हाइड्रोजेल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोलकाता स्थित इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (Indian Association for the Cultivation of Science-IACS) के शोधकर्त्ताओं ने एक नवीन हाइड्रोजेल (Hydrogels) का निर्माण किया है। यह हाइड्रोजेल विभिन्न जीवाणु नाशक गुणों (Bacteria-Killing Properties) से युक्त है।

प्रमुख बिंदु

  • इस हाइड्रोजेल का निर्माण प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले न्यूक्लियोसाइड (Nucleoside) अणु साइटीडीन (Cytidine) को सिल्वर एसीटेट (Silver Acetate) और फेनिलबोरोनिक एसिड (Phenylboronic Acid) की उपस्थिति में अन्य हाइड्रोजेल में संयोजित किया गया।
  • यह हाइड्रोजेल ग्राम-ऋणात्मक (Gram-negative) जीवाणुओं जैसे कि ई.कोली (E.coli) के प्रति जीवाणुरोधी गतिविधि का प्रदर्शन करने में सक्षम पाया गया।
  • हाइड्रोजेल में सिल्वर एसीटेट को संयोजित करने पर इसकी विषाक्तता कम हो जाती है और इसी लिये यह बैक्टीरिया संक्रमण (Bacteria।Infections) के इलाज के लिये उपयुक्त है।
  • सिल्वर की उपस्थिति में हाइड्रोजेल ई.कोली जीवाणु की कोशिका के आकार को कम करता है और इसकी कोशिका झिल्ली को नष्ट करता है जिस कारण कोशिकीय पदार्थ का रिसाव होता है।
  • सिल्वर एसीटेट युक्त हाइड्रोजेल को सामान्य गुर्दे की उपकला कोशिकाओं (Epithelia। Cells) और लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के लिये विषाक्त नहीं पाया गया।

सिल्वर एसीटेट (Silver Acetate)

  • इसका रासायनिक सूत्र AgC2H3O2 है।
  • सिल्वर एसीटेट को जीवाणुरोधी गुणों के लिये जाना जाता है लेकिन इसकी विषाक्तता के कारण इसका चिकित्सा के क्षेत्र में (बैक्टीरिया संक्रमण को रोकने के लिये) उपयोग नहीं किया जा सकता है।

बोरोनिक एसिड (Boronic Acid)

  • हाइड्रोजेल में बोरोनिक एसिड (Boronic Acid) के संघटक को बदलकर विभिन्न जीवाणु नाशक गुणों वाले हाइड्रोजेल का बड़ी संख्या में निर्माण किया जा सकता है।

हाइड्रोजेल के भौतिक गुण

थिक्सोट्रोपिक गुण (Thixotropic Property)

इसमें यांत्रिक कंपन या क्रियाशीलता की स्थिति में जेल को सोल में परिवर्तित करने की क्षमता है। स्थिरता की दशा में यह जेल के अपने मूल स्वरूप में वापस आ जाता है।

  • कुछ जेल या तरल पदार्थ (Gels or Fluids) स्थैतिक स्थितियों में गाढ़े या चिपचिपे होते हैं परंतु कंपन या दबाव की दशा में ये तरल (कम गाढ़े एवं कम चिपचिपे) हो जाते हैं। इन पदार्थों के इस गुण को थिक्सोट्रॉपी कहा जाता है।
  • जैसे पेंट की तरलता पानी (या तेल) के वाष्पित होते ही समाप्त हो जाती है और इसकी सतह स्थिर हो जाती है।

pH-प्रतिक्रियाशील

  • हाइड्रोजेल का pH मान 3 और 6 के बीच है, जबकि अधिक अम्लीय या क्षारीय होने पर इसका pH मान अस्थिर हो जाता है।
  • हाइड्रोजेल का कम pH मान जीवाणुरोधी गतिविधियों को बढ़ाने में सहायता करता है तथा साथ ही इसके pH मान में परिवर्तन कर इसे दवा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

सोल

(Sol)

