बिहार में दो आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में किया घोषित | बिहार | 29 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
भारत ने बिहार से दो नई आर्द्रभूमि — बक्सर में गोकुल जलाशय और पश्चिम चंपारण में उदयपुर झील — को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के रामसर सम्मेलन स्थलों की वैश्विक सूची में शामिल किया है।
- इन स्थलों के जुड़ने के साथ, भारत के रामसर स्थलों की संख्या अब 93 हो गई है, जो 13,60,719 हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर करती हैं। यह एशिया में अपनी शीर्ष स्थान बनाए रखते हुए वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है, जबकि यूके (176) और मेक्सिको (144) पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
प्रमुख बिंदु
- गोकुल जलाश्य, बक्सर जिला:
- प्रकार: गंगा नदी के दक्षिणी किनारे स्थित ऑक्सबो झील।
- पारिस्थितिक भूमिका: पास के गाँवों के लिये प्राकृतिक बाढ़ अवरोधक का कार्य करता है और 50 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिये निवास स्थान प्रदान करता है।
- सामुदायिक संपर्क: मत्स्यन, कृषि और सिंचाई के माध्यम से आजीविका प्रदान करता है।
- स्थानीय परंपरा: गाँववाले प्रत्येक वर्ष एक उत्सव के दौरान जलग्रहण क्षेत्र की सफाई करते हैं।
- उदयपुर झील, पश्चिम चंपारण जिला:
- प्रकार: गाँव के चारों ओर स्थित ऑक्सबो झील।
- जैव विविधता: यहाँ 280 पादप प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें एलिसिकार्पस रॉक्सबर्गियानस (Alysicarpus roxburghianus) (भारत के लिये स्थानीय) भी शामिल है।
- यह 35 प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण शीतकालीन निवास स्थान है, जिनमें संकटग्रस्त कॉमन पोचार्ड भी शामिल है।
- परिचय: ये दलदली, फेन, पीटलैंड अथवा जल क्षेत्र (प्राकृतिक या कृत्रिम) होते हैं, जिनमें स्थिर या प्रवाहित जल पाया जाता है, जिनमें छह मीटर से अधिक गहराई वाले समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।
- आर्द्रभूमियाँ एक पारिस्थितिक इकोटोन (Ecotone) हैं, जिसमें स्थलीय और जलीय पारिस्थितिक तंत्रों के बीच संक्रमणकालीन भूमि होती है।
- रामसर कन्वेंशन: इसे यह वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में अपनाया गया था और यह आर्द्रभूमि संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग के लिये एक वैश्विक रूपरेखा प्रदान करता है। भारत वर्ष 1982 में इसमें शामिल हुआ।
- मॉन्ट्रो रिकॉर्ड (संकटग्रस्त सूची) में उन आर्द्रभूमियों को शामिल किया जाता है, जिनका पारिस्थितिक स्वरूप मानवीय गतिविधियों या प्रदूषण के कारण बिगड़ रहा है। भारत की दो आर्द्रभूमियाँ मॉन्ट्रो रिकॉर्ड में शामिल हैं:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान (1990): यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।
- लोकटक झील, मणिपुर (1993): पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील, जो अपनी फुमडी (Phumdis) (वनस्पति, मृदा और कार्बनिक पदार्थों के तैरते हुए समूह) के लिये जानी जाती है।
- चिल्का झील को वर्ष 1993 में मॉन्ट्रो रिकॉर्ड में शामिल किया गया था, लेकिन वर्ष 2002 में इसे बाहर (एशिया की पहली आर्द्रभूमि जिसे सूची से हटाया गया) कर दिया गया।