हिंदुस्तान जिंक द्वारा उत्तर भारत में पहला फॉस्फेट संयंत्र स्थापित | राजस्थान | 11 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
हिंदुस्तान ज़िंक चित्तौड़गढ़ में एक उर्वरक संयंत्र स्थापित करने जा रहा है, जो राजस्थान तथा उत्तर भारत में पहला फॉस्फेट संयंत्र होगा।
- साथ ही, लघु तथा मध्यम ज़िंक विनिर्माण उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु एक ज़िंक इंटरनेशनल इंडस्ट्रियल पार्क भी विकसित किया जा रहा है, जो MSME क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा और संसाधन उपलब्ध कराएगा।
मुख्य बिंदु
- परिचय: चित्तौड़गढ़ में स्थापित किया जा रहा यह संयंत्र डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), नाइट्रोजन-फास्फोरस-पोटेशियम (NPK) तथा अमोनियम फॉस्फेट सल्फेट का उत्पादन करेगा, जो फसल-वृद्धि के लिये अत्यावश्यक माने जाते हैं।
- उद्देश्य: इस सुविधा का प्रमुख उद्देश्य राजस्थान सहित उत्तर भारत में उर्वरक-आपूर्ति की कमी को दूर करना तथा आयात और लंबी दूरी के परिवहन पर निर्भरता को न्यूनतम करना है।
- निवेश: हिंदुस्तान जिंक इस उर्वरक संयंत्र में 5,000 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है। लगभग 80% कार्य पूर्ण हो चुका है तथा संयंत्र आगामी तीन महीनों में परिचालन के लिये तैयार हो जाएगा।
- उत्पादन क्षमता: इस संयंत्र की संयुक्त वार्षिक उत्पादन क्षमता एक मिलियन टन होगी, जिससे कृषि के लिये आवश्यक उर्वरकों का उत्पादन होगा।
- क्षेत्रीय प्रभाव: यह संयंत्र न केवल चित्तौड़गढ़, बल्कि राजस्थान के अन्य ज़िलों तथा पड़ोसी राज्यों को भी उर्वरक-आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
- कृषि विकास: फॉस्फेट-आधारित उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता क्षेत्रीय फसल-उत्पादकता में वृद्धि करेगी और कृषि-विकास को गति प्रदान करेगी।
- आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन: घरेलू उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा देकर यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत अभियान को सुदृढ़ बनाती है।
- रोज़गार सृजन: संयंत्र के संचालन से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के रोज़गार के अवसर सृजित होंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ प्राप्त होगा।
सी. राजगोपालाचारी जयंती | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 11 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर, 2025 को चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (राजाजी) की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए भारत के स्वतंत्रता संग्राम, प्रशासनिक चिंतन तथा सामाजिक सशक्तीकरण में उनके बहुमूल्य और दूरदर्शी योगदान को स्मरण किया।

मुख्य बिंदु
- परिचय: सी. राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसंबर, 1878 को मद्रास प्रांत (वर्तमान तमिलनाडु) के सलेम में हुआ था। वर्ष 1899 में उन्होंने विधि में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही सलेम में अपनी वकालत शुरू की।
- राजनीतिक तथा सामाजिक सुधार: राजगोपालाचारी, लॉर्ड कर्ज़न द्वारा सांप्रदायिक आधार पर किये जाने वाले बंगाल विभाजन के निर्णय से प्रभावित होने के साथ लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के पूर्ण स्वतंत्रता के आह्वान से प्रेरित हुए।
- यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हुए तथा उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया।
- वर्ष 1917 में राजगोपालाचारी सलेम नगर पालिका के अध्यक्ष बने तथा उन्होंने पिछड़े वर्गों के सामाजिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया। वर्ष 1925 में उन्होंने सामाजिक उत्थान हेतु मद्रास प्रांत में एक आश्रम की स्थापना की।
- इस आश्रम द्वारा दो पत्रिकाएँ प्रकाशित की गईं- विमोचनम (तमिल) और प्रोहिबिशन (अंग्रेज़ी)।
- स्वतंत्रता संग्राम: रॉलेट एक्ट के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान राजाजी ने चेन्नई, तमिलनाडु में इस आंदोलन का नेतृत्व किया।