  • यह एक कोलाइड (सतत माध्यम में बिखरे हुए बहुत महीन कणों का समुच्चय) है जिसमें ठोस कण और प्रसार माध्यम तरल होता है।
  • यदि प्रसार माध्यम पानी है तो कोलाइड को हाइड्रोसोल कहा जा सकता है और यदि यह वायु है तो इसे एक एयरोसोल कहा जा सकता है।
  • ये समय के साथ स्थिर या विखंडित नही होते हैं।
  • ये टिंडल प्रभाव (Tyndal Effect) को प्रदर्शित करते हैं।
  • टिंडल प्रभाव छोटे निलंबित कणों से प्रकाश की किरण के प्रकीर्णन की घटना है। किसी कमरे में एक खिड़की से प्रवेश करने वाली प्रकाश किरणों में धुआँ या धूल कणों का दिखाई देना इसका उदाहरण है।
  • इस प्रभाव का प्रयोग सभी कोलाइडल घोलों को सत्यापित करने के लिये किया जा सकता है ।

हाइड्रोजेल के उपयोग (Uses of Hydrogel)

  • मानव व जानवरों की दवा (Drug Delivery) के लिये।
  • जीवाणुरोधी गतिविधियों के लिये।
  • कैंसर के उपचार के लिये।

दवा वितरण (Drug Delivery)

  • दवा वितरण मनुष्यों या जानवरों में औषधीय यौगिक (Pharmaceutica Compound) को शरीर में पहुँचाने की विधि या प्रक्रिया है जिससे वांछित चिकित्सीय प्रभाव (Therapeutic Effect) को प्राप्त किया जा सके।

इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस

(Indian Association for the Cultivation of Science-IACS)

  • इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस (ICAS) भारत का सबसे पुराना संस्थान है जो सामान्य विज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों में शोध के लिये समर्पित है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1876 में हुई थी।
  • किसी माध्यम के अणुओं द्वारा विक्षेपित प्रकाश किरण के तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन को रमन प्रभाव कहा जाता है।

स्रोत: द हिंदू


नवजात ब्लैकहोल में गुरुत्वीय तरंगें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में Physical Review Letters नामक एक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पहली बार वैज्ञानिकों ने एक नवजात ब्लैकहोल (Newly Born Black Hole) में गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने में सफलता प्राप्त की है।

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि इन तरंगों का रिंगिंग पैटर्न ब्लैक होल के द्रव्यमान और घूर्णन गति के विषय में जानकारी प्रदान करता है जो आइंस्टीन के जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी यानी सापेक्षता के सिद्धांत (Einstein’s General Theory of Relativity) और अधिक प्रमाणित करती है।

आइंस्टीन का अनुमान

  • दो बड़े ब्लैक होल की टक्कर से निर्मित होने वाला नवजात ब्लैक होल टक्कर के पश्चात् किसी घंटी की तरह ‘रिंग’ करना चाहिये, जो कई आवृत्तियों वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का उत्सर्जन करता है।
  • आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के अनुसार, किसी निश्चित द्रव्यमान तथा घूर्णन वाले ब्लैक होल द्वारा उत्सर्जित गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पिच और उनका क्षय भी निश्चित होता हैं।

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह अध्ययन

  • शोधकर्त्ताओं की टीम ने नवजात ब्लैक होल से प्राप्त गुरुत्वाकर्षण तरंगों और आइंस्टीन के समीकरणों का उपयोग कर ब्लैक होल के द्रव्यमान तथा घूर्णन की माप की।
  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि यह माप और पूर्व में विभिन्न तरीकों से की गई माप दोनों लगभग समान हैं जो यह प्रदर्शित करता है कि आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी सही है।
  • इससे पहले वैज्ञानिकों द्वारा आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के सही होने की संभावना व्यक्त की जाती थी, यह पहली बार है जब इसकी पुष्टि की गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार आइंस्टीन के सिद्धांत का सीधे परीक्षण करने वाला यह पहला प्रायोगिक अध्ययन था।
  • अध्ययन की सफलता से इस बात की संभावना और बढ़ गई है कि ब्लैक होल केवल तीन अवलोकनीय गुणों मसलन द्रव्यमान, घूर्णन (स्पिन) और विद्युत् आवेश को प्रदर्शित करता है।
  • उक्त तीनों गुणों की विशेषता यह है कि इनका अवलोकन किया जा सकता है, जबकि अन्य सभी गुण ब्लैक होल में ही समा जाते हैं।

पूर्व की खोज

  • इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने दो स्पायरलिंग ब्लैक होल में गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाया था, जो बाद में आपस में टकराने के बाद एक ब्लैक होल में समा गए थे।
  • इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जब दोनों ब्लैक होल एक-दूसरे से टकराए तो उस समय गुरुत्वीय तरंगों की गति सबसे अधिक तीव्र हो गई थी।

ब्लैक होल क्या है?

