ओडिशा का स्थापत्य | 08 Oct 2018

ओडिशा का स्थापत्य

  • ओडिशा के मंदिर मुख्यत: भुवनेश्वर, पुरी और कोणार्क में स्थित हैं।
  • ओडिशा वास्तुकला की अपनी पहचान में देउल (गर्भगृह के ऊपर उठता हुआ विमान तल), जगमोहन (गर्भगृह के बगल का विशाल हॉल), नटमंडप (जगमोहन के बगल में नृत्य के लिये हॉल), भोगमंडप, परकोटा तथा ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल शामिल है।
  • भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर इस शैली के श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
  • सूर्य मंदिर (कोणार्क) का निर्माण गंग वंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने किया था।
  • कोणार्क के सूर्य मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भी शामिल किया गया है।
  • कोणार्क के ब्लैक पैगोडा (सूर्य मंदिर) के अतिरिक्त उत्तराखंड के अल्मोड़ा में कटारमल सूर्य मंदिर है।
  • लिंगराज मंदिर ओडिशा मंदिर स्थापत्य की संपूर्ण विशेषताओं का सर्वोत्तम उदाहरण है।

विशेष

जैन धर्म से संबंधित गुफा/पहाड़ी

गुफा/पहाड़ी

शासक वंश

कालखंड

क्षेत्र

सोनभद्र पहाड़ी

नंद वंश

चौथी शताब्दी ई.पू.

राजगृह (बिहार)

उदयगिरि और खंडगिरि गुफा

महामेघवाहन वंश के राजा खारवेल ने यहाँ हाथीगुंफा लेख खुदवाया।

ई.पूर्व प्रथम या द्वितीय शताब्दी (मौर्योत्तर काल)

भुवनेश्वर (ओडिशा) से लगभग 8 किमी. दूर स्थित

चंद्रगिरि पहाड़ी

मौर्य वंश के चंद्रगुप्त मौर्य से संबंधित, इस पर्वत के निकट पूर्व मध्यकाल में गंग कदम्ब के मंत्री चामुण्ड राय ने विख्यात बाहुबली की मूर्ति स्थापित की।

मौर्य काल तथा पूर्व मध्य काल

श्रवण बेलगोला (कर्नाटक)

एलोरा की गुफाएँ

राष्ट्रकूट वंश के शासकों के समय में निर्मित एलोरा में कुल 34 गुफाएँ हैं। इनमें हिंदू, बौद्ध और जैन गुफा मंदिर बने हैं। यहाँ 12 बौद्ध गुफाएँ (1–12), 17 हिंदू गुफाएँ (13–29)और 5 जैन गुफाएँ (30–34) हैं। गुफा संख्या- 16 में कृष्ण प्रथम द्वारा एलोरा का प्रसिद्ध कैलाश मंदिर बनवाया गया।

पूर्व मध्य काल

(600–1000 ई.)

औरंगाबाद (महाराष्ट्र) से लगभग 30 किमी. की दूरी पर स्थित

शत्रुंजय और उर्जयंत पहाड़ी

चालुक्य या सोलंकी वंश के शासक जयसिंह सिद्धराज और कुमारपाल ने जैन मुनि हेमचंद्र के सहयोग से श्रमणों हेतु गुफाओं का निर्माण करवाया।

पूर्व मध्य काल (11वीं-12वीं शताब्दी)

गुजरात

अर्बुदगिरि की पहाड़ी

चालुक्य (सोलंकी) वंश के शासक भीम प्रथम के दौर में निर्मित। यहाँ गुफा के साथ-साथ आदिनाथ का मंदिर, विमल बसाही मंदिर तथा दिलवाड़ा समूह का जैन-मंदिर भी प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र चालुक्यों के अधीन था।

पूर्व मध्य काल (10–11वीं शताब्दी)

राजस्थान