एडिटोरियल (22 Feb, 2023)



भारत के कर आधार को बढ़ावा देना

यह एडिटोरियल 18/02/2023 को ‘हिंदू बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “Is there a way to boost the tax base?” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में कर आधार के निम्न स्तर के कारणों और इसे संबोधित करने के लिये आवश्यक कदमों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

भारत विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन गया है, जिसकी एक चौथाई आबादी 15 वर्ष से कम आयु की है। यह आबादी में वृद्ध जनों की कम हिस्सेदारी और उच्च प्रजनन दर वाले एक तरुण राष्ट्र में परिणत हो गया है। देश में कामकाजी आयु वर्ग की बढ़ती आबादी एक ऐसा लाभ है जो भविष्य में विकास को गति दे सकती है।

  • जनसंख्या में वृद्धि के साथ कई व्यापक नीतिगत निहितार्थ उत्पन्न हुए हैं, जैसे जीडीपी में योगदान कर सकने के लिये इस कार्यबल का प्रभावी ढंग से उपयोग करना, उन्हें सही कौशल प्रशिक्षण, नौकरी, सामाजिक सुरक्षा आदि प्रदान करना।
  • जनसंख्या में वृद्धि के साथ कार्यबल में तो वृद्धि हुई है लेकिन आयकर आधार में वृद्धि नहीं हुई है, जिसे संबोधित किये जाने की आवश्यकता है।
  • वित्त मंत्रालय के आँकड़े के अनुसार वर्ष 2020-21 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या 6.8 करोड़ थी। इसका अर्थ यह है कि वर्ष 2021 में कुल आबादी के केवल 4.8% लोगों ने आईटी रिटर्न दाखिल किया। इनमें से केवल 1.69 करोड़ लोगों ने ही वास्तविक कर भुगतान किया क्योंकि 65% करदाताओं की आय 5 लाख रुपए से कम थी और उन्हें छूट प्राप्त है। इस प्रकार, प्रभावी रूप से केवल 1.2% जनसंख्या ही अभी आयकर का भुगतान करती है।

भारत में कर आधार के निम्न स्तर के कौन-से कारण हैं?

  • वृहत अनौपचारिक अर्थव्यवस्था:
    • भारत में एक वृहत अनौपचारिक अर्थव्यवस्था मौजूद है, जिसका अर्थ यह है कि आर्थिक गतिविधियों का एक महत्त्वपूर्ण भाग सरकार के समक्ष पंजीकृत नहीं है और इसलिये यह कर के दायरे से बाहर बनी रहती है।
    • कई छोटे व्यवसाय, स्ट्रीट वेंडर और दिहाड़ी मज़दूर अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत होते हैं, जिससे सरकार के लिये उनकी आय का पता लगा सकना और कर संग्रह करना कठिन हो जाता है।
  • कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी:
    • भारत में निम्न कर आधार का एक अन्य कारण है कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी।
      • जून 2022 में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 से भारतीय महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में लगातार गिरावट आ रही है और वर्ष 2021 में यह 19% के निम्न स्तर पर था।
  • कृषि क्षेत्र का प्रभुत्व:
    • भारत के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में कार्यरत है और कृषि आय को आयकर के तहत छूट प्राप्त है।
      • इसके परिणामस्वरूप 45.6% कृषि-श्रमिक टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं। इस प्रकार, गैर- कृषि क्षेत्र के केवल 23 करोड़ कर्मचारी ही कर भुगतान करने के लिये उत्तरदायी हैं।
      • इसके परिणामस्वरूप एक संकीर्ण कर आधार का निर्माण होता है, जो अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर बहुत अधिक निर्भर है।
  • आय का करयोग्य नहीं होना:
    • कर उत्तरदायित्व तब उत्पन्न होता है जब आय एक निश्चित सीमा से ऊपर होती है और भारतीय परिवारों के एक बड़े भाग की वार्षिक आय 6 लाख रुपए से कम रही है।
    • इसका अर्थ यह है कि संभावित करदाता आधार आबादी की कम संख्या तक घट गया है।
      • स्टेटिस्टा (Statista) के अनुसार वर्ष 2021 में 67% भारतीय परिवारों की वार्षिक आय 6 लाख रुपए से कम थी, जो संभावित आयकरदाताओं की संख्या को 7.6 करोड़ तक कम कर देती है।

भारत बढ़ती कार्यशील आयु जनसंख्या का दोहन कैसे कर सकता है?

  • अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण:
    • अनौपचारिक क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था के एक बड़े भाग का निर्माण करता है जहाँ कई व्यवसाय और श्रमिक कर दायरे से बाहर कार्यरत होते हैं।
      • ‘भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का मापन, भारतीय अनुभव’ (Measuring Informal Economy in India, Indian experience) शीर्षक शोध-पत्र के अनुसार वर्ष 2017-18 में कुल कार्यबल में से 90.7% अनौपचारिक क्षेत्रों में नियोजित था।
    • अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण द्वारा इन व्यवसायों और कामगारों को कर दायरे में लाकर कर आधार को बढ़ाया जा सकता है।
    • इसके लिये व्यवसायों को स्वयं को पंजीकृत कराने और कर कानूनों का अनुपालन करने हेतु वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा सकता है, जबकि अनुपालन को आसान बनाने के लिये कर कानूनों को सरल बनाया जा सकता है।
    • इसके साथ ही, जीएसटी प्रणाली की सहायता भी ली जा सकती है। अपने मूल रूप में जीएसटी व्यवस्था के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य यह भी था कि असंगठित क्षेत्र के लोगों को औपचारिक क्षेत्र में स्थानांतरित करने और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने या बड़े खरीदारों को आपूर्ति जारी रखने हेतु जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिये प्रेरित किया जाए।
  • अनौपचारिक क्षेत्र में उच्च आय अर्जकों की पहचान करना:
    • कई उच्च आय अर्जक (High-Income Earners) अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं जो वर्तमान में करों का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
    • इन व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें कर के दायरे में लाने से कर आधार में वृद्धि हो सकती है।
    • बैंक लेनदेन, संपत्ति खरीद आदि विभिन्न माध्यमों से आय एवं संपत्ति पर डेटा एकत्र कर इन संभावित करदाताओं की पहचान की जा सकती है।
  • कृषि आय को कर के दायरे में लाना:
    • वर्तमान में भारत में कृषि आय को आयकर से छूट प्राप्त है। कई धनी किसान कृषि से बड़ी आय अर्जित करते हैं, लेकिन वे करों का भुगतान नहीं करते हैं।
    • कृषि आय को कर के दायरे में लाने से कर आधार बढ़ सकता है।
      • कृषि आय पर कर अधिरोपण के लिये न्यूनतम सीमा निर्धारित करके और किसानों को अपनी आय की रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित करके इस उद्देश्य की प्राप्ति हो सकती है।
  • स्रोत पर कर संग्रहण (Tax collection at source- TCS):
    • कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिये स्रोत पर कर संग्रहण उन लोगों की पहचान का एक अन्य तरीका हो सकता है जो हर साल एक अच्छी आय अर्जित करते हैं, लेकिन किसी कर का भुगतान नहीं करते।
    • वर्तमान में महँगे मोटर वाहन जैसे उच्च मूल्य वस्तु, सोने के आभूषण या विदेशी प्रेषण के लिये ही TCS एकत्र किया जाता है।
    • TCS के दायरे को कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, घरेलू लग्जरी यात्रा, महँगे होटलों में ठहरने आदि तक विस्तृत किया जा सकता है।
    • इससे उन लोगों की पहचान करने में मदद मिल सकती है जो असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और उच्च आय अर्जित कर रहे हैं, लेकिन कर अदायगी से बचे रहते हैं।
      • यह कदम कुछ ईमानदार करदाताओं को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन वे अपने वार्षिक रिटर्न में धन की पुनःप्राप्ति का दावा कर सकते हैं।

अभ्यास प्रश्न: भारत के कर आधार का विस्तार करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और करदाताओं की संख्या को बढ़ाने तथा कर अनुपालन में सुधार के लिये कौन-से नीतिगत उपाय लागू किये जा सकते हैं?

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रारंभिक परीक्षा

प्रश्न . भारत में काले धन के निर्माण का निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रभाव भारत सरकार के लिये चिंता का मुख्य कारण रहा है?

(A) अचल संपत्ति की खरीद और लक्ज़री आवास में निवेश के लिये संसाधनों का डाइवर्ज़न।
(B) अनुत्पादक गतिविधियों में निवेश और कीमती पत्थरों, आभूषणों, सोने आदि की खरीद।
(C) राजनीतिक दलों को बड़ा दान और क्षेत्रवाद का विकास।
(D) कर अपवंचन के कारण राजकोष को राजस्व की हानि।

उत्तर: (D)

व्याख्या:

  • काले धन की सबसे सरल परिभाषा संभवतः वह धन हो सकती है जो कर अधिकारियों से छिपा हो। यह अवैध गतिविधि के माध्यम से अर्जित धन है और चूँकि कर अधिकारियों को सूचित नहीं किया गया है इसलिये काला धन कहलाता है।
  • काला धन वित्तीय नुकसान का कारण बनता है, क्योंकि गैर-कर आय से सरकार को राजस्व का नुकसान होता है, जो बदले में देश के आर्थिक विकास को प्रभावित करता है।
  • कराधान सरकार के लिये आय का प्राथमिक स्रोत है। कर राजस्व को सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के संसाधनों को नियंत्रित करने की डिग्री के एक उपाय के रूप में माना जा सकता है। इसलिये कर चोरी के कारण राज्य के कोष को होने वाले राजस्व की हानि भारत सरकार के लिये चिंता का मुख्य कारण है।
  • अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

मुख्य परीक्षा

प्रश्न. उन अप्रत्यक्ष करों की गणना करें जिन्हें भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में शामिल किया गया है। इसके अलावा, जुलाई 2017 से भारत में लागू किये गए जीएसटी के राजस्व निहितार्थ पर टिप्पणी कीजिये। (वर्ष 2019)