ब्लैक होल (कृष्ण छिद्र/कृष्ण विवर) शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।

  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता।
  • चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।
  • हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलिस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है।
  • ये उपकरण यह बताने में भी सक्षम हैं कि ब्लैक होल के निकट स्थित तारे अन्य प्रकार के तारों से किस प्रकार भिन्न व्यवहार करते हैं।

स्रोत: द हिंदू


नई प्रतिभूतियां: छात्र ऋण का एक विकल्प

संदर्भ

भारत में जैसे-जैसे विद्यार्थियों द्वारा अध्ययन हेतु ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे ऋणों का एनपीए (NPA) होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में मानव पूंजी अनुबंध (Human Capita।Contracts-HCC) विद्यार्थियों के लिये सामान्य ऋण (Debt) का एक अच्छा विकल्प बन गया है।

मानव पूंजी अनुबंध का अर्थ

  • मानव पूंजी अनुबंध उच्च शिक्षा के वित्तपोषण के लिये उपयोग किये जाने वाला नवाचारी वित्तीय साधन या वित्तीय प्रपत्र है।
  • इस प्रकार के अनुबंध में निवेशक द्वारा निवेश की गई राशि का प्रतिफल मुख्य रूप से ऋण लेने वाले विद्यार्थी की भविष्य की आय पर निर्भर करता है।
  • इस प्रकार के अनुबंध से छात्रों के लिये भविष्य का जोखिम कम हो जाता है और इसी कारण यह विद्यार्थियों के लिये ऋण का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।

मानव पूंजी अनुबंध (HCC) के लाभ

  • विद्यार्थियों को लाभ:
    • यह विद्यार्थियों के लिये ऋण का अच्छा विकल्प है एवं इससे दिवालियापन तथा NPA खतरा कम होता है।
    • इस अनुबंध में यह भी व्यवस्था होती है कि यदि किसी छात्र को अच्छी नौकरी नहीं मिलती तो उसे किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं करना होगा। साथ ही अनुबंध में निवेशकों के हितों की रक्षा हेतु यह भी प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत यदि किसी विद्यार्थी को अपने क्षेत्र में अधिक सफलता मिल जाती है तो उसे ज़्यादा भुगतान भी करना पड़ सकता है।
    • इसके माध्यम से छात्र भारी वित्तीय बोझ के बिना उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
    • यह पहल शिक्षा बाज़ार की दक्षता में सुधार करने की दिशा में लाभदायक होगा।
  • निवेशकों को लाभ:
    • निवेशकों के लिये यह एक नए प्रकार की परिसंपत्ति है, जिससे भविष्य में अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है।
    • HCC शिक्षा को आकर्षक निवेश के रूप में देखा जा रहा है।
  • सरकार को लाभ:
    • यह सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के वित्तपोषण पर किये जा रहे खर्च के बोझ को कम करता है।
    • साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश में शिक्षण पर किया गया कोई भी निवेश देश के विकास पर किये गए निवेश के समान ही होता है।
    • यह राज्य को शैक्षिक बजट को बेहतर बनाने का विकल्प प्रदान करता है।
    • उच्च शिक्षा बाजार की दक्षता में सुधार करेगी।

कैसे कार्य करता है मानव पूंजी अनुबंध (HCC)?

उदाहरण के लिये आप MBA के छात्र हैं और आप 20 लाख का ऋण लेना चाहते हैं। आप या तो 10% ब्याज दर पर पांच साल का ऋण प्राप्त कर सकते हैं या एचसीसी (HCC) के तहत अगले पांच वर्षों के लिये अपनी कुल आय का 15% भुगतान करने का वादा कर सकतें हैं। इस प्रकार आप अपनी शिक्षा के लिये ऋण प्राप्त कर सकतें हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपको कम या अधिक राशि भी प्राप्त हो सकती है। साथ ही भविष्य में जो राशि भुगतान करनी है, वह आपकी आय पर निर्भर करेगी।

Bad Loan Burden

मानव पूंजी अनुबंध (HCC) में निहित मुद्दे:

