मूल्य संघर्ष | 17 Feb 2020

किसी भी समाज या संगठन का निर्माण व्यक्ति या व्यक्तियों के समहू से मिलकर होता है जो अलग-अलग विचारधाराओं मान्यताओं, एवं मूल्य में विश्वास रखते है। ऐसी स्थिति में विभिन्न समाजों एवं संगठनों में मूल्य संघर्ष की स्थिति का उत्पन्न होना एक स्वाभाविक बात है।

Value-Conflicts

“अतः मूल्य संघर्ष की स्थिति उस समय उत्पन्न होती है जब समाज या फिर किसी संस्थान में व्यक्तियों की विचारधाराओं, मूल्य या विश्वास में टकराव होता है।”

मूल्य संघर्ष के कारण:

  • मूल्य संघर्ष के कारणों को लोगों के अलग-अलग धार्मिक, सांस्कृतिक मान्यताओं में देखा जा सकता है।
  • इसके अलावा उनका समाजीकरण जो कि विभिन्न मूल्यों के तहत होता है, मूल्य संघर्ष का एक कारण हो सकता है।
  • लोक नीतियों के निर्माण के समय मूल्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होना एक सामान्य बात है।
  • कभी-कभी आम जन के लिये बनाई जाने वाली शासकीय नीतियों के निर्माण के समय मूल्यों में टकराव एवं प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति दृष्टिगोचर होती है जो कि मूल्य संघर्ष का कारण बनती है।

शासन व्यवस्था में मूल्य संघर्ष की स्थिति:

शासन व्यवस्था में लोक नीतियों के निर्माण के समय या फिर इन नीतियों के क्रियान्वयन के दौरान किसी लोकसेवक के समक्ष उत्पन्न मूल्य संघर्ष की स्थिति को निम्नलिखित परिपेक्ष्य में देखा जा सकता है-

  • समाज में अवसर की समानता को प्रोत्साहित करते समय मूल्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके चलते क्षमता, न्याय, समानता जैसे मूल्यों में संघर्ष/टकराव उत्पन्न हो जाता है।
  • सरकार द्वारा अपराधों को रोकने से संबंधित नीतियों के क्रियान्वयन के समय स्वतंत्रता, सुरक्षा, समानता एवं अपराध को रोकने के लिये अपनाई जाने वाली न्यायिक प्रक्रियाओं तक लोगों की पहुँच के मामले में आपसी टकराव देखने को मिलता है।
  • सुरक्षा से संबंधित नीतियाँ बनाते समय भी मूल्यों में टकराव की स्थिति देखने को मिलती है क्योंकि ये लोगों की स्वतंत्रता, गोपनीयता एवं निजता से संबंधित मूल्यों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करती हैं।

मूल्य संघर्ष के नकारात्मक पक्ष:

  • इससे लोगों की मान्यता एवं विश्वास जैसी भावनाएँ आहत होती हैं। कभी-कभी धार्मिक मूल्यों के आहत होने से सांप्रदायिकता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • समाज में द्वेष या भय का माहौल उत्पन्न होता है।
  • नीतियों के क्रियान्वयन में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जिसके चलते ज़रूरतमंद वर्गों को समय पर उनका लाभ नही मिल पाता।
  • शासन व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास कमज़ोर होता है।

मूल्य संघर्ष के सकारात्मक पक्ष:

  • मूल्य संघर्ष के कारण उत्पन्न किसी भी तरह के विवाद के समय सभी लोगों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलता है।
  • शासन व्यवस्था में पारदर्शिता, जागरूकता एवं जवाबदेहिता को बढ़ावा मिलता है।
  • नीतियों के निर्माण के दौरान तथा उनके क्रियान्वयन के समय समाज के सभी वर्गों के मूल्यों को ध्यान में रखा जाता है।

मूल्य संघर्ष की स्थिति से निपटने हेतु उपाय:

शासन व्यवस्था में नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन के समय उत्पन्न मूल्य संघर्ष की स्थिति के समाधान हेतु सरकार या लोक सेवकों द्वारा निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है-

  • मूल्य संघर्ष की स्थिति से निपटने के लिये लोक सेवक में नैतिक मूल्यों का होना एक महत्त्वपूर्ण शर्त है ताकि उत्पन्न विवाद को बिना किसी पक्षपातपूर्ण तरीके से हल किया जा सके।
  • आपस में बातचीत या विचार-विमर्श के माध्यम से अर्थात् दूसरों के दृष्टिकोण को समझकर, सुनकर तथा उनकी राय को जानकर भी मूल्य संघर्ष की स्थिति का समाधान किया जा सकता है ताकि नीतियों के निर्माण के समय सभी आयामों, दृष्टिकोणों एवं सबके हितों के ध्यान रखा जा सके।

निष्कर्ष:

मूल्य किसी भी समाज या संगठन के अनिवार्य घटक होते हैं तथा इनके बीच टकराव होना भी अपरिहार्य है। यह स्थिति विशेष रूप से तब उत्पन्न होती है जब हम किसी ऐसे समूह या संगठन के साथ कार्य करते है जहाँ लोगों के हित आपस में जुड़े होते है। चूकिं किसी भी संघर्ष के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही पक्ष होते हैं परंतु ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों पर विचार-विमर्श के बाद एक संतुलित एवं बेहतर निर्णय पर पहुँचा जा सकता है जिसमें सभी के हितों के साथ-साथ सभी के मूल्यों का सम्मान हो।