असम में नवपाषाण स्थल दाओजली हेडिंग
स्रोत: द हिंदू
असम के दीमा हासाओ ज़िले में स्थित दाओजाली हेडिंग में हाल की पुरातात्त्विक खोजों ने इसकी पहचान 2,700 वर्ष से अधिक पुराने नवपाषाणकालीन आवास स्थल के रूप में पुनः पुष्टि की है। इस स्थल से घरेलू वस्तुएँ और प्रारंभिक धातुकर्म गतिविधि के प्रमाण मिले हैं।
- यह स्थल लांगटिंग-मुपा रिज़र्व फॉरेस्ट में स्थित है और सबसे पहले 1960 के दशक में टी.सी. शर्मा और एम.सी. गोस्वामी (1962–64) द्वारा खोजा गया था।
- प्राप्त प्रमुख कलाकृतियाँ:
- पॉलिश किये गए डबल-शोल्डर्ड सेल्ट्स (एक छेनी वाले पत्थर के औजार), डोरी के निशान वाले मृदभांड, ओखली और मूसल।
- ग्राइंडिंग स्टोन्स, लो-फायर्ड पॉटशर्ड्स, चारकोल के नमूने
- चीन में पाए जाने वाले जेडाइट पत्थरों की मौजूदगी तथा दाओजाली हेडिंग के लिये अद्वितीय होने से पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ प्राचीन व्यापारिक संबंधों का पता चलता है।
- नवपाषाण युग: नवपाषाण युग या नया पाषाण युग, पाषाण युग का अंतिम चरण था जो लगभग 9000 ईसा पूर्व (क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग) से शुरू हुआ और लगभग 3000 ईसा पूर्व धातु के औजारों के आगमन तक चला। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं:
- कृषि (गेहूँ, जौ, चावल, कदन्न) एवं पशुपालन (मवेशी, भेड़, बकरी)
- स्थायी आवास: मृदा या पत्थर से बने घर (जैसे बलूचिस्तान का मेहरगढ़)
- पॉलिश किये गए पत्थर के औजार (जैसे- कुल्हाड़ी, दरांती, पीसने वाले पत्थर)
- कुम्हार का चाक: 4500 ईसा पूर्व के बाद ज्ञात हुआ।
- जटिल सामाजिक संरचनाएँ उभरीं, जिनका प्रमाण दफन, अनुष्ठान तथा प्रारंभिक धार्मिक प्रतीकों से मिलता है।
- प्रमुख नवपाषाण स्थल:
- उत्तर पश्चिम भारत: मेहरगढ़ (अब पाकिस्तान में), बुर्ज़होम और गुफकराल (कश्मीर)।
- उत्तरी और मध्य भारत: सेनुवार (बिहार), कोल्डिहवा और महगरा (उत्तर प्रदेश), बागोर (राजस्थान), आदमगढ़ (मध्य प्रदेश)।
- पूर्वोत्तर भारत: दाओजली हेडिंग और सरुतरु (असम), नपाचिक तथा लाइमनाई (मणिपुर)।
- दक्षिणी भारत: ब्रह्मगिरि और मास्की (कर्नाटक), पैयमपल्ली (तमिलनाडु)।
और पढ़ें: पाषाण युग में लकड़ी की कलाकृतियाँ
भारत में कैंसर देखभाल संबंधी अंतराल
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (NAMS) द्वारा हाल ही में जारी 'भारत में स्तन कैंसर पर NAMS टास्क फोर्स रिपोर्ट' में कैंसर देखभाल संबंधी प्रमुख अंतरालों (विशेष रूप से स्तन कैंसर के शीघ्र निदान और समय पर उपचार के संदर्भ में) पर प्रकाश डाला गया है।
- 60% से अधिक रोगियों का स्टेज 3 या 4 में निदान हो पाता है जबकि अमेरिका में 60% का निदान स्टेज 1 में हो जाता है। 50% से अधिक भारतीय रोगी परामर्श में 3 महीने से अधिक की देरी करते हैं।
- कैंसर के मामलों में भारत, चीन और अमेरिका के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है जहाँ वर्ष 2040 तक कैंसर के मामले 2.08 मिलियन (वर्ष 2020 से 57.5% अधिक) तक पहुँचने का अनुमान है।
- यह अनुमान है कि अन्य मध्यम आय वाले देशों के साथ-साथ भारत भी आगामी 50 वर्षों में वैश्विक स्तर पर कैंसर की घटनाओं में वृद्धि का कारण बनेगा।
- वर्ष 2023 तक, 1.63 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (AAM) ने 10.04 करोड़ स्तन कैंसर की जाँच की।
- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र (AB-HWC) का उन्नत संस्करण AAM का उद्देश्य विशेष रूप से वंचित समुदायों के लिये सार्वभौमिक, मुफ्त और सुलभ सेवाएँ प्रदान करके प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मज़बूत करना है।