  • निवेशकों से संबंधित मुद्दे:
    • निवेशकों को निवेश करते समय कानूनी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
    • निवेशकों द्वारा छात्रों की आय का सही अनुमान लगाना कठिन होगा।
    • छात्र अपनी आय को भुगतान के समय छिपा भी सकतें हैं।
    • निवेशकों को अनुबंधों को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • छात्रों से संबंधित मुद्दे:
    • छात्र अपनी आय का कुछ भाग बेचता है अतः यह छात्रों पर नैतिक रूप से प्रभाव डाल सकता है।
    • अन्य प्रकार के विकल्प उपस्थित होने पर छात्र उनका उपयोग कर सकतें हैं।
    • छात्र द्वारा अपनी आय को बेचना, आंशिक गुलामी का भाव उत्पन्न करता है।
  • नीति निर्माताओं से संबंधित मुद्दे:
    • नीति निर्माताओं और उच्च शिक्षा प्रशासकों द्वारा इसके क्रियान्वन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष:

मानव पूंजी अनुबंध (Human Capita।Contracts-HCC) में निहित चुनौतियों के बाद भी छात्रों द्वारा अपनी शिक्षा को पूरा किया गया है तथा कई उद्योग विकसित हुए हैं। अतः इस प्रकार के नवाचारी वित्तीय साधनों का नए तरीके से स्वागत करना चाहिये जिससे शिक्षा के क्षेत्र में प्रतियोगिता को बढ़ावा मिले व छात्रों के नए अवसर उपलब्ध हों।

स्रोत: लाइव मिन्ट


अनुसंधान और विकास के लिये CSR फंड का इस्तेमाल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने कॉर्पोरेट इंडिया को सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित इनक्यूबेटरों में निवेश के लिये अपने अनिवार्य कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (Corporate Social Responsibility-CSR) फंड्स के उपयोग हेतु अनुमति देने का फैसला किया है।

प्रमुख बिंदु :

  • भारत में अनुसंधान और विकास (Research and development- R&D) गतिविधियों पर सार्वजनिक व्यय जीडीपी के 1% के हिस्से से भी कम रहा है। उल्लेखनीय है कि इसमें निजी क्षेत्र का योगदान आधे से कम रहा है।
  • वित्त मंत्रालय के अनुसार, CSR के मानदंडों को नियंत्रित करने वाले नियमों में संशोधन किया गया है जिससे अनुसंधान और विकास गतिविधियों में अधिक निवेश का मार्ग प्रशस्त किया जा सके। ध्यातव्य है कि अभी तक भारत का प्रदर्शन इस संदर्भ में वैश्विक स्तर पर काफी ख़राब रहा है ।
  • अब यह CSR फंड केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा वित्तपोषित अथवा केंद्र या राज्य के किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की किसी भी एजेंसी द्वारा वित्तपोषित इनक्यूबेटरों पर खर्च किया जा सकेगा।
  • इसके अलावा अब CSR फंड को सार्वजनिक वित्तपोषित विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान हेतु खर्च किया जाएगा।
  • कंपनियांँ निर्दिष्ट संस्थानों में R&D गतिविधियों हेतु निवेश करके इसकी गणना अपने CSR के तहत कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों में सरकार द्वारा अनुमोदित प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेटरों में योगदान ही CSR के रूप में मान्य है।

इस कदम के निहितार्थ :

  • CSR के माध्यम से अनुसंधान के क्षेत्र में निवेश का यह विस्तार स्टार्टअप एवं स्किल इंडिया जैसी भारत सरकार की विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं के लिये दीर्घकालिक रूप से लाभप्रद साबित हो सकेगा।
  • सरकार की नई पहल से CSR गतिविधियों के दायरे का विस्तार होगा और अब कंपनियांँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के लिये भी अधिकाधिक योगदान कर सकती हैं।
  • सरकार का यह कदम वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में भारतीय उद्योगों की स्थिति में सुधार करेगा, साथ ही इनक्यूबेटरों पर खर्च करने की अनुमति से भारत का तकनीक पारितंत्र को सुदृढ़ होगा।
  • यह देश भर में कई सक्षम अन्वेषकों एवं इंजीनियरों के उत्थान और उनके कौशल संवर्द्धन में मदद करेगा।
  • स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के बाद भारत सरकार की मौजूदा नीति द्वारा इन्क्यूबेटरों को और अधिक प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
  • इसके अतिरिक्त सरकार के इस कदम से CSR में होने वाली धोखाधड़ी को भी रोका जा सकेगा।

सरकार का उपरोक्त कदम न केवल CSR फंड्स का बेहतर प्रयोग एवं उद्योगों की नैतिक ज़िम्मेदारियों को विस्तृत करने, बल्कि घरेलू एवं वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मज़बूती प्रदान करने की दृष्टि से सार्थक प्रतीत हो रहा है। इस प्रकार के कदम व्यापक निहितार्थों को पूरा करने के लिये ज़रूरी है कि क्रियान्वयन में पारदर्शिता के साथ-साथ इसके व्यावहारिक उपयोगिता को सुनिश्चित करने पर बल दिया जाए।

