झारखंड लोक सेवा आयोग - रणनीति | 29 Apr 2025

रणनीति की आवश्यकता क्यों है?

झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है। 

झारखंड संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा (JPSC) में सफलता प्राप्त करने के लिये इसकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप एक उचित और गतिशील रणनीति बनाना अत्यंत आवश्यक है।

यह परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाती है: प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार।

  • संयुक्त सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा (वस्तुनिष्ठ प्रकार) का आयोजन मुख्य (लिखित) परीक्षा के लिये उम्मीदवारों के चयन हेतु किया जाता है तथा
  • संयुक्त सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा (लिखित एवं साक्षात्कार) का आयोजन विभिन्न सेवाओं और पदों के लिये उम्मीदवारों के चयन हेतु किया जाता है।

प्रगति के प्रत्येक चरण में सफल होने के लिये पूर्ववर्ती चरण को सफलतापूर्वक पूरा करना अनिवार्य है। चूँकि इन चरणों की विशेषताएँ भिन्न होती हैं, इसलिये प्रत्येक चरण के लिये एक विशिष्ट और केंद्रित रणनीति अपनाना महत्त्वपूर्ण है, ताकि हर स्तर पर सफलता सुनिश्चित की जा सके।

प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति

सामान्य परिचय

  • सामान्य अध्ययन- I इतिहास, भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र और विज्ञान सहित व्यापक विषयों पर केंद्रित है। इसके लिये वैचारिक और तथ्यात्मक स्पष्टता की आवश्यकता होती है।
  • सामान्य अध्ययन- II प्रश्न-पत्र में झारखंड के इतिहास, विशिष्ट पहचान, संस्कृति, साहित्य, आंदोलनों, कानून व्यवस्था, शासन प्रणाली और अन्य राज्य-विशिष्ट पहलुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

तैयारी के लिये चरणबद्ध रणनीति

  • पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन:
    • पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रूचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित कीजिये।
    • विगत 5-10 वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करके प्रश्नों की प्रवृत्ति को समझें और अक्सर पूछे जाने वाले विषयों पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
  • वैचारिक और तथ्यात्मक ज्ञान विकसित करना:
    • विशिष्ट अनुभागों की गहन समझ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कई प्रश्न वैचारिक स्पष्टता और तथ्यात्मक विवरण दोनों पर आधारित होते हैं।
    • उदाहरण के लिये:
      • आंध्र-भोज किसे कहा जाता है?
      • संथालों में गाँव के प्रधान को क्या कहते हैं ? 
    • नियमित पुनरीक्षण के लिये ऐसे तथ्यात्मक विवरणों पर संक्षिप्त एवं सारगर्भित नोट्स तैयार कीजिये।
  • NCERT-आधारित तैयारी:
    • इस परीक्षा में कई प्रश्न NCERT की पुस्तकों से लिये गए हैं। सामान्य अध्ययन के लिये NCERT की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना अत्यंत लाभकारी है।
  • झारखंड के लिये विशेष तैयारी:
    • प्रमुख जनजातीय समुदायों, उनके त्योहारों, सांस्कृतिक प्रथाओं और अन्य राज्य-विशिष्ट विवरणों से संबंधित सूचियाँ संकलित कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये, “झारखंड में आदिवासियों के फूलों के त्योहार का नाम क्या है?” जैसे प्रश्नों का उत्तर देने के लिये, आदिवासी त्योहारों और उनके महत्त्व की एक विस्तृत सूची तैयार करनी चाहिये।
    • झारखंड के सामान्य ज्ञान के लिये झारखंड प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों और अन्य मानक स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं।
  • सामयिकी:
  • व्यापक नोट बनाने की प्रक्रिया:
    • प्रत्येक विषय के लिये बिंदुवार नोट्स बनाएँ, विशेषकर इतिहास, संस्कृति, कानून, खेल और शासन जैसे अनुभागों के लिये।
    • अपने नोट्स को इस प्रकार व्यवस्थित कीजिये कि परीक्षा से पहले शीघ्रता से पुनरीक्षण किया जा सके।
  • अभ्यास एवं समय प्रबंधन:
    • अभ्यास-पत्रों और विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों को निर्धारित समय सीमा के भीतर हल कीजिये, विशेषकर परीक्षा से 15-20 दिन पूर्व।
    • यह अभ्यास न केवल परीक्षा पैटर्न की बेहतर समझ विकसित करने में सहायता करता है, बल्कि अभ्यर्थियों को दोहराए जाने वाले प्रश्नों से परिचित कराता है और गति में सुधार करता है।
  • परीक्षा देने का प्रयास:
    • तार्किक अनुमान का उपयोग करते हुए, उन प्रश्नों सहित सभी प्रश्नों को हल करके नकारात्मक अंकन की अनुपस्थिति का लाभ उठाएँ जिनके बारे में आप अनिश्चित हैं।
    • उत्तर देते समय सटीकता पर ध्यान देना चाहिये, लेकिन किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें।

