अब्राहम लिंकन (1809-1865) | 22 Aug 2020

सामान्य परिचय

  • अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को अमेरिका के केंटकी प्रांत के एक गाँव में हुआ था।
  • अब्राहम लिंकन विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व और अति प्रेरणादायी थे।
  • उनके माता-पिता की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी जिसके बाद लिंकन की देखभाल उनकी बड़ी बहन ने की ।
  • वे एक साल से भी कम अवधि की स्कूली शिक्षा ग्रहण कर सके एवं कार्य का दबाव बहुत अधिक होने के बावजूद उन्हों
  • सेना में कप्तानी एवं पोस्टमास्टर की नौकरी के दौरान उन्होंने स्थानीय सभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए। परंतु 1834 में पुन: चुनाव में उनकी जीत हुई तथा वे लगातार 3 बार चुनाव जीते।

अब्राहम लिंकन के कार्य

  • अब्राहम लिंकन को अपनी सरलता, करुणा, दयालुता के साथ दासों को सामान्य जन की गरिमा दिलाने हेतु संघर्ष करने और उसमें विजयी होने तथा अमेरिकी गृह-युद्ध को समाप्त करके शांति स्थापित करने के लिये जाना जाता है।
  • वस्तुत: अपने काम के दौरान की गई यात्राओं के समय उन्होंने नीग्रो (काले) लोगों को जंजीरों से बँधे एवं कोडों से पिटते तथा गुलाम बनाई गई महिलाओं को जबरन बेच जाते देखा था ।
  • उपर्युक्त घटनाओं ने लिंकन के मन को गहराई तक प्रभावित किया तथा उनके मन में दास प्रथा के विरुद्ध गहरी धारणा बन गई।
  • अमेरिका में 1830 में दास प्रथा की समाप्ति के लिये आंदोलन प्रारंभ हो गया और अब्राहम लिंकन भी इस आंदोलन के समर्थक थे।
  • गौरतलब है कि 1848-1854 के दौरान अपनी वकालत के पेशे पर अधिक ध्यान देने के कारण वे राजनीति से दूर रहे।
  • बाद में उन्होंने पुन: और अधिक प्रबुद्धता एवं अनुभव के साथ राजनीति में प्रवेश किया।
  • 1854 में उन्होंने रिपब्लिकन दल के निर्माता के रूप में प्रवेश किया। यह दल दास प्रथा का विरोधी था।
  • 1858 में लिंकन ने राष्ट्रपति पद हेतु नामांकन की चर्चा करते समय कहा था ‘‘मैं अपने आप को राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं समझता।’’
  • अपने सरल भाषणों के बल पर वे लोगों को आकर्षित एवं प्रभावित करने में सफल रहे। परिणामस्वरूप 1860 में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने में सफलता हासिल की।
  • उनके प्रयासों के फलस्वरूप 31 जनवरी, 1865 को प्रतिनिधि सभा ने सीनेट द्वारा पूर्ववर्ती पारित दास प्रथा को रोकने हेतु वैधानिक संशोधन को स्वीकार किया।
  • 4 मार्च, 1865 को वे पुन: अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए, परंतु 14 अप्रैल, 1865 को नाटक देखने के दौरान एक रंगवर्गी ने नस्लीय घृणा के वशीभूत होकर लिंकन की गोली मारकर हत्या कर दी।

अब्राहम लिंकन के जीवन से मिलने वाली शिक्षाएँ:

  • अब्राहम लिंकन लोकतंत्र के हिमायती एवं सभी को समान अधिकार दिलाने के समर्थक थे। उन्होंने कहा था ‘‘प्रजातंत्र जनता की, जनता के द्वारा, और जनता के लिये बनाई गई शासन व्यवस्था है।’’
  • अर्थात् लोकतंत्र का गठन जनता के द्वारा ही किया जाता है तथा उसे यह अधिकार है कि कुशल लोकतांत्रिक देश की स्थापना हेतु वह समाज के हित में चर्चा करे।
  • उनका मानना था कि किसी भी कार्य को करने से पहले हमें उस कार्य के प्रति मज़बूत इरादों वाला और कुशल बनना चाहिये ताकि कठिन कार्य को भी सरलता से किया जा सके।
  • इसी संदर्भ में उन्होंने कहा था कि ‘‘यदि मुझे एक पेड़ काटने के लिये 6 घंटे दिये जाएँ तो मैं पहले 4 घंटे अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करने में लगाऊँगा।’’
  • लिंकन अपने कार्य के प्रति हमेशा सजग रहने की प्रेरणा देते थे । उनका कहना था कि यदि कोई भी व्यक्ति अपने कार्य को ईमानदारी और निरंतरता के साथ करता है तो एक न एक दिन वह अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करता है।

निष्कर्षत: अब्राहम लिंकन हमें कठोर परिश्रम करने, ईमानदारी एवं कर्त्तव्यनिष्ठापूर्वक अपने कार्य को करते रहने तथा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देते हैं। उनके विचार एवं कार्य आज भी प्रेरणास्रोत हैं।