भारतीय चित्रकला ( भाग -1) | 03 Mar 2019

  • कला के विभिन्न रूपों में ‘चित्रकारी’ कला का सूक्ष्मतम प्रकार है जो रेखाओं और रंगों के माध्यम से मानव चिंतन और भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।
  • प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य गुफाओं में रहता था तो उसने गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी की।
  • धीरे-धीरे नगरीय सभ्यता का विकास होने पर यह चित्रकारी गुफाओं से निकलकर वस्त्रों, भवनों, बर्तनों, सिक्कों, कागज़ों आदि पर आ गई।

प्रागैतिहासिक चित्रकला

  • भारत में प्रागैतिहासिक चित्रकला को प्रकाश में लाने का श्रेय कार्लाइल, काकार्बन और पंचानन मिश्र तथा संस्थाओं में एशियाटिक सोसाइटी को जाता है, जिन्होंने मिर्ज़ापुर (कैमूर) की पहाड़ियों के गुफाचित्रों को उद्घाटित किया।

भीमबेटका

  • इसकी खोज 1957-58 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी।
  • यह रायसेन ज़िले (M.P.) का एक पुरापाषाणिक गुफा आवास है जिसकी निरंतरता मध्य ऐतिहासिक काल तक रही।
  • यह विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर है तथा इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरंभ हो जाती हैं।
  • भीमबेटका में 700 से अधिक शैलाश्रय हैं जिनमें 400 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं।

प्रागैतिहासिक चित्रकला की विशेषताएँ:

  • इन चित्रों में अधिकतर आखेट के चित्र प्राप्त होते हैं।
  • इनमें पशु-पक्षियों का अंकन मुद्राओं के साथ करने का प्रयास किया गया है।
  • आखेटकों के पास नोंकदार भाले, ढाल और धनुष-बाण आदि दिखाए गए हैं।
  • कुछ चित्रों में आदि धर्म और जादू-टोने एवं कृषक जीवन का चित्रण भी किया गया है।
  • रंगों में व्यापकता नहीं मिलती, हालाँकि कुछ चित्रों को गेरू, खड़िया और काले आदि रंगों से रंगा गया है।
  • प्रागैतिहासिक चित्रकला के अन्य नमूने मिर्ज़ापुर (उ.प्र.), रायगढ़ (महाराष्ट्र), पंचमढ़ी एवं होशंगाबाद (म.प्र.), शाहाबाद (बिहार) आदि से मिले हैं।
  • भारत की प्रागैतिहासिक गुफा चित्रकारी, स्पेन की शैलाश्रय चित्रकलाओं से असाधारण रूप से मेल खाती है।
  • ये चित्रकलाएँ आदिम अभिलेख हैं जिन्हें अपरिष्कृत लेकिन यथार्थवादी ढंग से तैयार किया गया है।

हड़प्पाकालीन चित्रकला

  • यह एक नगरीय सभ्यता थी जिसमें मिट्टी के खिलौनों, मुहरों, बर्तनों आदि पर चित्रकला की छाप है।
  • यहाँ अधिकांश पात्रों पर लाल रंग चढ़ाकर काले रंग से चित्रकारी की गई है। यह B.R.W. (Black and Red Ware) संस्कृति का द्योतक है।
  • यहाँ चित्रों में ज्यामितीय आरेखनों के अलावा मानव, पशु-पक्षियों, वनस्पतियों आदि का चित्रांकन भी मिलता है।
  • कुछ आरेखनों में जगह भरने हेतु बिन्दुओं और सितारों का प्रयोग किया गया है।

संक्रमण काल

  • सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद चित्रकला की धारा क्षीण होती प्रतीत होती है।
  • वैदिककाल और महाजनपदकाल में भी चित्रकला का विस्तृत ब्यौरा नहीं मिलता है।
  • बौद्ध एवं जैन सहित अन्य धार्मिक विचारधाराओं के विस्तार ने चित्रकला के विकास में महती भूमिका निभाई।
  • 500 ई.पू. से 200 ई.पू. के बीच जोगीमारा (छत्तीसगढ़) और सीताबेंग की गुफाओं में प्राय: लाल, काले एवं सपेद रंगों से चित्रकारी के साक्ष्य मिले हैं।
  • सरगुजा (छत्तीसगढ़) की रामगढ़ पहाड़ियों में जोगीमारा और सीताबेंग नामक गुफाएँ स्थित हैं।
  • ‘जोगीमारा’ भारतीय चित्रकला की निरंतरता का प्रतीक है।
  • उसके बाद 200 ई. से लेकर 700 ई. सन् के काल में अजंता, बाघ और बादामी में भारतीय चित्रकला ने ऊँचाइयाँ छुई हैं।