झारखंड के सामान्य ज्ञान के लिये महत्त्वपूर्ण सुझाव 

  • झारखंड के सामान्य ज्ञान के पाठ्यक्रम को राज्य के इतिहास, आंदोलन, संस्कृति, साहित्य, शासन, संस्थानों और कानूनों जैसे विषयों में विभाजित किया गया है।
  • अभ्यर्थियों को समाचार पत्रों, राज्य-विशिष्ट पुस्तकों और ऑनलाइन स्रोतों का उपयोग करके राज्य-स्तरीय घटनाओं, योजनाओं और कार्यक्रमों के संबंध में अपने ज्ञान को नियमित रूप से अद्यतन करना चाहिये।
    • राज्य-विशिष्ट समाचारों का संदर्भ विश्वसनीय स्रोतों जैसे दृष्टि पी.सी.एस. से लेना भी लाभकारी हो सकता है। 

अंतिम तैयारी

  • अंतिम तैयारी के चरण में, अपने नोट्स का पुनरीक्षण करने, मॉक टेस्ट हल करने और तथ्यात्मक जानकारी को शीघ्रता से याद करने की क्षमता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। निरंतर अध्ययन की आदतें बनाए रखने, प्रभावी ढंग से अभ्यास करने और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने से, आप JPSC प्रारंभिक परीक्षा में सफलता की संभावनाओं को काफी बढ़ा सकते हैं।

मुख्य परीक्षा रणनीति

मुख्य परीक्षा की तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से काफी भिन्न होती है क्योंकि दोनों चरणों की प्रकृति अलग होती है। जबकि प्रारंभिक परीक्षा वस्तुनिष्ठ और योग्यता आधारित होती है, मुख्य परीक्षा वर्णनात्मक होती है और इस चरण में प्राप्त अंक अंतिम योग्यता सूची (मेरिट लिस्ट) में शामिल होते हैं।

इसलिये, मुख्य परीक्षा अत्यधिक महत्त्व रखती है और अंतिम चयन प्रक्रिया में सफलता निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम को समझना 
    • पाठ्यक्रम और परीक्षा की संरचना से अवगत होना आवश्यक है। प्रत्येक पेपर के लिये एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, इसलिये अपनी तैयारी को इस अनुसार विभाजित कर कर सकते हैं।
    • विषयों को उनके महत्त्व और कठिनाई स्तर के आधार पर प्राथमिकता deni चाहिये।
  • सभी प्रश्न-पत्रों के लिये सामान्य सुझाव
    • समय प्रबंधन: प्रत्येक प्रश्न-पत्र के लिये प्रतिदिन निश्चित घंटे आवंटित किये चाहिये।
    • उत्तर लेखन अभ्यास: प्रतिदिन कम से कम 2-3 उत्तरों का अभ्यास करके लेखन कौशल में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित कीजिये। शब्द सीमा का पालन कीजिये और अपने उत्तरों को परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष के साथ संरचित कीजिये।
    • पुनरीक्षण: नियमित पुनरीक्षण (रिवीजन) महत्त्वपूर्ण है। महत्त्वपूर्ण तथ्यों, अवधारणाओं और उदाहरणों को संशोधित करने के लिये संक्षिप्त नोट्स का उपयोग कर सकते हैं।
    • मॉक टेस्ट: समय की सीमा के तहत पूर्ण-मापदंड मॉक टेस्ट का प्रयास करें ताकि आत्मविश्वास बढ़े और कमज़ोर क्षेत्रों की पहचान हो सके।