- यह मातृ एवं शिशु देखभाल के अतिरिक्त सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करता है , जिसमें गैर-संचारी रोगों के लिये उपचार, उपशामक और पुनर्वास देखभाल, नेत्र और ENT देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, आपातकालीन के साथ-साथ मुफ्त आवश्यक दवाएँ और नैदानिक सेवाएँ भी शामिल हैं ।
- NAMS: NAMS (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत) अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर सलाह देता है। इसे चिकित्सा एवं संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये सतत् शिक्षा हेतु एक नोडल एजेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
और पढ़ें... कैंसर का वैश्विक बोझ: WHO |
चीन निर्मित बाँध और भारत में ब्रह्मपुत्र नदी पर उनका प्रभाव
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर चिंताओं के कारण इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित हुआ है। भारत में नदी के प्रवाह पर चीन निर्मित बाँधों के संभावित प्रभाव के साथ, इस मुद्दे से भारत की जल सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
चीन निर्मित बाँध भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं?
- जल प्रवाह में परिवर्तन: चीन तिब्बत के मेडोग ज़िले में ‘ग्रेट बेंड’ के पास बड़े पैमाने पर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं (जैसे मेडोग हाइड्रो प्रोजेक्ट) का निर्माण कर रहा है। यह वही स्थान है जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी यू-आकार में मुड़कर घाटी में प्रवेश करती है और फिर अरुणाचल प्रदेश की सीमा में प्रवेश करती है।
- इस तरह की परियोजनाएँ भारत और बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह और मार्ग को प्रभावित कर सकती हैं।
- पारिस्थितिकी व्यवधान: इस क्षेत्र में चीन की जलविद्युत परियोजनाओं की जल भंडारण क्षमता सीमित है। जल भंडारण क्षमता में कोई भी बड़ा परिवर्तन, नीचे की ओर होने वाले प्रवाह को प्रभावित करने के साथ बाढ़ चक्र एवं सिंचाई तथा घरेलू उपयोग के लिये जल की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।
- जल प्रवाह में परिवर्तन से भारत में नदी पारिस्थितिकी तंत्र (जिसमें वन्यजीव अधिवास भी शामिल हैं) पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
- ब्रह्मपुत्र में समृद्ध जैव विविधता है, जिसमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जैसे संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं, जो एक सींग वाले गैंडे का अधिवास है।
नोट: मेडोग प्रोजेक्ट की उत्पादन क्षमता यांग्त्ज़े पर स्थित थ्री गॉर्जेस बाँध की तुलना में तीन गुना होने का अनुमान है, जो वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा जलविद्युत स्टेशन है।
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- उत्पत्ति और मार्ग: ब्रह्मपुत्र नदी मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वतमाला में चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है जहाँ इसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। अरुणाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करने पर इसे सियांग या दिहांग कहा जाता है।
- अपवाह: ब्रह्मपुत्र बेसिन तिब्बत (चीन), भूटान, भारत और बांग्लादेश तक विस्तारित है।
- यह नदी अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम में भारत में प्रवेश करती है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम तक विस्तारित है।
- भारत में ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय (उत्तर और पश्चिम), पटकारी पहाड़ियों (पूर्व) और असम पहाड़ियों (दक्षिण) से घिरी हुई है।
