अनुनयन | 10 Jul 2020

अनुनयन क्या है? (What is Persuasion)?

  • किसी भी व्यक्ति की मनोवृत्ति में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को अनुनयन कहते है। व्यक्ति की अभिवृत्तियाँ अपेक्षाकृत स्थायी प्रकृति की होती हैं परंतु इनमें परिवर्तन भी संभव है। मनोवृत्तियों में परिवर्तन से तात्पर्य- व्यक्ति के विचार, विश्वास तथा व्यवहार आदि में परिवर्तन से है।
  • अनुनयन एक प्रकार से संप्रेषण, संचार या अभिव्यक्ति है। यह श्रोताओं या पाठकों या दर्शकों की अभिवृत्ति में परिवर्तन के उद्देश्य से संचालित किया जाता है।
  • अनुनयन का प्रयोग विपरीत मतों को परिवर्तित करने अथवा तटस्थ करने के लिये, अप्रकट मतों एवं सकारात्मक अभिवृत्तियों को उभारने के लिये तथा अनुकूल लोकमतों के संवर्द्धन में किया जाता है।

अनुनयन (Persuade) करने के तरीके:

  • अनुनयन करने के विभिन्न तरीके हो सकते हैं यथा- पोस्टर, बिल बोर्ड, रेडियो, अखबार, टेलीविजन, इंटरनेट, मैगज़ीन आदि। इसके अतिरिक्त भाषण कला भी अनुनयन का माध्यम है।
  • अनुनयन के संदर्भ में दो प्रकार के दृष्टिकोण प्रचलित हैं- पहला परपंरागत दृष्टिकोण तथा दूसरा संज्ञानात्मक दृष्टिकोण:
    • अनुनयन का आरंभिक दृष्टिकोण संप्रेषक, संप्रेषण का संदेश या अंतर्वस्तु, श्रोता और संप्रेषण के माध्यम पर बल प्रदान करता था।
  • परंपरागत दृष्टिकोण (Correctional Approach)
    • यदि संप्रेषक विश्वसनीय है तथा उसी समूह की विशेषता धारण करता है जिससे श्रोता संबंधित हैं तो संप्रेषण का प्रभाव गहरा होता है। संप्रेषण एवं संप्रेषणकर्त्ता आकर्षक होना चाहिये।
    • संप्रेषण इस प्रकार होना चाहिये कि श्रोता को यह एहसास न हो कि संप्रेषण लाभ के लिये किया जा रहा है।
    • दर्शक या श्रेाता की भावनाओं को उत्तेजित करने वाले संप्रेषण का प्रभाव सर्वाधिक होगा।
    • यदि विषयवस्तु के प्रति सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों बातें विशेष अनुपात में बताई जाए, तो प्रभाव बेहतर होगा।
    • श्रोता के आक्रामक होने पर संप्रेषण का प्रभाव कम होता है वही यदि श्रोता का व्यवहार विनम्र व लचीला होना तो संप्रेषण का प्रभाव अपेक्षाकृत अधिक होता है।
    • जन संचार के माध्यमों से होने वाले संप्रेषण की अपेक्षा व्यक्तिगत संवाद का प्रभाव अधिक गहरा होता है।
    • इसी प्रकार एकतरफा संप्रेषण की अपेक्षा दोतरफा संप्रेषण का प्रभाव अधिक होता है।
    • शारीरिक अभिव्यक्तियाँ/हाव-भाव भी संप्रेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • संज्ञानात्मक दृष्टिकोण (Cognitive Approach)
    • संज्ञात्मक दृष्टिकोण इस बात पर बल देता है कि अनुनयन कैसे हो रहा है? इसमें व्यवस्थित दृष्टिकोण तथा अनुमानित या अनायास दृष्टिकोण के संप्रेषण का प्रयास किया जाता है।
    • क्षमता (Capacity), ज्ञान (Knowledge) और समय की अधिकता/पर्याप्तता होने पर व्यवस्थित प्रोसेसिंग (Systematic-Processing) को अपनाया जाता है। वहीं समय का अभाव होने पर अनायास/अनुमानित (Heuristic Processing) को अपनाया जाता है।
    • क्योंकि कोई भी व्यक्ति न्यनूतम ऊर्जा खर्च करना चाहता है अर्थात् अनुमानित या अनायास दृष्टिकोण अधिक सामान्य है।
    • अनायास प्रोसेसिंग के दौरान श्रोता तथ्यों व तर्कों का परीक्षण नहीं करता जिससे संप्रेषण आसान हो जाता है।
    • यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अनुनयन तभी सफल होगा जब अभिवृत्ति उन प्रकार्यों को पूरा करेगी जो प्रकार्य पुरानी मनोवृत्ति द्वारा पूरे हो रहे थे अर्थात् पुरानी अभिवृत्ति द्वारा संपन्न प्रकार्यों का विकल्प उपलब्ध कराना।
    • अनुनयन की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि पुरानी एवं नई अभिवृत्ति में विरोध या अंतराल कितना है।
    • वस्तुत: विरोध या अंतराल जितना कम होगा सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

अनुनयन अभिवृत्ति परिवर्तन की विफलता के कारण

  • अभिवृत्ति टीका (Attitude Inoculation): इसका आशय है कि यदि अनुनयनकर्त्ता द्वारा अभिवृत्ति में परिवर्तन करने विचार सीमित प्रभाव के साथ श्रोता को यदि पहले ही बात दिये जाए तथा उनका विरेाधी पक्ष भी स्पष्ट कर दिया जाए तो व्यक्ति नए विचारों को तटस्थ होकर स्वीकार नहीं करता।
  • पूर्व चेतावनी (Forewarning): यदि श्रोता को यह आभास हो जाए कि उसकी अभिवृत्ति परिवर्तित की कोशिश की जा रही है तो वह सावधान हो जाता है।
  • प्रतिक्रिया (Resection): यदि संप्रेषक श्रोता पर आवश्यक दबाव बना दे जिससे उसे अपनी स्वतंत्रता खतरे में लगने लगे तो संभावना होती है कि संप्रेषक के संदेश का विरोधी हो जाए।
  • चयनात्मक उपेक्षा (Selective Avoidance): यदि श्रोता को संप्रेषक के तथ्य गलत लगने लगते हैं तो वह अपनी अभिवृत्ति को बनाए रखने के लिये लक्ष्यों व तर्कों की उपेक्षा करने लगता है।
  • पक्षपातपूर्ण ग्रहण एवं मनोवृत्ति ध्रुवीकरण (Biased Assimilation and Attitude Polarization): पक्षपात पूर्ण सूचना ग्रहण करने से आशय है कि श्रोता द्वारा अपनी अभिवृत्ति के विपरीत दिखने वाली सूचना को संदेह की दृष्टि से देखना तथा अभिवृत्ति ध्रुवीकरण के अंतर्गत व्यक्ति (श्रोता) मिश्रित सूचनाओं की व्याख्या भी अपनी अभिवृत्ति के समर्थन के संदर्भ में करता है।