भारत के समुद्री कानूनों के आधुनिकीकरण के लिये विधेयक
चर्चा में क्यों?
संसद ने वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2025, समुद्र माल ढुलाई विधेयक, 2025 और तटीय नौवहन विधेयक, 2025 पारित किये हैं, जिनका उद्देश्य पुराने औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलकर भारत के समुद्री कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना है।
हाल ही में पारित समुद्री विधेयकों के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- तटीय नौवहन विधेयक, 2025:
- इसने वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 में संशोधन किया और वैश्विक जलपोत परिवहन मानदंडों के अनुरूप कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण किया।
- इसका लक्ष्य सरल लाइसेंसिंग और विदेशी पोत विनियमन के साथ वर्ष 2030 तक तटीय कार्गो को 230 मिलियन टन तक बढ़ाना है।
- इसमें विदेशी निर्भरता में कमी लाने, आपूर्ति सुरक्षा बढ़ाने, रोज़गार और व्यापार को आसान बनाने का प्रावधान है।
- यह एक राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना तथा एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने को अनिवार्य करता है, ताकि बुनियादी ढाँचा योजना, पारदर्शिता और निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया जा सके।
- वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2025:
- इसने पुराने वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 को प्रतिस्थापित किया है, जिससे भारत के समुद्री कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के कन्वेंशनों के अनुरूप स्पष्टता और अनुपालन की सुगमता के साथ संरेखित किया गया है।
- इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा मानकों, आपातकालीन प्रतिक्रिया, पर्यावरण संरक्षण और नाविकों के कल्याण को सुदृढ़ करना है, साथ ही इंडियन शिपिंग टनेज और भारत की वैश्विक समुद्री प्रतिष्ठा को बढ़ावा देना है।
- यह केंद्र सरकार को भारतीय जलक्षेत्र में राष्ट्रीयता या कानूनी ध्वज अधिकार के बिना जाहाज़ों को रोकने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे समुद्री सुरक्षा को मज़बूत किया जा सके तथा भारत की आर्थिक व वाणिज्य महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने वाला भविष्य-उन्मुख कानूनी ढाँचा तैयार हो सके।
- समुद्री माल परिवहन विधेयक, 2025:
- इसके द्वारा भारतीय समुद्र माल ढुलाई अधिनियम, 1925 को प्रतिस्थापित कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत हेग-विस्बी नियम (1924) और उनके संशोधनों को अपनाया गया, जिससे समुद्री व्यापार के लिये एक वैश्विक मानक स्थापित हुआ।
- हेग-विस्बी नियम, 1924 द्वारा समुद्र माल ढुलाई को नियंत्रित किया जाता हैं, जिसमें वाहक (Carrier) और प्रेषक (Shipper) के अधिकार तथा माल की हानि या क्षति के लिये उनकी ज़िम्मेदारियों का विवरण होता है।
- यह बिल ऑफ लैडिंग को विनियमित करता है, जो माल के प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य का विवरण देने वाले दस्तावेज़ होते हैं, ताकि पारदर्शिता और पोत परिवहन दक्षता को बढ़ाया जा सके।
- यह केंद्र सरकार को बिल ऑफ लैडिंग से संबंधित निर्देश जारी करने और नियमों में संशोधन करने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे व्यापार की सुगमता को बढ़ावा मिले और भारत के कानूनों को वैश्विक मानकों व वाणिज्य समझौतों के अनुरूप बनाया जा सके।
- इसके द्वारा भारतीय समुद्र माल ढुलाई अधिनियम, 1925 को प्रतिस्थापित कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत हेग-विस्बी नियम (1924) और उनके संशोधनों को अपनाया गया, जिससे समुद्री व्यापार के लिये एक वैश्विक मानक स्थापित हुआ।
भारत के समुद्री क्षेत्र की स्थिति क्या है?
