दुनिया की सबसे बड़ी बाघ गणना | मध्य प्रदेश | 27 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य भारत में अखिल भारतीय बाघ आकलन (AITE) 2026 की तैयारियाँ औपचारिक रूप से आरंभ हो चुकी हैं। इस क्रम में मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व में क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
- बाघ गणना 2022 के अनुसार भारत में बाघों की संख्या 3,167 है, जो विश्व की कुल बाघ आबादी का 70% से अधिक है।
मुख्य बिंदु
- आयोजन:
- कार्यक्षेत्र:
- सर्वेक्षण में पूरे देश के बाघ आवासों को शामिल किया जाएगा तथा बाघ आबादी के विश्वसनीय और उचित अनुमान सुनिश्चित करने के लिये मानकीकृत प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाएगा।
- कार्यशाला में झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के 150 वन अधिकारियों तथा फील्ड स्टाफ ने भाग लिया।
- इसमें क्षेत्रीय निदेशकों, प्रभागीय वन अधिकारियों और रेंज अधिकारियों सहित विभिन्न अधिकारियों को मानकीकृत बाघ सर्वेक्षण विधियों पर प्रशिक्षण दिया गया।
- तकनीकी एकीकरण:
- प्रशिक्षण में बाघों की निगरानी, सह-शिकारी और शिकार प्रजातियों के आकलन तथा आवास मूल्यांकन से संबंधित प्रोटोकॉल शामिल थे।
- प्रतिभागियों को STrIPES ऐप, GPS उपकरण, कंपास, मानचित्र पढ़ना, दूरबीन और मल (scat) आधारित जेनेटिक सैंपलिंग जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया।
- कार्यप्रणाली:
- प्रतिभागियों को शाकाहारी प्राणियों की गणना, वनस्पति और आवास मूल्यांकन तथा व्यवधान अध्ययन की विधियों से परिचित कराया गया, जिसमें शाकाहारी प्रजातियों के वितरण एवं मांसाहारी प्रजातियों की उपस्थिति के बीच संबंध पर विशेष ज़ोर दिया गया।
भारत में बाघों की गणना:
- राष्ट्रीय बाघ गणना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा राज्य वन विभागों, संरक्षण NGOs और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के साथ साझेदारी से प्रत्येक चार वर्ष में की जाती है।
- गणना में भूमि-आधारित सर्वेक्षणों और कैमरा-ट्रैप से प्राप्त चित्रों पर आधारित दोहरी नमूनाकरण पद्धति का उपयोग किया जाता है।

छठा नदी उत्सव | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 27 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने छठे नदी उत्सव का उद्घाटन किया तथा नदियों के संरक्षण हेतु नागरिकों की सामूहिक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने नमामि गंगे परियोजना के महत्त्व को रेखांकित किया, जो नदियों की स्वच्छता बनाए रखने, अतिक्रमण रोकने और धार्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पवित्र नदियों के संरक्षण पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) द्वारा आयोजित नदी उत्सव में नदियों के महत्त्व को आवश्यक जीवनरेखा और सांस्कृतिक जलाशय के रूप में उजागर किया गया।
- उत्सव में नदियों के पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और कलात्मक आयामों को उजागर किया गया, जिससे उनकी महत्ता को गहराई से समझने का अवसर मिला।
- कार्यक्रम की अवधि: यह कार्यक्रम 25 से 27 सितंबर 2025 तक दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें सेमिनार, फिल्म स्क्रीनिंग और प्रदर्शनियाँ शामिल थीं।
- रिवरस्केप डायनेमिक्स: परिवर्तन और निरंतरता शीर्षक वाले सेमिनार में पारंपरिक नदी ज्ञान, नदी देवताओं तथा लोक कथाओं एवं नदियों की कला, शिल्प व विज्ञान में भूमिका पर चर्चा की गई।
- मेरी नदी की कहानी: इस उत्सव में नदियों से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों और मानव संबंधों पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री था फिल्में प्रदर्शित की गईं।
- प्रदर्शित फिल्मों में गोताखोर: लुप्त होते गोताखोर समुदाय, भारत का नदी पुरुष, अर्थ गंगा, मोलाई - जंगल के पीछे का आदमी, कावेरी - जीवन की नदी, और लद्दाख -सिंधु नदी के किनारे जीवन शामिल हैं।
