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अखण्ड भारत का सपना : सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875-1950) | 21 Nov 2019 | भारतीय इतिहास

चर्चा में क्यों ?

31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन एकता दिवस के रूप में मनाया गया । इसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती के रूप में मनाया गया ।

परिचय

स्वतंत्रता आंदोलनों में भूमिका

कान्ग्रेस के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल की भूमिका

कराची अधिवेशन में कान्ग्रेस का प्रस्ताव:

इस अधिवेशन में कान्ग्रेस ने दो मुख्य प्रस्तावों को अपनाया जिनमें एक मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से संबंधित था तो दूसरा राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों से संबंधित था।

मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से जुड़े प्रस्ताव में निम्नलिखित प्रावधान थे:

राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम से संबंधित जो प्रस्ताव पारित हुआ, उसमें निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित थे:

इन प्रावधानों के साथ-साथ कान्ग्रेस ने यह भी घोषणा की कि ‘जनता के शोषण को समाप्त करने के लिये राजनीतिक आज़ादी के साथ-साथ आर्थिक आज़ादी भी आवश्यक है’। अतः यह कहना उचित ही है की कान्ग्रेस का ‘कराची अधिवेशन’ वास्तव में उसकी मूलभूत राजनीतिक व आर्थिक नीतियों का दस्तावेज था।

रियासतों का एकीकरण:

स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी:

इस स्मारक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

सरदार पटेल का लेखन कार्य:

सरदार पटेल का लेखन उनके द्वारा लिखे गए पत्रों, टिप्पणियों एवं उनके द्वारा दिए गए व्याख्यानों के रूप में एक वृहत् साहित्य के रूप में उपलब्ध है । जिसमें मुख्य है:

सम्मान और महत्त्वपूर्ण योगदान:

निष्कर्ष :

किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे । राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को सदैव याद किया जायेगा।