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सिख धर्म | 19 Dec 2019 | नीतिशास्त्र

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2019 सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का 550वाँ जयंती वर्ष है। इनका जन्म स्थल पाकिस्तान स्थित श्री ननकाना साहिब है।

परिचय

दर्शन और मत:

इतिहास और धार्मिक आचरण:

  1. पहला अनुष्ठान जन्म और गुरुद्वारे में आयोजित नामकरण समारोह है।
  2. दूसरा अनुष्ठान आनंद करज (आनंदमय मिलन) या विवाह समारोह है।
  3. तीसरा अनुष्ठान जिसे सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है, अमृत संस्कार है जो खालसा में दीक्षा के लिये होने वाला समारोह है।
  4. चौथा अनुष्ठान मृत्योपरांत होने वाला अंतिम संस्कार समारोह है।
  1. नाम जपना: हमेशा ईश्वर का सुमिरन करना।
  2. कीरत करना: ईमानदारी से आजीविका अर्जित करना। चूँकि ईश्वर सत्य है, एक सिख ईमानदारी से जीवन जीना चाहता है। इसका अर्थ केवल अपराध से दूर रहना नहीं है बल्कि जुए, भीख, शराब व तंबाकू उद्योग में काम करने से भी बचना है।
  3. वंड छकना: शाब्दिक रूप से इसका अर्थ है दूसरों के साथ अपनी कमाई साझा करना अर्थात् दूसरों को दान देना और उनकी देखभाल करना।

सिख धर्म के दस गुरु:

दस सिख गुरु – परंपरा तालिका
पहले गुरु गुरु नानक 1469-1539
दूसरे गुरु गुरु अंगद 1539-1552
तीसरे गुरु गुरु अमर दास 1552-1574
चौथे गुरु गुरु राम दास 1574-1581
पाँचवें गुरु गुरु अर्जुन देव 1581-1606
छठे गुरु गुरु हरगोबिंद 1606-1644
सातवें गुरु गुरु हर राय 1644-1661
आठवें गुरु गुरु हरकिशन 1661-1664
नवें गुरु गुरु तेग बहादुर 1665-1675
दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह 1675-1708

सिख धर्म के महत्त्वपूर्ण गुरुद्वारे:

  1. अकाल तख्त साहिब का अर्थ है अनंत सिंहासन (Eternal Throne)। यह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर का एक अंग है। इसकी नींव छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद जी ने रखी थी।
  2. तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब, पंजाब में स्थित है। यह खालसा का जन्म स्थल है जिसे वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्थापित किया था।
  3. तख्त श्री दमदमा साहिब भटिंडा के पास तलवंडी साबो ग्राम में स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह जी लगभग एक वर्ष तक यहाँ रहे और उन्होंने वर्ष 1705 में गुरु ग्रंथ साहिब के अंतिम संस्करण को संकलित किया था जिसे ‘दमदमा साहिब बीर’ के नाम से भी जाना जाता है।
  4. तख्त श्री पटना साहिब बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म वर्ष 1666 में यहीं हुआ था और आनंदपुर साहिब जाने से पहले अपना बचपन उन्होंने यहीं बिताया था।
  5. तख्त श्री हज़ूर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है।

सिख साहित्य: आदि ग्रंथ और दशम ग्रंथ

निष्कर्ष

सिख अपने धर्म को पाँच महत्त्वपूर्ण घटनाक्रमों की परिणति मानते हैं।

  1. पहला घटनाक्रम गुरु नानक देव जी का उपदेश था जहाँ उन्होंने सतनाम पर ध्यान से मुक्ति का संदेश दिया।
  2. दूसरा घटनाक्रम गुरु हरगोबिंद जी द्वारा सिखों को शस्त्रों से सुसज्जित करना था।
  3. तीसरा घटनाक्रम गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा की स्थापना जिसकी आचार सहिंता का दीक्षा प्राप्त लोगों द्वारा पालन किया जाना है।
  4. चौथा घटनाक्रम गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु पर आत्मा-स्वरूपी रहस्यमयी गुरु का अपने 10 मानवीय रूपों से गुरु ग्रंथ साहिब में प्रवेश करना है।
  5. अंतिम घटनाक्रम 20वीं शताब्दी के आरंभ में संपन्न हुआ जब सिख धर्म में ‘तत खालसा’ के नेतृत्व में गहन सुधार किया गया।