भारत की पहली DNA-आधारित हाथी गणना | उत्तराखंड | 18 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
भारत में पहली राष्ट्रीय स्तर की DNA-आधारित हाथी गणना में पिछले आठ वर्षों में देश की हाथी संख्या में 25% की गिरावट पाई गई है, जो आवास हानि, विखंडन और मानव-हाथी संघर्ष जैसी बढ़ती चुनौतियों को दर्शाती है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: रिपोर्ट ‘Status of Elephants in India: DNA-based Synchronous All-India Population Estimation of Elephants (SAIEE 2021–25)’ के अनुसार, भारत में हाथियों की संख्या 22,446 है, जबकि 2017 में यह 29,964 थी।
- यह अभ्यास वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992) के तहत किया गया।
- अध्ययन का महत्त्व: यह अध्ययन दृश्य और मल-आधारित गणना से हटकर DNA मार्क–रिकैप्चर तकनीक पर आधारित है, जिससे हाथियों की संख्या का अधिक वैज्ञानिक और सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
- DNA आधारित तरीका: यह पद्धति, जो बाघों की गणना में प्रयुक्त होती है, विशिष्ट आनुवंशिक मार्करों/चिह्नों के माध्यम से व्यक्तिगत हाथियों की पहचान करती है, जिससे हाथियों की विशिष्ट शारीरिक विशेषताओं की कमी की समस्या को दूर किया जा सकता है।
- डेटा संग्रह:
- कुल 188,030 ट्रेल्स पर 6.66 लाख किमी की दूरी कवर की गई।
- 3.19 लाख से अधिक मल-प्लॉट्स की जाँच की गई और 21,056 प्रतिदर्श एकत्र किये गए।
- 4,065 व्यक्तिगत हाथियों के लिए डीएनए प्रोफाइल तैयार की गई।
- संख्या अनुमान तकनीक: स्पेशियली एक्सप्लिसिट कैप्चर–रिकैप्चर (SECR) मॉडल्स का उपयोग किया गया, जिसमें आनुवंशिक और आवासीय डेटा को मिलाकर सटीक संख्या अनुमान लगाया गया
- क्षेत्रीय वितरण:
- कर्नाटक – 6,013
- असम – 4,159
- तमिलनाडु – 3,136
- केरल – 2,785
- उत्तराखंड – 1,792
- ओडिशा – 912
- क्षेत्रीय रुझान:.
- पश्चिमी घाट: 11,934 हाथी (2017 में 14,587)
- उत्तर-पूर्वी पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र मैदान: 6,559 (2017 में 10,139)
- मध्य भारत की पठारी और पूर्वी घाट: 1,891 (2017 में 3,128)
- शिवालिक–गंगा मैदान: 2,062 (लगभग अपरिवर्तित, 2017 में 2,085)
- मुख्य तथ्य:
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आवास विखंडन: कॉफी और चाय के बागानों के विस्तार, कृषि भूमि की बाड़बंदी/फेंसिंग तथा अवसंरचना परियोजनाओं के कारण विशेषकर पश्चिमी घाटों में हाथियों के आवास खंडित हो रहे हैं।
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मानव–हाथी संघर्ष: असम (सोनितपुर, गोलाघाट) और मध्य भारत (झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा) में यह संघर्ष सर्वाधिक है।
- मध्य भारत में, जहाँ हाथियों की संख्या 10% से भी कम है, हाथियों के कारण होने वाली 45% मानव मृत्यु होती हैं।
- सकारात्मक विकास: अवैध शिकार की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन आवास क्षरण अभी भी एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र सैनिक योगदानकर्त्ता देशों के (UNTCC) प्रमुखों का सम्मेलन 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 18 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र सैनिक योगदानकर्त्ता देशों के (UNTCC) प्रमुखों का सम्मेलन 2025, जिसे भारतीय सेना ने 14 से 16 अक्तूबर, 2025 तक आयोजित किया, में 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य नेताओं को एकत्रित किया गया, जो वैश्विक संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मुख्य बिंदु
- परिचय: इस सम्मेलन में 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हैं, जिनमें अल्जीरिया, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राज़ील, मिस्र, इथियोपिया, फ्राँस, घाना, भारत, इटली, केन्या, मलेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, तंज़ानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम शामिल हैं।
- इस कार्यक्रम में रक्षा प्रदर्शनियाँ भी शामिल हैं, जिनका उद्देश्य शांति स्थापना अभियानों के लिये साझा क्षमताओं का निर्माण करना है।
- उद्देश्य: UNTCC एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य परिचालनिक चुनौतियों, विकसित हो रहे खतरों, अंतरसंचालन क्षमता, निर्णय-निर्माण में समावेशिता और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना को सुदृढ़ करने में प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण की भूमिका पर चर्चा करना है।
- भारत, जो संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में सबसे बड़े योगदानकर्त्ताओं में से एक है, ने भविष्य के शांति स्थापना अभियानों के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा, ज्ञान साझा करने और आपसी समझ विकसित करने के उद्देश्य से इस उच्च स्तरीय मंच का आयोजन किया है।
- प्रौद्योगिकी प्रदर्शन: प्रमुखों ने भारतीय सेना द्वारा एकीकृत, आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन देखा, जिसमें विभिन्न स्वदेशी सैन्य उपकरणों को प्रदर्शित किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के लिये 4C सूत्र: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शांति स्थापना में उभरती चुनौतियों का समाधान करने हेतु परामर्श (Consultation), सहयोग (Cooperation), समन्वय (Coordination) और क्षमता निर्माण (Capacity Building) के मार्गदर्शक सिद्धांत का प्रस्ताव रखा, जिसे 4C सूत्र कहा गया।
- उन्होंने यह भी बताया कि नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर UN पीसकीपिंग ने 90 से अधिक देशों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है, जिससे शांति सैनिकों के बीच अंतरसंचालन क्षमता (Interoperability) के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (UNPK)
- पहला UNPK मिशन, संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम पर्यवेक्षण संगठन (UNTSO), मई 1948 में स्थापित किया गया था ताकि इज़रायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच आर्मिस्टिस समझौते की निगरानी एक छोटे सैन्य पर्यवेक्षक दल के माध्यम से की जा सके।
- उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा युद्धविराम और शांति समझौतों का समर्थन करने के लिये तैनात किया जाता है और इन्हें ब्लू हेलमेट्स कहा जाता है क्योंकि हल्का नीला रंग UN ध्वज पर शांति का प्रतीक है।
- वर्तमान में, 119 देशों के 61,000 से अधिक सैन्य और पुलिस शांति सैनिक और 7,000 से अधिक नागरिक कर्मी 11 संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में सेवा प्रदान कर रहे हैं।