- वर्ष 1930 में दांडी मार्च के दौरान राजगोपालाचारी ने मद्रास प्रांत में तिरुचि से वेदारण्यम तक नमक मार्च का नेतृत्व किया (जिसे वेदारण्यम सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है)।
- वेदारण्यम सत्याग्रह के दौरान उनकी गिरफ्तारी के साथ ही उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में एक नेता के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
- भारत छोड़ो आंदोलन के बाद राजगोपालाचारी के पैम्फलेट "द वे आउट" में मुस्लिम लीग एवं कॉन्ग्रेस के बीच एक अलग मुस्लिम राज्य के संबंध में संवैधानिक गतिरोध को हल करने के क्रम में सी.आर. फार्मूले की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
- मद्रास प्रांत के प्रधानमंत्री: वर्ष 1937 में राजगोपालाचारी मद्रास प्रांत के प्रधानमंत्री बने।
- उन्होंने खादी को बढ़ावा देने के साथ जमींदारी उन्मूलन एवं स्कूलों में हिंदी की शुरुआत सहित अन्य सामाजिक तथा आर्थिक सुधारों को लागू करने में भूमिका निभाई।
- उन्होंने दलितों के जीवन स्तर को बेहतर करने एवं सामाजिक समानता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया।
- स्वतंत्रता के बाद योगदान: राजगोपालाचारी को पश्चिम बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया तथा आगे चलकर वर्ष 1947 में वे स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर-जनरल भी बने (वर्ष 1950 में इस पद को स्थायी रूप से समाप्त कर दिया गया)।
- उन्होंने मुस्लिमों को मुख्यधारा में एकीकृत करने के साथ भारत के पंथनिरपेक्ष स्वरूप को बनाए रखने की दिशा में कार्य किया।
- उन्होंने सरदार पटेल की मृत्यु के बाद केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्य किया तथा प्रथम पंचवर्षीय योजना के साथ ही प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्ष 1959 में राजगोपालाचारी ने बाज़ार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही सरकारी नियंत्रण को कम करने का समर्थन करने के क्रम में स्वतंत्र पार्टी का गठन किया।
- वर्ष 1962 में राजाजी ने अमेरिका में गांधी पीस फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया।
- राजगोपालाचारी ने चक्रवर्ती थिरुमगन (जिसे वर्ष 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला) नाम से रामायण का तमिल में अनुवाद किया।
- विरासत: सी. राजगोपालाचारी को वर्ष 1954 में 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। वे यह सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पाने वाले प्रथम व्यक्ति थे।
- 25 दिसंबर, 1972 को राजगोपालाचारी का निधन हुआ।
सुजलाम भारत ऐप | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 11 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
जल शक्ति मंत्रालय ने सुझलाम भारत ऐप लॉन्च किया है, जो जल जीवन मिशन (JJM) के अंतर्गत एक प्रमुख डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण पेयजल आपूर्ति प्रणाली का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: सुजल गाँव ID (डिजिटल पहचान) प्रत्येक बस्ती के लिये एक स्पष्ट डिजिटल प्रोफाइल प्रदान करेगी, जिसमें उसके पेयजल स्रोत, बुनियादी ढाँचे की स्थिति, आपूर्ति की विश्वसनीयता, जल की गुणवत्ता और संचालन एवं रखरखाव व्यवस्थाओं का विवरण होगा।
- उद्देश्य: यह मंच ग्राम पंचायतों, ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (VWSCs) और सेवा प्रदाताओं के प्रदर्शन में पारदर्शिता बढ़ाएगा, साथ ही सामुदायिक भागीदारी तथा निगरानी को प्रोत्साहित करेगा।
- विकास: इसे भास्करचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) के सहयोग से विकसित किया गया है।
- एकीकरण: जल नेटवर्क, परिसंपत्ति सूची, जल गुणवत्ता डेटा और सामुदायिक प्रतिक्रिया के सटीक भू-स्थानिक मानचित्रण के लिये इसे PM गति शक्ति GIS के साथ एकीकृत किया गया है।
- महत्त्व : इस ऐप को "ग्रामीण जल प्रणालियों के लिये आधार" के रूप में परिकल्पित किया गया है। यह ग्रामीण जल वितरण प्रणाली को पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक-केंद्रित बनाने में आधार का काम करेगा।