सुल्तानपुर झील पर आयोजित किया गया वर्ल्ड वेटलैंड डे | 03 Feb 2022

चर्चा में क्यों? 

2 फरवरी, 2022 को हरियाणा के गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में वर्ल्ड वेटलैंट डे (विश्व आर्द्रभूमि दिवस) का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उत्तर प्रदेश के ‘बखिरा वन्यजीव अभयारण्य’ और गुजरात के ‘खिजाड़िया वन्यजीव अभयारण्य’ को रामसर स्थल घोषित किया।  

प्रमुख बिंदु

  • इन दोनों अभयारण्यों के रामसर स्थल में शामिल होते ही देश में संरक्षित आर्द्रभूमियों की कुल संख्या बढ़कर 49 हो गई है। अब भारत में रामसर स्थलों की संख्या दक्षिण एशिया के देशों में सबसे अधिक हो गई है।
  • ज्ञातव्य है कि मई 2021 में गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय पक्षी उद्यान और झज्जर के भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य को रामसर स्थल (अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि) के रूप में घोषित किया गया था। 
  • सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान गुरुग्राम-झज्जर राजमार्ग पर सुल्तानपुर गाँव में 350 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान को 2 अप्रैल, 1971 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। 5 जुलाई, 1991 को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ था।
  • आर्द्रभूमि दिवस समारोह के अवसर पर आर्द्रभूमि के विभिन्न पहलुओं से संबंधित वेबिनार की एक  शृंखला आयोजित की जा रही है। हरियाणा में पक्षियों की संख्या पर एक अभ्यास भी पूरे राज्य के विभिन्न भागों में चल रहा है।
  • इस अवसर पर भारत की आर्द्रभूमि (भौतिक रूप से) पर अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (एसएसी) द्वारा तैयार किया गया ‘राष्ट्रीय आर्द्रभूमि दशकीय परिवर्तन एटलस’ भी जारी किया गया, जो पिछले एक दशक में आर्द्रभूमि में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डालता है। 
  • उल्लेखनीय है कि रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और कुशलता से उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिस पर 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर शहर में हस्ताक्षर किये गए थे।
  • आर्द्रभूमि पर संधि को लागू करने की तिथि के प्रतीक के रूप में हर साल 2 फरवरी को पूरी दुनिया में विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। यह लोगों और धरती के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
  • इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस का विषय ‘लोगों और प्रकृति के लिये आर्द्रभूमि की भूमिका’ है, जो मानव और धरती के स्वास्थ्य के लिये आर्द्रभूमि के संरक्षण तथा सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये किये जाने वाले कार्यों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • उल्लेखनीय है कि आर्द्रभूमि पारिस्थितिक रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र हैं, जो 40 प्रतिशत जैव विविधता को आश्रय देते हैं। ये पानी को अवशोषित करते हैं, बाढ़ को नियंत्रित करते हैं, पानी को शुद्ध करते हैं और जल स्तर को रिचार्ज करते हैं। ये वैश्विक कार्बन का लगभग 1/3 भाग संग्रहीत करते हैं और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं। हालाँकि, अगर इन्हे संरक्षित नहीं किया जाता है, तो वे कार्बन उत्सर्जन का स्रोत भी हो सकते हैं।