- भारत के समुद्री क्षेत्र की स्थिति: भारत 16वाँ सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है, जो प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्गों पर 12 प्रमुख और 200 से अधिक छोटे बंदरगाहों के माध्यम से मात्रा के हिसाब से 95% तथा मूल्य के हिसाब से 70% व्यापार का संचालन करता है।
- क्षमता और फ्लीट वृद्धि: प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो-हैंडलिंग क्षमता 87% (2014-24) बढ़कर 1,629.86 मिलियन टन हो गई, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में 819.22 मिलियन टन का संचालन किया गया, फ्लीट में 1,530 पंजीकृत जहाज़ शामिल हैं।
- वैश्विक रैंकिंग: विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक 2023 में भारत की रैंक 38वीं है, जबकि भारत वैश्विक रूप से तीसरा सबसे बड़ा जहाज़ पुनर्चक्रणकर्त्ता है (लगभग 30% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ) और अलंग में सबसे बड़ा शिप-ब्रेकिंग यार्ड है।
- जहाज़ निर्माण और नीतिगत पहल: जहाज़ निर्माण में पिछड़ने के बावजूद, नई जहाज़ निर्माण और जहाज़ मरम्मत नीति के साथ-साथ 100% FDI (बंदरगाह, बंदरगाह निर्माण एवं रखरखाव परियोजनाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत), करावकाश व बुनियादी अवसंरचना के उन्नयन जैसी पहलों का उद्देश्य घरेलू क्षमता को बढ़ावा देना है तथा वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात को 451 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने में सहायता मिली है।
क्रमांक |
प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (Key Performance Indicator) |
वर्तमान (2020) |
लक्ष्य (2030) |
1 |
ऐसे प्रमुख बंदरगाह जिनकी >300 एमटीपीए (MTPA) माल ढुलाई क्षमता है |
– |
3 |
2 |
भारतीय बंदरगाहों द्वारा संभाले गए इंडियन गुड ट्रांसशिपमेंट का प्रतिशत |
25% |
>75% |
3 |
PPP/अन्य ऑपरेटरों द्वारा प्रमुख बंदरगाहों पर संभाले गए माल का प्रतिशत |
51% |
>85% |
4 |
औसत जहाज़ टर्नअराउंड समय (कंटेनर) |
25 घंटे |
<20 घंटे |
5 |
औसत कंटेनर ड्वेल टाइम |
55 घंटे |
<40 घंटे |
6 |
औसत जहाज़ का दैनिक उत्पादन (सकल टन भार में) |
16,500 |
>30,000 |
7 |
जहाज़ निर्माण और जहाज़ मरम्मत में वैश्विक रैंकिंग |
20+ |
शीर्ष 10 |
8 |
जहाज़ पुनर्चक्रण (Ship Recycling) में वैश्विक रैंकिंग |
2 |
1 |
9 |
वार्षिक क्रूज़ यात्री |
4,68,000 |
>15,00,000 |
10 |
विश्वभर में भारतीय नाविकों का हिस्सा |
12% |
>20% |
11 |
प्रमुख बंदरगाहों पर नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा |
<10% |
>60% |
भारत के समुद्री क्षेत्र में सरकारी पहल
- एक राष्ट्र-एक बंदरगाह प्रक्रिया (ONOP)
- सागर आंकलन- लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPPI) 2023-24
- भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम
- मैत्री प्लेटफार्म (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नियामक इंटरफेस के लिये मास्टर एप्लीकेशन)
- ग्रीन पोर्ट और शिपिंग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS)
- मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030
- ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP)
और पढ़ें: भारत के समुद्री क्षेत्र की चुनौतियाँ समुद्री बुनियादी अवसंरचना के विकास में तेज़ी लाने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (वर्ष 2017)
- INOS का उद्घाटन वर्ष 2015 में भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में भारत में आयोजित किया गया था।
- INOS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राष्ट्रों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाने का प्रयास करती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1
(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)
प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR-ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
- इसकी स्थापना हाल ही में घटित समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है।
- यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d)
मेन्स:
प्रश्न. ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018)
भारत के IT क्षेत्र को आकार देने हेतु AI का उपयोग
प्रिलिम्स के लिये: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बड़े मल्टीमॉडल मॉडल, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट, जनरेटिव एआई, MSME
मेन्स के लिये: आईटी क्षेत्र में AI का प्रभाव, भारत के आर्थिक विकास हेतु AI के अवसर और चुनौतियाँ, भारत की पारंपरिक अर्थव्यवस्था के लिये AI द्वारा प्रस्तुत प्रमुख चुनौतियाँ
चर्चा में क्यों?