स्रोत: द हिंदू


बच्चों से संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund-UNICEF) ने बच्चों के प्रति चिंता जताते हुए उनके लिये 8 क्षेत्रों को चुनौतीपूर्ण माना है।

प्रमुख बिंदु

चिंता के क्षेत्र

  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे व बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि से वैश्विक स्तर पर खाद्यान उत्पादन में कमी आएगी।
    • खाद्यान की कमी से वैश्विक स्तर पर भूख व कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में वृद्धि होगी।
    • 500 मिलियन से अधिक बच्चे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जबकि 160 मिलियन बच्चे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं।
  • प्रदूषण (Pollution): UNICEF ने जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण को बच्चों के लिये प्रमुख चुनौती माना है।
    • वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण जल संकट एवं जल जनित रोग बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे।
    • वर्ष 2040 तक विश्व में प्रत्येक 4 में से 1 बच्चा जल संकट से ग्रस्त क्षेत्र में निवास कर रहा होगा।
    • वर्तमान में विश्व के 90% से अधिक बच्चे प्रदूषित वायु में साँसलेते है।
  • प्रवासन (Migration): UNICEF के अनुसार हज़ारों बच्चे बिना किसी वैधानिक अनुमति के परिवार के साथ अथवा परिवार के बिना अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन करते हैं।
    • ऐसे बच्चे हिंसा एवं शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के प्रति सुभेद्य होते हैं।
  • नागरिकताविहीन (Statelessness): प्रतिदिन जन्मे 4 में से 1 बच्चा नागरिकताविहीन होने के चलते जन्म प्रमाण-पत्र अथवा राष्ट्रीय पहचान-पत्र से वंचित रह जाता है।
    • नागरिकताविहीन होने के कारण ये बच्चे स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health): विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2016 में 62,000 किशोरों की मौत आत्महत्या करने के कारण हुई थी। 15-19 आयु वर्ग के किशोरों में मौत का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है।
    • 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों व किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य विकार पिछले 30 वर्षों से लगातार बढ़ रहे हैं।
    • डिप्रेशन युवाओं में मानसिक अक्षमता के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • प्राकृतिक आपदा व संघर्ष युक्त क्षेत्र (Conflict and Disaster zone): 75 मिलियन से अधिक बच्चों व युवाओं की शिक्षा प्राकृतिक आपदा व हिंसात्मक संघर्ष के कारण अधूरी रह गई।
    • युद्ध का सबसे पहला असर बच्चों पर ही पड़ता है।
    • 4 में से 1 बच्चा हिंसक संघर्ष या आपदा से प्रभावित देशों में रहता है।
    • जिसमें 28 मिलियन बच्चे युद्ध एवं असुरक्षा से प्रभावित हैं।
  • ऑनलाइन गलत सूचना : वर्तमान में इंटरनेट व अन्य ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त गलत सूचनाएँ बच्चों को उत्पीड़न व दुर्व्यवहार के प्रति सुभेद्य बनाती हैं।
    • लोकतांत्रिक बहसों को गलत सूचनाएँ प्रदान कर प्रभावित करने व गलत ऑनलाइन स्वास्थ्य सूचनाओं के कारण समाज में अविश्वास की स्थिति उत्पन्न हो रही है
  • डेटा अधिकार और ऑनलाइन गोपनीयता: विश्व में 3 में से 1 बच्चा इंटरनेट का नियमित उपयोगकर्त्ता है इस कारण वह डेटा का निर्माता है।
    • बच्चों व युवाओं की सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी उन्हें ऑनलाइन हैकिंग व खतरनाक एवं हिंसात्मक गतिविधियों के प्रति सुभेद्य बनाती है।

आगे की राह

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये सरकारों एवं उद्योगों को साथ मिलकर पेरिस समझौते के तहत ग्रीनहाऊस गैस के उत्सर्जन में कटौती हेतु प्रयास करने होंगे।
  • मानसिक बीमारियों के लक्षणों की समय पर पहचान एवं उनका उचित उपचार युवाओं व बच्चों में मानसिक बीमारीयों की समस्या को दूर करेगा।
  • शरणार्थी बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करना होगा।
  • संयुक्त राष्ट्र को वर्ष 2030 तक प्रत्येक व्यक्ति के लिये वैश्विक स्तर पर वैधानिक पहचान-पत्र प्रदान करने के लक्ष्य को निर्धारित करना होगा।
  • वर्ष 2030 तक प्रत्येक युवा को शिक्षा, प्रशिक्षण व रोज़गार उपलब्ध करवाना होगा।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund-UNICEF)

