सड़क सुरक्षा में एआई अपनाने वाला पहला राज्य | उत्तर प्रदेश | 31 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा अनुमोदित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डाटा एनालिटिक्स आधारित सड़क सुरक्षा पायलट परियोजना शुरू करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में:
- पायलट परियोजना को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम ITI लिमिटेड द्वारा वैश्विक प्रौद्योगिकी फर्म एमलॉजिका के सहयोग से नि:शुल्क क्रियान्वित किया जाएगा।
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की इस परियोजना के लिये कोई वित्तीय देनदारी नहीं है।
- व्यापक AI एकीकरण:
- यह परियोजना दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने और राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट का पता लगाने के लिये दुर्घटना रिपोर्ट, मौसम की स्थिति, वाहन विवरण, चालक रिकॉर्ड और सड़क बुनियादी ढाँचा का विश्लेषण करेगी।
- यह परियोजना डाटा संग्रह एवं पूर्वानुमानात्मक एआई मॉडल के निर्माण पर केंद्रित होगी, जिससे दुर्घटना प्रवृत्तियाँ एवं उच्च जोखिम क्षेत्र पहचाने जा सकें।
- रीयल-टाइम डैशबोर्ड:
- एक डैशबोर्ड विकसित किया जाएगा, जो वाहनों की आवाजाही, उल्लंघन, आय विवरण एवं प्रवर्तन डाटा की रीयल-टाइम निगरानी करेगा।
- धोखाधड़ी का पता लगाना और ई-चालान निगरानी:
- यह प्रणाली स्वचालित रूप से धोखाधड़ी वाले आवेदनों को चिह्नित करेगी, वाहन के स्थानों को ट्रैक करेगी, मौके पर प्रवर्तन में सहायता करेगी और ई-चालान वसूली करेगी।
- लगभग 5 करोड़ वाहन और 3 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस धारक इस प्रणाली से जोड़े जाएंगे।
- AI का उपयोग अन्य परिवहन सेवाओं में भी किया जाएगा, जैसे, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट का फेसलेस निर्गमन, आवेदनों की स्वीकृति तथा दस्तावेज़ों की प्रिंटिंग आदि।
- परियोजना की वैधता:
https://www.youtube.com/watch?v=ng4-jOfNm4k
मुंशी प्रेमचंद की जयंती | उत्तर प्रदेश | 31 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती की पूर्व संध्या पर पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने प्रेमचंद और डाक परिवार के संबंध को रेखांकित किया।
- उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की आदर्शवाद से यथार्थवाद की यात्रा उनके साहित्य को आज के सामाजिक परिवेश में विशेषकर गरीबी, जातिवाद, लिंग भेद तथा शोषण जैसे समकालीन मुद्दों के संदर्भ में, अत्यंत प्रासंगिक बनाती है।
मुख्य बिंदु
मुंशी प्रेमचंद के बारे में:
- परिचय
- मुंशी प्रेमचंद, जिनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही गाँव में धनपत राय श्रीवास्तव के रूप में हुआ था, को हिंदी और उर्दू साहित्य में सबसे प्रभावशाली उपन्यासकारों, कहानीकारों और विचारकों में से एक माना जाता है।
- प्रेमचंद ने पहली असफल शादी के बाद वर्ष 1906 में शिवरानी देवी (जो कि एक बाल विधवा थीं) से विवाह किया, जिसे उस समय क्रांतिकारी कदम माना गया।
- उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी शिवरानी देवी ने 'प्रेमचंद घर में' शीर्षक से एक संस्मरण लिखा।
- प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
- प्रेमचंद के पिता मुंशी अज़ायब लाल डाक विभाग में क्लर्क थे, जबकि माता का नाम आनंदी देवी था।
- उन्होंने बचपन में ही उर्दू और फारसी सीख ली थी और अंग्रेज़ी शिक्षा के लिये मिशनरी स्कूल में प्रवेश लिया।
- उन्होंने वर्ष 1898 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1919 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी, फ़ारसी और इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- कार्य-जीवन:
- वर्ष 1899 से 1921 तक प्रेमचंद ने एक स्कूल शिक्षक और स्कूलों के उप-निरीक्षक के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समर्थन में उन्होंने सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया।
- साहित्यिक जीवन और उपनाम:
- शुरुआत में उन्होंने अपने बचपन के उपनाम 'नवाब राय' से लेखन किया।
- बाद में जब ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने वर्ष 1910 में उनके संग्रह 'सोज़-ए-वतन' पर प्रतिबंध लगा दिया, तो उन्होंने 'प्रेमचंद' नाम अपना लिया।
- उनकी साहित्यिक प्रतिभा के कारण उन्हें समकालीन हिंदी लेखकों द्वारा 'उपन्यास सम्राट' और 'कलम का जादूगर' की उपाधि दी गई।.
- साहित्य में योगदान:
- प्रेमचंद को हिंदी और उर्दू साहित्य में यथार्थवाद का अग्रदूत माना जाता है।
- उन्हें 300 से अधिक लघु कथाएँ और 18 उपन्यास लिखे, जिनमें सबसे उल्लेखनीय हैं 'गोदान', 'कफन', 'पूस की रात' और 'पंच परमेश्वर', जो समाज और मानवीय भावनाओं की आलोचना के लिये आज भी प्रासंगिक हैं।
- उन्होंने 'ज़माना', 'सरस्वती', 'माधुरी', 'मर्यादा', 'चाँद' और 'सुधा' जैसी प्रमुख हिंदी और उर्दू पत्रिकाओं में योगदान दिया। उन्होंने प्रमुख हिंदी समाचार-पत्र 'जागरण' और साहित्यिक पत्रिका 'हंस' का संपादन और प्रकाशन भी किया।
- प्रेमचंद ने सरस्वती प्रेस भी खरीदी, परंतु बाद में आर्थिक घाटे के कारण यह बंद हो गई।
- इसके बाद वे मुंबई चले गए जहाँ उन्होंने फिल्म पटकथाएँ लिखना प्रारंभ किया।
- आधुनिक मान्यता:
- प्रेमचंद की साहित्यिक विरासत आज भी उतनी ही समृद्ध है। उनकी स्मृति में साहित्य अकादमी द्वारा 2005 में ‘प्रेमचंद फैलोशिप’ की स्थापना की गई।
- उनकी अनेक कृतियों पर फिल्में बनाई गईं, जिनमें विशेष रूप से सत्यजीत रे की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ (1977) उल्लेखनीय है।
- प्रेमचंद की कहानियाँ अनेक भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवादित की गईं, जिससे वे एक वैश्विक साहित्यिक प्रतीक के रूप में स्थापित हुए।
- हिंदी साहित्य में वर्ष 1918 से 1936 का काल ‘प्रेमचंद युग’ कहलाता है। इस अवधि में उनके साहित्य ने लगातार सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता जैसे विषयों को उठाया, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
- भारतीय साहित्य और समाज में उनके अमूल्य योगदान के सम्मान में डाक विभाग ने वर्ष 1980 में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
- अंतिम वर्ष और विरासत:
- प्रेमचंद वर्ष 1936 में अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अध्यक्ष चुने गए।
- 8 अक्तूबर, 1936 को 56 वर्ष की आयु में वाराणसी में उनका निधन हो गया।