280 अरब अमेरिकी डॉलर का भारतीय IT क्षेत्र, जिसमें 58 लाख लोग कार्यरत हैं, एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सेवा वितरण और व्यावसायिक संचालन में व्यापक बदलाव ला रहा है। हालाँकि इस बदलाव के कारण TCS ने अनुभवी नियुक्तियों को रोक दिया है और 12,000 नौकरियों में कटौती की है , जिससे भविष्य के कार्यबल और IT रोज़गार की बदलती प्रकृति को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
IT क्षेत्र में AI के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं?
- उत्पादकता, स्वचालन और कार्यबल परिवर्तन: AI ने कोडिंग सहायकों और स्वचालित कोड जनरेशन (माइक्रोसॉफ्ट द्वारा गिटहब कोपायलट) जैसे उपकरणों के माध्यम से सॉफ्टवेयर विकास उत्पादकता में वृद्धि की है।
- AI नियमित IT कार्यों को स्वचालित करता है, त्रुटियों को कम करता है और दक्षता बढ़ाता है। उदाहरण के लिये UiPath एक अग्रणी रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) टूल है जो दोहराए जाने वाले, नियम-आधारित कार्यों को स्वचालित करने के लिये AI का उपयोग करता है।
- डेवलपर्स रणनीति, नैतिकता, डोमेन-विशिष्ट तर्क और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए AI पर्यवेक्षकों के रूप में विकसित हो रहे हैं।
- मैकिन्से का अनुमान है कि वर्ष 2030-2060 तक जनरेटिव AI वैश्विक कार्य गतिविधियों का लगभग 50% स्वचालित कर सकता है।
- उन्नत साइबर सुरक्षा और खतरे का पता लगाना: AI एल्गोरिदम वास्तविक समय में असामान्य पैटर्न का पता लगाते हैं ताकि खतरे की शीघ्र पहचान और रोकथाम की जा सके। मशीन लर्निंग मॉडल हमलों का पूर्वानुमान हेतु बड़े डेटासेट का विश्लेषण करते हैं , जबकि AI-संचालित प्रणालियाँ मनुष्यों की तुलना में तेज़ी से प्रतिक्रिया देती हैं, जिससे IT सुरक्षा मज़बूत होती है।
- डार्कट्रेस का "एंटरप्राइज इम्यून सिस्टम" सामान्य नेटवर्क व्यवहार को सीखने के लिये AI का उपयोग करता है और असामान्य गतिविधियों, जैसे अप्रत्याशित फाइल स्थानांतरण या नए स्थानों से लॉगिन, को संभावित खतरों के रूप में चिह्नित करता है।
- बेहतर डेटा प्रबंधन: AI बड़े, असंरचित डेटासेट के डेटा संग्रह, भंडारण और विश्लेषण को स्वचालित करता है, जिससे ग्राहक संबंध प्रबंधन (CRM) जैसे क्षेत्रों को ग्राहक व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने और व्यवसाय विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है।
- भविष्यसूचक अनुरक्षण (Predictive Maintenance): AI ऐतिहासिक डेटा का विश्लेषण करके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में संभावित असामान्यताओं का पूर्वानुमान लगाता है, जिससे अग्रिम रूप से अनुरक्षण किया जा सकता है। यह न केवल डाउनटाइम को कम करता है बल्कि IT अवसंरचना की कार्यकाल क्षमता भी बढ़ाता है।
- उदाहरण के लिये, स्प्लंक (Splunk) कंपनी प्रदर्शन डेटा से सिस्टम में आने वाली असामान्यताओं का पूर्वानुमान लगाने के लिये AI का उपयोग करती है, जिससे समय रहते अनुरक्षण संभव हो पाता है।