  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष को पूर्व में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष के नाम से जाना जाता था।
  • इस कोष की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) द्वारा वर्ष 1946 में की गई थी।
  • इसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र (United Nations -UN) का एक विशेष कार्यक्रम है जो बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और कल्याण में सुधार के लिये सहायता प्रदान करने हेतु समर्पित है।

स्रोत: द हिंदू


कॉरपोरेट टैक्स में कटौती

चर्चा में क्यों?

सरकार ने GST परिषद की बैठक में आर्थिक विकास, निवेश और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कॉरपोरेट कर की दर में कटौती की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • ये बदलाव कराधान कानून (संशोधन) अध्यादेश 2019 के तहत लागू किये गए हैं। इस अध्यादेश के माध्यम से आयकर अधिनियम, 1961 तथा वित्त अधिनियम, 2019 में बदलाव किये जाएंगे।
  • कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की आधार दर 30% से घटाकर 22% कर दी गई है। इससे कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 34.94% से कम होकर 25.17% पर आ जाएगी, जिसमें अधिभार और उपकर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इन कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternative Tax- MAT) देने की भी आवश्यकता नहीं है।
  • विनिर्माण के क्षेत्र में अक्तूबर 2019 या उसके बाद स्थापित होने वाली तथा 31 मार्च, 2023 से पहले उत्पादन शुरू करने वाली कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की आधार दर 25% से घटाकर 15% कर दी गई है। इससे इन कंपनियों के लिये प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर 29.12% से कम होकर 17.01% पर आ जाएगी। इन कंपनियों को भी न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternative Tax- MAT) से छूट प्राप्त है।
  • कर छूट और प्रोत्साहन का लाभ उठा रही कंपनियों को राहत देने के लिये न्यूनतम वैकल्पिक दर (MAT) को 18.5% से घटाकर 15% करने की घोषणा की गई।

इस कदम के निहितार्थ:

देश की विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 5% के स्तर पर पहुँच गई है जो पिछले छह वर्षों में सबसे न्यूनतम स्तर है। कृषि क्षेत्र से लेकर विनिर्माण उद्योग तक अलग-अलग क्षेत्रों में आर्थिक मंदी की स्थिति व्याप्त है। अतः भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मकता लाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया।

लाभ:

  • निजी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे राजस्व एवं आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
  • निजी निवेश आकर्षित होगा,जिससे प्रतिस्पर्द्धा और रोज़गार के अवसर सृजित होंगें।
  • पूंजीगत लाभ में वृद्धि होगी, जिससे बचत को बढ़ावा मिल सकता है।

Corporate Tax

  • देश के विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करना अब कहीं अधिक आसान होगा, जिससे मेक इन इंडिया (Make In India) को बढ़ावा मिलेगा।
  • इस पहल से कुछ क्षेत्र लाभान्वित हो सकते हैं, जैसे- बैंकिंग, ऑटोमोबाइल सेक्टर, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आदि।
  • गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Companies- NBFC) से संबंधित क्षेत्रकों में बचत को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
  • अमेरिका-चीन के मध्य व्यापार युद्ध से प्रभावित, कंपनियाँ जो नए विकल्प तलाश रहीं हैं, वे भारत की तरफ रुख कर सकतीं हैं।
  • वर्तमान कटौती भारत को दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
  • सरकार की इस पहल का उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र में सकारात्मक असर पड़ सकता है।
  • इससे शेयर बाज़ार के निवेशक सकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकतें हैं। कर में बचत से कंपनियाँ होने वाले लाभों का फायदा अपने निवेशकों को देंगी, जिससे बाज़ार में तेज़ी आएगी।

निगम कर (Corporative Tax):

यह एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है, जो कंपनियों के लाभ पर लगाया जाता है। इसी कारण इसे “कंपनी लाभ कर” भी कहा जाता है। कॉरपोरेट टैक्स केंद्र सरकार द्वारा आरोपित एवं एकत्रित किया जाता है। यह राज्यों के मध्य विभाजित नहीं होता है।

