करेगुट्टालु पहाड़ी पर माओवादी विरोधी अभियान | छत्तीसगढ़ | 16 May 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और छत्तीसगढ़ पुलिस ने हाल ही में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित करेगुट्टालु पहाड़ी पर 21 दिवसीय गहन माओवादी विरोधी अभियान का समापन किया।
- यह ऑपरेशन वामपंथी उग्रवाद (LWE) को खत्म करने और 31 मार्च, 2026 तक नक्सल मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के भारत के चल रहे संघर्ष में एक महत्त्वपूर्ण सफलता है।
मुख्य बिंदु
करेगुट्टालु पहाड़ी का सामरिक महत्त्व
- करेगुट्टालु पहाड़ी लगभग 60 किमी लंबी और 5-20 किमी चौड़ी एक ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्र है, जो पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) जैसे प्रमुख माओवादी संगठनों के लिये एक गढ़ और एकीकृत कमान केंद्र बन गया था।
- यह क्षेत्र 300-350 सशस्त्र माओवादी कार्यकर्त्ताओं के लिये शरणस्थली के रूप में कार्य करता था, जिसमें तकनीकी विभाग की हथियार निर्माण इकाइयाँ भी शामिल थीं, जिससे क्षेत्र में लंबे समय तक विद्रोह जारी रहा।
- माओवादी इसे इसकी भौगोलिक स्थिति और दो राज्यों (छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) से निकटता के कारण अभेद्य मानते थे, जिससे सुरक्षा बलों के अभियान जटिल हो जाते थे।
ऑपरेशन के उद्देश्य और परिणाम
- इसका प्राथमिक उद्देश्य करेगुट्टालु पहाड़ी पर केंद्रित शीर्ष माओवादी नेतृत्व को विस्थापित करना तथा उनके एकीकृत सैन्य ढाँचे को ध्वस्त करना था।
- इसे छत्तीसगढ़ में अब तक का “सबसे बड़ा व्यापक और समन्वित माओवादी विरोधी अभियान” माना जा रहा है, जो दुर्गम माओवादी गढ़ों पर पुनः कब्ज़ा करने के लिये सुरक्षा बलों की क्षमता और संकल्प को दर्शाता है।
- इस अभियान के दौरान 21 दिनों में 21 मुठभेड़ें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप महिला कार्यकर्त्ताओं सहित कई माओवादी मारे गए।
- इस ऑपरेशन में ज़िला रिज़र्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स, विशेष कार्य बल, CRPF की कमांडो बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन (कोबरा) इकाई और राज्य पुलिस जैसी कई इकाइयों के समन्वित प्रयास शामिल थे, जिससे अंतर-एजेंसी तालमेल का प्रदर्शन हुआ।
पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA)
- PLGA का गठन 2 दिसंबर, 2000 को हुआ था।
- यह भारत में प्रतिबंधित राजनीतिक संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र शाखा के रूप में कार्य करता है।
- यह समूह लंबे समय तक चलने वाले जनयुद्ध के माध्यम से सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल
प्रारंभ और विकास:
- CRPF की स्थापना वर्ष 1939 में रियासतों में राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति के जवाब में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में की गई थी।
- वर्ष 1949 में इस बल का नाम बदलकर केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल कर दिया गया।
- तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने CRPF के लिये एक बहुमुखी भूमिका की कल्पना की थी तथा इसके कार्यों को नव स्वतंत्र राष्ट्र की उभरती जरूरतों के साथ संरेखित किया था।
विशेष इकाइयाँ:
- CRPF में कई विशेष इकाइयाँ हैं, जिनमें रैपिड एक्शन फोर्स (RAF), कमांडो बटालियन फॉर रिज़ोल्यूट एक्शन (कोबरा), वीआईपी सुरक्षा विंग और महिला बटालियन शामिल हैं।