भारतीय IT क्षेत्र में AI अपनाने की प्रक्रिया की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- कौशल अंतर और कार्यबल विस्थापन: AI के तेज़ी से अपनाए जाने से एक बड़ा कौशल अंतर उत्पन्न हो गया है, जिसके चलते कार्यबल को AI टूल्स, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा और नैतिक AI में पुनःप्रशिक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- साधारण कोडिंग, अनुरक्षण और बैक-ऑफिस से जुड़े कार्य स्वचालन के खतरे में हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में संभावित बेरोज़गारी तथा वेतन स्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI और स्वचालन वर्ष 2025 तक लगभग 85 मिलियन नौकरियों को विस्थापित कर सकते हैं।
- नियामकीय, नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: AI प्रणालियों को पारदर्शी, निष्पक्ष और GDPR-अनुपालन (GDPR-compliant) बनाना परिचालन जटिलता को बढ़ाता है।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि AI संवेदनशील डेटा को संसाधित करता है, जिसके लिये नियमित नैतिक ऑडिट तथा कड़ी जवाबदेही आवश्यक है।
- भारत का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDP Act) डेटा गोपनीयता के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है, लेकिन AI मॉडल प्रशिक्षण हेतु बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह और प्रसंस्करण में इसकी लागू होने की सीमा अभी स्पष्ट नहीं है।
- पारंपरिक प्रणालियों के साथ एकीकरण की चुनौतियाँ: कई भारतीय IT कंपनियाँ पुरानी पारंपरिक अवसंरचना पर कार्य करती हैं, जिससे AI का एकीकरण जटिल, महंगा और समय-साध्य हो जाता है।
- AI-तैयार प्रणालियों में स्थानांतरित होने के लिये प्राय: मौजूदा आर्किटेक्चर का पूरी तरह पुनर्निर्माण करना पड़ता है, जिससे संचालन बाधित होता है और भारी निवेश की आवश्यकता पड़ती है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा और अवसंरचना की कमी: फिलीपींस, वियतनाम और पूर्वी यूरोप से मिलने वाली AI प्रतिस्पर्द्धा भारत के लागत-आधारित लाभ को चुनौती देती है।
- सीमित उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग, उन्नत शोध सुविधाएँ और AI अवसंरचना नवाचार की गति को धीमा करती हैं, विदेशी क्लाउड सेवाओं पर निर्भरता बढ़ाती हैं तथा डेटा संप्रभुता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न करती है ।
- इंडियाAI मिशन जैसी पहलें अवसंरचना को मज़बूत करने का प्रयास करती हैं, फिर भी भारत अब भी वैश्विक अग्रणी देशों से पीछे है।
भारत का IT क्षेत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे कर सकता है?
- सरकार-उद्योग सहयोग और पुनःकौशल विकास: सरकार को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर AI कंप्यूटिंग अवसंरचना विकसित करनी चाहिये, जिसमें उच्च-प्रदर्शन GPU डेटा सेंटर शामिल हों।
- AI प्रशिक्षण के लिये बड़े और उच्च-गुणवत्ता वाले डाटासेट तक पहुँच को आसान बनाना चाहिये, जैसा कि इंडियाAI मिशन के तहत AIKosh प्लेटफॉर्म में देखा गया है।
- पूरे देश में AI, मशीन लर्निंग और उन्नत सॉफ्टवेयर विकास में कौशल विकास मिशन संचालित करना अनिवार्य है, ताकि कार्यबल की क्षमताएँ उद्योग की आवश्यकताओं तथा वैश्विक नैतिक मानकों के अनुरूप हो सकें।
- AI-आधारित उत्पाद नवाचार को बढ़ावा देना: भारतीय IT फर्मों को उत्पादकता बढ़ाने के लिये AI का लाभ उठाना चाहिये, पारंपरिक सेवा-आधारित मॉडल से हटकर स्वामित्व वाले AI-संचालित उद्यम समाधान, क्लाउड सेवाएँ और साइबर सुरक्षा उत्पाद को विकसित करने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये, ओला का AI उद्यम, क्रुट्रिम, अपना स्वयं का क्लाउड प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है।