  • वर्तमान में निगम कर भारत सरकार के राजस्व प्राप्त करने का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है।
  • भारत में 1960-61 के पूर्व कंपनियों पर जो कर लगता था, उसे ‘सुपर टैक्स’ (Super Tax) कहा जाता था। 1960-61 में इसे समाप्त कर दिया गया और उसके स्थान पर कंपनियों के निवल लाभ पर जो कर लगाया गया उसे ‘निगम कर’ कहा जाने लगा।
  • इसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्रकार की कंपनियों एवं निगमों पर लगाया जाता है।

न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternative Tax) :

इसके तहत किसी कंपनी को अपने पिछले वर्ष के संदर्भ में प्राप्त आय पर कर देना होता है, जहाँ लेखा पुस्तक की आय को कंपनी की कुल आय माना जाता है और कंपनी की उस आय पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) देय होता है।

चुनौतियाँ:

  • इस प्रोत्साहन से मध्यावधि में निवेश को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन इससे होने वाले राजस्व नुकसान से केंद्र के राजकोषीय घाटे की स्थिति खराब हो सकती है।
  • कॉरपोरेट क्षेत्र में कटौती पूरी तरह से आपूर्ति वाले पक्ष के लिये उठाया गया कदम है, जबकि वास्तविक समस्या मांग की कमी को दूर करना है।
  • लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों को शर्तों का पालन करना होगा, जिससे कानूनी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • कॉरपोरेट कर में कटौती के चलते केंद्र से राज्यों को मिलने वाले कर में कटौती आएगी, इससे राज्यों का राजकोषीय घाटा नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है।
  • निजी पूंजी निवेश चक्र बहाल होने में देरी हो सकती है।
  • व्यक्तिगत आमदनी न बढ़ने से मांग के स्तर पर तत्काल लाभ सीमित रहेंगे।

आगे की राह

  • मांग की कमी को दूर करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे पर भारी निवेश करना होगा।
  • अवसरंचनात्मक सुधारों के माध्यम से आर्थिक मंदी को दूर किया जा सकता है।
  • छोटे व्यवसायों में भी कर कटौती को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • लंबित पड़े श्रम सुधारों एवं औद्योगिक विवाद से जुड़े जटिल कानूनों में सुधार किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (23 September)

  • 22 सितंबर को गैंडों की देखरेख, सुरक्षा और संरक्षण में जागरूकता फैलाने के लिये विश्व गैंडा दिवस (World Rhino Day) मनाया जाता है। गैंडा स्तनपायी और पूरी तरह शाकाहारी प्राणी है। विश्व में गैंडे की पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से दो अफ्रीका में तथा तीन दक्षिण एशिया के देशों में मिलती हैं। एशियाई गैंडों में भारतीय गैंडा आकार में सबसे बड़ा होता है। भारतीय गैंडा पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत से लेकर नेपाल, भूटान, भारत और म्याँमार में पाया जाता था लेकिन वर्तमान में यह भारत के असम में स्थित काजीरंगा नेशनल पार्क में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में कुछ गैंडे भी पाए जाते हैं। भारत में गैंडे वर्ष 1850 तक बंगाल और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में भी में पाए जाते थे। विदित हो कि सर्वप्रथम वर्ष 2010 में विश्व वन्य जीव कोष-अफ्रीका ने 22 सितंबर को 'विश्व गैंडा दिवस’ मनाने की शुरुआत की थी। भारत में गैंडों के संरक्षण तथा प्रजनन को बढ़ावा देने के लिये बिहार की राजधानी पटना में केंद्र सरकार के सहयोग से भारत का पहला राष्ट्रीय गैंडा प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र बनाया गया है।
  • हाल ही में DRDO का एक मानवरहित विमान कर्नाटक में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस मानवरहित विमान ने चित्रदुर्ग टेस्ट रेंज से उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के बाद एयरक्राफ्ट के सिस्टम में कुछ खराबी आ गई और क्रैश हो गया। TAPAS प्रायोगिक मानव रहित विमान उस समय परीक्षण उड़ान पर था। मानवरहित विमान एयरक्राफ्ट बिना किसी पायलट के उड़ सकता है, इसका उपयोग निगरानी और रक्षा से जुड़े कार्यों में किया जाता है, लेकिन अब सैन्य और व्यापारिक कार्यों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है। मौसम की जानकारी के लिये भी इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। युद्धक क्षमता वाले स्वदेशी ड्रोन रुस्तम-2 (तापस 201) का पहला सफल परीक्षण वर्ष 2016 में किया गया था। तापस 201 मध्य ऊँचाई पर लंबी अवधि तक उड़ने वाला का मानवरहित विमान है। यह 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है तथा इस मानवरहित यान को अमेरिका के प्रिडेटर ड्रोन की भाँति मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।
  • हाल ही में गूगल ने अपने गूगल फॉर इंडिया इवेंट में बंगलूरू में नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेंटर गूगल रिसर्च इंडिया' खोलने का ऐलान किया। इस नए प्रोजेक्ट का फोकस देश में एडवांस कंप्यूटर साइंस रिसर्च को बढ़ावा देने पर होगा। इसका उद्देश्य AI की सुविधाओं को सभी तक पहुँचाना है और यह देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आगे बढ़ाने के लिये विभिन्न उद्योगों, विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों और शोधकर्त्ताओं के साथ काम करेगा।

