द्रविड़ साहित्य | 20 Aug 2019

द्रविड साहित्य का विकास मूलतः दक्षिण भारत में हुआ है तथा इससे हमें प्राचीन दक्षिण भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों को समझने में मदद मिलती है। द्रविड़ साहित्य में 4 भाषाओं को लिखित साहित्य में सम्मिलित किया जाता है। ये भाषाएँ हैं - तमिल,तेलुगू, कन्नड़, मलयालम। इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं (Classical Languages) का दर्जा भी दिया गया है।

तमिल साहित्य

  • चारों द्रविड़ भाषाओं में तमिल भाषा सबसे प्राचीन है तथा इसमें सबसे पहले साहित्य लेखन आरंभ हुआ ।
  • इसमें संगम साहित्य के अतिरिक्त शिलाप्पदिकारम, मणिमैखलै तथा जीवक चिंतामणि महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं।
  • संगम साहित्य की रचना ईसा की आरंभिक 4 शताब्दियों में हुई, इससे चोल, चेर, एवं पांड्य राज्यों के सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक, एवं धार्मिक विश्वासों की जानकारी मिलती है।
  • संगम साहित्य को 2 भागों में विभाजित किया जा सकता है -
  1. आगम अर्थात प्रेम संबंधी रचनाएँ
  2. पुरम अर्थात युद्ध विषयक रचनाएँ

तमिल भाषा में रचित 3 प्रसिद्ध महाकाव्य

महाकाव्य रचनाकार वर्णन

शिलाप्पदिकाराम

(Shilappadikaram)

इन्गालोआदिकल

(Ingaloadikal)

  • इसमें मदुरै नगर का सुन्दर वर्णन है।
  • मुख्य चरित्रों में कोवलन, कन्नगी दंपत्ति एवं माध्वी नामक नर्तकी है।
  • चेर राज्य में कन्नगी के सती होने के पश्चात चेर शासक शेन गुत्त्त्तवन द्वारा पत्नी पूजा आरंभ कराई गई।

मणिमैखलै

(Manimaikhlai)

सीतलै सत्तनार

(Sittale Sattnar)

  • माध्वी से उत्पन्न कन्या मणिमैखलै तथा राजकुमार उदयन के प्रेम संबंधों की चर्चा की गई है।माध्वी से उत्पन्न कन्या मणिमैखलै तथा राजकुमार उदयन के प्रेम संबंधों की चर्चा की गई है।

जीवक चिंतामणि

(Jeevak chintamni)

तिरुतक्कदेवर

(Tiruktevar)

  • इसमें जीवक एक योद्धा है जो प्रत्येक युद्ध विजय के पश्चात विवाह करता है।
  • इसे विवाह ग्रन्थ भी कहते हैं।

तेलुगू साहित्य

  • तेलुगू भाषा के कुछ शब्द सर्वप्रथम पहली सदी में राजा हाल द्वारा रचित गाथा सप्तसती में मिलते हैं।
  • इसका स्वतंत्र विकास 575 ई. से 1022 ई. के बीच हुआ। इस समय संस्कृत एवं प्राकृत भाषा का इसमें प्रभाव दिखाई देता है।
  • तेलुगू को जनभाषा बनाने का श्रेय कवि नन्नाया को जाता है, जिन्होंने महाभारत का तेलुगु भाषा में अनुवाद किया ।
  • विजयनगर साम्राज्य तेलुगू भाषा का स्वर्णकाल था, तुंगभद्र की घाटी में ब्राम्हण, जैन, शैव प्रचारकों ने इस भाषा को अपनाया।
  • विजयनगर साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक कृष्णदेवराय ने अमुक्त्त्माल्यदा ग्रन्थ की रचना की तो वही अन्य शासक हरिहर बुक्का ने भाषा के विकास हेतु कवियों को भूमि दान में दी।

कन्नड़ साहित्य

  • कन्नड़ भाषा लगभग 2500 वर्षों से उपयोग में है। इसकी प्राचीनतम कृति कविराजमार्ग है जिसके लेखक राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष हैं ।
  • 10 वीं सदी में कन्नड़ भाषा को समृद्ध बनाने का श्रेय रत्नत्रयी कहे जाने वाले पम्पा, पोन्न, रन्न नामक कवियों को जाता है।
  • 13वीं सदी में होयसल शासकों के संरक्षण में अनेक रचनाएँ हुईं तथा विजयनगर के शासकों ने भी इसमें योगदान दिया।
  • 17वीं शताब्दी में लक्ष्मीषा ने जैमिनी भारत, कवी सर्वजन ने त्रिपदी सूक्तियाँ और कवियत्री होन्नमा ने हादिबेय धर्म नामक कृतियों की रचनाएँ की।

मलयालम साहित्य

  • मलयालम भाषा एवं लिपि के दृष्टिकोण से तमिल साहित्य के बहुत करीब है, इसमें संस्कृत के कुछ शब्दों को सीधे लिया गया है।
  • मलयालम का भाषा के रूप में उद्भव 11 वीं सदी में हुआ और स्वतंत्र भाषा की पहचान 15 वीं सदी में मिली।
  • इस भाषा के उत्थान में थुनचातु एझुथच्चन का काफी योगदान रहा, इन्हें “आधुनिक मलयालम का पिता” भी कहा जाता है ।
  • 18वीं सदी में ईसाई धर्म प्रचारकों ने भी इस भाषा में अनेक ग्रंथों की रचनाएँ कीं।