- PPP के माध्यम से AI अनुसंधान को बढ़ावा देना: AI अनुसंधान, बौद्धिक संपदा निर्माण और विशेष AI हब के विकास के लिये PPP को प्रोत्साहित करना।
- सरकार को ऐसे डीप-टेक AI स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने को प्राथमिकता देनी चाहिये जो आधारभूत, उच्च-तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- फंड ऑफ फंड्स योजना के अंतर्गत हाल ही में 10,000 करोड़ रुपए का आवंटन इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- नैतिक और व्याख्या योग्य AI: मज़बूत AI नैतिकता, डेटा गोपनीयता और पूर्वाग्रह शमन मानकों की स्थापना करना।
- सरकारी नीतियों को AI अनुसंधान एवं विकास, स्टार्टअप विकास को प्रोत्साहित करना चाहिये तथा IT फर्मों को वैश्विक स्तर पर रणनीतिक AI समाधान भागीदार बनने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
- इसके अलावा, ग्राहकों और नियामकों के साथ विश्वास बनाने के लिये व्याख्यात्मक AI (XAI) के उपयोग को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
भारतीय आईटी क्षेत्र के लिये AI एक खतरा नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण का उत्प्रेरक है। उद्योग को जनशक्ति-प्रधान आउटसोर्सिंग से ज्ञान-संचालित, AI-संचालित नवाचार की ओर रुख करना होगा। जो कंपनियाँ बदलाव को अपनाएँगी, प्रतिभा परिवर्तन में निवेश करेंगी तथा स्वयं को रणनीतिक AI साझेदार के रूप में स्थापित करेंगी, वे आने वाले वर्षों में भारत के तकनीकी नेतृत्व को आकार प्रदान करेंगी। यह दृष्टिकोण AI इम्पैक्ट समिट, नई दिल्ली, 2026 का मुख्य विषय होना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: आईटी क्षेत्र पर AI के प्रभाव का परीक्षण कीजिये। अवसर और चुनौतियाँ क्या हैं और भारत सतत् विकास के लिये AI का लाभ किस प्रकार उठा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
- औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना
- सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
- रोगों का निदान
- टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
- विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: (b)
मेन्स:
प्रश्न. कृत्रिम बुद्धि (AI) की अवधारणा का परिचय दीजिये। AI क्लिनिकल निदान में किस प्रकार मदद करता है? क्या आप स्वास्थ्य सेवा में AI के उपयोग में व्यक्ति की निजता को कोई खतरा महसूस करते हैं? (2023)
बाढ़ जोखिम प्रबंधन हेतु सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाएँ
चर्चा में क्यों?
जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे अनुकूलन अत्यंत आवश्यक हो गया है। तंज़ानिया की म्सिम्बाज़ी बेसिन परियोजना (Msimbazi Basin Project) जैसी सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाएँ दिखाती हैं कि किस प्रकार प्रकृति-आधारित समाधान और आधुनिक अवसंरचना मिलकर जोखिम को कम कर सकते हैं तथा जलवायु अनुकूलन को मज़बूत बना सकते हैं, जो भारत की बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों के लिये महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