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संकट की स्थिति में लोगों की मदद करने के लिये गूगल की तकनीक काफी उन्नत है। भारत में अपने साझेदारों के साथ गूगल AI-संचालित बाढ़ के पूर्वानुमानों में पहले ही से निवेश कर रहा है। इससे पहले गूगल ने अपने गूगल स्टेशन प्लेटफॉर्म के तहत 4,000 स्थानों को जोड़ा है। साथ ही गूगल ने गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र के गाँवों में BSNL के साथ मिलकर कनेक्टिविटी की भी पेशकश की थी।

  • इस वर्ष सबसे ज़्यादा पसंद की गई फिल्मों में से एक 'गली बॉय’ को बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में 92वें एकेडमी अवॉर्ड्स के लिये भारत की ऑफिशियल एंट्री के रूप में चुना गया है। रणवीर सिंह और आलिया भट्ट अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन जोया अख्तर ने किया है। इस फिल्म का प्रीमियर बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में हुआ था और इसे मेलबर्न के इंडियन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड भी मिला था। पौड़ी गढ़वाल जिले के एक बुजुर्ग किसान की मेहनत पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मोती बाग ऑस्कर के डॉक्यूमेंट्री खंड के लिये नामित की गई है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मोती बाग’ को केरल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डॉक्युमेंट्री फिल्म महोत्सव में भी अवॉर्ड मिल चुका है। यह उत्तराखंड से पहली डॉक्यूमेंट्री फिल्म है जो ऑस्कर की रेस में पहुँची है। एकेडमी अवार्ड्स को ऑस्कर पुरस्कारों के नाम से जाना जाता है तथा फिल्म व्यवसाय से जुड़े सर्वश्रेष्ठ निर्देशकों, कलाकारों, लेखक व तकनीशियनों को दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित सालाना पुरस्कार है। 16 मई, 1929 को इसका पहला पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया था।
  • अमेरिका के जेम्स डायसन फाउंडेशन ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन, अहमदाबाद की अश्वती सतीसन (Ashwathy Satheesan) को जेम्स डायसन अवॉर्ड, 2019 से सम्मानित किया है। 22-वर्षीय अश्वती सतीसन ने पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों के लिये पेन जैसा उपकरण फ्लेओ (Fleo) बनाया है, जो इस रोग पार्किंसंस पीड़ित लोगों को लिखने और ड्राइंग करने में मदद करेगा। अश्वती ने कंपन प्रभावों को स्थिर करने और कम करने के लिये जाइरोस्कोपिक सिद्धांतों का उपयोग किया है, जिससे अधिक आत्मविश्वास और कुशल लेखन या ड्राइंग की सुविधा मिलती है। इस पेन में तांबे की रिंग रोटर के रूप में बैटरी के साथ मोटर से जुड़ी होती है। जेम्स डायसन अवार्ड्स ड्समें 1 लाख 80 हजार से लेकर 27 लाख रुपये तक की राशि इनाम में दी जाती है। विदित हो कि इंजीनियरिंग, प्रोडक्ट डिज़ाइनिंग और इंडस्ट्रियल डिज़ाइनिंग की शिक्षा हासिल कर रहे विद्यार्थी या फिर इन विषयों में हाल ही में स्नातक शिक्षा पूरी करने वाले विद्यार्थी इस अवॉर्ड के लिये आवेदन कर सकते हैं। वर्ष 2004 से जेम्स डायसन पुरस्कारों की शुरुआत हुई।