शादी अनुदान योजना | उत्तर प्रदेश | 23 May 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने शादी अनुदान योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1 लाख अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) परिवारों को विवाह अनुदान प्रदान किया है।
- इस उपलब्धि के बावजूद, सामाजिक अंकेक्षण की रिपोर्टों और क्षेत्रीय सर्वेक्षणों से पता चलता है कि भले ही पहुँच में सुधार हुआ है, लेकिन प्रणालीगत कमियाँ अब भी बनी हुई हैं।
मुख्य बिंदु
शादी अनुदान योजना (विवाह अनुदान योजना)
- परिचय:
- यह योजना गरीब, निर्बल तथा गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवनयापन करने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) वर्ग के परिवारों की बेटियों की शादी हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- पात्रता मापदंड:
- आवेदक राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त OBC वर्ग से होना चाहिये।
- अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति जो OBC श्रेणी में आते हैं, वे इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं हैं।
- लड़की और लड़के की आयु क्रमशः 18 वर्ष और 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिये।
- निराश्रित विधवाओं, विकलांगों, भूमिहीनों और प्राकृतिक आपदा से पीड़ित व्यक्तियों के विवाह के लिये सब्सिडी देने में प्राथमिकता दी जाती है।
- अनुदान राशि: प्रति विवाह 20,000 रुपए
- एक परिवार से अधिकतम 2 बेटियों को अनुदान दिया जाएगा।
- लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि का कारण: यह उल्लेखनीय वृद्धि मुख्य रूप से आय पात्रता मानदंड में संशोधन के कारण हुई है। पहले यह सीमा शहरी और ग्रामीण BPL परिवारों तक ही सीमित थी, लेकिन अब आय सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दी गई है, जिससे अधिक से अधिक परिवार इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।
- इसके अलावा, शहरी और ग्रामीण दोनों लाभार्थियों के लिये आय पात्रता को मानकीकृत किया गया है।
योजना से संबंधित चुनौतियाँ
- धन वितरण में विलंब: ग्रामीण ज़िलों में लाभार्थियों को धन वितरण के लिये 4-6 महीने तक इंतजार करना पड़ता है, जिससे कई परिवारों को शादी के खर्चों को पूरा करने के लिये धन उधार लेने के लिये मज़बूर होना पड़ता है।
- अंतिम छोर तक वितरण अंतराल: वर्ष 2024 के सामाजिक अंकेक्षण के अनुसार, केवल 68% प्राप्तकर्त्ताओं को शादी से पहले उनकी धनराशि प्राप्त हुई, जिससे वित्तीय सहायता की समयबद्धता प्रभावित हुई।
- उच्च आवेदन अस्वीकृति दर: लगभग 23% आवेदनों को दस्तावेज़ी कमियों के कारण अस्वीकृत कर दिया गया, जिससे और अधिक देरी व जटिलताएँ उत्पन्न हुईं।
- सत्यापन में बाधाएँ: सत्यापन में मैनुअल प्रक्रियाएँ और नौकरशाही संबंधी देरी लाभार्थियों को समय पर सहायता प्रदान करने में बाधा डालती है।
सुधार के उपाय
- विभाग अंतिम छोर तक वितरण में सुधार के लिये जागरूकता अभियान की योजना बना रहा है तथा अपने समावेशी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं की आवश्यकता को स्वीकार कर रहा है।
- जरूरतों और चुनौतियों की पहचान करने के लिये नियमित रूप से लाभार्थियों की प्रतिक्रिया एकत्रकरें तथा कार्यक्रम को बेहतर बनाने और अधिक प्रभाव के लिये उसे अनुकूलित करने के लिये अंतर्दृष्टि का उपयोग करें।
- प्रभावशीलता और सुधार के क्षेत्रों का आकलन करने के लिये नियमित निगरानी और मूल्यांकन स्थापित करें।
OBC के सशक्तीकरण से संबंधित योजनाएँ
- श्रेयस (युवा उपलब्धिकर्त्ताओं के लिये उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति) योजना: श्रेयस योजना एक व्यापक कार्यक्रम है, जिसमें चार उप-योजनाएँ शामिल हैं, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से वंचित अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों को शैक्षिक अवसर और वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- पीएम-यशस्वी (OBC एवं अन्य के लिये जीवंत भारत हेतु पीएम युवा उपलब्धि छात्रवृत्ति पुरस्कार योजना): पीएम-यशस्वी योजना OBC, EBC और विमुक्त, खानाबदोश जनजातियों (DNT) के छात्रों को कक्षा 12वीं से आगे उच्च शिक्षा के लिये पूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 100% वित्त पोषित, यह वर्ष 2021-22 से मंत्रालय द्वारा अधिसूचित संस्थानों के छात्रों को कवर करती है।
- OBC प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति- उत्तर प्रदेश: OBC प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति उन छात्रों को सहायता देने के लिये बनाई गई है जो आर्थिक रूप से वंचित हैं और कक्षा 9 या 10 में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।