बाढ़ जोखिम प्रबंधन हेतु अग्रणी सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाएँ क्या हैं?
- तंज़ानिया की म्सिम्बाज़ी बेसिन विकास परियोजना: दार एस सलाम (Dar es Salaam) में लागू यह विश्व बैंक-वित्तपोषित परियोजना नदी की ड्रेजिंग, जल निकासी में सुधार और अवसंरचना उन्नयन के माध्यम से बाढ़ को कम करने का लक्ष्य रखती है।
- यह संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का पुनर्वास करती है और बाढ़ मैदानों को हरित एवं जलवायु-अनुकूल क्षेत्रों में परिवर्तित करती है।
- नीदरलैंड के फ्लोटिंग होम्स: कंक्रीट और काँच से बने ये बाढ़-रोधी घर बाढ़ के समय जल की सतह पर तैरते हैं, जिससे जल घर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाता। सौर पैनल और हीट एक्सचेंजर निरंतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
- वियना की बाढ़ सुरक्षा प्रणाली: वर्ष 1969 में, वियना ने डेन्यूब नदी के समानांतर 21 किमी लंबा बाढ़ राहत चैनल बनाया।
- यह चैनल अतिरिक्त बाढ़ के जल को अवशोषित करके मुख्य नदी पर दबाव कम करता है और शहर की सुरक्षा के लिये केवल आवश्यकता पड़ने पर ही सक्रिय होता है।
- चीन की स्पॉन्ज सिटी (Sponge Cities): ‘स्पॉन्ज सिटी’ प्रकृति-आधारित समाधानों का उपयोग करती हैं, जैसे पारगम्य सतहें और आर्द्रभूमियाँ, जो वर्षा जल को अवशोषित तथा संग्रहित करती हैं। ये पृथ्वी की प्राकृतिक जल अवशोषण प्रणाली का अनुकरण करती हैं, जबकि पारंपरिक शहर कठोर सतहों के कारण वर्षा जल को शीघ्रता से बहा देते हैं।
- डेनमार्क की ग्रीन क्लाइमेट स्क्रीन: यह वर्षा जल प्रणाली जल को छत की नालियों से विलो (बेंत) पैनलों के पीछे स्थित मिनरल वूल तक पहुँचाती है, जो प्राकृतिक रूप से आर्द्रता को अवशोषित करती है।
- अतिरिक्त जल को पौधों के गमलों या हरित क्षेत्रों में प्रवाहित किया जाता है, जिससे महंगे अवसंरचना निवेश या ऊर्जा उपयोग के बिना बाढ़ का जोखिम कम होता है।
- टेक्सास – AI और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग: एरिज़ोना विश्वविद्यालय, गूगल का फ्लड हब AI और सैटेलाइट डेटा का उपयोग करके विस्तृत बाढ़ मानचित्र तैयार करता है तथा 7-दिन की पूर्वानुमान जानकारी प्रदान करता है, जिससे बाढ़ प्रबंधन में न्यायसंगतता व वैश्विक तैयारी में सुधार होता है।
भारत बाढ़ के जोखिम के प्रति कितना संवेदनशील है?
- बाढ़-प्रवण क्षेत्र का विस्तार: भारत के कुल 329 मिलियन हेक्टेयर में से 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है।
- भारत विश्व स्तर पर सबसे आगे है, जहाँ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 158 मिलियन से अधिक झुग्गी-झोपड़ी निवासी रहते हैं।
- इसके अलावा, भारत में बाढ़, तूफान और अन्य आपदाओं के कारण वर्ष 2024 के दौरान 5.4 मिलियन निवासियों का आंतरिक विस्थापन हुआ है, जो 12 वर्षों में सबसे अधिक संख्या है।
- आर्थिक प्रभाव: पिछले दो दशकों के विश्लेषण से पता चलता है कि बाढ़ भारत के वार्षिक आर्थिक नुकसान का लगभग 63% कारण बनती है।
- मानसून के पैटर्न अत्यधिक अप्रत्याशित हो गए हैं, जिसमें अचानक भारी वर्षा बाढ़ का कारण बनती है और लंबे समय तक शुष्क मौसम सूखे की स्थिति उत्पन्न करता है।
भारत में बाढ़ जोखिम प्रबंधन के लिये अपनाई गई प्रमुख रणनीतियाँ क्या हैं?