प्रश्न-पत्र-विशिष्ट रणनीति

  • प्रश्न-पत्र-I: सामान्य हिंदी और सामान्य अंग्रेज़ी (योग्यता)
    • व्याकरण, निबंध लेखन, संक्षेपण और समझ पर ध्यान देना चाहिये।
    • अंग्रेज़ी के लिये रेन एंड मार्टिन जैसी मानक व्याकरण पुस्तकों और प्रासंगिक हिंदी व्याकरण मार्गदर्शिकाओं (गाइड्स) का उपयोग कीजिये।
    • दोनों भाषाओं में नियमित रूप से निबंध और संक्षेप लिखने का अभ्यास करना चाहिये।
  • प्रश्न-पत्र-II: भाषा और साहित्य
    • कोई ऐसी भाषा या साहित्य विषय चुनिये जिसमें आप सहज हों या जिसका आपको पूर्व ज्ञान हो।
    • पाठ्यक्रम का अध्ययन कीजिये और साहित्यिक इतिहास, गद्य, कविता और उल्लेखनीय लेखकों/कृतियों पर ध्यान केंद्रित कीजिये
    • प्रमुख साहित्यिक ग्रंथों का संक्षिप्त सारांश लिखना चाहिये और वर्णनात्मक प्रश्नों के उत्तर देने का अभ्यास चाहिये।
  • प्रश्न-पत्र-III: सामाजिक विज्ञान (इतिहास और भूगोल)
  • इतिहास
    • तैयारी को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास में विभाजित कीजिये।
    • झारखंड-विशिष्ट ऐतिहासिक घटनाओं जैसे आदिवासी विद्रोह और आंदोलनों पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
    • संदर्भ के लिये NCERT की पुस्तकों और झारखंड-विशिष्ट इतिहास सामग्री का उपयोग कीजिये।
  • भूगोल
    • झारखंड के भूगोल (जैसे खनिज, जलवायु, वन) पर विशेष ज़ोर देते हुए भौतिक, आर्थिक और मानव भूगोल पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
    • मानचित्र-आधारित प्रश्नों और आरेखों का अभ्यास कीजिये।
    • NCERT पुस्तकों और एक झारखंड-विशिष्ट भूगोल की पुस्तक का संदर्भ लें सकते हैं।
  • प्रश्न-पत्र-IV: भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था, लोक प्रशासन एवं सुशासन
  • भारतीय संविधान एवं राजनीति
    • प्रमुख संवैधानिक प्रावधानों, शासन संरचनाओं और संशोधनों पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
    • झारखंड में संघवाद, न्यायिक सुधार और पंचायती राज संस्थाओं जैसे समकालीन मुद्दों का अध्ययन कीजिये।
    • एम. लक्ष्मीकांत की पुस्तक इंडियन पॉलिटी पुस्तक का संदर्भ ले सकते हैं।
  • लोक प्रशासन एवं सुशासन
    • प्रशासनिक सुधार, नैतिकता और शासन चुनौतियों का अध्ययन कीजिये, विशेष रूप से झारखंड में।
    • झारखंड और भारत में सुशासन संबंधी पहलों के उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • प्रश्न-पत्र-V: भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण और सतत् विकास
    • भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल बातें, वर्तमान आर्थिक चुनौतियों और भारत पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
    • झारखंड की आर्थिक नीतियों, उद्योगों, कृषि और विकासात्मक चुनौतियों का अध्ययन कीजिये।
    • अद्यतन आँकड़ों के लिये आर्थिक सर्वेक्षण और बजट जैसी रिपोर्टों का उपयोग कर सकते हैं।
    • झारखंड के उदाहरणों के साथ सतत् विकास प्रथाओं के संबंध में जानिये।
  • प्रश्न-पत्र-VI: सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी विकास
    • सामान्य विज्ञान: NCERT की पुस्तकों से भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की मूलभूत अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
    • पर्यावरण: पर्यावरणीय मुद्दों, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और झारखंड की पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे खनन प्रभाव और वन संरक्षण का अध्ययन करना।
    • प्रौद्योगिकी विकास: उभरती प्रौद्योगिकियों, IT, अंतरिक्ष और शासन में उनके अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करना।

साक्षात्कार रणनीति

  • उद्देश्य को समझना:
    • साक्षात्कार में आपकी मानसिक सतर्कता, संचार कौशल और विचारों की स्पष्टता के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक और प्रशासनिक मुद्दों की आपकी समझ का परीक्षण किया जाता है।
  • मुख्य विषयों का पुनरीक्षण करना:
    • समसामयिकी: राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और झारखंड-विशिष्ट समाचारों से अपडेट रहना चाहिये।
    • राज्य ज्ञान: झारखंड के इतिहास, संस्कृति, शासन और वर्तमान विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • व्यक्तिगत प्रश्नों के लिये तैयार रहना चाहिये:
    • अपने शौक, ताकत, कमज़ोरियों और लोक सेवा चुनने के कारणों के बारे में सवालों के उत्तर देने के लिये तैयार रहना चाहिये।
    • अपने डी.ए.एफ. (विस्तृत आवेदन-पत्र) को अच्छी तरह से जानिये और उससे संबंधित प्रश्नों का पूर्वानुमान लगाएं।
  • प्रायोगिक साक्षात्कार (मॉक इंटरव्यू):
    • मॉक इंटरव्यू में भाग लीजिये ताकि आत्मविश्वास प्राप्त कर सकें और रचनात्मक प्रतिपुष्टि (फीडबैक) प्राप्त कर सकें।
    • शारीरिक भाषा और समय प्रबंधन में सुधार के लिये साक्षात्कार के वातावरण का अनुकरण कीजिये।
  • नैतिक और प्रशासनिक परिदृश्य:
    • ऐसे परिस्थितिजन्य प्रश्नों के उत्तर देने के लिये तैयार रहिये जो आपकी समस्या-समाधान और निर्णय लेने की क्षमताओं का परीक्षण करेंगे।
  • समय प्रबंधन:
    • मुख्य बिंदुओं को शामिल करते हुए उचित समय के भीतर उत्तर देने का अभ्यास कीजिये।

निष्कर्ष

झारखंड संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु प्रत्येक चरण के लिये एक केंद्रित रणनीति अपनाना अत्यंत आवश्यक है। नियमित पुनरावृत्ति और अभ्यास के साथ एक सतत् और व्यवस्थित तैयारी रणनीति इस परीक्षा में सफलता की संभावनाओं को अत्यधिक बढ़ा सकती है।