- ब्रह्मपुत्र नदी के तीस्ता नदी में मिलने के बाद इसे जमुना के नाम से जाना जाता है। वहाँ से यह दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है और अंततः ग्वालुंडो घाट (बांग्लादेश) के पास गंगा (जिसे बांग्लादेश में पद्मा के नाम से जाना जाता है) में मिल जाती है और तब इसे पद्मा नाम से जाना जाता है।
- पद्मा नदी अंततः मेघना नदी में विसर्जित हो जाती है और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
- सुंदरबन डेल्टा मुख्य रूप से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के संयुक्त अवसादी निक्षेप के साथ-साथ मेघना नदी के योगदान से बना है
- ब्रह्मपुत्र 2,900 किमी लंबी नदी है, जिसमें से केवल 916 किमी भारत में बहती है। (गंगा भारत में बहने वाली सबसे लंबी नदी है)।
- सहायक नदियाँ:
- दाहिने तट की सहायक नदियाँ: लोहित, दिबांग, सुबनसिरी, जिया भराली, धनसीरी, मानस, तोर्षा, संकोश और तीस्ता।
- बाएँ तट की सहायक नदियाँ: बुरहीदिहिंग, देसांग, दिखौ, धनसीरी और कोपिली।
- भौगोलिक और पारिस्थितिक महत्त्व: ब्रह्मपुत्र में भारत की कुल जल संसाधन क्षमता का 30% से अधिक हिस्सा है और यह भारत की जलविद्युत क्षमता में 41% का योगदान देती है।
- ब्रह्मपुत्र नदी घाटियाँ महत्त्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों (जैसे, काज़ीरंगा, मानस) का घर हैं ।
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ब्रह्मपुत्र घाटी और आसपास की निचली पहाड़ियों में अधिकतर पर्णपाती वन हैं।
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प्रमुख विशेषताएँ: विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप माज़ुली, असम ब्रह्मपुत्र में स्थित है।
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विश्व का सबसे छोटा नदी द्वीप उमानंद भी असम में स्थित है।
- ब्रह्मपुत्र पर भारत के निगरानी प्रयास: भारत, ब्रह्मपुत्र बेसिन के लगभग 34% हिस्से को कवर करता है, लेकिन भारी वर्षा (2,371 मिमी) और हिम पिघलने के कारण इसके 80% से अधिक जल का योगदान भारत करता है, जबकि शुष्क तिब्बती पठार (कम वर्षा ~ 300 मिमी प्रतिवर्ष) ऐसा नहीं करता है।
- भारत में सहायक नदियाँ नदी के प्रवाह को और बढ़ाती हैं। इस बेसिन में भारत के 30% जल संसाधन और 41% जलविद्युत क्षमता मौज़ूद है, चुनौतियों के बावज़ूद अरुणाचल प्रदेश विकास में अग्रणी है।
- प्रस्तावित नदी-जोड़ो परियोजनाएँ - मानस-संकोष-तीस्ता-गंगा लिंक, जो ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी मानस को संकोष और तीस्ता के माध्यम से गंगा से जोड़ती है; तथा जोगीघोपा-तीस्ता-फरक्का लिंक, जो नियोजित जोगीघोपा बैराज पर ब्रह्मपुत्र को फरक्का बैराज पर गंगा से जोड़ती है, का उद्देश्य अधिशेष जल को सूखे क्षेत्रों में स्थानांतरित करना है तथा इन पर चीन की अपस्ट्रीम गतिविधियों का प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
- ब्रह्मपुत्र बेसिन (भारत) में जल विद्युत परियोजनाएँ:
नाम |
राज्य |
नदी |
चुज़ाचेन जलविद्युत परियोजना |
सिक्किम |
रंगपो और रोंगली |
दोयांग जलविद्युत परियोजना |
नगालैंड |
दोयांग |
कार्बी लांगपी जलविद्युत परियोजना |
असम |
बोरपानी |
कोपिली जलविद्युत परियोजना |
असम |
कोपिली |
मिंटडू लेश्का स्टेज-I |
मेघालय |
विशेषकर माइंटडू |
पगलाडिया (कामरूप) |
असम |
पगलाडिया |
रंगनाडी जलविद्युत परियोजना |
अरुणाचल प्रदेश |
रंगानदी |
रंगीत - III जलविद्युत परियोजना |
सिक्किम |
ग्रेटर रंगीत |
सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना |
असम |
सुबानसिरी |
तीस्ता-V जलविद्युत परियोजना |