- भारत में बाढ़ नियंत्रण मुख्यतः राज्य का विषय है, इसलिये बाढ़ नियंत्रण की ज़िम्मेदारी मुख्यतः राज्य सरकारों की है, जबकि केंद्र सरकार की भूमिका तकनीकी, सलाहकारी और सहायक के रूप में अधिक है।
- इंजीनियरिंग/संरचनात्मक उपाय:
- नदियों को आपस में जोड़ना: राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत, नदियों को आपस में जोड़ने से बाढ़-प्रवण घाटियों, जैसे गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना, से अतिरिक्त पानी को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में मोड़कर बाढ़ को रोकने में मदद मिल सकती है।
- इससे जल प्रवाह का पुनर्वितरण होता है, भारी वर्षा के दौरान नदियों में अधिकतम बहाव कम हो जाता है तथा संवेदनशील क्षेत्रों में नदी के किनारों के उफान पर आने और जलप्लावन का खतरा न्यूनतम हो जाता है।
- जलाशय: उच्च जलप्रवाह की अवधि में पानी को संग्रहित करके और चरम प्रवाह के बाद उसे छोड़कर बाढ़ की तीव्रता को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इनकी प्रभावशीलता उनकी क्षमता और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की निकटता पर निर्भर करती है।
- जलधारण बेसिन: ये प्राकृतिक अवसाद (Depressions) होते हैं जिन्हें तटबंध बनाकर और जल निकासी को नियंत्रित करके सुधारा जाता है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान और बिहार के बेसिन।
- तटबंध: बाढ़ के पानी को बहकर बाहर जाने से रोकते हैं। इनका व्यापक उपयोग किया जाता है, लेकिन लंबे समय में नदी तल के ऊँचा होने और कटाव जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इनका रखरखाव अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर असम और बिहार जैसे राज्यों में।
- चैनलाइज़ेशन: इसमें नदी के मार्ग को नियंत्रित करना और जलगतिक परिस्थितियों में सुधार करना शामिल है ताकि बाढ़ रोकी जा सके। ड्रेजिंग और डिसिल्टिंग नदियों को बाढ़ के पानी को कुशलतापूर्वक ले जाने में मदद करती है।
- बाढ़ के पानी का मार्ग परिवर्तन: मार्ग परिवर्तन चैनल और स्पिलवे बाढ़ के पानी को संवेदनशील क्षेत्रों से दूर ले जाने में मदद करते हैं।
- उदाहरणों में केरल में कृष्णा-गोदावरी जल निकासी योजना और थोट्टापल्ली स्पिलवे शामिल हैं।
- नदियों को आपस में जोड़ना: राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत, नदियों को आपस में जोड़ने से बाढ़-प्रवण घाटियों, जैसे गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना, से अतिरिक्त पानी को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में मोड़कर बाढ़ को रोकने में मदद मिल सकती है।
- प्रशासनिक/गैर-संरचनात्मक उपाय:
- बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी: केंद्रीय जल आयोग वास्तविक समय बाढ़ पूर्वानुमान प्रदान करता है, जो अधिकारियों को लोगों और संपत्ति को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुँचाने में मदद करता है।
- बाढ़ मैदान क्षेत्रीकरण: इसमें बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों को चिन्हित करना तथा बाढ़ से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिये इन क्षेत्रों में विकास को विनियमित करना शामिल है।
- बाढ़ निरोधन: समें बस्तियों को बाढ़ के स्तर से ऊपर उठाना शामिल है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम जैसे क्षेत्रों में।
मेन्स के लिये कीवर्ड
- “नदी एक संसाधन है, जोखिम नहीं”: बाढ़ नियंत्रण के लिये नदी पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना।
- "पूर्वानुमान से पूर्व चेतावनी": प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के लिये AI, उपग्रह इमेजरी और जल विज्ञान मॉडलिंग का उपयोग।
- "लचीलापन ही नया विकास है" – ऐसा विकास जो जलवायु संकटों को सहन कर सके और स्थायी रहे।
- "समुदाय ही केंद्र में हैं" – लचीलापन और समय पर प्रतिक्रिया के लिये स्थानीय आबादी के साथ समावेशी योजना।
निष्कर्ष
भारत में बाढ़ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिये 3F की आवश्यकता है - पूर्वानुमान (Forecasting), वित्तपोषण (Financing), और फ्रंटलाइन तैयारी (Frontline Preparedness) ताकि प्रतिक्रिया आधारित राहत से पहले से जोखिम कम करने की रणनीति की ओर बदलाव किया जा सके।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. संरचनात्मक बाढ़ नियंत्रण उपायों पर भारत की निर्भरता का आकलन कीजिये और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हुए प्रकृति-आधारित समाधानों को एकीकृत करने के महत्त्व पर प्रकाश डालिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)
मेन्स:
प्रश्न. नदियों को आपस में जोड़ने से सूखा, बाढ़ और बाधित नौवहन जैसी बहुआयामी अंतर-संबंधित समस्याओं का व्यवहार्य समाधान प्राप्त किया जा सकता है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये । (2020)
प्रश्न. भारत में हैदराबाद और पुणे जैसे स्मार्ट शहरों सहित लाखों शहरों में भारी बाढ़ के कारणों का विवरण दीजिये, तथा स्थायी उपचारात्मक उपाय सुझाइये। (2020)