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कॉर्पोरेट गवर्नेंस | 21 Feb 2020 | शासन व्यवस्था

कोई भी संगठन चाहे वह लोक संगठन हो या फिर निजी उसका कामकाज नैतिकता के आधार पर संचालित होना चाहिये तथा उसके द्वारा अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन भली-भाँति किया जाना चाहिये। किसी भी कंपनी के कॉर्पोरेट शासन में मुख्य रूप से छह घटक (ग्राहक, कर्मचारी, निवेशक, वैंडर, सरकार तथा समाज) शामिल होते हैं जिन्हें ‘स्टेक होल्डर्स’ कहा जाता है। कॉर्पोरेट शासन को प्रभावी और कुशल तरीके से चलाने के लिये प्रबंधन को इन सभी स्टेक होल्डर्स का विश्वास प्राप्त करना आवश्यक होता है।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस का अर्थ:

कॉर्पोरेट गवर्नेंस के विभिन्न माॅडल:

विश्व स्तर पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस के कई माॅडल प्रचलित हैं, जो विभिन्न संस्थाओं के वित्त पोषण तथा संस्था के लिये बनाए गए कानून एवं नियमों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इस प्रकार हैं-

एंग्लो सेक्सन मॉडल (एंग्लो अमेरिकन):

कॉन्टिनेंटल मॉडल (फ्रेंको जर्मन मॉडल):

जापानी मॉडल:

पारिवारिक स्वामित्व वाली कंपनी मॉडल:

कॉर्पोरेट गवर्नेंस के समक्ष चुनौतियाँ:

हालाँकि कॉर्पोरेट गवर्नेंस के बारे में सरकार द्वारा समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं फिर भी एक प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अक्सर विद्यमान रहती हैं-

सरकार द्वारा इस दिशा में किये गए प्रयास:

भारतीय संदर्भ में कई बार ऐसा देखा गया है कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मानकों का सही से पालन नहीं किया जाता तथा नैतिकता का मुद्दा बार-बार सामने आता है, चाहे वर्ष1984 का भोपाल गैस कांड हो या फिर वर्ष 2009 का सत्यम कंप्यूटर केस।

कॉर्पोरेट शासन का महत्व:

निष्कर्ष:

पिछले कुछ समय में बड़ी कंपनियों के दिवालिया होने के बाद, न केवल भारतीय परिदृश्य में बल्कि वैश्विक स्तर पर कॉर्पोरेट शासन की ज़रूरत पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है।

हाँलाकि कॉर्पोरेट शासन प्रणाली अर्थव्यवस्था के लिये तथा शेयर धारकों के हित को सुरक्षित रखने में प्रभावशाली साबित हुई है, फिर भी हमें अभी और कुशल निगरानी, पारदर्शी आंतरिक लेखा परीक्षा प्रणाली, कुशल बोर्ड और प्रबंधन की आवश्यकता है जो एक प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन को नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं। साथ ही उभरती नई कंपनियों के रणनीतिक प्रबंधन को बढ़ावा देने तथा बाज़ार को स्थिरता प्रदान करने में मददगार साबित हों।