धौलपुर विज्ञान केंद्र का उद्घाटन | राजस्थान | 09 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने राजस्थान में धौलपुर विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य इसे क्षेत्र के स्कूली बच्चों और युवाओं के लिये नवाचार और वैज्ञानिक जिज्ञासा का जीवंत केंद्र बनाना है।
मुख्य बिंदु
धौलपुर विज्ञान केंद्र:
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) और राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र के सहयोग से आकांक्षी ज़िलों में विज्ञान संग्रहालय स्थापित करने की राष्ट्रीय पहल के हिस्से के रूप में इस केंद्र का विकास किया है।
- विज्ञान केंद्र व्यावहारिक विज्ञान अनुभव, STEM- आधारित मॉड्यूल और इंटरैक्टिव प्रदर्शनियाँ प्रदान करता है, जो युवा मस्तिष्कों में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं।
- यह सरकार की 'विज्ञान सेतु' अवधारणा का प्रतीक है, जो वैज्ञानिक संस्थानों को वंचित क्षेत्रों से जोड़ता है।
- केंद्र का उद्देश्य छोटे शहरों से उभरने वाले संभावित स्टार्टअप के लिये क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान करना है, जो सरकार के BioE3 विज़न- अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार के लिये जैव प्रौद्योगिकी अर्थात् ग्रामीण सशक्तीकरण के लिये जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
BioE3 नीति के बारे में:
- BioE3 का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन वाले जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देना है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में जैव-आधारित उत्पादों का उत्पादन शामिल है।
- यह नीति व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है, जैसे 'नेट ज़ीरो' कार्बन अर्थव्यवस्था प्राप्त करना और चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था के माध्यम से सतत् विकास को बढ़ावा देना।
उद्देश्य:
- BioE3 नीति अनुसंधान एवं विकास (R&D) और उद्यमिता में नवाचार पर ज़ोर देती है, बायोमैन्युफैक्चरिंग, बायो-एआई हब्स और बायोफाउंड्रीज़ की स्थापना करती है, भारत के कुशल जैव प्रौद्योगिकी कार्यबल का विस्तार करने का लक्ष्य रखती है, 'पर्यावरण के लिये जीवनशैली' कार्यक्रमों के साथ संरेखित करती है और पुनर्योजी जैव अर्थव्यवस्था मॉडल के विकास को लक्षित करती है।
- BioE3 नीति का उद्देश्य जैव-विनिर्माण केंद्रों की स्थापना के माध्यम से, विशेष रूप से द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में, महत्त्वपूर्ण रोज़गार सृजन करना है।
- ये केंद्र स्थानीय बायोमास का उपयोग करेंगे, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास और समान विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- नीति में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिये नैतिक जैव सुरक्षा और वैश्विक विनियामक संरेखण पर भी ज़ोर दिया गया है, साथ ही उत्तरदायित्व जैव प्रौद्योगिकी विकास को भी सुनिश्चित किया गया है।
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP)
परिचय:
- जनवरी 2018 में शुरू किया गया आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) एक लक्षित शासन दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका उद्देश्य भारत के 112 सबसे अविकसित ज़िलों में बदलाव लाना है।
- नीति आयोग द्वारा संचालित तथा एकीकरण, सहयोग और प्रतिस्पर्द्धा के सिद्धांतों से प्रेरित ADP का उद्देश्य क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना है।
मुख्य सफलताएँ:
- डाटा-संचालित दृष्टिकोण: सामाजिक-आर्थिक विषयों में 49 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPI) का प्रयोग करके प्रगति का आकलन किया जाता है। मासिक डेल्टा रैंकिंग डाटा-संचालित निर्णय लेने और उत्तरदायित्व को प्रोत्साहित करती है।
- स्थानीयकृत कार्यान्वयन: मुख्य चालक के रूप में राज्य ज़िला-विशिष्ट चुनौतियों के अनुरूप शासन को सक्षम बनाते हैं, जिससे प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिलता है।
- समावेशन और SDG स्थानीयकरण: सीमांत क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा के “लीव नो वन बिहाइंड (LNOB)” सिद्धांत के अनुरूप है।
- क्षमता निर्माण: NITI आयोग, मंत्रालयों, विकास भागीदारों और ज़िला स्तरीय अधिकारियों के बीच सहयोग से ज़मीनी स्तर पर शासन क्षमता में वृद्धि हुई है।
- प्रमुख क्षेत्रों में सुधार:
- स्वास्थ्य एवं पोषण: पोषण अभियान जैसे लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से बाल कुपोषण और मातृ मृत्यु दर में कमी।
- बुनियादी ढाँचा विकास: पिछड़े क्षेत्रों में ग्रामीण विद्युतीकरण, आवास और सड़क निर्माण परियोजनाओं में तीव्रता लाना।