोएलिशन फॉर नेचर एंड पीपल’ (HAC) में शामिल हुआ है।

  • भारत HAC में शामिल होने वाला पहला ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देश है।

प्रमुख बिंदु


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 अक्तूबर, 2021

भारतीय वायुसेना दिवस 

भारतीय वायुसेना 08 अक्तूबर, 2021 को अपना 89वाँ स्थापना दिवस मना रही है। भारतीय वायुसेना की स्थापना आधिकारिक तौर पर 8 अक्तूबर, 1932 को हुई थी और वायुसेना की पहली उड़ान 01 अप्रैल, 1933 को भरी गई थी। प्रारंभ में भारतीय वायुसेना को ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ के रूप में जाना जाता था, वर्ष 1950 के बाद जब भारत को एक गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया, तब ‘रॉयल’ शब्द को हटा दिया गया। वर्तमान में ‘भारतीय वायुसेना’ भारतीय सशस्त्र बलों की वायु शाखा है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य आधिकारिक और सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा में भारतीय वायुसेना के महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाना है। गौरतलब है कि ‘भारतीय वायुसेना’ (IAF) पर भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने के साथ-साथ संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध में हिस्सा लेने का उत्तरदायित्व है, इस प्रकार भारतीय वायुसेना, भारतीय नौसेना और थलसेना के साथ-साथ देश की रक्षा प्रणाली का एक मौलिक और महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा यह प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करती है। ‘भारतीय वायुसेना’ विभिन्न युद्धों में शामिल रही है, जिसमें द्वितीय विश्वयुद्ध, चीन-भारत युद्ध, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन विजय, कारगिल युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, कांगो संकट, ऑपरेशन पूमलाई और ऑपरेशन पवन आदि प्रमुख हैं। 

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड

हाल ही में सरकार ने ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड’ (NRSB) के गठन की अधिसूचना जारी की है, जो सड़क सुरक्षा से संबंधित मामलों से निपटने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख एजेंसी के रूप में कार्य करेगी। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, बोर्ड का प्रधान कार्यालय ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र’ में स्थित होगा और यह भारत में अन्य स्थानों पर कार्यालय स्थापित कर सकता है। बोर्ड में एक अध्यक्ष और कम-से-कम तीन सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी, सदस्यों की अधिकतम संख्या सात से अधिक नहीं होगी। इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। यह बोर्ड मुख्य तौर पर सड़क सुरक्षा, नवाचार को बढ़ावा देने और नई तकनीक को अपनाने तथा यातायात व मोटर वाहनों को विनियमित करने हेतु उत्तरदायी होगा। ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड’ का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करने तथा सड़क सुरक्षा के सभी पहलुओं में सुधार के लिये राज्यों के सहयोग से विभिन्न प्रयासों को एकीकृत करना है। परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना निर्दिष्ट करती है कि बोर्ड केवल सलाहकारी भूमिका में कार्य करेगा और केंद्र सरकार के समक्ष अपनी सिफारिशें और प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा। ज्ञात हो कि अमेरिका, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया भर के कई देशों में इस प्रकार की राष्ट्रीय संस्थाओं का गठन किया गया है। 

विश्व कपास दिवस

वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 7 अक्तूबर को ‘विश्व कपास दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य एक प्राकृतिक फाइबर के रूप में कपास के महत्त्व को अधिकतम करना है। साथ ही यह दिवस कपास के उत्पादन से संबंधित अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं को भी रेखांकित करने का प्रयास करता है, क्योंकि कपास दुनिया की सभी प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं के विकास हेतु महत्त्वपूर्ण है। इस दिवस की स्थापना ‘अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति’ (ICAC) और ‘विश्व व्यापार संगठन’ (WTO) द्वारा संयुक्त रूप से वर्ष 2019 में जिनेवा में की गई थी। ‘कॉटन-4 राष्ट्रों’ यानी बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और माली ने अगस्त 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्व कपास दिवस’ की स्थापना का आधिकारिक प्रस्ताव दिया था, जिसका लक्ष्य विश्वव्यापी संसाधन के रूप में कपास के महत्त्व को रेखांकित करना था। ज्ञात हो कि ‘कपास’ भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक है, जो लगभग 6 मिलियन कपास किसानों को प्रत्यक्ष जीविका प्रदान करती है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है तथा वर्ष 2020 में भारत ने अपना पहला लेबल- ‘कस्तूरी कॉटन’ प्रस्तुत किया था। 

‘गुड समैरिटन’ स्कीम

केंद्र सरकार ने हाल ही में ‘गुड समैरिटन’ स्कीम की शुरुआत की है, इसके तहत जो कोई भी सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को ‘गोल्डन ऑवर’ के भीतर अस्पताल ले जाकर उसकी जान बचाएगा, उसे सरकार द्वारा 5,000 रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक व्यक्ति को एक वर्ष में अधिकतम पाँच बार पुरस्कार दिया जा सकता है। इसमें प्रतिवर्ष 10 राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी होंगे, जिसके तहत उन लोगों को चुना जाएगा जिन्हें पूरे वर्ष के दौरान सम्मानित किया गया है और उनमें से प्रत्येक को 1 लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिये योजना के प्रारंभिक दौर में केंद्र सरकार सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के परिवहन विभाग को 5 लाख रुपए प्रदान करेगी। 'गोल्डन ऑवर' शब्द आमतौर पर दुर्घटना के बाद की एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है, जिसके अंतर्गत पीड़ित की जान बचाना काफी हद तक संभव होता है।