सिक्किम |
तीस्ता |
तीस्ता लो डैम III जलविद्युत परियोजना |
पश्चिम बंगाल |
तीस्ता |
तीस्ता लो डैम IV जलविद्युत परियोजना |
पश्चिम बंगाल |
तीस्ता |
उमियम जलविद्युत परियोजना |
मेघालय |
उमियम |
उमियम-उमट्रू जलविद्युत परियोजना |
मेघालय |
उमट्रू |
उमट्रू जलविद्युत परियोजना |
मेघालय |
उमट्रू |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रारंभिकप्रश्न. तीस्ता नदी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) |
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना
स्रोत: द हिंदू
केंद्र सरकार ने घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उत्पादन को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक EV विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिये भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) के लिये विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
SPMEPCI:
- परिचय: यह भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक यात्री कारों (e-4W) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
- यह योजना वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने और सतत् गतिशीलता को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है।
- पात्रता मानदंड: यह उन कंपनियों/समूहों तक सीमित है, जिनकी ऑटोमोटिव विनिर्माण से न्यूनतम ऑटोमोटिव राजस्व 10,000 करोड़ रुपए है तथा अचल संपत्तियों में न्यूनतम निवेश 3,000 करोड़ रुपए है।
- SPMEPCI की मुख्य विशेषताएँ:
- सीमा शुल्क रियायत: अनुमोदित आवेदक 35,000 अमेरिकी डॉलर की न्यूनतम लागत वाली इलेक्ट्रिक यात्री कारों की पूर्णतः निर्मित इकाइयों (CBU) को 15% की कम सीमा शुल्क पर आयात कर सकते हैं।
- यह लाभ अनुमोदन की तिथि से पाँच वर्षों तक उपलब्ध रहेगा तथा प्रतिवर्ष आयात की अधिकतम सीमा 8,000 इकाई निर्धारित की गई है।
- निवेश प्रतिबद्धता: आवेदकों को 3 वर्षों के भीतर न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा, विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करनी होंगी और उस समय सीमा के भीतर उत्पादन शुरू करना होगा।
- घरेलू मूल्य संवर्द्धन (DVA): आवेदकों को ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिये विस्तारित PLI योजना के अनुरूप 3 वर्षों के भीतर कम-से-कम 25% DVA और 5 वर्षों के भीतर 50% DVA हासिल करना होगा।
- सीमा शुल्क रियायत: अनुमोदित आवेदक 35,000 अमेरिकी डॉलर की न्यूनतम लागत वाली इलेक्ट्रिक यात्री कारों की पूर्णतः निर्मित इकाइयों (CBU) को 15% की कम सीमा शुल्क पर आयात कर सकते हैं।
भारत का ऑटोमोटिव सेक्टर
- भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाज़ार है, जिसका वर्तमान बाज़ार आकार 12.5 लाख करोड़ रुपए है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक विश्व का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाज़ार बनना है, जिसमें इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन वाहनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- यह बाज़ार वर्ष 2030 तक 24.9 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ने की उम्मीद है, जो 50% की वृद्धि को दर्शाता है।
- ऑटोमोबाइल क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7.1% का योगदान देता है।
- भारत के ऑटो सेक्टर के विकास चालक: ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिये विस्तारित PLI योजना, एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (PLI-ACC) के लिये PLI योजना, PM ई-ड्राइव योजना।
और पढ़ें: PM ई-ड्राइव योजना